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अख़लाक़ और अनुमति मांगना
1746. “ किसी भी नेकी को छोटा नहीं समझना चाहिए ، निंदा करना और अत्याचार करना मना है ”
1747. “ तीन अच्छे काम और तीन बुरे काम ”
1748. “ नमाज़ और ग़ुलामों के बारे में अल्लाह तआला से डरना चाहिए ”
1749. “ बरकतों वाला खाना ”
1750. “ टेक लगाकर खाना कैसा है ”
1751. “ बर्तन में रखे खाने के ऊपर से खाना पसंद नहीं किया गया है ”
1752. “ खड़े होकर खाना कैसा है ”
1753. “ प्रिय लोग और प्रिय कर्म
1754. “ दूसरों के लिए वह ही चीज़ पसंद की जाए जो आप को पसंद हो ”
1755. “ अच्छा शगुन लेना ”
1756. “ अनुमति कैसे मांगी जाए ”
1757. “ पसंदीदा नाम ”
1758. “ सबसे बुरा नाम ”
1759. “ अच्छे और बुरे लोगों की निशानियां ”
1760. “ इन्सान के मरतबे को ध्यान में रखना चाहिए ”
1761. “ प्रिय को प्यार के बारे में बताना ”
1762. “ दुआ मांगने के नियम ”
1763. “ जो दुआ नहीं करता वह बहुत बेबस और बेख़बर है ”
1764. “ लेटने के नियम ”
1765. “ सलाम को फैलाना ”
1766. “ औरतों को सलाम करना ”
1767. “ सलाम में «ومغفرته» की बढ़ोतरी ”
1768. “ बच्चों को सलमा करना ”
1769. “ बात करने से पहले सलाम करना ”
1770. “ सभा में आते समय सलाम करना ”
1771. “ सलाम करने के नियम ”
1772. “ यहूदियों का सलाम करने का ढंग ”
1773. “ सलाम और मुसाफ़ह करने ( यानि हाथ मिलाने ) के नियम ”
1774. “ किसी से मिलते समय हाथ मिलाने ، गले मिलने और चुम्बन लेने के बारे में ”
1775. “ हाथ कैसे मिलाएं ? रहने वाले और यात्री की विदाई दुआ ”
1776. “ मिलते समय झुकना ”
1777. “ रसूल अल्लाह ﷺ कैसे हाथ मिलाते थे ”
1778. “ ग़ैर-मुस्लिमों को सलाम कैसे करें ”
1779. “ ग़ैर-महरम औरतों से हाथ मिलाना मना है ”
1780. “ आंख और हाथ का ज़िना ”
1781. “ मुसलमानो में आपस का प्रेम और रहमदिली ”
1782. “ मुसलमान को कष्ट देने पर लाअनत है ”
1783. “ मुसलमान की साख बनाए रखना एक महान कार्य है ”
1784. “ मुसलमान का अपमान करना एक गंभीर अपराध है ، एक मुसलमान का सम्मान अल्लाह के काबा से अधिक है ”
1785. “ ग़ैर-मुस्लिम के सलाम का और बुरी दुआ का कैसे जवाब दिया जाए ”
1786. “ सभा के नियम ”
1787. “ बढ़ी सभा अच्छी होती है ”
1788. “ जुमा के ख़ुत्बे के समय बैठे हुए लोगों की गर्दनें फलांग कर जाना मना है ”
1789. “ ऐसी जगह बैठना मना है जहाँ शरीर के कुछ भाग पर छाया हो और कुछ पर धुप
1790. “ सभा एक अमानत होती है ”
1791. “ सभा के कफ़्फ़ारह की दुआ ”
1792. “ घर और घर में मौजूद चीज़ों की सुरक्षा के नियम ، रात के पहले समय और रात में बाहर न जाएं ”
1793. “ रात में आग लगने के संकेतों को हटा दें ”
1794. “ रात के अंधेरे के बाद बात करने से बचें ”
1795. “ वे लोग जो रात में बात कर सकते हैं ”
1796. “ नमाज़ पढ़ते हुए थूकने के बारे में ”
1797. “ अच्छे और बुरे सपने और दोनों के नियम और प्रकार ”
1798. “ सपने के बारे में किसे बताना चाहिए ”
1799. “ सपने की ताबीर की एहमियत ”
1800. “ मेज़बान से जाने की अनुमति लेना ”
1801. “ मेहमान से खाने-पीने के बारे में न पूछें ”
1802. “ किसी के सामने उसकी तअरीफ़ करना कैसा है ”
1803. “ दुआ करते समय हाथ किस तरह से हों ”
1804. “ कुत्ते की भौंकने और गधे की हींगने की आवाज़ सुनकर अल्लाह की शरण मांगे ”
1805. “ नौकरों और सेवकों के अधिकार ، खाना कैसे दिया जाए ”
1806. “ चेहरे पर मारने से बचा जाए ”
1807. “ छींकने के नियम ”
1808. “ तीन बार छींकने वाले का जवाब ”
1809. “ मुनाफ़िक़ को सय्यद कहना अल्लाह तआला के ग़ुस्से का कारण है ”
1810. “ जुमा के दिन ख़ुत्बे के नियम ”
1811. “ ख़ुत्बे के नियम ”
1812. “ मुसलमान के माल को नाजाइज़ ढंग से हथियाने का नतीजा ”
1813. “ गुप्त रूप से लोगों की ज़रूरतों को पूरा करना और क्यों ? ”
1814. “ जूते पहन कर चलना चाहिए ”
1815. “ हर आदमी को ख़ुश करने का रसूल अल्लाह ﷺ का तरीक़ा ”
1816. “ अच्छे कर्मों के लिए सिफ़ारिश करने का बदला मिलता है ”
1817. “ रसूल अल्लाह ﷺ की विशेष निशानियां ، रसूल अल्लाह ﷺ का अपने साथियों की सहायता करना ، सच की खोज के लिए हज़रत सलमान फ़ारसी की यात्रा की कहानी ”
1818. “ खाना खिलने और भाईचारा बनाने का हुक्म ”
1819. “ सांप और कुत्ते को मारना ”
1820. “ हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा की कुन्नियत ”
1821. “ मुजाहिद ، मोमिन और मुहाजिर की परिभाषा ”
1822. “ सबसे अच्छे और बुरे लोग ، अल्लाह तआला के नाम पर मांगना ”
1823. “ जन्नती लोग ”
1824. “ ग़ैर-महरम औरत के साथ रात बिताना मना है ”
1825. “ रसूल अल्लाह ﷺ की ओर से दिया गया कष्ट भी एक दया है ”
1826. “ बालों को संवारना और साफ़ कपड़े पहनना ”
1827. “ बड़ों का सम्मान करें ”
1828. “ बड़ों की बरकत ”
1829. “ रस्ते से हानिकारक चीज़ का हटाना एक सदक़ह है ”
1830. “ मुक्ति का कारण बन जाने वाले कर्म ، बिना कारण घर से बाहर नहीं जाना चाहिए ”
1831. “ नेकी करने के लिए रसूल अल्लाह ﷺ की वसियत ”
1832. “ रस्तों पर बैठने के अधिकार ”
1833. “ आम रस्तों पर रुकावट पैदा नहीं करना चाहिए ”
1834. “ दिलों को नरम करने की रसूल अल्लाह ﷺ की नसिहत ”
1835. “ एक अपराधी की वजह से पूरे क़ाबिले की निंदा करना एक गंभीर अपराध है ، असली पिता के साथ संबंध को नकारना एक गंभीर अपराध है ”
1836. “ बकवास और बनावटी बातें करने वाले लोगों को पसंद नहीं किया गया ”
1837. “ लड़के और लड़की की ओर से यक़ीक़ह करना और शब्द यक़ीक़ह पसंद नहीं ”
1838. “ महान चीज़ों को पसंद किया गया और बुरी चीज़ों को नापसंद ”
1839. “ अल्लाह तआला के लिए मुहब्बत का अच्छा नतीजा ”
1840. “ किसी के बारे में यह न समझना चाहिए कि अल्लाह उस को क्षमा नहीं करेगा ”
1841. “ ज़बान कई पापों का कारण है ”
1842. “ हर अंग ज़बान के तेज़ होने की शिकायत करता है ”
1843. “ ज़बान सुख का और दुख का भी कारण है ”
1844. “ ज़बान के उपयोग में लापरवाही ”
1845. “ ऐसे कर्म जो अल्लाह तआला की क्षमा का कारण बनते हैं ”
1846. “ सभाओं कि सरदार सभा ”
1847. “ नबी ﷺ मुसलमानों के बच्चों पर उन से अधिक मेहरबान थे। ग़ैर-महरम पुरुषों और औरतों को एक-दूसरे के कंधे या सिर पर हाथ फेरना कैसा है ? औरतों से बैअत लेने के लिए नबी ﷺ का तरीक़ा ”
1848. “ ऊँचे दर्जे का आधार अच्छे कर्म हैं ، गंदी बातचीत और कंजूसी बुरे आदमी की निशानियां हैं ”
1849. “ भाषण जादू की तरह प्रभावी हो सकता है ”
1850. “ कविता में ज्ञान हो सकता है ”
1851. “ कविता और गद्य में अंतर ”
1852. “ बुरी कविता की निंदा ”
1853. “ सलाम और आमीन पर यहूदियों का हसद ( जलना ) ”
1854. “ सहाबा का अपनी पसंद और नापसंद पर रसूल अल्लाह ﷺ को प्राथमिकता देना ”
1855. “ झगड़े और मजाक़ छोड़ने की फ़ज़ीलत ”
1856. “ पर्दा न करना मना है ”
1857. “ अनाथ की देखभाल करने की फ़ज़ीलत ”
1858. “ हज़रत हसन और हुसैन के पिछले नाम ”
1859. “ अनुचित नाम को बदल देना ”
1860. “ बुलाने वाले से अधिक लोगों के लिए अनुमति लेना ”
1861. “ हरम में बेदीनी बात करना एक गंभीर अपराध है ”
1862. “ मुशरिकों की निंदा करना चाहिए ”
1863. “ रसूल अल्लाह ﷺ की लअनत न करने की नसिहत ”
1864. “ ऐसे मामलों से बचा जाए जिन के कारण क्षमा मांगनी पड़े ”
1865. “ अहंकार और आज्ञा का उल्लंघन करने की सज़ा दुनिया में मिलती है ”
1866. “ अच्छा अख़लाक़ ، अच्छे कर्म करने का हुक्म देना ، बुराई से रोकना और रस्ते से कोई हानिकारक चीज़ हटा देना जैसे कर्मों के बारे में ”
1867. “ सब्र और गंभीरता की फ़ज़ीलत और जल्दबाज़ी की निंदा ”
1868. “ तकिए ، तेल और दूध को अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए ”
1869. “ वे लोग जिन्हें अल्लाह तआला रहमत की नज़र से नहीं देखेगा ”
1870. “ रात में और यात्रा के समय अकेले रहना मना है ”
1871. “ बनि कुरैज़ा के लिए समझौते को तोड़ने का नतीजा ”
1872. “ एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान पर अधिकार ”
1873. “ अच्छा इंसान वह है जो अपने घर वालों के साथ अच्छा है ”
1874. “ मरे हुए लोगों की बुराई करना मना है ”
1875. “ मस्जिद में हथियारों के साथ खेलना ”
1876. “ रसूल अल्लाह ﷺ का एक अंधे की देखभाल करना ”
1877. “ कुछ रोगियों की देखभाल जिब्रील अलैहिस्सलाम द्वारा की जाती है ”
1878. “ धन के द्वारा सम्मान की रक्षा करना ”
1879. “ उपयोगी शब्द कहना चाहिए या चुप रहना चाहिए ”
1880. “ झूठ कब और कहाँ बोला जा सकता है ”
1881. “ सम्मान की जगह का अधिकार मालिक को होता है ”
1882. “ अल्लाह तआला और उस के रसूल के सामने शर्म करनी चाहिए ”
1883. “ घर के आंगन को साफ़ रखने का कारण ”
1884. “ शुक्र करने वाले व्यक्ति की फ़ज़ीलत ”
1885. “ हर स्तर के मुसलमान के लिए अच्छे कर्म ”
1886. “ जो लोग धन का सदक़ह नहीं कर सकते ، उनके लिए सदक़ह के रूप ”
1887. “ कुछ सिखाने के लिए परिवार के सदस्यों को सज़ा देना ”
1888. “ साथ बैठ कर खाने की बरकतें ”
1889. “ बंदे का (360) हड्डियों या जोड़ों का सदक़ह करना ”
1890. “ आयत « ذَٰلِكَ أَدْنَىٰ أَلَّا تَعُولُوا » की तफ़्सीर ( अर्थ ) ”
1891. “ सोते समय अपने आप पर दम करना ”
1892. “ तब्लीग़ यानि प्रचार करने का ढंग ”
1893. “ समझाने के लिए तीन बार दोहराएं ”
1894. “ घर से निकलते समय की दुआ ”
1895. “ रसूल अल्लाह ﷺ के पीछे फ़रिश्तों का चलना ”
1896. “ सहाबा का किसी से मिलते समय सूरत अल-अस्र पढ़ना ”
1897. “ बिना अनुमति के किसी के घर में झांकना अपराध है ”
1898. “ इस्लाम में केवल दो ईद हैं ”
1899. “ घोड़ी को फ़र्स कहना ”
1900. “ आदम की औलाद का हर व्यक्ति ज़िम्मेदार है ”
1901. “ ग़ीबत यानि पीठ पीछे बुराई करना मना है ”
1902. “ ग़ीबत यानि पीठ पीछे बुराई करने का बुरा नतीजा ”
1903. “ ग़ीबत यानि पीठ पीछे बुराई करने का कारण ”
1904. “ ग़बत यानि पीठ पीछे बुराई करने और आरोप के बीच का अंतर ”
1905. “ मोमिन को बुराभला कहना या गाली देना कैसा है ”
1906. “ औरतों को रस्ते के किनारे चलना चाहिए ”
1907. “ पड़ोसी के अधिकार ”
1908. “ सबसे अच्छे पड़ोसी और सबसे अच्छे दोस्त के बारे में ”
1909. “ मोमिन में बुरी आदतें नहीं हुआ करती हैं ”
1910. “ मेहमान की मेज़बानी फ़र्ज़ है ”
1911. “ मेहमान की मेज़बानी में अधिक न किया जाए ”
1912. “ किसी की नक़ल उतरना पसंद नहीं किया गया है ”
1913. “ सब्र करना एक बड़ी नेमत है ”
1914. “ सब्र करने और सब्र न करने का नतीजा ”
1915. “ किसी के सम्मान में खड़ा होना मना है ”
1916. “ अनुचित काम का दर्जा ”
1917. “ घोड़े को खाना खिलाना भी सवाब का काम है ”
1918. “ अल्लाह तआला की ओर से दिए गए पुरस्कारों के बारे में बताना चाहिए ”
1919. “ माता-पिता के बाद रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए ”
1920. “ ईमान पूरा करने का तरीक़ा ”
1921. “ अहसान का बदला ، झूठ के दो कपड़े पहनने का अर्थ ”
1922. “ मस्जिद के नियम ”
1923. “ जाहिलियत के संबंधों के लिए ज़िम्मेदार व्यक्ति को क्या कहना चाहिए ”
1924. “ क़िब्ले की दिशा में थूकना कैसा है ”
1925. “ जीवों पर रहम करने का इनाम ”
1926. “ मुश्किलों से बचना हो तो चुप रहना चाहिए ”
1927. “ इस्लाम का स्वभाव ”
1928. “ सोते समय की दुआ ”
1929. “ बेरहमी और झूठी क़सम का बुरा नतीजा ”
1930. “ पुरुषों के लिए सोना और रेशम पहनना हराम है ”
1931. “ ग़ुस्से पर क़ाबू पाने का बदला और अल्लाह तआला से क्षमा की मांग करना ”
1932. “ क्षमा न मांगने वालों और तौबा न करने वालों का बुरा अंत ”
1933. “ मुसलमान भाई की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इनाम ”
1934. “ अच्छा होगा कि सब्र करें और लोगों से घुलमिल जाएं ”
1935. “ घुलमिल कर रहना मोमिन की विशेषता है ”
1936. “ मुसलमानों के रस्ते से हानिकारक चीज़ें हटा देना चाहिए ”
1937. “ तस्वीरें बनाना यानि चित्रकला ”
1938. “ विद्रोही और मुशरिकों के लिए बुरा है ”
1939. “ लोगों में रहम करने वाला कौन है ”
1940. “ मस्जिद में अपने लिए किसी एक जगह का तय कर लेना मना है ”
1941. “ किसी के लिए नबी ﷺ का नाम और कुन्नियत को जमा करना ”
1942. “ गाली न देने ، किसी अच्छे कर्म को छोटा न समझने ، किसी को शर्म न दिलाने और चादर को टख़नों से ऊपर रखने के लिए रसूल अल्लाह ﷺ की नसीहतें ”
1943. “ छिपकली दुष्ट होती है ”
1944. “ अल्लाह तआला की लाअनत ، ग़ुस्से और जहन्नम की बद-दुआ नहीं देना चाहिए ”
1945. “ हवा को लाअनत करना मना है ”
1946. “ मुसलमानों का आपस में संबंध तोड़ लेने का नुक़सान
1947. “ लोगों का धन्यवाद यानि शुक्र करना ”
1948. “ खेती के लिए कुछ अरबी शब्द सिखाना ”
1949. “ ग़ुलाम और मालिक एक दूसरे को कैसे बुलाएं ”
1950. “ सलाम करने ، खाना खिलाने ، रहम दिली से काम लेने और रात में क़याम करने यानि नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत ”
1951. “ यात्रा से लौटने पर पत्नियों के पास अचानक आना मना है ”
1952. “ रसूल अल्लाह ﷺ की ओर से हज़रत उक़्बाह बिन आमिर रज़ि अल्लाहु अन्ह को दी गई नसीहतें ”
1953. “ हर कोई पहले अपने गरेबान में झांके ”
1954. “ क़त्ल करने वाला और क़त्ल होने वाला दोनों जन्नत में ”
1955. “ मसि माँ ही होती है ”
1956. “ गन्दी भाषा का उपयोग न करने का हुक्म ”
1957. “ बदला लेने के लिए भी गन्दी भाषा का उपयोग मना है ”
1958. “ दाईं ओर से शरू करना ”
1959. “ किसी की बुराई को छुपाना ، त्याग ، ग़ुस्से को पी जाना और मुसलमान भाई की ज़रूरत पूरी करने की फ़ज़ीलत ”

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سلسله احاديث صحيحه
الاداب والاستئذان
آداب اور اجازت طلب کرنا
अख़लाक़ और अनुमति मांगना
سوتے وقت اپنے آپ کو دم کرنا
“ सोते समय अपने आप पर दम करना ”
حدیث نمبر: 2810
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- (كان إذا اوى إلى فراشه كل ليلة جمع كفيه، ثم نفث فيهما، فقرا فيهما (قل هو الله احد) و (قل اعوذ برب الفلق) و (قل اعوذ برب الناس)، ثم يمسح بهما ما استطاع من جسده، يبدا بهما على راسه ووجهه، وما اقبل من جسده، يفعل ذلك ثلاث مرات).- (كان إذا أوى إلى فِراشهِ كلَّ ليلةٍ جمَعَ كفَّيهِ، ثم نفَثَ فيهما، فقرأ فيهما (قل هو الله أحد) و (قل أعوذ برب الفلق) و (قل أعوذ برب الناس)، ثم يمسح بهما ما استطاع من جسده، يبدأُ بهما على رأسهِ ووجههِ، وما أقبل من جسده، يفعل ذلك ثلاث مرات).
سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا سے مروی ہے، نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم جب رات کو اپنے بستر پر آرام فرما ہوتے تو اپنی دونوں ہتھیلیوں کو اکٹھا کرتے، ان میں پھونکتے اور ان میں یہ سورتیں پڑھتے: «قل هو الله احد»، «قل اعوذ برب الفلق»، «قل اعوذ برب الناس» پھر حسب استطاعت ان ہتھیلیوں کو جسم پر پھیر لیتے۔ اپنے سر، چہرے اور جسم کے اگلے حصے سے ان کو پھیرنا شروع کرتے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم ایسا تین بار کرتے۔

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