الحمدللہ ! قرآن پاک روٹ ورڈ سرچ اور مترادف الفاظ کی سہولت پیش کر دی گئی ہے۔

 
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
قسموں، نذروں اور کفارات کا بیان
क़सम उठाना, नज़र मानना और कफ़्फ़ारा
988. قسم دینے والے کی قسم پوری نہ کرنا
“ क़सम देने वाले की क़सम पूरी न करना ”
حدیث نمبر: 1411
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" اصبت بعضا واخطات بعضا".-" أصبت بعضا وأخطأت بعضا".
سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما بیان کرتے ہیں: ایک آدمی رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آیا اور کہا: میں نے رات کو ایک خواب دیکھا، کیا دیکھتا ہوں کہ ایک سائباں ہے، اس سے گھی اور شہد ٹپک رہا تھا، میں نے دیکھا کہ لوگ اس سے چلو بھر رہے ہیں، کوئی زیادہ لے رہا ہے اور کوئی کم۔ ادھر ایک رسی ہے جو زمین سے آسمان تک پہنچ رہی ہے۔ میں نے آپ کو دیکھا کہ آپ نے اس کو پکڑا اور اوپر چڑھ گئے، پھر ایک دوسرے آدمی نے اس کو پکڑا اور وہ بھی چڑھ گیا، پھر ایک تیسرے آدمی نے پکڑا، اور وہ بھی اوپر چڑھ گیا، پھر ایک آدمی نے اس کو پکڑا لیکن وہ رسی ٹوٹ گئی، پھر اسے جوڑا گیا۔ سیدنا ابوبکر رضی اللہ عنہ نے کہا: اے اللہ کے رسول! میرے ماں باپ آپ پر قربان ہوں، آپ مجھے اجازت دیں میں اس کی تعبیر بیان کرتا ہوں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: (ٹھیک ہے) تم اس کی تعبیر بیان کرو۔ سیدنا ابوبکر رضی اللہ عنہ نے کہا: سائبان اسلام ہے اور اس سے ٹپکنے والے شہد اور گھی سے مراد قرآن کی مٹھاس ہے۔ پس کوئی قرآن کا زیادہ حصہ سیکھنے والا ہے اور کوئی کم اور جو آسمان سے زمین تک پہنچنے والی رسی ہے، وہ حق ہے، جس پر آپ قائم ہیں۔ اللہ تعالیٰ آپ کو اس کے ذریعے سربلند فرمائے گا۔ پھر اس کو ایک آدمی پکڑے گا، وہ بھی اس کے ساتھ بلندی پر فائز ہو گا، پھر اس کو ایک دوسرا آدمی پکڑے گا وہ اس کے ساتھ بلند ہو گا، پھر اس کو تیسرا آدمی پکڑے گا، پس وہ ٹوٹ جائے گی۔ پھر اس کو جوڑا جائے گا، پھر وہ اس کے ساتھ بلند ہو گا، اے اللہ کے رسول! میرے ماں باپ آپ پر قربان ہوں، مجھے بتلائیے میری یہ بیان کردہ تعبیر صحیح ہے یا غلط؟ نبی اکرم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: بعض حصہ درست بیان کیا اور بعض میں غلطی کی۔ سیدنا ابوبکر رضی اللہ عنہ نے کہا: اللہ کی قسم! آپ ضرور میری غلطی کو بیان کریں گے آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابوبکر! قسم نہ اٹھاؤ۔
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि एक आदमी रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आया और कहा, मैं ने रात को एक सपना देखा, क्या देखता हूँ कि एक छाता है उस में से घी और शहद टपक रहा था, मैं ने देखा कि लोग उस से चुल्लू भर रहे हैं कोई अधिक लेरहा है और कोई कम, उधर एक रस्सी है जो ज़मीन से आसमान तक पहुंच रही है। मैं ने आप को देखा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस को पकड़ा और उपर चढ़ गए फिर एक दूसरे आदमी ने उस को पकड़ा और वह भी चढ़ गया फिर एक तीसरे आदमी ने पकड़ा और वह भी उपर चढ़ गया फिर एक आदमी ने उस को पकड़ा लेकिन वह रस्सी टूट गई फिर उस को जोड़ा गया। हज़रत अबु बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा ऐ अल्लाह के रसूल मेरे माता पिता आप पर क़ुरबान हों, आप मुझे अनुमति दें मैं इस की तअबीर बताता हूँ। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “तुम इस की तअबीर बताओ।” हज़रत अबु बकर सिद्दीक़ रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा छतरी इस्लाम है और उस से टपकने वाले शहद और घी से मुराद क़ुरआन उस इस की मिठास है। बस कोई क़ुरआन का अधिक भाग सिखने वाला है और कोई कम और जो आसमान से ज़मीन तक पहुँचने वाली रस्सी है वह हक़ है जिस पर आप बने हुए हैं। अल्लाह तआला आप को इस के द्वारा ऊंचाई पर पहुंचाए गा फिर उस को एक आदमी पकड़े गा वह भी उस के साथ ऊंचाई पर जाए गा फिर उस को एक दूसरा आदमी पकड़े गा वह उस के साथ ऊंचाई पर जाएगा फिर उस को तीसरा आदमी पकड़े गा बस वह टूट जाए गी फिर उस को जोड़ा जाएगा फिर वह इस के साथ ऊँचा जाए गा। ऐ अल्लाह के रसूल मेरे माता पिता आप पर क़ुरबान हों, मुझे बताएं मेरी ये बताई गई तअबीर सहीह है या ग़लत ? नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “कुछ भाग सही बताया और कुछ में ग़लती की है।” हज़रत अबु बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा अल्लाह की क़सम आप ज़रूर मेरी ग़लती बताएंगे। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “अबु बक्र क़सम न उठाओ।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 121

قال الشيخ الألباني:
- " أصبت بعضا وأخطأت بعضا ".
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‏‏‏‏وهو من حديث ابن عباس ولفظه:
‏‏‏‏" أن رجلا أتى رسول الله صلى الله عليه وسلم فقال: إني رأيت الليلة في المنام
‏‏‏‏ظلة تنطف بالسمن والعسل، فأرى الناس يتكففون منها، فالمستكثر والمستقل،
‏‏‏‏وإذا سبب واصل من الأرض إلى السماء، فأراك أخذت به فعلوت، ثم أخذ به رجل آخر
‏‏‏‏فعلا به، ثم أخذه رجل آخر فعلا به، ثم أخذه رجل فانقطع، ثم وصل، فقال
‏‏‏‏أبو بكر: يا رسول الله بأبي أنت والله لتدعني فأعبرها، فقال النبي صلى الله
‏‏‏‏عليه وسلم له: أعبرها، قال: أما الظلة فالإسلام، وأما الذي ينطف من العسل
‏‏‏‏والسمن فالقرآن حلاوته تنطف، فالمستكثر من القرآن والمستقل، وأما السبب
‏‏‏‏الواصل من السماء إلى الأرض فالحق الذي أنت عليه تأخذ به، فيعليك الله، ثم
‏‏‏‏يأخذ به رجل، فيعلو به، ثم يأخذ به رجل آخر فيعلو به، ثم يأخذ به رجل فينقطع
‏‏‏‏به، ثم يوصل له فيعلو به، فأخبرني يا رسول الله - بأبي أنت - أصبت أم أخطأت،
‏‏‏‏قال النبي صلى الله عليه وسلم : أصبت بعضا، وأخطأت بعضا، قال فوالله لتحدثني
‏‏‏‏بالذي أخطأت، قال: لا تقسم ".
‏‏‏‏وأخرجه مسلم أيضا (7 / 55 - 56) وأبو داود (3268، 4632) والترمذي
‏‏‏‏(2 / 47) والدارمي (2 / 128) وابن ماجه (3918) وابن أبي شيبة في
‏‏‏‏" المصنف " (12 / 190 / 2) وأحمد (1 / 236) كلهم عن ابن عباس، إلا أن
‏‏‏‏بعضهم جعله من روايته عن أبي هريرة، ورجح الإمام البخاري الأول، وهو أنه
‏‏‏‏عن ابن عباس، ليس لأبي هريرة فيه ذكر.
‏‏‏‏وتبعه على ذلك الحافظ ابن حجر في " الفتح " والله أعلم.
‏‏‏‏غريب الحديث:
‏‏‏‏(ظلة) أي سحابة لها ظل، وكل ما أظل من سقيفة ونحوها يسمى ظلة.
‏‏‏‏__________جزء : 1 /صفحہ : 240__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏(تنطف) أي تقطر، والنطف القطر.
‏‏‏‏(يتكففون) أي يأخذون بأكفهم.
‏‏‏‏(سبب) أي حبل. ¤


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