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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
فتنے، علامات قیامت اور حشر
फ़ितने, क़यामत की निशानियां और क़यामत का दिन
2435. تبوک کے چشمہ کے آس پاس باغات کی پیشن گوئی
“ तबूक के आसपास बाग़ों की भविष्वाणी ”
حدیث نمبر: 3761
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" يوشك يا معاذ إن طالت بك حياة ان ترى ما ههنا قد ملئ جنانا. يعني تبوك".-" يوشك يا معاذ إن طالت بك حياة أن ترى ما ههنا قد ملئ جنانا. يعني تبوك".
سیدنا معاذ بن جبل رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: ہم رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ غزوہ تبوک والے سال نکلے، آپ نمازیں جمع کر کے ادا کرتے تھے، یعنی ظہر اور عصر اور مغرب اور عشاء کی اکٹھی ادا کر لیتے تھے، ایک دن ایسا بھی آیا کہ نماز کو مؤخر کیا، پھر باہر تشریف لائے اور ظہر اور عصر کی نمازیں جمع کر کے پڑھیں، بعد ازاں اندر چلے گئے اور پھر جب تشریف لائے تو مغرب اور عشاء کی نمازیں جمع کر کے ادا کیں، پھر فرمایا: تم ان شاءاللہ کل تبوک کے چشمے پر پہنچ جاؤ گے، اور دن کے روشن ہونے کے بعد پہنچو گے۔ (‏‏‏‏یاد رکھنا کہ) جو بھی وہاں پہنچے، پانی کو میرے پہنچنے سے پہلے نہ چھوئے۔ جب ہم اس چشمے کے پاس پہنچے تو کیا دیکھتے ہیں کہ دو آدمی ہم سے بھی سبقت لے جا چکے تھے۔ (‏‏‏‏ ہم نے دیکھا کہ) تسمے کے بقدر چشمہ تھا اور تھوڑا تھوڑا پانی رس رہا تھا۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے ان دو آدمیوں سے پوچھا: آیا تم نے اس پانی کو چھوا ہے؟ انہوں نے کہا: جی ہاں۔ آپ نے ان کو برا بھلا کہا، پھر صحابہ نے اس چشمے سے چلو بھر کر پانی ایک برتن میں جمع کیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اس میں اپنا ہاتھ اور چہرہ دھویا، پھر اس پانی کو اس چشمے میں انڈیل دیا، چشمے کا پانی زور سے بہنا شروع ہو گیا، حتیٰ کہ لوگوں نے پانی پی لیا۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ‏‏‏‏ معاذ! ممکن ہے کہ تیری زندگی لمبی ہو، (‏‏‏‏اگر ایسے ہوا تو) تو دیکھے گا کہ یہ جگہ باغات سے بھر جائے گی۔
हज़रत मआज़ बिन जबल रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि हम रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ तबूक की लड़ाई वाले वर्ष निकले, आप नमाज़ें इकट्टा करके पढ़ते थे, यानी ज़ोहर और अस्र और मग़रिब और इशा की एक साथ पढ़लेते थे, एक दिन ऐसा भी आया कि नमाज़ को देर की गई, फिर बाहर आए और ज़ोहर और अस्र की नमाज़ें इकट्टा करके पढ़ीं, इसके बाद अंदर चले गए और फिर जब आए तो मग़रिब और इशा की नमाज़ें इकट्टा करके पढ़ीं, फिर फ़रमाया ! “तुम इन शाअ अल्लाह कल तबूक के चश्मे पर पहुंच जाओगे, और दिन के रोशन होने के बाद पहुंचोगे। (याद रखना कि) जो भी वहां पहुंचे, पानी को मेरे पहुँचने से पहले न छुए।” जब हम उस चश्मे के पास पहुंचे तो क्या देखते हैं कि दो आदमी हम से भी पहले पहुँच चुके थे। (‏हम ने देखा कि) तसमे के बराबर नहर थी और थोड़ा थोड़ा पानी निकल रहा था। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन दो आदमियों से पूछा ! “क्या तुम ने इस पानी को छुआ है ?” इन्हों ने कहा कि जी हाँ। आप ने उनको बुराभला कहा, फिर सहाबा ने उस चश्मे से चुल्लू भरकर पानी एक बर्तन में इकट्टा किया। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस में अपना हाथ और चेहरा धोया और फिर उस पानी को उस चश्मे में डाल दिया, चश्मे का पानी ज़ोर से बहना शुरू होगया, यहां तक कि लोगों ने पानी पी लिया। फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “‏‏‏‏ मआज़, मुमकिन है कि तेरी ज़िन्दगी लम्बी हो, तू देखेगा कि यह जगह बाग़ों से भर जाएगी।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1210

قال الشيخ الألباني:
- " يوشك يا معاذ إن طالت بك حياة أن ترى ما ههنا قد ملئ جنانا. يعني تبوك ".
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‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه مالك (1 / 143 - 144) وعنه مسلم (7 / 60 - 61) وأحمد
‏‏‏‏(5 / 237 - 238) وابن عساكر في " التاريخ " (17 / 220 / 2) كلهم عن مالك عن أبي الزبير
‏‏‏‏المكي أن أبا الطفيل عامر بن واثلة أخبره أن معاذ بن جبل أخبره قال:
‏‏‏‏" خرجنا مع رسول الله صلى الله عليه وسلم عام غزوة تبوك، فكان يجمع الصلاة،
‏‏‏‏فصلى الظهر والعصر جميعا والمغرب والعشاء جميعا حتى إذا كان يوم أخر الصلاة
‏‏‏‏، ثم خرج فصلى الظهر والعصر جميعا، ثم دخل، ثم خرج بعد ذلك، فصلى المغرب
‏‏‏‏والعشاء جميعا، ثم قال: " إنكم ستأتون غدا إن شاء الله تعالى عين تبوك
‏‏‏‏وإنكم لن تأتوها حتى يضحى النهار، فمن جاءها منكم فلا يمس من مائها شيئا حتى
‏‏‏‏آتي ". فجئناها وقد سبقنا إليها رجلان، والعين مثل الشراك تبض بشيء من ماء
‏‏‏‏، قال: فسألهما رسول الله صلى الله عليه وسلم : هل مسستما من مائها شيئا؟
‏‏‏‏قالا: نعم. فسبهما النبي صلى الله عليه وسلم ، وقال لهما ما شاء الله أن
‏‏‏‏يقول، قال: ثم غرفوا بأيديهم من العين قليلا قليلا حتى اجتمع في شيء، قال:
‏‏‏‏وغسل رسول الله صلى الله عليه وسلم فيه يديه ووجهه، ثم أعاد فيها، فجرت
‏‏‏‏العين بماء منهمر، أو قال غزير حتى استسقى الناس ثم قال ... " فذكره.
‏‏‏‏والحديث رواه ابن خزيمة أيضا في " صحيحه " (رقم 968) وابن حبان (549) عن
‏‏‏‏مالك به. ¤


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