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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
فتنے، علامات قیامت اور حشر
फ़ितने, क़यामत की निशानियां और क़यामत का दिन
2424. آپ صلی اللہ علیہ وسلم اور آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی امت سابقہ انبیا کے حق میں شہادت دیں گے
“ रसूल अल्लाह ﷺ और उनकी उम्मत पिछले नबियों के पक्ष में गवाही देंगे ”
حدیث نمبر: 3748
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" يجيء النبي ومعه الرجلان ويجيء النبي ومعه الثلاثة واكثر من ذلك واقل، فيقال له: هل بلغت قومك؟ فيقول: نعم، فيدعى قومه، فيقال: هل بلغكم هذا؟ فيقولون: لا. فيقال: من شهد لك؟ فيقول: محمد وامته، فتدعى امة محمد، فيقال: هل بلغ هذا؟ فيقولون: نعم. فيقول: وما علمكم بذلك؟ فيقولون: اخبرنا نبينا بذلك ان الرسل قد بلغوا، فصدقناه، قال: فذلك قوله تعالى: * (وكذلك جعلناكم امة وسطا لتكونوا شهداء على الناس ويكون الرسول عليكم شهيدا) * (¬1)".-" يجيء النبي ومعه الرجلان ويجيء النبي ومعه الثلاثة وأكثر من ذلك وأقل، فيقال له: هل بلغت قومك؟ فيقول: نعم، فيدعى قومه، فيقال: هل بلغكم هذا؟ فيقولون: لا. فيقال: من شهد لك؟ فيقول: محمد وأمته، فتدعى أمة محمد، فيقال: هل بلغ هذا؟ فيقولون: نعم. فيقول: وما علمكم بذلك؟ فيقولون: أخبرنا نبينا بذلك أن الرسل قد بلغوا، فصدقناه، قال: فذلك قوله تعالى: * (وكذلك جعلناكم أمة وسطا لتكونوا شهداء على الناس ويكون الرسول عليكم شهيدا) * (¬1)".
سیدنا ابوسعید خدری رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: روز قیامت کوئی نبی دو امتیوں کے ہمراہ آئے گا کوئی تین کے ہمراہ اور کسی کے ساتھ اس سے زیادہ یا اس سے کم افراد ہوں گے۔ نبی کو کہا جائے گا: کیا تم نے اپنی قوم تک پیغام پہنچا دیا تھا؟ وہ کہے گا: جی ہاں۔ پھر اس کی امت کو بلا کر اس سے پوچھا جائے گا: کیا تمہارے نبی نے تمہیں (‏‏‏‏اللہ کا) پیغام پہنچا دیا تھا؟ وہ کہیں گے نہیں۔ نبی سے کہا جائے گا تمہارے حق میں گواہی کون دے گا؟ وہ کہے گا محمد (‏‏‏‏ صلی اللہ علیہ وسلم ) اور ان کی امت۔ سو محمد صلی اللہ علیہ وسلم کی امت کو بلایا جائے گا اور اسے کہا جائے: کیا اس نبی نے اپنی قوم تک (‏‏‏‏اللہ کا) پیغام پہنچا دیا تھا؟ وہ کہے گی: جی ہاں۔ اللہ تعالیٰ پوچھے گا: تمہیں کیسے پتہ چلا؟ وہ کہے گی: ہمیں ہمارے نبی نے بتایا تھا کہ تمام رسولوں نے اپنی امتوں تک (‏‏‏‏ ‏‏‏‏اللہ کا) پیغام پہنچا دیا تھا اور ہم نے آپ کی تصدیق کی۔ اللہ تعالیٰ کے اس فرمان کا یہی مصداق ہے: ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ اور ہم نے اسی طرح تمہیں عادل امت بنایا ہے تاکہ تم لوگوں پر گواہ ہو جاؤ اور رسول تم پر گواہ ہو جائیں۔ (‏‏‏‏ ‏‏‏‏سورۂ بقرہ: ۱۴۳)
हज़रत अबु सईद ख़ुदरी रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “क़यामत के दिन कोई नबी दो उम्मतियों के साथ आएगा कोई तीन के साथ और किसी के साथ उस से अधिक या उस से कम लोग होंगे। नबी को कहा जाएगा कि क्या तुम ने अपनी क़ौम तक संदेश पहुंचा दिया था ? वह कहेगा कि जी हाँ। फिर उस की उम्मत को बुलाकर उस से पूछा जाएगा कि क्या तुम्हारे नबी ने तुम्हें (अल्लाह का) संदेश पहुंचा दिया था ? वे कहेंगे कि नहीं। नबी से कहा जाएगा तुम्हारे लिए में गवाही कौन देगा ? वह कहेगा मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) और उनकी उम्मत। तो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत को बुलाया जाएगा और उस से कहा जाएगा कि क्या इस नबी ने अपनी क़ौम तक (अल्लाह का) संदेश पहुंचा दिया था ? वह कहेगी कि जी हाँ। अल्लाह तआला पूछेगा कि तुम्हें कैसे पता चला ? वह कहेगी कि हमें हमारे नबी ने बताया था कि सारे रसूलों ने अपनी उम्मतों तक (अल्लाह का) संदेश पहुंचा दिया था और हम ने आप की पुष्टि की। अल्लाह तआला के उस फ़रमान का यही सबूत है। « وَكَذَٰلِكَ جَعَلْنَاكُمْ أُمَّةً وَسَطًا لِّتَكُونُوا شُهَدَاءَ عَلَى النَّاسِ وَيَكُونَ الرَّسُولُ عَلَيْكُمْ شَهِيدًا » “और हम ने इसी तरह तुम्हें विश्वसनीय उम्मत बनाया है ताकि तुम लोगों पर गवाह हो जाओ और रसूल तुम पर गवाह हो जाएं।” (सूरत अल-बक़रह: 143)”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2448

قال الشيخ الألباني:
- " يجيء النبي ومعه الرجلان ويجيء النبي ومعه الثلاثة وأكثر من ذلك وأقل، فيقال له: هل بلغت قومك؟ فيقول: نعم، فيدعى قومه، فيقال: هل بلغكم هذا؟ فيقولون: لا. فيقال: من شهد لك؟ فيقول: محمد وأمته، فتدعى أمة محمد، فيقال: هل بلغ هذا؟ فيقولون: نعم. فيقول: وما علمكم بذلك؟ فيقولون: أخبرنا نبينا بذلك أن الرسل قد بلغوا، فصدقناه، قال: فذلك قوله تعالى: * (وكذلك جعلناكم أمة وسطا لتكونوا شهداء على الناس ويكون الرسول عليكم شهيدا) * (¬1) ".
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‏‏‏‏أخرجه ابن ماجة (2 / 573 - 574) وأحمد (3 / 58) عن أبي معاوية عن الأعمش
‏‏‏‏عن أبي صالح عن أبي سعيد مرفوعا. قلت: وهذا إسناد صحيح على شرط الشيخين.
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‏‏‏‏(¬1) البقرة: 143. اهـ.
‏‏‏‏__________جزء : 5 /صفحہ : 577__________
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‏‏‏‏وقد أخرجه البخاري (6 / 286 و 8 / 139 و 13 / 269) والترمذي (2965)
‏‏‏‏وأحمد (3 / 32) وقال الترمذي: " حديث حسن صحيح ".
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