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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
الزواج ، والعدل بين الزوجات وتربية الاولاد والعدل بينهم وتحسين اسمائهم
  شادی، بیویوں کے مابین انصاف، اولاد کی تربیت، ان کے درمیان انصاف اور ان کے اچھے نام  
विवाह, पत्नियों के बीच न्याय, बच्चों की परवरिश, बच्चों के बीच न्याय और बच्चों के अच्छे नाम
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نمبر ابواب فہرست کل احادیث احادیث تفصیل
998
“ निकाह रसूल अल्लाह ﷺ की सुन्नत है ”
1 1426
999
“ शादी करने की प्रेरणा और उसका कारण ”
1 1427
1000
“ विवाह के लिए लड़की की सहमति ज़रूरी है ”
8 1428 سے 1435
1001
“ शादी से पहले लड़की को देख लेना चाहिए ”
5 1436 سے 1440
1002
“ शादी के लिए किसे चुना जाए ? ”
1 1441
1003
“ दूल्हा और दुल्हन के बीच समानता किस चीज़ पर निर्भर करती है ? ”
2 1442 سے 1443
1004
“ निकाह का एलान किया जाना चाहिए ”
1 1444
1005
“ सबसे अच्छा निकाह कौन सा है ”
1 1445
1006
“ आपसी प्रेम में, पति और पत्नी अपनी मिसाल आप हैं ”
1 1446
1007
“ पत्नियों के अधिकार ”
3 1447 سے 1449
1008
“ हज़रत फ़ातिमह से शादी के अवसर पर हज़रत अली को नबी की वसीयत ”
1 1450
1009
“ पत्नी से झूठ बोलना ठीक है लेकिन कब ? ”
1 1451
1010
“ पत्नी को उसके पती के विरुद्ध न बिगाड़ा जाए ”
1 1452
1011
“ आप ﷺ का अपनी पत्नियों का ध्यान रखना ”
1 1453
1012
“ पत्नी पर पति के अधिकार के बारे में ”
5 1454 سے 1458
1013
“ पति को तकलीफ़ देने वाली पत्नी के लिए हूरों की बद-दुआ ”
1 1459
1014
“ पत्नी को अपने पति का पालन अच्छे कर्मों में करना चाहिए ”
1 1460
1015
“ पत्नी का पति की अनुमति के बिना ख़र्च करना ”
5 1461 سے 1465
1016
“ पत्नी की जन्नत और जहन्नम पति पर निर्भर करती है ”
1 1465
1017
“ पती का शुक्र न करने वाली औरत को अल्लाह तआला रहमत की नज़र से नहीं देखता है ”
1 1466
1018
“ पत्नी अपने पती का कुफ़्र कैसे करती है ”
1 1467
1019
“ पति के पीछे दूसरों के लिए पत्नी का सजना संवरना ”
1 1468
1020
“ औरतों से संभोग किस ओर से किया जाए और उसका सवाब ”
2 1469 سے 1470
1021
“ औरतों के साथ उनके पीछे से संभोग करना मना है ”
1 1471
1022
“ अज़्ल करने यानि बच्चे के जन्म से बचने के बारे में ”
1 1472
1023
“ यदि संभोग की इच्छा हो तो सब से अच्छा उपाय पत्नी है ”
2 1473 سے 1474
1024
“ बच्चों के जन्म के लिए पति को संभोग के लिए प्रोत्साहित करना ”
1 1475
1025
“ औरत यदि घर के एक कोने में रहती है तो अल्लाह के क़रीब है ”
1 1476
1026
“ अल्लाह तआला के हाँ अच्छे नाम ”
2 1477 سے 1478
1027
“ नबियों और अच्छे लोगों जैसा नाम रखना ”
2 1479 سے 1480
1028
“ वे नाम जो रखना मना हैं ”
2 1481 سے 1482
1029
“ नाम बदलना ”
7 1483 سے 1489
1030
“ रात के पहले समय में बच्चों की सुरक्षा करना ”
2 1490 سے 1491
1031
“ बच्चा अपने और आदम के बीच वंश के किसी भी व्यक्ति के जैसा हो सकता है ”
1 1492
1032
“ दूसरी पत्नी के साथ तीन या सात रातें बिताना ”
1 1493
1033
“ विवाह आधे ईमान को पूरा करता है ”
1 1494
1034
“ विवाह न करने का अर्थ दुनिया से संमंध तोड़ देना है ”
1 1495
1035
“ जो विवाह नहीं कर सकता वह रोज़े रखे ”
1 1496
1036
“ दूर रहने के बाद रात में पत्नियों के पास न आया जाए ”
1 1497
1037
“ नेक पत्नी भलाई है और बुरी पत्नी बद-नसीबी है ”
1 1498
1038
“ नेक पत्नी की अच्छाइयां ”
3 1499 سے 1501
1039
“ कोमल स्वभाव और अच्छा स्वभाव, चिड़चिड़ापन नहीं ”
2 1502 سے 1503
1040
“ पती पत्नी के बीच गड़बड़ संभव है, लेकिन ... ”
1 1504
1041
“ पत्नी के साथ प्यार से रहना ”
4 1505 سے 1508
1042
“ औरतों के साथ अच्छा व्यवहार करने की वसीयत ”
1 1509
1043
“ नबी ﷺ ने अपनी पत्नियों का मनोरंजन किया ”
1 1510
1044
“ किसी कारण पत्नियों से दूरी बरतना ”
1 1511
1045
“ पत्नियों से “ इलाअ ” करना यानी पास न आने की क़सम उठाना ”
1 1512
1046
“ स्वाभाविक रूप से महिला के स्वभाव में टेढ़ापन ”
1 1513
1047
“ औरतों और अनाथ के अधिकारों के बारे में सख़्ती ”
1 1514
1048
“ वंश की तरह दूध पीते यानि रज़ाई रिश्ते भी हराम हो जाते हैं ”
1 1515
1049
“ औलाद के बीच न्याय करना ”
4 1516 سے 1519
1050
“ हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा आख़िरत में भी रसूल अल्लाह ﷺ की पत्नी होंगी ”
1 1520
1051
“ पत्नी जन्नत में अपने आख़री पति के साथ रहेगी ”
1 1521
1052
“ औलाद और उनका धन माता-पिता की कमाई है ”
2 1522 سے 1523
1053
“ अल्लाह तआला के सम्मान की आवश्यकता ”
1 1524
1054
“ पत्नियां जो पति की हैसियत से अधिक ख़र्चे की मांग करती हैं वे उम्माह की बेबादी का कारण हैं ، औरतों का सजना संवरना केसा है ”
1 1525
1055
“ हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्ह को दुसरे विवाह की अनुमति क्यों नहीं दी गई ? ”
1 1526
1056
“ कौन सी शर्तें मान्य नहीं हैं ? ”
1 1527
1057
“ गर्भवती महिला की इददत बच्चे को जन्म देने तक है ”
1 1528
1058
“ औरतें पुरुषों की तरह ही हैं ، एहतलाम के कारण ग़ुस्ल कब फ़र्ज़ होता है ”
1 1529
1059
“ रसूल अल्लाह ﷺ की पत्नियों का आप ﷺ को प्राथमिकता देना ”
2 1530 سے 1531
1060
“ पति का अपनी पत्नी के दोस्तों की देखभाल करना ”
1 1532
1061
“ पत्नी का अपनी सोकन से बदला ”
1 1533
1062
“ कुंवारी औरतों को प्राथमिकता दें ”
3 1534 سے 1536
1063
“ आप ﷺ का बच्चों से अच्छा स्वभाव ”
1 1537
1064
“ औरतों का ईदगाह जाना ”
3 1538 سے 1540
1065
“ निकाह से पहले कोई तलाक़ नहीं है ”
1 1541
1066
“ हज़रत हफ़सह रज़ि अल्लाहु अन्हा को तलाक़ फिर रुजू ”
1 1542
1067
“ संभोग के बाद महर दिए बिना तलाक़ देना सबसे बड़ा पाप है ”
1 1543
1068
“ तलाक़ के समय कुछ माल आदि देना ”
1 1544
1069
“ बद-अख़लाक़ औरत को तलाक़ दे देनी चाहिए ”
1 1545
1070
“ कोई औरत अपनी सोकन की तलक़ा की मांग न करे ”
1 1546
1071
“ इबलीस यानि बड़ा शैतान तलाक़ कराने वाले शैतान की सराहना करता है ”
1 1547
1072
“ तीन तलाक़ के बाद पत्नी के ख़र्चे के लिए पति ज़िम्मेदार नहीं है ”
1 1548
1073
“ ख़ुलअ लेने वाली औरतें मुनाफ़िक़ हैं ”
2 1549 سے 1550
1074
“ ज़िना से पैदा हुए बच्चे दोषी नहीं हैं ”
1 1551
1075
“ बच्चे और पिता की वलाअ उसके असबह को मिलेगी ”
1 1552
1076
“ मरने वाले कम आयु के बच्चों के माता-पिता के लिए ख़ुशख़बरी है ، कम आयु के मरने वाले दो या तीन बच्चों के माता-पिता की फ़ज़ीलत ”
5 1553 سے 1557
1077
“ हर नवजात को शैतान द्वारा छुआ जाता है ”
1 1558
1078
“ बहनों और बेटियों की अच्छी ज़िम्मेदारी उठाने पर ख़ुशख़बरी ”
10 1559 سے 1568
1079
“ कितनी मात्रा की राशि का मालिक मांग नहीं सकता ? ”
1 1569
1080
“ अनाथ की ज़िम्मेदारी उठाने वाले का सवाब ”
1 1570
1081
“ अलग होने की स्थिति में बच्चों का हक़दार पिता होगा या मां ”
1 1571
1082
“ मुतअ हराम है ”
3 1572 سے 1574
1083
“ रसूल अल्लाह ﷺ की पत्नियों को हज्ज के बाद घरों में रहने की नसीहत ”
1 1575
1084
“ अक़ीक़ह करना और नवजात को उसका ख़ून न लगाना ”
1 1576
1085
“ प्यार में छोटे नाम से बुलाना ”
1 1577

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