الحمدللہ ! قرآن پاک روٹ ورڈ سرچ اور مترادف الفاظ کی سہولت پیش کر دی گئی ہے۔

 
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
حدود، معاملات، احکام
सीमाएं, मामले, नियम
820. مقتول کے لواحقین کو دو اختیار حاصل ہیں
“ जिसे क़त्ल किया गया उसके परिवार के पास दो विकल्प हैं ”
حدیث نمبر: 1192
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
- (إن مكة حرمها الله ولم يحرمها الناس، فلا يحل لامرئ يؤمن بالله واليوم الآخر ان يسفك بها دما، ولا يعضد بها شجرة؛ فإن احد ترخص لقتال رسول الله - صلى الله عليه وسلم - فيها؛ فقولوا: إن الله قد اذن لرسوله ولم ياذن لكم، وإنما اذن لي فيها ساعة من نهار، ثم عادت حرمتها اليوم كحرمتها بالامس، وليبلغ الشاهد الغائب).- (إنّ مكة حرّمها الله ولم يحرّمها الناس، فلا يحلّ لامرئ يؤمن بالله واليوم الآخر أن يسفك بها دماً، ولا يعضد بها شجرة؛ فإن أحدٌ ترخّص لقتال رسول الله - صلى الله عليه وسلم - فيها؛ فقولوا: إنّ الله قد أذن لرسوله ولم يأذن لكم، وإنما أذن لي فيها ساعةً من نهار، ثم عادت حرمتها اليوم كحرمتها بالأمس، وليبلغ الشاهدُ الغائب).
سیدنا ابوشریح رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فتح مکہ کے دوسرے دن ایک بات ارشاد فرمائی، میرے کانوں نے اسے سنا، میرے دل نے اسے یاد رکھا اور میری آنکھوں نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو یہ بات ارشاد فرماتے ہوئے دیکھا، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اللہ تعالیٰ کی حمد و ثنا بیان کی اور پھر فرمایا: بیشک مکہ کو لوگوں نے نہیں، بلکہ اللہ تعالیٰ نے حرمت والا قرار دیا، اب کسی ایسے شخص کے لیے حلال نہیں، جو اللہ تعالیٰ اور یوم آخرت پر ایمان رکھتا ہو، کہ وہ یہاں خون بہائے یا درخت کاٹے۔ اگر کوئی رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے قتال (‏‏‏‏کو دلیل بنا کر اپنے لیے) رخصت نکالنا چاہے تو اسے کہہ دینا کہ اللہ تعالیٰ نے اپنے رسول کو مکہ میں (‏‏‏‏قتال کی) اجازت دی اور تمہیں نہیں دی اور مجھے بھی دن کے کچھ وقت کے لیے (‏‏‏‏لڑائی کرنے کی) اجازت ملی ہے، اس کے بعد اس کی حرمت اسی طرح ہو گئی جس طرح کل تھی۔ موجودہ لوگ (‏‏‏‏یہ احکام) غائب لوگوں تک پہنچا دیں۔
हज़रत अबु शुरैह रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मक्का की विजय के दूसरे दिन एक बात कही, मेरे कानों ने उसे सुना, मेरे दिल ने उसे याद रखा और मेरी आंखों ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह बात कहते हुए देखा, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अल्लाह तआला की ताअरीफ़ और बढ़ाई बयान की और फिर फ़रमाया ! ’’ बेशक मक्का को लोगों ने नहीं बल्कि अल्लाह तआला ने हुर्मत वाला ठहराया है, अब किसी ऐसे व्यक्ति के लिए हलाल नहीं जो अल्लाह तआला और आख़िरत के दिन पर ईमान रखता हो कि वह यहाँ ख़ून बहाए या पेड़ काटे। अगर कोई रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जंग (को दलील बना कर अपने लिए) छूट निकालना चाहे तो उसे कह देना कि अल्लाह तआला ने अपने रसूल को मक्का में (क़त्ल की) अनुमति दी और तुम्हें नहीं दी और मुझे भी दिन के कुछ समय के लिए अनुमति मिली है। इस के बाद इस की हुर्मत इसी तरह हो गई जिस तरह कल थी। यहां मौजूद लोग (यह बात) उन लोगों तक पहुंचा दें जो यहां मौजूद नहीं हैं।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 3543

قال الشيخ الألباني:
- (إنّ مكة حرّمها الله ولم يحرّمها الناس، فلا يحلّ لامرئ يؤمن بالله واليوم الآخر أن يسفك بها دماً، ولا يعضد بها شجرة؛ فإن أحدٌ ترخّص لقتال رسول الله - صلى الله عليه وسلم - فيها؛ فقولوا: إنّ الله قد أذن لرسوله ولم يأذن لكم، وإنما أذن لي فيها ساعةً من نهار، ثم عادت حرمتها اليوم كحرمتها بالأمس، وليبلغ الشاهدُ الغائب) .
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‏‏‏‏أخرجه البخاري (104 و 1832 و4295) ، ومسلم (4/110) ، والترمذي (809) ، والنسائي (2/ 32) ، والبيهقي (7/60 و9/212) ، وأحمد (4/ 31 و 6/ 385) . وقال الترمذي:
‏‏‏‏"حديث حسن صحيح ". *
‏‏‏‏__________جزء : 7 /صفحہ : 1496__________ ¤


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