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नमाज़ को छोटा ( क़स्र ) करने के बारे में
1. “ नमाज़ को ( क़स्र ) छोटा करने के बारे में क्या कहा गया है और वह इसे कब तक ( क़स्र ) छोटा कर सकता है ? ”
2. “ मिना में नमाज़ को ( क़स्र ) छोटा करें या पूरी पढ़ें ”
3. “ यात्रा में कब तक नमाज़ को क़स्र यानि छोटा करना चाहिए ”
4. “ मग़रिब की नमाज़ यात्रा में भी तीन रकअत पढ़ा करें ”
5. “ सवारी पर नफ़िल नमाज़ पढ़ना ( जैसे तहज्जुद ) सवारी का मुंह किसी भी दिशा में हो ”
6. “ गधे पर सवार रेहत हुए नफ़िल नमाज़ पढ़ना ”
7. “ यात्रा में फ़र्ज़ नमाज़ के बाद सुन्नत न पढ़ना ”
8. “ यात्रा में फ़र्ज़ नमाज़ से पहले या बाद में सुन्नत न पढ़ना ( कोई अन्य नफ़िल नमाज़, तहज्जुद या इशराक़ ) पढ़ना सुन्नत के ख़िलाफ़ नहीं ”
9. “ यात्रा में मग़रिब और ईशा की नमाज़ एक साथ पढ़ना ”
10. “ यदि बैठकर माज़ पढ़ने की शक्ति न हो तो करवट लेकर नमाज़ पढ़े ”
11. “ जब रोगी बैठकर नमाज़ पढ़ने लगे, यदि बीच में बीमारी दूर होजाए, तो बाक़ी की नमाज़ को खड़े होकर ही पूरी करना चाहिए ”

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مختصر صحيح بخاري
نماز کا قصر کا بیان
नमाज़ को छोटा ( क़स्र ) करने के बारे में
سفر میں مغرب اور عشاء کی نماز ایک ساتھ پڑھنا۔
“ यात्रा में मग़रिब और ईशा की नमाज़ एक साथ पढ़ना ”
حدیث نمبر: 586
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب
سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما کہتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم جب سفر میں چلتے ہوتے تو ظہر اور عصر جمع کر لیتے اور مغرب اور عشاء کو بھی جمع کر کے ادا فرماتے تھے۔

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