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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
ابتدائے (مخلوقات)، انبیا و رسل، عجائبات خلائق
जगत निर्माण, नबी और रसूलों का ज़िक्र और चमत्कार
2549. ابن آدم اللہ تعالیٰ کو کیسے عاجز کرے گا، حالانکہ . . .
“ इन्सान अल्लाह तआला को कैसे बेबस कर सकता है , हालांकि ... ”
حدیث نمبر: 3908
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" يقول الله تعالى: يا ابن آدم! انى تعجزني وقد خلقتك من مثل هذه، حتى إذا-" يقول الله تعالى: يا ابن آدم! أنى تعجزني وقد خلقتك من مثل هذه، حتى إذا
سیدنا بسر رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے اپنی ہتیھلی میں تھوکا اور اس پر اپنی انگلی رکھی اور فرمایا: اللہ تعالیٰ فرماتے ہیں: اے آدم کے بیٹے! تو مجھے کیسے بےبس کر سکتا ہے، میں نے تو تجھے اس قسم کے مادے سے پیدا کیا، حتیٰ کہ تجھے ٹھیک ٹھاک کیا اور پھر (‏‏‏‏درست اور) برابر بنایا۔ (‏‏‏‏جب تو بڑا ہوا تو) تو نے دو چادریں زیب تن کر لیں اور زمین میں خراماں خراماں چلنے لگا، پھر مال جمع کیا اور اسے اپنے پاس روکے رکھا، حتیٰ کہ تیرا سانس حلق تک پہنچ گیا اور تو نے یہ کہنا شروع کر دیا کہ اب میں صدقہ کرتا ہوں، لیکن اب کہاں ہے صدقہ کرنے کا وقت؟ ایک روایت میں حلق کی بجائے ہنسلی کی ہڈی کا ذکر ہے۔
हज़रत बुसर रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी हथेल में थूका और उस पर अपनी ऊँगली रखी और फ़रमाया ! “अल्लाह तआला कहता है कि ऐ आदम के बेटे, तू मुझे कैसे बेबस कर सकता है, मैं ने तो तुझे उस तरह की चीज़ से पैदा किया, यहां तक कि तुझे ठीक किया और फिर बराबर बनाया। (जब तू बड़ा हुआ तो) तू ने दो चादरें पहन लीं और ज़मीन में धीरे धीरे चलने लगा, फिर माल इकट्टा किया और उसे अपने पास रोके रखा, यहां तक कि तेरा साँस हलक़ तक पहुंच गया और तू ने यह कहना शुरू कर दिया कि अब मैं सदक़ह करता हूँ, लेकिन अब कहाँ है सदक़ह करने का समय ?” एक रिवायत में “हलक़” की बजाए “हंसली की हड्डी” कहा है।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1099

قال الشيخ الألباني:
- " يقول الله تعالى: يا ابن آدم! أنى تعجزني وقد خلقتك من مثل هذه، حتى إذا
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‏‏‏‏
‏‏‏‏سويتك وعدلتك مشيت بين
‏‏‏‏بردين وللأرض منك وئيد، فجمعت ومنعت، حتى إذا بلغت
‏‏‏‏نفسك هذه ـ وأشار إلى حلقه ـ " وفي رواية: حتى إذا بلغت التراقي " قلت:
‏‏‏‏أتصدق، وأنى أوان التصدق؟! ".
‏‏‏‏رواه ابن ماجه (2 / 159) والإمام أحمد (4 / 210) وابن سعد في " الطبقات "
‏‏‏‏(7 / 427) عن حريز بن عثمان عن عبد الرحمن بن ميسرة عن جبير بن نفير عن
‏‏‏‏بسر ابن جحاش أن رسول الله صلى الله عليه وسلم بصق يوما على كفه ووضع
‏‏‏‏عليها إصبعه ثم قال: فذكره.
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد حسن، رجاله كلهم ثقات غير عبد الرحمن بن ميسرة، قال ابن
‏‏‏‏المديني: " مجهول ". لكن قال أبو داود: " شيوخ حريز كلهم ثقات ". وقال
‏‏‏‏العجلي في " الثقات " (ق 34 / 2 - ترتيب الهيثمي) : " شامي تابعي ثقة ".
‏‏‏‏ونقله عنه الحافظ في " التهذيب " ولم يزد، وفاته أنه ذكره ابن حبان أيضا
‏‏‏‏في " ثقاته " (1 / 131 - الظاهرية) . وقد روى عنه جماعة من الثقات كما في "
‏‏‏‏التهذيب ". وتابعه ثور بن يزيد عن عبد الرحمن بن ميسرة به كما في " تحفة
‏‏‏‏الأشراف " للحافظ المزي (2 / 97) . وقال البوصيري في " زوائد ابن ماجه "
‏‏‏‏(ق 168 / 1) : " وإسناده صحيح، رجاله ثقات ". ¤


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