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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
بیماری، نماز جنازہ، قبرستان
बीमारी, नमाज़ जनाज़ा और क़ब्रस्तान
1128. بیماری پر صبر کرنے کی فضیلت
“ बीमारी पर सब्र करने की फ़ज़ीलत ”
حدیث نمبر: 1680
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" إن الله تعالى يقول: إذا ابتليت عبدا من عبادي مؤمنا، فحمدني وصبر على ما ابتليته به، فإنه يقوم من مضجعه ذلك كيوم ولدته امه من الخطايا، ويقول الرب للحفظة: إني انا قيدت عبدي هذا وابتليته، فاجروا (له) من الاجر ما كنتم تجرون له قبل ذلك وهو صحيح".-" إن الله تعالى يقول: إذا ابتليت عبدا من عبادي مؤمنا، فحمدني وصبر على ما ابتليته به، فإنه يقوم من مضجعه ذلك كيوم ولدته أمه من الخطايا، ويقول الرب للحفظة: إني أنا قيدت عبدي هذا وابتليته، فأجروا (له) من الأجر ما كنتم تجرون له قبل ذلك وهو صحيح".
ابو اشعث صنعانی کہتے ہیں: میں مسجد دمشق کی طرف گیا اور اول وقت میں گیا، مجھے شداد بن اوس رضی اللہ عنہ ملے، ان کے ساتھ صنابحی بھی تھے۔ میں نے ان سے پوچھا: اللہ تم پر رحم کرے، کہاں کا ارادہ ہے؟ انہوں نے کہا: ہم اپنے ایک بھائی کی تیمارداری کرنے کے لیے جا رہے، (یہ سن کر) میں بھی ان کے ساتھ چل دیا۔ ہم اس مریض کے پاس پہنچ گئے۔ ان دونوں نے اس سے پوچھا: حالات کیسے ہیں؟ اس نے جواب دیا: اللہ تعالیٰ کا فضل و کرم ہے۔ سیدنا شداد رضی اللہ عنہ نے کہا: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اللہ تعالیٰ فرماتے ہیں: جب میں اپنے مومن بندے کو آزماتا ہوں اور وہ میری تعریف کرتے ہوئے میری آزمائش پر صبر کرتا ہے تو (شفا یاب ہو کر) اپنے بستر سے اس دن کی طرح گناہ سے پاک ہو کر اٹھتا ہے جس دن اس کی ماں نے اسے جنا تھا۔ مزید یہ کہ اللہ تعالیٰ اعمال لکھنے والے فرشتوں سے فرماتے ہیں: میں نے اپنے اس بندے کو پابند کر لیا ہے اور اسے آزما رہا ہوں، تم اس کی تندرستی کی حالت میں اس کے (اعمال پر) جو جو لکھتے تھے اس کو برقرار رکھو (اگرچہ یہ عمل نہیں کر رہا)۔
अबु अशअत सनआनी कहते हैं कि मैं मस्जिद दमिश्क की ओर गया और पहले समय में गया, मुझे शद्दाद बिन ओस रज़ि अल्लाहु अन्ह मिले उन के साथ सुनाबिहि भी थे। मैं ने उन से पूछा कि अल्लाह तुम पर रहम करे कहाँ का इरादा है ? उन्हों ने कहा कि हम अपने एक भाई का हाल पूछने के लिये जा रहे हैं, (यह सुन कर) मैं भी उन के साथ चल दिया। हम उस रोगी के पास पहुंच गए। उन दोनों ने उस से पूछा कि हाल कैसे हैं ? उस ने जवाब दिया कि अल्लाह तआला का फ़ज़ल और करम है। हज़रत शद्दाद रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “अल्लाह तआला कहता है कि जब मैं अपने मोमिन बंदे को आज़माता हूँ और वह मेरी ताअरीफ़ करते हुए मेरी परीक्षा पर सब्र करता है तो (स्वस्थ होकर) अपने बिस्तर से उस दिन की तरह पापों से पवित्र होकर उठता है जिस दिन इस की मां ने इसे जना था और यह कि अल्लाह तआला कर्मों को लिखने वाले फ़रिश्तों से कहता है कि मैं ने अपने इस बंदे को पाबंद कर लिया है और इसे आज़मा रहा हूँ, तुम इस की स्वास्थ्य की हालत में इस के (कर्म) जो जो लिखते थे वे लिखते रहो (चाहे यह कर्म नहीं कर रहा)।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2009

قال الشيخ الألباني:
- " إن الله تعالى يقول: إذا ابتليت عبدا من عبادي مؤمنا، فحمدني وصبر على ما ابتليته به، فإنه يقوم من مضجعه ذلك كيوم ولدته أمه من الخطايا، ويقول الرب للحفظة: إني أنا قيدت عبدي هذا وابتليته، فأجروا (له) من الأجر ما كنتم تجرون له قبل ذلك وهو صحيح ".
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‏‏‏‏أخرجه أحمد (4 / 123) وأبو نعيم في " الحلية " (9 / 309 - 310) وابن
‏‏‏‏عساكر في " التاريخ " (8 / 8 / 2) عن إسماعيل بن عياش عن راشد بن داود عن أبي
‏‏‏‏الأشعث الصنعاني أنه راح إلى مسجد دمشق وهجر بالرواح، فلقي شداد بن أوس
‏‏‏‏والصنابحي معه،
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‏‏‏‏(¬1) كذا الأصل، وكذلك هو في نقل " المجمع " (7 / 244) عنه، والكلام غير
‏‏‏‏متصل. اهـ.
‏‏‏‏__________جزء : 5 /صفحہ : 20__________
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‏‏‏‏فقلت: أين تريدان رحمكما الله؟ فقالا: نريد ههنا، إلى أخ
‏‏‏‏لنا مريض نعوده، فانطلقت معهما حتى دخلنا على ذلك الرجل، فقالا له: كيف
‏‏‏‏أصبحت؟ قال أصبحت بنعمة الله وفضله، فقال شداد: أبشر فإني سمعت رسول الله
‏‏‏‏صلى الله عليه وسلم يقول: فذكره.
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد حسن إن شاء الله تعالى رجاله ثقات وفي راشد بن داود - وهو
‏‏‏‏الصنعاني الدمشقي - خلاف، وثقه ابن معين ودحيم وابن حبان. وقال البخاري:
‏‏‏‏" فيه نظر ". وقال الدارقطني: " ضعيف لا يعتبر به ". وقال الحافظ في
‏‏‏‏" التقريب ": " صدوق له أوهام ".
‏‏‏‏قلت: فمثله حسن الحديث إذا لم يرو منكرا، وهذا الحديث له شواهد معروفة وقد
‏‏‏‏مضى بعضها فانظر مثلا الحديث (272) .
‏‏‏‏(تنبيه) : قال المناوي: قال الهيثمي: " خرجه الكل من رواية إسماعيل بن عياش
‏‏‏‏عن راشد الصنعاني، وهو ضعيف عن غير الشاميين. اهـ.
‏‏‏‏ولم يبال المصنف بذلك فرمز لحسنه ".
‏‏‏‏قلت: وقد فات الهيثمي ثم المناوي أن راشدا هذا ليس من صنعاء اليمن، وإنما
‏‏‏‏هو من صنعاء دمشق، ولذلك ذكروا أنه دمشقي، فإعلال الحديث بما ذكروا وهم محض
‏‏‏‏، فتنبه.
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