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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2211. سیدنا عبداللہ بن مسعود رضی اللہ عنہ کی فضیلت
“ हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
حدیث نمبر: 3358
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-" مم تضحكون؟ قالوا: من دقة ساقيه. فقال: [والذي نفسي بيده لـ] هي اثقل في الميزان من احد".-" مم تضحكون؟ قالوا: من دقة ساقيه. فقال: [والذي نفسي بيده لـ] هي أثقل في الميزان من أحد".
سیدنا عبداللہ بن مسعود رضی اللہ تعالیٰ عنہ کہتے ہیں کہ میں مسواک کے درخت سے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے لیے مسواک توڑ رہا تھا۔ لوگ میری باریک پنڈلیوں کو دیکھ کر ہنس پڑے۔ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ‏‏‏‏تم کس چیز سے ہنس رہے ہو؟ ‏‏‏‏ انہوں نے کہا: ان کی پندلیوں کی باریکی سے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اس ذات کی قسم جس کے ہاتھ میں میری جان ہے! ترازو میں یہ پنڈلی احد پہاڑ سے بھی زیادہ بھاری ہو گی۔
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ि अल्लाह अन्ह कहते हैं कि मैं मिसवाक के पेड़ से रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिये मिसवाक तोड़ रहा था। लोग मेरी पतली पिंडलियों को देखकर हंस पड़े। नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “तुम किस चीज़ पर हंस रहे हो ?” ‏‏‏‏ उन्हों ने कहा कि इन की पतली पिंडलियों पर। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “उस ज़ात की क़सम जिस के हाथ में मेरी जान है। तराज़ू में यह पिंडली ओहद पहाड़ से भी अधिक भारी होगी।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2750

قال الشيخ الألباني:
- " مم تضحكون؟ قالوا: من دقة ساقيه. فقال: [والذي نفسي بيده لـ] هي أثقل في الميزان من أحد ".
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‏‏‏‏أخرجه أحمد (1 / 420 - 421) وكذا الطيالسي (رقم 355) وابن سعد
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 570__________
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‏‏‏‏(3 / 155
‏‏‏‏) من طريق حماد بن سلمة عن عاصم بن بهدلة عن زر بن حبيش عن عبد الله قال:
‏‏‏‏كنت أجتني لرسول الله صلى الله عليه وسلم من الأراك، قال: فضحك القوم من دقة
‏‏‏‏ساقي، فقال النبي صلى الله عليه وسلم : فذكره، والسياق لابن سعد، والزيادة
‏‏‏‏للآخرين. قلت: وهذا إسناد حسن، وهو صحيح بطرقه الكثيرة عند الطبراني (
‏‏‏‏8453 و 8454 و 8517) ، وابن سعد، وبشواهده الآتية: الأول: عن معاوية بن
‏‏‏‏قرة عن أبيه قال: كان ابن مسعود على شجرة يجتني لهم منها، فهبت ريح، فكشف
‏‏‏‏لهم عن ساقيه، فضحكوا.. الحديث. أخرجه ابن جرير الطبري في " التهذيب " (
‏‏‏‏مسند علي / 163 / 262 - شاكر) والطبراني في " الكبير " (19 / 28 / 59)
‏‏‏‏والحاكم (3 / 317) من طريق سهل بن حماد أبي عتاب الدلال: حدثنا شعبة قال:
‏‏‏‏حدثنا معاوية بن قرة به. وقال الحاكم: " صحيح الإسناد ". ووافقه الذهبي.
‏‏‏‏قلت: بل هو على شرط مسلم، فإن رجاله كلهم ثقات رجال الشيخين غير الدلال فهو
‏‏‏‏من أفراد مسلم، وقد خولف كما يأتي، وقرة والد معاوية صحابي معروف، فلا يضر
‏‏‏‏عدم إخراج مسلم له. وأخرجه الطيالسي في " مسنده " (1078) قال: حدثنا شعبة
‏‏‏‏عن معاوية بن قرة أن ابن مسعود.. الحديث فأرسله. وقال يونس بن حبيب - راوي
‏‏‏‏المسند -: " هكذا رواه أبو داود، وقال غير أبي داود عن شعبة عن معاوية بن
‏‏‏‏قرة عن أبيه ".
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 571__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏قلت: وهذا أصح إن شاء الله تعالى. الثاني: عن أم موسى قالت
‏‏‏‏: سمعت عليا رضي الله عنه يقول: أمر النبي صلى الله عليه وسلم ابن مسعود فصعد
‏‏‏‏على شجرة أمره أن يأتيه بشيء، فنظر أصحابه إلى ساق عبد الله بن مسعود..
‏‏‏‏الحديث. أخرجه أحمد (1 / 114) وابن سعد وابن جرير (162 / 19 و 20) وأبو
‏‏‏‏يعلى (1 / 409 و 446) ومن طريقه الضياء (2 / 421) وابن أبي عاصم في "
‏‏‏‏الوحدان " (ق 21 / 2) والطبراني في " الكبير " (9 / 97 / 8516) وقال ابن
‏‏‏‏جرير: " إسناده صحيح ". قلت: ولعله يعني صحيح بما قبله من الشاهدين، وإلا
‏‏‏‏فقد أعله هو بعلتين اثنتين، إحداهما قادحة، فقال: " والثانية: أن أم موسى
‏‏‏‏لا تعرف في نقلة العلم، ولا يعلم راو روى عنها غير مغيرة، ولا يثبت بمجهول
‏‏‏‏من الرجال في الدين حجة، فكيف مجهولة من النساء؟! ". قلت: وهذه فائدة خلت
‏‏‏‏منها كتب الرجال، وهي تصريح هذا الإمام بجهالة أم موسى هذه، فقد جاء في "
‏‏‏‏التهذيب ": " روى عنها مغيرة بن مقسم الضبي، قال الدارقطني: حديثها مستقيم،
‏‏‏‏يخرج حديثها اعتبارا. وقال العجلي: كوفية تابعية ثقة ". قلت: وهذا
‏‏‏‏التوثيق غير معتمد لأنها في حكم المجهولة التي لا تعرف، فهو جار على طريقة ابن
‏‏‏‏حبان في توثيقه للمجهولين، كما هو معلوم، والعجلي هو عمدة الهيثمي في توثيقه
‏‏‏‏إياه في قوله في " المجمع " (9 / 288 - 289) :
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 572__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏" رواه أحمد وأبو يعلى
‏‏‏‏والطبراني، ورجالهم رجال الصحيح غير أم موسى، وهي ثقة ". ولذلك لم يزد
‏‏‏‏الحافظ على قوله فيها: " مقبولة ". قلت: يعني عند المتابعة، وهو ما أفاده
‏‏‏‏كلام الدارقطني المتقدم، وقد توبعت كما تقدم، فهو حسن لغيره، خلافا للمعلق
‏‏‏‏على " أبي يعلى " وعلى " الضياء "! والله أعلم.
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