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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
خرید و فروخت، کمائی اور زہد کا بیان
ख़रीदना, बेचना, कमाई और परहेज़गारी
783. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کی میراث کی تقسیم
“ रसूल अल्लाह ﷺ के विरसे का बंटवारा ”
حدیث نمبر: 1148
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" كل مال النبي صلى الله عليه وسلم صدقة إلا ما اطعمه اهله وكساهم، إنا لا نورث".-" كل مال النبي صلى الله عليه وسلم صدقة إلا ما أطعمه أهله وكساهم، إنا لا نورث".
ابوبختری کہتے ہیں: میں نے ایک آدمی سے حدیث سنی، وہ مجھے پسند آئی۔ میں نے اسے کہا: یہ مجھے لکھ دو۔ اتنے میں ان کے پاس مکتوب لایا گیا، اس میں لکھا ہوا تھا: سیدنا عباس اور سیدنا علی رضی اللہ عنہما (آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی میراث کا) مطالبہ کرنے کے لیے سیدنا عمر رضی اللہ عنہ کے پاس گئے، ان کے پاس سیدنا طلحہ، سیدنا عبدالرحمٰن اور سیدنا سعد رضی اللہ عنہ موجود تھے۔ سیدنا عمر رضی اللہ عنہ نے ان (چار صحابہ) سے کہا: کیا تم لوگ جانتے ہو کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: نبی کا سارا مال صدقہ (یعنی وقف) ہوتا ہے، ہاں وہ اپنے اہل خانہ کو کھلا اور پہنا سکتا ہے، (یعنی ان کا خرچ مستثنی کیا جا سکتا ہے)، ہم (انبیاء) کے وارث نہیں بنائے جاتے۔ انہوں نے کہا: کیوں نہیں (ہم نے سنی ہے)۔ پھر سیدنا عمر رضی اللہ عنہ نے کہا: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم اپنا مال اپنے اہل خانہ پر خرچ کرتے اور زائد مال کا صدقہ دیتے تھے، پھر جب آپ صلی اللہ علیہ وسلم فوت ہوئے تو دو سالوں تک ابوبکر رضی اللہ عنہ اس چیز کے نگران بنے رہے، انہوں نے وہی کچھ کیا جو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کرتے تھے۔ پھر مالک بن اوس کی حدیث کا کچھ حصہ ذکر کیا۔
अबू बख़्तरी कहते हैं कि मैं ने एक आदमी से हदीस सुनी, वह मुझे पसंद आई। मैं ने उस से कहा यह मुझे लिख दो, इतने में उन के पास लिखा हुआ लाया गया, उस में लिखा हुआ था कि हज़रत अब्बास और हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्हुमा (आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विरासत की) मांग करने के लिए हज़रत उमर रज़ि अल्लाहु अन्ह के पास गए, उन के पास हज़रत तल्हा, हज़रत अब्दुर्रहमान और हज़रत सअद रज़ि अल्लाहु अन्ह मौजूद थे। हज़रत उमर रज़ि अल्लाहु अन्ह ने इन (चार सहाबा) से कहा ! क्या तुम लोग जानते हो कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “नबी का सारा माल सदक़ह होता है, हाँ वह अपने परिवार को खिला और पहना सकता है (यानी उन का ख़र्च अलग किया जा सकता है), हम (नबियों) के वारिस नहीं बनाए जाते।” उन्हों ने कहा ! क्यों नहीं (हम ने सुनी है)। फिर हज़रत उमर रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा ! रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपना माल अपने परिवार पर ख़र्च करते और अधिक माल का सदक़ह देते थे, फिर जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मौत पाचुके तो दो वर्षों तक अबु बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह इस चीज़ के निगरान बने रहे, उन्हों ने वही कुछ किया जो रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम करते थे। फिर मालिक बिन ओस की हदीस का कुछ भाग बयान किया।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2038

قال الشيخ الألباني:
- " كل مال النبي صلى الله عليه وسلم صدقة إلا ما أطعمه أهله وكساهم، إنا لا نورث ".
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‏‏‏‏أخرجه أبو داود (2975) والترمذي في " الشمائل " (رقم - 383) من طريق أبي
‏‏‏‏البختري قال: " سمعت حديثا من رجل فأعجبني، فقلت: اكتبه لي، فأتى به مكتوبا
‏‏‏‏مذبرا: دخل العباس وعلي على عمر، وعنده طلحة والزبير وعبد الرحمن وسعد،
‏‏‏‏وهما يختصمان، فقال عمر لطلحة والزبير وعبد الرحمن وسعد: ألم تعلموا
‏‏‏‏أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: (فذكره) قالوا: بلى، قال: فكان
‏‏‏‏رسول الله صلى الله عليه وسلم ينفق من ماله على أهله، ويتصدق بفضله، ثم توفي
‏‏‏‏رسول الله صلى الله عليه وسلم فوليها أبو بكر سنتين، فكان يصنع الذي كان يصنع
‏‏‏‏رسول الله صلى الله عليه وسلم . ثم ذكر شيئا من حديث مالك بن أوس ".
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد رجاله كلهم ثقات رجال البخاري غير الرجل الذي لم يسم
‏‏‏‏والظاهر أنه صحابي أو تابعي كبير، فمثله حديثه مقبول، ولاسيما إذا كان في
‏‏‏‏الشواهد، ومن شواهده حديث عائشة مرفوعا: " لا نورث، ما تركنا فهو صدقة،
‏‏‏‏وإنما هذا المال لآل محمد، لنائبتهم ولضيفهم، فإذا مت فهو إلى ولي الأمر من
‏‏‏‏بعدي ". أخرجه أبو داود (2977) بإسناد حسن عنها. وأصله في " الصحيحين "
‏‏‏‏وغيرهما دون الشطر الثاني منه.
‏‏‏‏__________جزء : 5 /صفحہ : 66__________
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‏‏‏‏وأخرجاه عن أبي بكر الصديق مرفوعا بلفظ:
‏‏‏‏" لا نورث ما تركنا صدقة، وإنما يأكل آل محمد في هذا المال ". وهو رواية
‏‏‏‏لأبي داود (2969) ، وزاد: " يعني مال الله، ليس لهم أن يزيدوا على المأكل
‏‏‏‏".
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