الحمدللہ! انگلش میں کتب الستہ سرچ کی سہولت کے ساتھ پیش کر دی گئی ہے۔

 
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
اذان اور نماز
अज़ान और नमाज़
555. نماز وتر کے بعد نفلی نماز ادا کرنا درست ہے
“ वित्र की नमाज़ के बाद नफ़िल नमाज़ पढ़ना ठीक है ”
حدیث نمبر: 825
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" إن هذا السفر جهد وثقل، فإذا اوتر احدكم فليركع ركعتين، فإن استيقظ وإلا كانتا له".-" إن هذا السفر جهد وثقل، فإذا أوتر أحدكم فليركع ركعتين، فإن استيقظ وإلا كانتا له".
سیدنا ثوبان رضی اللہ عنہ سے روایت ہے، وہ کہتے ہیں: ہم رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ سفر میں تھے، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: چونکہ یہ سفر باعث مشقت و زحمت ہے، اس لیے ہر کوئی وتر کے بعد دو رکعت نفل پڑھ لے، اگر (‏‏‏‏ قیام کرنے کے لیے) جاگ آ گئی تو ٹھیک، وگرنہ یہی دو رکعتیں اسے کفایت کر جائیں گی۔
हज़रत सोबान रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है, वह कहते हैं ! हम रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ यात्रा में थे, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “चूँकि यह यात्रा कड़ी मुश्किल और परेशानी वाली है इस लिए हर कोई वित्र के बाद दो रकअत नफ़िल पढ़ले, यदि (क़याम करने के लिए) जगता रहा तो ठीक, वरना यही दो रकअतें उसे काफ़ी हो जाएंगी।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1993

قال الشيخ الألباني:
- " إن هذا السفر جهد وثقل، فإذا أوتر أحدكم فليركع ركعتين، فإن استيقظ وإلا كانتا له ".
‏‏‏‏_____________________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه الدارمي (1 / 374) وابن خزيمة في " صحيحه " (2 / 159 / 1103) وابن
‏‏‏‏حبان (683) من طرق عن ابن وهب حدثني معاوية بن صالح عن شريح بن عبيد عن عبد
‏‏‏‏الرحمن بن جبير بن نفير عن أبيه عن ثوبان قال: " كنا مع رسول الله صلى
‏‏‏‏الله عليه وسلم في سفر فقال: " فذكره، وليس عند الدارمي هذه الجملة المصرحة
‏‏‏‏بأنه صلى الله عليه وسلم قال الحديث في السفر، ولذلك عقب على الحديث بقوله:
‏‏‏‏" ويقال: " هذا السفر " وأنا أقول: السهر "! وبناء عليه وقع الحديث عنده
‏‏‏‏بلفظ: " هذا السهر ". ويرده أمران:
‏‏‏‏__________جزء : 4 /صفحہ : 646__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏الأول: ما ذكرته من مناسبة ورود الحديث في السفر.
‏‏‏‏والآخر: أن ابن وهب قد تابعه عبد الله بن صالح حدثنا معاوية بن صالح به
‏‏‏‏مناسبة ولفظا. أخرجه الدارقطني (ص 177) والطبراني في " الكبير " (1410)
‏‏‏‏. وعبد الله بن صالح من شيوخ البخاري، فهو حجة عند المتابعة. فدل ذلك كله
‏‏‏‏على أن المحفوظ في الحديث " السفر " وليس " السهر " كما قال الدارمي.
‏‏‏‏والحديث استدل به الإمام ابن خزيمة على " أن الصلاة بعد الوتر مباح لجميع من
‏‏‏‏يريد الصلاة بعده، وأن الركعتين اللتين كان النبي صلى الله عليه وسلم يصليهما
‏‏‏‏بعد الوتر لم يكونا خاصة للنبي صلى الله عليه وسلم دون أمته، إذا النبي صلى
‏‏‏‏الله عليه وسلم قد أمرنا بالركعتبن بعد الوتر أمر ندب وفضيلة، لا أمر إيجاب
‏‏‏‏وفريضة ". وهذه فائدة هامة، استفدناها من هذا الحديث، وقد كنا من قبل
‏‏‏‏مترددين في التوفيق بين صلاته صلى الله عليه وسلم الركعتين وبين قوله:
‏‏‏‏" اجعلوا آخر صلاتكم بالليل وترا "، وقلنا في التعليق على " صفة الصلاة " (ص
‏‏‏‏123 - السادسة) : " والأحوط تركهما اتباعا للأمر. والله أعلم ". وقد تبين
‏‏‏‏لنا الآن من هذا الحديث أن الركعتين بعد الوتر ليستا من خصوصياته صلى الله عليه
‏‏‏‏وسلم، لأمره صلى الله عليه وسلم بهما أمته أمرا عاما، فكأن المقصود بالأمر
‏‏‏‏بجعل آخر صلاة الليل وترا، أن لا يهمل الإيتار بركعة، فلا ينافيه صلاة ركعتين
‏‏‏‏بعدهما، كما ثبت من فعله صلى الله عليه وسلم وأمره. والله أعلم.
‏‏‏‏__________جزء : 4 /صفحہ : 647__________ ¤


http://islamicurdubooks.com/ 2005-2023 islamicurdubooks@gmail.com No Copyright Notice.
Please feel free to download and use them as you would like.
Acknowledgement / a link to www.islamicurdubooks.com will be appreciated.