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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
اخلاق، نیکی کرنا، صلہ رحمی
अख़लाक़, नेकी करना और रहमदिली
1614. قیدیوں سے نرمی برتنا
क़ैदियों से नरम व्यवहार करना
حدیث نمبر: 2437
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-" اما كان فيكم رجل رحيم؟!".-" أما كان فيكم رجل رحيم؟!".
سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما سے روایت ہے، نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے ایک لشکر بھیجا، انہوں نے مال غنیمت حاصل کیا، ان میں ایک آدمی ایسا بھی تھا، جس نے لشکر والوں سے کہا: میں ان لوگوں میں سے نہیں ہوں، مجھے تو فلاں عورت سے عشق ہے، سو میں اس سے آ ملا۔ مجھے جانے دو تاکہ اسے ایک نظر دیکھ سکوں، پھر میرے ساتھ جو چاہنا کر گزرنا۔ پھر انہوں نے دیکھا کہ ایک دراز قد کی گندمی عورت ہے۔ ا‏‏‏‏س نے ا‏‏‏‏سے کہا: اے حبیش! زندگی ختم ہونے سے پہلے مان جا۔ کیا خیال ہے تیرا اگر میں تمہارا پیچھا کروں اور تمہیں حلیہ چشمے پر یا پہاڑوں کی تنگ گھاٹیوں میں جا ملوں، کیا عاشق کا یہ حق نہیں ہے کہ اس کو رات بھر اور گرمی کی شدت میں چلنے کا انعام دیا جائے؟ اس عورت نے کہا: میں نے اپنا آپ تجھ پہ فدا کر دیا ہے۔ انہوں نے ا‏‏‏‏سے آگے کیا اور ا‏‏‏‏س کی گردن کاٹ دی۔ پھر وہ عورت آئی، ا‏‏‏‏س پر کھڑی ہوئی اور زور سے چیخ ماری اور پھر وہ مر گئی۔ جب وہ لشکر رسول الله صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آیا تو آپ کو اس کے متعلق خبر دی۔ آپ نے فرمایا: کیا تم میں کوئی بھی رحم دل آدمی نہ تھا۔
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है, नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक फ़ौजी दस्ता भेजा, उन्हों ने माल ग़नीमत पाया, उन में एक आदमी ऐसा भी था, जिस ने फ़ौजियों से कहा कि मैं इन लोगों में से नहीं हूँ, मुझे तो फ़ुलां औरत से प्रेम है, तो मैं उस से आ मिला। मुझे जाने दो ताकि उसे एक नज़र देख सकूं, फिर मेरे साथ जो चाहो कर लेना। फिर उन्हों ने देखा कि एक लम्बे क़द की गंदमी औरत है। उस ने उस से कहा ऐ हुबेश जीवन ख़त्म होने से पहले मान जा। क्या विचार है तेरा यदि मैं तेरा पीछा करूँ और तुम्हें हुलियह चश्मे पर या पहाड़ों की तंग घाटियों में जा मिलूं, क्या प्रेमी का यह हक़ नहीं है कि उस को रात भर और गर्मी के ज़ोर में चलने का इनाम दिया जाए ? उस औरत ने कहा कि मैं ने अपने आप को तुझ पर त्याग दिया है। उन्हों ने उसे आगे किया और उस की गर्दन काट दी। फिर वह औरत आई, उस पर खड़ी हुई और ज़ोर से चीख़ मारी और फिर वह मर गई। जब वह फ़ौजी दस्ता रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आया तो आप को उस के बारे में बताया गया। आप ने फ़रमाया ! “क्या तुम में कोई भी रहमदिल आदमी न था।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2594

قال الشيخ الألباني:
- " أما كان فيكم رجل رحيم؟! ".
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‏‏‏‏رواه الطبراني في " حديثه عن النسائي " (316 / 1) : أنبأنا محمد بن علي بن
‏‏‏‏حرب المروزي قال: أخبرنا علي بن الحسين بن واقد عن أبيه عن يزيد النحوي عن
‏‏‏‏عكرمة عن ابن عباس: أن النبي صلى الله عليه وسلم بعث سرية فغنموا وفيهم
‏‏‏‏رجل، فقال لهم: إني لست منهم، عشقت امرأة فلحقتها، فدعوني أنظر إليها نظرة
‏‏‏‏ثم اصنعوا بي ما بدا لكم، فنظروا فإذا امرأة طويلة أدماء فقال لها: أسلمي
‏‏‏‏حبيش قبل نفاذ العيش. أرأيت لو تبعتكم فلحقتكم بحلية أو أدركتكم بالخوانق أما
‏‏‏‏كان حق أن ينول عاشق تكلف إدلاج السرى والودائق؟ قالت: نعم فديتك، فقدموه
‏‏‏‏فضربوا عنقه، فجاءت المرأة فوقفت عليه، فشهقت شهقة ثم ماتت، فلما قدموا على
‏‏‏‏رسول الله صلى الله عليه وسلم أخبر بذلك، فقال، فذكره. ثم رأيته في " السير
‏‏‏‏" للنسائي (2 / 47 / 1 - 2) بهذا السند، إلا أنه قال:
‏‏‏‏أرأيت إن تبعتكم فلحقتكم ... [بحلية أو أدركتكم] (¬1) بالخوانق
‏‏‏‏ألم يك حقا أن ينول عاشق ... تكلف إدلاج السرى والودائق
‏‏‏‏¬
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‏‏‏‏(¬1) زيادة من مطبوعة " السنن الكبرى " للنسائي (5 / 201) ومنه صححت بعض
‏‏‏‏الأخطاء.
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 184__________
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‏‏‏‏ومن طريقه أخرجه في " المعجم الكبير " أيضا (3 / 144
‏‏‏‏/ 2) وفي " الأوسط " (1 / 92 / 2 / 1688) والبيهقي في " دلائل النبوة " (
‏‏‏‏5 / 117 - 118) من طريق النسائي أيضا، وكذا ابن منده في " المعرفة " (2 /
‏‏‏‏89 / 2) وقال الطبراني: " لا يروى عن ابن عباس إلا بهذا الإسناد، تفرد به
‏‏‏‏محمد بن علي بن حرب ". قلت: وثقه النسائي، وروى عنه جمع، ومن فوقه من
‏‏‏‏رجال (الصحيح) ، إلا أن علي بن الحسين بن واقد روى له مسلم في " المقدمة "،
‏‏‏‏وهو صدوق يهم كما في " التقريب "، فالإسناد حسن كما قال الهيثمي في " المجمع
‏‏‏‏" (6 / 210) . وللقصة طريق أخرى عند البيهقي وابن منده، ولكن ليس فيها
‏‏‏‏حديث الترجمة.
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