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अज़ान के बारे में
1. “ नमाज़ की शुरुआत कैसे हुई ”
2. “ अज़ान के शब्दों को दो बार कहना सुन्नत है ”
3. “ अज़ान की फ़ज़ीलत ”
4. “ ऊँची आवाज़ से अज़ान देना सुन्नत है ”
5. “ जब अज़ान सुनो तो लड़ना झगड़ना बंद करदो ”
6. “ अज़ान सुनने के बाद क्या कहा जाना चाहिए ? ”
7. “ अज़ान सुनने के बाद की दुआ ”
8. “ अज़ान के लिए क़ुरआ डालना ”
9. “ अन्धे की अज़ान, जबकि उसके पास एक कोई समय बताने वाला न हो ”
10. “ फ़ज्र फटने के बाद अज़ान देनी चाहिए ”
11. “ फ़ज्र की अज़ान सुब्ह से पहले देना ”
12. “ अज़ान और इक़ामत के बीच के समय में नफ़िल नमाज़ पढ़ी जा सकती है ”
13. “ यात्रा में भी एक ही मुअज़्ज़न को अज़ान देना चाहिए ”
14. “ यदि अधिक यात्री हैं तो नमाज़ के लिए अज़ान दें और इक़ामत भी कहें ”
15. “ जितनी नमाज़ निकल जाए उसको पूरा करना ”
16. “ जब इमाम को देखलें तो लोग इक़ामत के लिए खड़े होजाएं ”
17. “ यदि इक़ामत के बाद इमाम को कोई ज़रूरत पड़जाए ”
18. “ जमाअत के साथ नमाज़ पढ़ना वाजिब ”
19. “ जमाअत के साथ नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत ”
20. “ फ़ज्र की नमाज़ जमाअत के साथ पढ़ने की फ़ज़ीलत ”
21. “ समय के शरू में ज़ोहर की नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत ”
22. “ मस्जिद को जाते समय हर क़दम पर सवाब मिलता है ”
23. “ ईशा की नमाज़ जमाअत के साथ पढ़ने की फ़ज़ीलत ”
24. “ मस्जिद में बैठकर नमाज़ का इंतज़ार करने और मस्जिदों की फ़ज़ीलत ”
25. “ सुबह और शाम दोनों समय मस्जिद जाने की फ़ज़ीलत ”
26. “ इक़ामत के बाद फ़र्ज़ नमाज़ के सिवा कोई और नमाज़ नहीं पढ़ी जानी चाहिए ”
27. “ रोगी को कब तक जमाअत के साथ नमाज़ पढ़ना चाहिए ? ”
28. “ जितने भी लोग मौजूद हों तो क्या इमाम उनके साथ नमाज़ पढ़ले और क्या जुमा के दिन बारिश में ख़ुत्बा दे ”
29. “ जब खाना समने रखा हो और नमाज़ के लिए इक़ामत कहदी जाए ”
30. “ जब कोई व्यक्ति घर का काम कर रहा हो और नमाज़ का समय हो जाए तो बाहर आजाए नमाज़ के लिए ”
31. “ लोगों को नमाज़ सिखाने के लिए दिखा कर नमाज़ पढ़ना सुन्नत है ”
32. “ ज्ञानी और अच्छा व्यक्ति इमाम बनना चाहिए ”
33. “ यदि कोई इमाम बनकर नमाज़ पढ़ाने लगे और पहला इमाम आजाए ”
34. “ इमाम की पैरवी करना ज़रूरी है ”
35. “ इमाम के पीछे नमाज़ी कब सज्दा करे ? ”
36. “ इमाम से पहले सिर को उठाना पाप है ”
37. “ ग़ुलाम, मुक्ति पाने वाले और नाबालिग़ की इमामत के बारे में ”
38. “ जब इमाम नमाज़ को पूरा न करे और नमाज़ी पुरे तोर पर करें ”
39. “ यदि नमाज़ में दो व्यक्ति हों तो नमाज़ी इमाम के दाएं ओर बराबर में खड़ा हो ”
40. “ इमाम नमाज़ को लम्बा करे तो नमाज़ छोड़ कर दूसरी जगह नमाज़ पढ़ना ”
41. “ इमाम को क़याम छोटा ओर रुकू ओर सज्दा पूरा करना चाहिए ”
42. “ नमाज़ को छोटा करके पूरा पढ़ना ”
43. “ बच्चे के रोने पर नमाज़ को छोटा करना ”
44. “ इक़ामत कहते समय या बाद में भी सफ़ों को बराबर करना ”
45. “ सफें बराबर करते समय इमाम का लोगों की ओर ध्यान करना ”
46. “ इमाम और नमाज़ियों के बीच यदि कोई दीवार या सुतरह हो ”
47. “ तहज्जुद की नमाज़ के बारे में ”

مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر
مختصر صحيح بخاري
اذان کا بیان
अज़ान के बारे में
کیا امام، جس قدر لوگ موجود ہوں ان کے ساتھ نماز پڑھ لے اور کیا جمعہ کے دن بارش میں خطبہ پڑھے؟
“ जितने भी लोग मौजूद हों तो क्या इमाम उनके साथ नमाज़ पढ़ले और क्या जुमा के दिन बारिश में ख़ुत्बा दे ”
حدیث نمبر: 401
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب
سیدنا ابن عباس رضی اللہ عنہما نے ایک دفعہ بارش والے دن میں جمعہ کا خطبہ پڑھا اور مؤذن کو جب وہ حیّ علی الصّلاۃ پر پہنچا، یہ حکم دیا کہ کہہ دے الصّلاۃ فی الرّحال (اپنی اپنی جگہ پر نماز ادا کر لو) تو لوگ ایک دوسرے کی طرف دیکھنے لگے گویا کہ انھوں نے (اس کو) برا سمجھا تو سیدنا ابن عباس رضی اللہ عنہما نے کہا ایسا معلوم ہوتا ہے کہ تم نے اس کو برا سمجھا ہے تو بیشک اس (عمل) کو اس نے کیا ہے جو مجھ سے بہتر تھے یعنی نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے، بیشک جمعہ واجب ہے اور مجھے اچھا معلوم نہ ہوا کہ تمہیں حرج میں ڈالوں (کہ تم مٹی کو گھٹنوں تک روندتے آؤ)۔
حدیث نمبر: 402
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سیدنا انس رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ انصار میں سے ایک شخص نے نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم سے عرض کی کہ میں (معذور ہوں) آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے ہمراہ نماز نہیں پڑھ سکتا اور وہ موٹا آدمی تھا پس اس نے نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے لیے کھانا تیار کیا اور آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو اپنے مکان میں بلایا اور آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے لیے چٹائی بچھا دی اور چٹائی کے ایک کنارے کو دھو دیا تو اس پر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے دو رکعت نماز پڑھی۔ اتنے میں آل جارود میں سے ایک شخص نے سیدنا انس رضی اللہ عنہ سے پوچھا کہ کیا نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نماز چاشت پڑھا کرتے تھے؟ تو سیدنا انس رضی اللہ عنہ نے کہا کہ میں نے سوائے اس دن کے کبھی آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو پڑھتے نہیں دیکھا۔

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