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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2156. قریشی سرداروں کا آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے خلاف منصوبہ، لیکن ناکامی
“ फ़रिश्ते रसूल अल्लाह ﷺ के ख़िलाफ़ कुरैश सरदारों की योजना ، लेकिन असफल रहे ”
حدیث نمبر: 3202
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-" شاهت الوجوه [شاهت الوجوه]".-" شاهت الوجوه [شاهت الوجوه]".
سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما بیان کرتے ہیں کہ قریشیوں کے اشراف لوگ حطیم میں جمع ہوئے، انہوں نے لات، عزی، نائلہ اور اساف کے نام پر باہم معاہدہ کیا کہ اگر ہم نے محمد (‏‏‏‏ صلی اللہ علیہ وسلم ) کو دیکھا، تو سب کے سب یکبارگی اس پر ٹوٹ پڑیں گے اور اسے قتل کئے بغیر پیچھے نہیں ہٹیں گے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی بیٹی سیدہ فاطمہ رضی اللہ عنہا روتی ہوئی آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آئی اور کہا: ان قریشی سرداروں نے باہم معاہدہ کیا کہ وہ جہاں بھی آپ کو دیکھیں گے، یکبارگی حملہ کر کے آپ کو قتل کر ڈالیں گے، ان میں سے ہر آدمی آپ کے خون میں سے اپنے حصے کا فیصلہ کر چکا ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میری بیٹی! وضو کے لیے پانی لاؤ۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے وضو کیا اور ان کے پاس بیت اللہ میں چلے گئے۔ جب انہوں نے آپ کو دیکھا تو کہنے لگے: یہ وہ ہے (‏‏‏‏محمد صلی اللہ علیہ وسلم )۔ پھر انہوں نے اپنی آنکھوں کو جھکا لیا، سروں کو پست کر لیا، اپنی اپنی جگہ پر ٹک کر کھڑے رہے اور ان میں سے کسی نے نہ آپ کو دیکھا اور نہ آپ کی طرف لپکا۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم ان کی طرف گئے، ان کے پاس کھڑے ہوئے، کنکریوں کی مٹھی بھری اور فرمایا: چہرے بھدے ہو گئے۔ پھر وہ مٹھی ان پر پھینک دی، جس جس آدمی کو کنکری لگی، وہ بدر والے دن کفر کی حالت میں قتل ہو گیا۔
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि क़ुरैश के शरीफ़ लोग हतीम में जमा हुए, उन्हों ने लात, उज़्ज़ा, नाइलह और इसाफ़ के नाम पर आपस में समझौता किया कि यदि हम ने मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को देखा, तो सब के सब मिलकर उस पर टूट पड़ेंगे और उसे क़त्ल किये बिना पीछे नहीं हटेंगे। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बेटी हज़रत फ़ातिमह रज़ि अल्लाहु अन्हा रोती हुई आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आई और कहा ! उन क़ुरैशी सरदारों ने आपस में समझौता किया कि वे जहां भी आप को देखेंगे, सब मिलकर हमला करके आप को क़त्ल कर डालेंगे, उन में से हर आदमी आप के ख़ून में से अपने भाग का फ़ैसला कर चूका है। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “मेरी बेटी, वुज़ू के लिये पानी लाओ।” आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने वुज़ू किया और उन के पास बेतुल्लाह में चलेगए। जब उन्हों ने आप को देखा तो कहने लगे, यह वह है (मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)। फिर उन्हों ने अपनी आंखों को झुका लिया, सरों को नीचा कर लिया, अपनी अपनी जगह पर टिक कर खड़े रहे और उन में से किसी ने न आप को देखा और न आप की ओर लपका। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उन की ओर गए, उन के पास खड़े हुए, कंकरों की मुट्ठी भरी और फ़रमाया ! “चहरे भद्दे होगए।” फिर वह मुट्ठी उन पर फेंक दी, जिस जिस आदमी को कंकरी लगी, वह बदर वाले दिन कुफ़्र की हालत में क़त्ल होगया।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2824

قال الشيخ الألباني:
- " شاهت الوجوه [شاهت الوجوه] ".
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‏‏‏‏أخرجه أحمد (1 / 303) حدثنا إسحاق بن عيسى: حدثنا يحيى بن سليم عن عبد الله
‏‏‏‏ابن عثمان عن سعيد بن جبير عن ابن عباس قال: " إن الملأ من قريش اجتمعوا
‏‏‏‏في الحجر، فتعاقدوا باللات والعزى ومناة الثالثة الأخرى ونائلة وإساف، لو
‏‏‏‏قد رأينا محمدا لقد قمنا إليه قيام رجل واحد فلم نفارقه حتى نقتله، فأقبلت
‏‏‏‏ابنته فاطمة رضي الله عنها تبكي حتى دخلت على رسول الله صلى الله عليه وسلم
‏‏‏‏فقالت: هؤلاء الملأ من قريش قد تعاقدوا عليك لو قد رأوك، لقد قاموا إليك
‏‏‏‏فقتلوك فليس منهم رجل إلا قد عرف نصيبه من دمك. فقال يا بنية: أريني وضوءا،
‏‏‏‏فتوضأ ثم دخل عليهم المسجد، فلما رأوه قالوا: ها هو ذا، وخفضوا
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 781__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أبصارهم
‏‏‏‏وسقطت أذقانهم في صدورهم، وعقروا في مجالسهم، فلم يرفعوا إليه بصرا، ولم
‏‏‏‏يقم إليه منهم رجل! فأقبل رسول الله صلى الله عليه وسلم حتى قام على رؤوسهم،
‏‏‏‏فأخذ قبضة من التراب فقال: " شاهت الوجوه "، ثم حصبهم بها، فما أصاب رجلا
‏‏‏‏منهم من ذلك الحصى حصاة إلا قتل يوم بدر كافرا ". قلت: وهذا إسناد جيد رجاله
‏‏‏‏ثقات رجال الصحيح إلا أن يحيى بن سليم، وهو الطائفي، فيه كلام من جهة حفظه،
‏‏‏‏لكنه قد توبع من جمع فأمنا بذلك سوء حفظه، وصح الحديث والحمد لله. أولا:
‏‏‏‏قال سعيد بن منصور في " سننه " (3 / 2 / 354) : إسماعيل بن عياش عن عبد الله
‏‏‏‏بن عثمان بن خثيم. ثانيا: تابعه معمر عن ابن خثيم به. أخرجه أحمد (1 / 368
‏‏‏‏) : حدثنا عبد الرزاق: حدثنا معمر ... قلت: وهذا إسناد جيد على شرط مسلم.
‏‏‏‏ثالثا: أبو بكر بن عياش عن عبد الله بن عثمان بن خثيم به. أخرجه الحاكم (3 /
‏‏‏‏157) مختصرا، والبيهقي في " الدلائل " (2 / 277 - 278) وقال الحاكم: "
‏‏‏‏صحيح الإسناد ". ووافقه الذهبي. والحديث قال الهيثمي (8 / 228) : " رواه
‏‏‏‏أحمد بإسنادين، ورجال أحدهما رجال الصحيح ".
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 782__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏قلت: بل كلاهما من رجال الصحيح
‏‏‏‏. رابعا: مسلم بن خالد الزنجي: حدثني ابن خثيم به. أخرجه ابن حبان في "
‏‏‏‏صحيحه " (8 / 148 / 6468 - الإحسان) . ولحديث الترجمة شاهد من حديث سلمة بن
‏‏‏‏الأكوع في قصة غزوة حنين، وفيه: " فلما غشوا رسول الله صلى الله عليه وسلم
‏‏‏‏نزل عن البغلة، ثم قبض قبضة من تراب من الأرض ثم استقبل به وجوههم، فقال: "
‏‏‏‏شاهت الوجوه "، فما خلق الله منهم إنسانا إلا ملأ عينيه ترابا بتلك القبضة،
‏‏‏‏فولوا مدبرين.. ". أخرجه مسلم (5 / 169) وابن حبان (6486) بسند حسن.
‏‏‏‏وشاهد آخر من حديث أبي عبد الرحمن الفهري في القصة ذاتها. أخرجه أحمد (5 / 286
‏‏‏‏) والبزار (2 / 350 / 1833) وكذا الطيالسي (195 / 1371) والدارمي (2 /
‏‏‏‏219 - 220) والدولابي (1 / 42) من طريق حماد بن سلمة: أخبرني يعلى بن عطاء
‏‏‏‏عن أبي همام عبد الله بن يسار عنه. وأبو همام هذا مجهول كما في " التقريب "،
‏‏‏‏وشذ ابن حبان فذكره في " الثقات " (5 / 51) . ومن طريق الطيالسي البيهقي في
‏‏‏‏" الدلائل " (5 / 141) والطبراني في " الكبير " (22 / 288 - 289) . وهو
‏‏‏‏حديث حسن لغيره كما حققته في " صحيح زوائد البزار "، ورواه أبو داود أيضا (
‏‏‏‏5233) ولكنه لم يسقه بتمامه، فليس فيه موضع الشاهد منه، وقال: " وهو
‏‏‏‏حديث نبيل، جاء به حماد بن سلمة ".
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 783__________
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