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विभिन्न हदीसें
1. १. “ मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत की फ़ज़ीलत ”
2. २. “ मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आख़री नबी हैं ”
3. ३. “ कंजूस और दान करने वाले की मिसाल ”
4. ४. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अपनी उम्मत को जहन्नम की आग से बचना ”
5. ५. “ जन्नत के पेड़ का साया ”
6. ६. “ हसद यानि जलन और पीठ पीछे बुराई से रोक ”
7. ७. “ जुमाअ के दिन दुआ स्वीकार होने का समय ”
8. ८. “ फ़जर और असर की नमाज़ की फ़ज़ीलत ”
9. ९. “ फरिश्तों की नमाज़ी के लिए दुआ ”
10. १०. “ नमाज़ में आमीन कहने पर पिछले पाप माफ़ होजाना ”
11. ११. “ क़ुरबानी के जानवर पर सवारी की अनुमति ”
12. १२. “ कम हंसना और ज़ियादा रोना ”
13. १३. “ चेहरे पर मारना मना है ”
14. १४. “ जहन्नम की आग की सख़्ती दुनिआ की आग से ज़ियादा ”
15. १५. “ अल्लाह तआला की रहमत उसके ग़ुस्से पर हावी है ”
16. १६. “ रोज़े की फ़ज़ीलत ”
17. १७. “ रोज़ेदार की मुंह की गंध मुश्क से ज़ियादा अच्छी होना ”
18. १८. “ नबी द्वारा चींटियों को जलाना ”
19. १९. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जिहाद का शौक़ ”
20. २०. “ हर नबी को स्वीकार होने वाली दुआ का मिलना ”
21. २१. “ अल्लाह तआला से मिलने की इच्छा ”
22. २२. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की इताअत यानि अल्लाह की इताअत ”
23. २३. “ क़यामत की निशानियां ”
24. २४. “ क़यामत की निशानी दो बढ़े दलों की जंग ”
25. २५. “ क़यामत से पहले झूठे नबियों का होना ”
26. २६. “ क़यामत की निशानी सूरज का पश्चिम से निकलना ”
27. २७. “ अज़ान सुनकर शैतान का भागना ”
28. २८. “ अल्लाह का हाथ बड़ा दान करने वाला है ”
29. २९. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखने की इच्छा ”
30. ३०. “ क़ैसर व कसरा की तबाही के बारे में और जंग एक धोका ”
31. ३१. “ नेक लोगों के लिए जन्नत में चीज़ें ”
32. ३२. “ ज़ियादा सवाल करना मना है ”
33. ३३. “ अपवित्र लोगों के लिए रोज़े के नियम ”
34. ३४. “ अल्लाह तआला के अच्छे नाम ”
35. ३५. “ अमीरों के बदले गरीबों को देखो ”
36. ३६. “ जिस बर्तन में कुत्ता मुंह डाले उस को पाक करना ”
37. ३७. “ जमाअत से नमाज़ न पढ़ने वालों के बारे में ”
38. ३८. “ एक जूता पहन कर न चलो ”
39. ३९. “ नज़र नसीब को नहीं बदलती इसके द्वारा कंजूस का माल निकल जाता है ”
40. ४०. “ अल्लाह के रासते में ख़र्च करने की बरकत ”
41. ४१. “ हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम और एक चोर का क़िस्सा ”
42. ४२. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का दुश्मन पर रौअब ”
43. ४३. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के खज़ांची हैं ”
44. ४४. “ इमाम की पैरवी करना ज़रूरी है ”
45. ४५. “ नमाज़ में ठीक सफें बनाने का हुक्म ”
46. ४६. “ हज़रत आदम और हज़रत मूसा अलैहिमुस्सलाम के बीच बहस ”
47. ४७. “ हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम पर सोने की टिड्डियों की बारिश ”
48. ४८. “ हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम का ज़बूर पढ़ना और अपने हाथों की कमाई खाना ”
49. ४९. “ अच्छा सपना नबवत का चालीसवां भाग है ”
50. ५०. “ कौन किसे सलाम करे ”
51. ५१. “ कुफ़्फ़ार के साथ जिहाद और जंग का हुक्म ”
52. ५२. “ जन्नत और जहन्नम की बहस ”
53. ५३. “ इस्तंजा करते समय बे जोड़ गिन्ती में ढेलों का प्रयोग करना ”
54. ५४. “ एक नेकी का सवाब दस नेकियों के बराबर ”
55. ५५. “ जन्नत की ज़रा सी जगह सारी दुनिया से अच्छी ”
56. ५६. “ जन्नत का सब से छोटा दर्जा ”
57. ५७. “ अंसार सहाबा रज़ि अल्लाहु अन्हुम की फ़ज़ीलत ”
58. ५८. “ अगर बनी इसराईल और अम्मा हव्वा न होतीं ”
59. ५९. “ आदम अलैहिस्सलाम का निर्माण और सलाम करने का तरीक़ा ”
60. ६० . “ मूसा अलैहिस्सलाम का फ़रिश्ते की आंख फोड़ना ”
61. ६१. “ मूसा अलैहिस्सलाम के बारे में बनी इसराईल की बदगुमानी ”
62. ६२. “ असली अमीरी दिल की अमीरी ”
63. ६३. “ अमीर आदमी का उधार लौटाने में देर करना ज़ुल्म है ”
64. ६४. “ इंसान को शहंशाह कहना बहुत बुरा है ”
65. ६५. “ अहंकार की सज़ा ”
66. ६६. “ अल्लाह तआला अपने बंदे के गुमान के जैसा है ”
67. ६७. “ हर बच्चा इस्लाम पर पैदा होता है ”
68. ६८. “ इंसान की रीढ़ की हड्डी ज़मीन नहीं खाती ”
69. ६९. “ विसाल रोज़ा रखना मना है ”
70. ७०. “ सोकर उठने के बाद वुज़ू के पानी में हाथ डालना मना है ”
71. ७१. “ इंसान के हर जोड़ पर हर दिन सदक़ह वाजिब होना ”
72. ७२. “ जानवरों की ज़कात न देने का बुरा अंजाम ”
73. ७३. “ माल की ज़कात न देने का अंजाम ”
74. ७४. “ खड़े पानी में पेशाब करना मना है ”
75. ७५. “ असली ग़रीब कौन है ”
76. ७६. “ औरत पति की अनुमति के बिना नफ़ली रोज़ा न रखे ”
77. ७७. “ मोत की इच्छा करना मना है ”
78. ७८. “ अंगूर को करम कहना मना है ”
79. ७९. “ एक दबे हुए ख़ज़ाने का अच्छा फ़ैसला ”
80. ८०. “ अल्लाह तआला का बंदे की तोबा पर ख़ुश होना ”
81. ८१. “ अल्लाह तआला का बंदे के क़रीब आना ”
82. ८२. “ वुज़ू करते समय में नाक में पानी डालना ”
83. ८३. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का दान ”
84. ८४. “ खाना देने वाले को भी साथ खाना खिलाना ”
85. ८५. “ अपने मालिक को रब्ब और ग़ुलाम को अबदी या उम्मती न कहो ”
86. ८६. “ जन्नत में सब से पहले जाने वाले समूह की फ़ज़ीलत ”
87. ८७. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अपनी उम्मत के लिए हमदर्दी ”
88. ८८. “ पिछली उम्मतों के लिए माल ग़नीमत हलाल न था ”
89. ८९. “ बिल्ली पर ज़ुल्म करेन वाली औरत पर अज़ाब ”
90. ९०. “ वह कर्म जो ईमान के नहीं हैं ”
91. ९१. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर ईमान लाए बिना निजात नहीं ”
92. ९२. “ इमाम को ग़लती करने पर कैसे सूचित किया जाए ”
93. ९३. “ अल्लाह के लिए घाव खाना ”
94. ९४. “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए सदक़ा मना था ”
95. ९५. “ लोगों का सवाल कि अल्लाह को किसने पैदा किया ”
96. ९६. “ क़सम का कफ़्फ़ारा ”
97. ९७. “ दो क़सम खाने वलों के बीच क़ुरआ अंदाज़ी ”
98. ९८. “ हदीस मसरात ” थनों में दूध रोक दिए गए जानवर को ख़रीदने के बारे में
99. ९९. “ बूढ़े को लंबी उमर और माल की इच्छा होना ”
100. १००. “ किसी मुसलमान की तरफ़ हथियार से इशारा न करो ”
101. १०१. “ अल्लाह तआला का काफ़िर क़ौम पर ग़ुस्सा ”
102. १०२. “ अल्लाह तआला का उस व्यक्ति पर ग़ुस्सा जिसे अल्लाह के रसूल ने क़त्ल किया ”
103. १०३. “ इंसान के अंगों का ज़िना ”
104. १०४. “ एक नेकी सात सो गुना ज़ियादा ”
105. १०५. “ इमाम नमाज़ हल्की और छोटी पढ़ाए ”
106. १०६. “ पाप करने का इरादा करे और फिर न करने पर नेकी का सवाब ”
107. १०७ . “ अल्लाह तआला को बुरा भला न कहो ”
108. १०८. “ गर्मियों में ज़ुहर की नमाज़ को ठंडे समय में पढ़ना ”
109. १०९. “ बिना वुज़ू नमाज़ नहीं ”
110. ११०. “ नमाज़ के लिए मस्जिद में आराम से चल कर आओ ”
111. १११. “ अल्लाह तआला का क़ातिल और मक़तूल दोनों पर हंसना ”
112. ११२. “ किसी के सौदे पर सौदा करना और सगाई पर सगाई भेजना मना है ”
113. ११३. “ काफ़िर सात आंतों में और मोमिन एक आंत में खता है ”
114. ११४. “ ख़िज़र अलैहिस्सलाम का नाम ख़िज़र कैसे हुआ ”
115. ११५. “ अभिमान और घमंड में कपड़ा टख़नों से नीचे लटकाना ”
116. ११६. “ बनि इसराईल का आज्ञा न मानने के बारे में ”
117. ११७. “ बहुत नींद आ रही हो तो नमाज़ न पढ़ी जाए ”
118. ११८. “ ज़माने को बुरा न कहो ”
119. ११९. “ अच्छा ग़ुलाम कौन है ”
120. १२०. “ नमाज़ के भींच में थूक आजाए तो ”
121. १२१. “ जुमआ का ख़ुत्बा ख़ामोशी से सुनना ”
122. १२२. “ जिसका कोई वली नहीं उसका वली मैं हूँ ”
123. १२३. “ दुआ पूरे विश्वास के साथ करो यह न कहो अगर तू चाहे ”
124. १२४. “ पिछली उम्मतों के लिए माल ग़नीमत जाइज़ नहीं था और एक नबी का क़िस्सा ”
125. १२५ . “ हज़रत अबू-बकर और हज़रत उमर रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की ख़िलाफ़त की तरफ़ इशारा ”
126. १२६. “ क़यामत से पहले एक आजमी क़ौम से जंग होना ”
127. १२७. “ क़यामत से पहले बाल के जूते वालों से जंग होना ”
128. १२८. “ घोड़े और ऊंट वालों में घमंड और बकरी वालों में नरम स्वभाव का होना ”
129. १२९. “ शासन करना क़ुरैश का हक़ ”
130. १३०. “ क़ुरैश औरतों की फ़ज़ीलत ”
131. १३१ . “ नज़र लगना हक़ है और सुरमह भरवाना मना है ”
132. १३२ . “ नमाज़ के इंतज़ार का सवाब और फ़ज़ीलत ”
133. १३३. “ ऊपर वाला हाथ नीच वाले हाथ से अच्छा है ”
134. १३४ . “ रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का ईसा अलैहिस्सलाम से नज़दीक का नाता ”
135. १३५ . “ दो झूठे नबियों के बारे में रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बताया ”
136. १३६ . “ अल्लाह तआला की रहमत से ही जन्नत मिलेगी ”
137. १३७. “ दो तरह का व्यापार करना और दो तरह के कपड़े पहनना मना हैं ”
138. १३८. “ किन हालतों में क़सास और ख़ून बहा न लिया जाए ”
139. १३९. “ माल ग़नीमत के बंटवारे के नियम ”

صحيفه همام بن منبه کل احادیث 139 :حدیث نمبر
صحيفه همام بن منبه
متفرق
متفرق
विभिन्न हदीसें
پہلی امتوں کے لیے مال غنیمت جائز نہ تھا۔۔۔ اور ایک نبی کا واقعہ
१२४. “ पिछली उम्मतों के लिए माल ग़नीमत जाइज़ नहीं था और एक नबी का क़िस्सा ”
حدیث نمبر: 124
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((حديث مرفوع) (حديث موقوف)) قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: " غزا نبي من الانبياء، فقال للقوم: لا يتبعني رجل قد كان ملك بضع امراة يريد ان يبني بها ولما يبني، ولا آخر بنى بناء له ولما يرفع سقفها، ولا آخر قد اشترى غنما او خلفات وهو ينتظر ولادها، فغزا فدنا القرية حين صلى العصر او قريبا من ذلك، فقال للشمس: انت مامورة وانا مامور، اللهم احبسها علي شيئا، فحبست عليه حتى فتح الله عليه، فجمعوا ما غنموا، فاقبلت النار لتاكله فابت ان تطعمه، فقال: فيكم غلول، فليبايعني من كل قبيلة رجل، فبايعوه فلصقت يد رجل بيده فقال: فيكم الغلول، فلتبايعني قبيلته، فبايعته قبيلته فلصق يد رجلين او ثلاثة بيده، فقال: فيكم الغلول، انتم غللتم، قال: فاخرجوا له مثل راس بقرة من ذهب فوضعوه في المال وهو بالصعيد فاقبلت النار فاكلته، قال: فلم تحل الغنائم لاحد من قبلنا، ذلك بان الله راى ضعفنا وعجزنا فطيبها لنا"((حديث مرفوع) (حديث موقوف)) قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: " غَزَا نَبِيٌّ مِنَ الأَنْبِيَاءِ، فَقَالَ لِلْقَوْمِ: لا يَتْبَعْنِي رَجُلٌ قَدْ كَانَ مَلَكَ بُضْعَ امْرَأَةٍ يُرِيدُ أَنْ يَبْنِيَ بِهَا وَلَمَّا يَبْنِي، وَلا آخَرُ بَنَى بِنَاءً لَهُ وَلَمَّا يَرْفَعْ سُقُفَهَا، وَلا آخَرُ قَدِ اشْتَرَى غَنَمًا أَوْ خَلِفَاتٍ وَهُوَ يَنْتَظِرُ وِلادَهَا، فَغَزَا فَدَنَا الْقَرْيَةَ حِينَ صَلَّى الْعَصْرَ أَوْ قَرِيبًا مِنْ ذَلِكَ، فَقَالَ لِلشَّمْسِ: أَنْتِ مَأْمُورَةٌ وَأَنَا مَأْمُورٌ، اللَّهُمَّ احْبِسْهَا عَلَيَّ شَيْئًا، فَحُبِسَتْ عَلَيْهِ حَتَّى فَتَحَ اللَّهُ عَلَيْهِ، فَجَمَعُوا مَا غَنِمُوا، فَأَقْبَلَتِ النَّارُ لِتَأْكُلَهُ فَأَبَتْ أَنْ تَطْعَمَهُ، فَقَالَ: فِيكُمْ غُلُولٌ، فَلْيُبَايِعْنِي مِنْ كُلِّ قَبِيلَةٍ رَجُلٌ، فَبَايَعُوهُ فَلَصِقَتْ يَدُ رَجُلٍ بِيَدِهِ فَقَالَ: فِيكُمُ الْغُلُولُ، فَلْتُبَايِعْنِي قَبِيلَتُهُ، فَبَايَعَتْهُ قَبِيلَتُهُ فَلَصِقَ يَدُ رَجُلَيْنِ أَوْ ثَلاثَةٍ بِيَدِهِ، فَقَالَ: فِيكُمُ الْغُلُولُ، أَنْتُمْ غَلَلْتُمْ، قَالَ: فَأَخْرَجُوا لَهُ مِثْلَ رَأْسِ بَقَرَةٍ مِنْ ذَهَبٍ فَوَضَعُوهُ فِي الْمَالِ وَهُوَ بِالصَّعِيدِ فَأَقْبَلَتِ النَّارُ فَأَكَلَتْهُ، قَالَ: فَلَمْ تَحِلَّ الْغَنَائِمُ لأَحَدٍ مِنْ قَبْلِنَا، ذَلِكَ بِأَنَّ اللَّهَ رَأَى ضَعْفَنَا وَعَجْزَنَا فَطَيَّبَهَا لَنَا"
اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: (گذشتہ) انبیآء علیھم السلام میں سے ایک نبی نے لڑائی کی تیاری کی اور انہوں نے قوم سے کہا: ایسا شخص میری اتباع نہ کرے جس نے شادی کی ہے اور وہ اپنی بیوی سے شب زفاف گزارنے کا متمنی ہو۔ لیکن ابھی اپنی بیوی سے خلوت نشین نہیں ہوا۔ اور نہ وہ شخص میری پیروی کرے جس نے اپنا مکان تعمیر کیا ہے لیکن اس پر چھت نہیں چڑھائی اور نہ وہ شخص چلے جس نے گابھن بکریاں اور گابھن اونٹنیاں خریدی ہیں اور وہ ان کے بچے پیدا ہونے کا منتظر ہے، پھر اس نبی نے جنگ لڑی نماز عصر کے وقت یا عصر کے قریب اس بستی میں پہنچے تو اس نبی علیہ السلام نے سورج سے کہا: تو بھی امرِ الٰہی کا پابند ہے اور میں بھی امرِ الٰہی کا پابند ہوں۔ (اس کے بعد اللہ کے حضور دعا کی) اے اللہ! اس سورج کو کچھ وقت میرے خاطر روک دے۔ پھر سورج روک دیا گیا، حتٰی کہ اللہ نے انہیں فتح یاب فرمایا، پھر لوگوں نے مالِ غنیمت جمع کیا (جب جمع کر چکے تو) پھر اسے لقمہ (جلانے) کے لیے آگ آئی، لیکن اس نے لقمہ (جلانے) بنانے (کھانے) سے انکار کر دیا۔ اس پر اس (نبی علیہ السلام) نے کہا: تم میں سے کسی آدمی نے (مال غنیمت) میں خیانت کی ہے۔ لہٰذا ہر قبیلے کا ایک ایک آدمی میرے ہاتھ پر بیعت کرے، پھر جب سلسلہ بیعت شروع ہوا۔ تو ایک آدمی کا ہاتھ اس نبی (علیہ السلام) کے ہاتھ سے چمٹ گیا۔ تو نبی علیہ السلام نے فرمایا: خیانت کرنے والا آدمی تمہارے ہی قبیلہ میں موجود ہے، لہٰذا اب تمہارا پورا قبیلہ میرے ہاتھ پر بیعت کرے۔ چنانچہ انہوں نے بیعت کی اور پھر دو یا تین آدمیوں کے ہاتھ نبی علیہ السلام کے ہاتھ سے چمٹ گئے۔ نبی علیہ السلام نے فرمایا: خیانت تمہارے قبیلہ والوں نے کی ہے۔ آخر کار وہ گائے کے سر کے برابر سونا نکال لائے (جو مال غنیمت میں سے چرا لیا گیا تھا) اور اسے مال غنیمت میں رکھ دیا، پھر آگ آئی اور اس مال کو لقمہ بنا لیا۔ (آخر میں) رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ہم سے پہلے لوگوں کے لیے غنیمت کا مال جائز نہیں تھا۔ لیکن اللہ تعالیٰ نے ہماری کمزوری اور عاجزی کے پیشِ نظر اس مال کو ہمارے لیے جائز بنا دیا۔

تخریج الحدیث: «صحيح بخاري، كتاب فرض الخمس، باب قول النبى صلى الله عليه وسلم وأحلت لكم الغنائم، رقم: 3124، حدثنا محمد بن العلاء عن ابن المبارك، عن معمر، عن همام بن منبه، عن أبى هريرة رضى الله عنه قال: قال النبى صلى الله عليه وسلم:.... - صحيح مسلم، كتاب الجهاد والسير، باب تحليل الغنائم لهذه الأمة خاصة، رقم: 1747/32، حدثنا محمد بن رافع: حدثنا عبدالرزاق: أخبرنا معمر عن همام بن منبه، قال: هذا ما حدثنا أبو هريرة عن رسول الله صلى الله عليه وسلم، فذكر أحاديث منها: وقال رسول الله صلى الله عليه وسلم:.... - مسند أحمد: 102/16، رقم: 128/8221 - مصنف عبدالرزاق، كتاب الجهاد، باب الغلول، رقم: 9492 - شرح السنة، باب حل الغنيمة لهذه الأمة، رقم: 2719.»

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