“ ख़लीफ़ह क्षमा नहीं कर सकता ” |
1 |
1183 |
|
“ मोमिन को क़त्ल करना कुफ़्र है और उस को बुराभला कहना ग़लत है ” |
1 |
1184 |
|
“ मोमिन के क़ातिल की तौबा स्वीकार की जाती है या नहीं ? ” |
2 |
1185 سے 1186 |
|
“ ज़िम्मि( यानि जिस से समझौता हो ) को क़त्ल करने वाला जन्नत में नहीं जाएगा ” |
1 |
1187 |
|
“ जिस को नबी ने क़त्ल किया और नबी के क़ातिल को सख़्त सज़ा होगी ” |
1 |
1188 |
|
“ इब्लीस यानि बड़ा शैतान इन्सान को क़त्ल करने पर अपने चेलों को इनाम देता है ” |
1 |
1189 |
|
“ केवल अल्लाह तआला के लिए क़त्ल करना ठीक है ” |
1 |
1190 |
|
“ जिसे क़त्ल किया गया उसके परिवार के पास दो विकल्प हैं ” |
2 |
1191 سے 1192 |
|
“ भान्जा भी मामा की क़ौम में गिना जाता है ” |
1 |
1193 |
|
“ अपने पापों पर पर्दा डालना ” |
1 |
1194 |
|
“ नामेहरम औरत को छूना हराम है ” |
1 |
1195 |
|
“ हद का लागु होना पाप का कफ़्फ़ारह है ” |
2 |
1196 سے 1197 |
|
“ शरई हद लागु करने की एहमियत ” |
2 |
1198 سے 1199 |
|
“ पड़ोसी की पत्नी के साथ ज़िना करना या उसके घर में चोरी करना गंभीर पाप है ” |
1 |
1200 |
|
“ ज़िना की हद ” |
3 |
1201 سے 1203 |
|
“ यदि कोई ज़िना करने वाला सौ कोड़े न झेल सके ” |
1 |
1204 |
|
“ ग़ुलामों और लौंडियों को भी ज़िना की हद लगाना चाहिये ” |
3 |
1205 سے 1207 |
|
“ सज़ा पा चुके ज़िना करने वाले लोग अपने जैसे ही से शादी करते हैं ” |
1 |
1208 |
|
“ क्या चार बार अपने पाप को मान लेना ज़रूरी है ” |
1 |
1209 |
|
“ शराब ، जुआ और ढोल बाजे हराम हैं ” |
1 |
1210 |
|
“ शराब ख़रीदना और बेचना हराम है ” |
1 |
1211 |
|
“ शराब की हद ( सज़ा ) ” |
1 |
1212 |
|
“ शराब बुराई की जड़ है ، शराब मनहूस है ” |
4 |
1213 سے 1216 |
|
“ हद वाले पाप से तौबा की एहमियत ، टैक्स इकट्ठा करना पाप है ” |
1 |
1217 |
|
“ मतभेद के कारण रस्ते की चौड़ाई सात हाथ रखी जाए ” |
1 |
1218 |
|
“ अल्लाह तआला और अपने मालिक का हक़ पूरा करने वाले ग़ुलाम की फ़ज़ीलत ” |
1 |
1219 |
|
“ वह क़सम खाना मना है जिस से परिवार को तकलीफ़ पहुंचे ” |
1 |
1220 |
|
“ दो झगड़ा करने वालों के बीच फ़ैसला कैसे किया जाए ” |
1 |
1221 |
|
“ फ़ैसला करते समय नियाए करना ” |
1 |
1222 |
|
“ हद लागु करते समय रिश्तेदारी और रस्ते की दूरी को न देखा जाए ” |
1 |
1223 |
|
“ शरई हद को रोकने के लिए सिफ़ारिश करना हराम है ” |
1 |
1224 |
|
“ मुनक़्क़ा और खजूर की मिला कर बनाई हुई नबीज़ का हुक्म ” |
1 |
1225 |
|
“ पड़ोस का हक़ कब ख़त्म हो जाता है ” |
1 |
1226 |
|
“ लोगों को सख़्त सज़ा देने वालों को सख़्त सज़ा होगी ” |
1 |
1227 |
|
“ क्या बिना अनुमति के किसी के बाग़ से फल खाया जा सकता है ” |
2 |
1228 سے 1229 |
|
“ अगर किसी के जानवर दूसरे के बाग़ में घुस जाएं ” |
1 |
1230 |
|
“ माननीय लोगों की भूलचूक क्षमा करदेना चाहिए ” |
1 |
1231 |
|
“ लम्बी आयु वाले अच्छे लोग हैं ” |
1 |
1232 |
|
“ सबसे अच्छे गवाह ” |
1 |
1233 |
|
“ लाभ उठाने के बाद अस्थायी रूप से ली हुई चीज़ वापस करना ” |
4 |
1234 سے 1237 |
|
“ ज़िम्मि पर ज़ुल्म करने वाले के लिए चेतावनी ” |
1 |
1238 |
|
“ हर कोई अपने पापों का ख़ुद बोझ उठाए गए ” |
5 |
1239 سے 1243 |
|
“ एक मुसलमान का अपमान करना सबसे बड़ी ज़ियादती है ” |
1 |
1244 |
|
“ क़र्ज़दार के साथ अल्लाह तआला होता है ” |
1 |
1245 |
|
“ हष्र के मैदान में क़र्ज़ के मामलों का निपटारा ” |
1 |
1246 |
|
“ यदि क़र्ज़दार क़र्ज़ चुकाना चाहता हो ” |
2 |
1247 سے 1248 |
|
“ आग से जलाकर सज़ा देना मना है ” |
2 |
1249 سے 1250 |
|
“ पक्षियों को नुकसान पहुंचाना भी मना है ” |
1 |
1251 |
|
“ मुशरिकों के साथ किया गया समझौता पूरा करना ” |
1 |
1252 |
|
“ ज़ालिम को ज़ुल्म से न रोकने का बोझ ” |
1 |
1253 |
|
“ लूटपाट और डकैती करना मना है ” |
1 |
1254 |
|
“ हदों से आगे बढ़ना मना है ، बिदअतों का बोझ ” |
1 |
1255 |
|
“ रोज़े की हालत में पत्नी का चुंबन लेना ” |
1 |
1256 |
|
“ सरदार का फ़ैसला हराम को हलाल नहीं कर सकता ” |
2 |
1257 سے 1258 |
|
“ तक़वा ही कसौटी है किसी का पद या दर्जा नहीं ” |
1 |
1259 |
|
“ हलाल और हराम के मामले में नबी के फ़ैसले की एहमियत ” |
1 |
1260 |
|
“ क्या हलाला और हराम का फ़ैसला दिल कर सकता है ” |
1 |
1261 |
|
“ ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़े का नतीजा बुरा है ” |
1 |
1262 |
|
“ मेहमान मेज़बान से अपना हक़ ले सकता है ” |
1 |
1263 |
|
“ मुशरिकों के देश में रहना मना है ” |
2 |
1264 سے 1265 |
|
“ शोक की अवधि तीन दिन है ” |
1 |
1266 |
|
“ मोमिनों की आत्मा की जगह ” |
1 |
1267 |
|
“ बेसब्री का नतीजा ” |
1 |
1268 |
|
“ कुँए की दूरी ” |
1 |
1269 |
|
“ जाइज़ खेल ” |
1 |
1270 |
|
“ ज़्यादती करने वाले को जवाब कैसे दिया जाए ” |
1 |
1271 |
|
“ हर मुसलमान शरण दे सकता है ، ख़यानत और धोखाधड़ी का नतीजा ” |
1 |
1272 |
|
“ ख़यानत रुस्वाई का कारण है ” |
3 |
1273 سے 1275 |
|
“ समझौते का पालन करना ” |
1 |
1276 |
|
“ शरण देने के बाद क़त्ल करदेना धोका है ” |
1 |
1277 |
|
“ खोई हुई चीज़ के बारे में ” |
2 |
1278 سے 1279 |
|
“ रसूल अल्लाह ﷺ की क़सम के शब्द ” |
2 |
1280 سے 1281 |
|
“ अच्छा करने के लिये क़सम का कफ़्फ़ारह देना चाहिए ” |
1 |
1282 |
|
“ अनुचित काम पर ली गई क़सम को कैसे पूरा करें? ” |
1 |
1283 |
|
“ झूठी क़सम का नतीजा जहन्नम है ” |
1 |
1284 |
|
“ दिल को मज़बूती से जमाए रखने की दुआ और कारण ” |
1 |
1285 |
|
“ हज़रत हफ़सह रज़ि अल्लाहु अन्हा को तलाक़ और फिर रुजू ” |
1 |
1286 |
|
“ गर्भवती महिला की इददत ” |
1 |
1287 |
|
“ सांप को एक चोट ही काफ़ी है ” |
1 |
1288 |
|
“ यहूदियों और ईसाईयों को जज़ीरह अरब से निकलना ” |
1 |
1289 |
|
“ वे नाम जो रखना मना हैं ” |
1 |
1290 |
|
“ दिमाग़ी चोट पर कितना क़सास ” |
1 |
1291 |
|
“ यहूदियों और ईसाईयों की एकरूपता अपनाना ، इशारे से सलाम करना ” |
1 |
1292 |
|
“ वे मामले माफ़ हैं जिनसे शरिअत खामोश है ” |
1 |
1293 |
|
“ नवजात बच्चा कब वारिस बनता है ” |
2 |
1294 سے 1295 |
|
“ जिसके हाथ पर इस्लाम स्वीकार किया हो वह भी वारिस बन सकता है ” |
1 |
1296 |
|
“ जो वारिस नहीं उनसे विरासत का समझौता रद्द हो गया ” |
1 |
1297 |
|
“ हाकिम के दो हमराज़ और उनकी ज़िम्मेदारी ” |
1 |
1298 |
|
“ शरिअत के ख़िलाफ़ मामलों को रोकना मुक्ति का कारण है और न रोकना हलाकत है ” |
1 |
1299 |
|
“ अल्लाह तआला की दलील का सम्मान करना ” |
1 |
1300 |
|
“ बंजर ज़मीन को उपजाऊ बनाने का बदला ” |
1 |
1301 |
|
“ ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़े का नतीजा ” |
1 |
1302 |
|
“ पिता के बदले किसी दूसरे की ओर वंश को जोड़ने का बोझ ” |
2 |
1303 سے 1304 |
|
“ अमानत पर रखी गई चीज़ की ज़मानत किस पर है ” |
1 |
1305 |
|
“ ज़ालिम का सहयोग करने का नतीजा ” |
2 |
1306 سے 1307 |
|
“ उमरा और रुक़बा का परिचय और नियम ” |
1 |
1308 |
|
“ शरिअत के ख़िलाफ़ हाकिम की आज्ञाकारी नहीं ” |
1 |
1309 |
|
“ उस छत पर सोना मना है जिस पर आड़ न हो ” |
1 |
1310 |
|
“ ग़ुलाम का मालिक के बदले किसी दूसरे से संबंध रखना मना है ” |
1 |
1311 |
|
“ घुड़दौड़ के बीच शोर मचाना मना है ” |
1 |
1312 |
|
“ सिफ़ारिश के रूप में उपहार लेना मना है ” |
1 |
1313 |
|
“ तलवार चलाने वालों का खून बेकार है ” |
1 |
1314 |
|
“ ग़ुलाम को ज़ालिम मालिक से क़सास दिलाया जाएगा ” |
1 |
1315 |
|
“ मज़लूम के लिये बदला लेने के नियम ” |
1 |
1316 |
|
“ मुख़ाबरह ” |
1 |
1317 |
|
“ आग के कारण नुक़सान बेकार है ” |
1 |
1318 |
|
“ औलाद माता पिता को दान दे सकती है ” |
1 |
1319 |
|
“ ज़िना की औलाद तीन लोगों की बुराई है ” |
1 |
1320 |
|
“ मक्का के लोगों का वज़न और मदीने के लोगों का माप शरीयत में मान्य है ” |
1 |
1321 |
|
“ बेटा पिता की कमाई है ” |
1 |
1322 |
|
“ रज़ाअत यानि कितना बार दूध पीना मान्य है ” |
1 |
1323 |
|
“ नमाज़ी को मारना मना है ” |
1 |
1324 |
|
“ बिना कारण जानवर को निशाना बनाना मना है ” |
1 |
1325 |
|
“ किसी को नुक़सान पहुंचना मना है ” |
1 |
1326 |
|
“ मुसलमानों को हर समय और हर जगह तकलीफ़ से बचाना चाहिए ” |
1 |
1327 |
|
“ शोक के समय रोना जाइज़ है ” |
1 |
1328 |
|
“ किसी का डर और रोब सच बोलने से न रोक पाए ” |
1 |
1329 |
|