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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
سفر، جہاد، غزوہ اور جانور کے ساتھ نرمی برتنا
यात्रा, जिहाद, जंग और जानवरों के साथ नरमी करना
1364. حیوانات کے حقوق
“ जानवरों के अधिकार ”
حدیث نمبر: 2076
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" افلا تتقي الله في هذه البهيمة التي ملكك الله إياها؟! فإنه شكا إلي انك تجيعه وتدئبه".-" أفلا تتقي الله في هذه البهيمة التي ملكك الله إياها؟! فإنه شكا إلي أنك تجيعه وتدئبه".
سیدنا عبداللہ بن جعفر رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے مجھے سواری پر اپنے پیچھے بٹھا لیا اور میرے ساتھ رازداری سے ایک بات کی جو میں کسی سے بیان نہیں کروں گا اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو قضائے حاجت کے لیے کسی اونچی چیز (دیوار، ٹیلہ وغیرہ) یا کھجور کے جھنڈ کے ساتھ پردہ کرنا سب سے زیادہ پسند تھا۔ سو آپ صلی اللہ علیہ وسلم ایک انصاری آدمی کے باغ میں داخل ہوئے تو وہاں ایک اونٹ تھا۔ پس جب اونٹ نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو دیکھا، تو بلبلایا اور اس کی آنکھوں سے آنسو جاری ہو گئے۔ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم اس کے پاس آئے اور اس کی کوہان اور کان کے عقبی حصے پر ہاتھ پھیرا تو اس کو قرار آ گیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: اس اونٹ کا مالک کون ہے؟ یہ اونٹ کس کا ہے؟ پس ایک نوجوان انصاری آپ کے پاس آیا اور کہا: اے اللہ کے رسول! یہ میرا ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: کیا تو اس جانور کے بارے میں، جس کا اللہ نے تجھ کو مالک بنایا ہے، اللہ سے نہیں ڈرتا؟ کیونکہ اس نے مجھ سے شکایت کی ہے کہ تو اسے بھوکا رکھتا ہے اور (مشقت زیادہ لے کر) تھکا دیتا ہے۔
हज़रत अब्दुल्लाह बिन जअफ़र रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे सवारी पर अपने पीछे बिठा लिया और मुझ से गुप्त रूप से कुछ कहा जो मैं किसी को नहीं बताऊंगा और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मल करने के लिये किसी ऊँची चीज़ (दिवार, टीला आदि) या खजूर के झुंड के साथ पर्दा करना बहुत पसंद था। तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम एक अन्सारी व्यक्ति के बाग़ में आए तो वहां एक ऊंट था। बस जब ऊंट ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा, तो बिलबिलाया और उस की आंखों से आंसू निकलने लगे। नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उस के पास आए और उस की कोहान और कान के पिछले भाग पर हाथ फेरा तो उस को आराम आ गया। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूछा ! “इस ऊंट का मालिक कौन है ? यह ऊंट किस का है ?” बस एक युवा अन्सारी आप के पास आया और कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल यह मेरा है। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “क्या तू इस जानवर के बारे में, जिस का अल्लाह ने तुझ को मालिक बनाया है, अल्लाह से नहीं डरता ? क्योंकि इस ने मुझ से शिकायत की है कि तू इसे भूखा रखता है और (बहुत काम लेकर) थका देता है।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 20

قال الشيخ الألباني:
- " أفلا تتقي الله في هذه البهيمة التي ملكك الله إياها؟! فإنه شكا إلي أنك تجيعه وتدئبه ".
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‏‏‏‏رواه أبو داود (1 / 400) والحاكم (2 / 99 - 100) وأحمد (1 / 204 - 205)
‏‏‏‏وأبو يعلى في " مسنده " (318 / 1) والبيهقي في " دلائل النبوة " (ج 2 باب
‏‏‏‏ذكر المعجزات الثلاث)
‏‏‏‏__________جزء : 1 /صفحہ : 58__________
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‏‏‏‏وابن عساكر في " تاريخه " (ج 9 / 28 / 1) .
‏‏‏‏والضياء في " الأحاديث المختارة " (124 - 125) من طريق محمد بن عبد الله
‏‏‏‏ابن أبي يعقوب عن الحسن بن سعد مولى الحسن بن علي عن عبد الله بن جعفر
‏‏‏‏قال: أردفني رسول الله صلى الله عليه وسلم خلفه ذات يوم، فأسر إلي حديثا لا
‏‏‏‏أحدث به أحدا من الناس، وكان أحب ما استتر به رسول الله صلى الله عليه وسلم
‏‏‏‏لحاجته هدف أو حائش النخل، فدخل حائطا لرجل من الأنصار فإذا جمل، (فلما رأى
‏‏‏‏النبي صلى الله عليه وسلم حن وذرفت عيناه، فأتاه النبي صلى الله عليه وسلم
‏‏‏‏فمسح سراته إلى سنامه وذفراه فسكن) فقال: من رب هذا الجمل؟ لمن هذا الجمل؟
‏‏‏‏فجاء فتى من الأنصار فقال: لي يا رسول الله، فقال: فذكر الحديث.
‏‏‏‏وقال الحاكم: " صحيح الإسناد " ووافقه الذهبي وهو كما قالا، بل إنهما قد
‏‏‏‏قصرا فإنه صحيح على شرط مسلم، فقد أخرجه في " صحيحه " (1 / 184 - 185) بهذا
‏‏‏‏الإسناد دون قصة الجمل، وذكر النووي في " رياض الصالحين " (ص 378) أن
‏‏‏‏البرقاني رواه بإسناد مسلم بتمامه وكأنه لهذا قال ابن عساكر عقبه:
‏‏‏‏" رواه مسلم ". يعني أصله لا بتمامه.
‏‏‏‏والزيادة التي بين القوسين لابن عساكر والضياء. ¤


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