الحمدللہ! انگلش میں کتب الستہ سرچ کی سہولت کے ساتھ پیش کر دی گئی ہے۔

 
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
خلافت، بیعت، اطاعت اور امارت کا بیان
ख़िलाफ़त, बैअत, आज्ञाकारी और शासन
956. قریش امارت کے زیادہ مستحق ہیں، بشرطیکہ . . .
“ क़ुरैश सरकार बनाने ( शासन ) के अधिक हक़दार हैं शर्त यह है कि... ”
حدیث نمبر: 1367
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" اما بعد يا معشر قريش! فإنكم اهل هذا الامر ما لم تعصوا الله، فإذا عصيتموه بعث إليكم من يلحاكم كما يلحى هذا القضيب - لقضيب في يده".-" أما بعد يا معشر قريش! فإنكم أهل هذا الأمر ما لم تعصوا الله، فإذا عصيتموه بعث إليكم من يلحاكم كما يلحى هذا القضيب - لقضيب في يده".
سیدنا عبداللہ بن مسعود رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ ہم تقریبا قریش کے اسی (۸۰) آدمی رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس بیٹھے تھے، تمام کے تمام قریشی تھے۔ اللہ کی قسم! اس دن یہ لوگ بہت خوبصورت نظر آ رہے تھے، انہوں نے عورتوں کا ذکر کیا، ان کے بارے میں باتیں کیں، آپ صلی اللہ علیہ وسلم بھی ان کے ساتھ گفتگو کرتے رہے (اور اتنا زیادہ کلام کیا کہ) میں نے چاہا کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم خاموش ہو جائیں۔ پھر میں آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آیا، آپ نے خطبہ شہادت پڑھا اور فرمایا: حمد و صلوٰۃ کے بعد (میں یہ کہوں گا کہ) قریشیو! تم لوگ اس (امارت) کے مستحق ہو، جب تک اللہ تعالیٰ کی نافرمانی نہیں کرو گے، اگر تم نے نافرمانی کی تو اللہ تعالیٰ ایسے لوگوں کو بھیجے گا جو تمہاری چمڑی ادھیڑ دیں گے، جس طرح اس شاخ (جو آپ کے ہاتھ میں تھی) کا چھلکا اتار لیا جاتا ہے۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اپنی شاخ کا چھلکا اتارا، (جس کی وجہ سے) وہ اچانک سفید اور سخت نظر آنے لگی۔
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि हम लगभग क़ुरैश के अस्सी (80) आदमी रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास बैठे थे, सब के सब क़ुरैशी थे। अल्लाह की क़सम उस दिन यह लोग बहुत सुंदर नज़र आरहे थे, उन्हों ने औरतों के बारे में बातें कीं, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम भी उन के साथ बातचीत करते रहे (और इतनी अधिक बातें कीं) कि मैं ने चाहा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम चुप होजाएं। फिर मैं आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आया, आप ने ख़ुत्बा शहादत पढ़ा और फ़रमाया ! “ताअरीफ़ और स्लात के बाद (मैं यह कहूंगा) कि क़ुरैशियों तुम लोग इस (शासन) के हक़दार हो जब तक अल्लाह तआला की आज्ञाकारी करोगे यदि तुम ने आज्ञाकारी न की तो अल्लाह तआला ऐसे लोगों को भेजेगा जो तुम्हारी चमड़ी उधेड़ देंगे जिस तरह इस डाल (जो आप के हाथ में थी) का छिलका उतार लिया जाता है।” फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी डाल का छिलका उतारा (जिस के कारण) वह अचानक सफ़ेद और सख़्त नज़र आने लगी।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1552

قال الشيخ الألباني:
- " أما بعد يا معشر قريش! فإنكم أهل هذا الأمر ما لم تعصوا الله، فإذا عصيتموه بعث إليكم من يلحاكم كما يلحى هذا القضيب - لقضيب في يده ".
‏‏‏‏_____________________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه أحمد (1 / 458) : حدثنا يعقوب حدثنا أبي عن صالح قال ابن شهاب: حدثني
‏‏‏‏عبيد الله بن عبد الله بن عتيبة أن عبد الله بن مسعود قال: " بينا نحن عند
‏‏‏‏رسول الله صلى الله عليه وسلم في قريب من ثمانين رجلا من قريش، ليس فيهم إلا
‏‏‏‏قرشي، لا والله ما رأيت صفيحة وجوه رجال قط أحسن من وجوههم يومئذ، فذكروا
‏‏‏‏النساء، فتحدثوا فيهن، فتحدث معهم، حتى أحببت أن يسكت، قال: ثم أتيته
‏‏‏‏فتشهد، ثم قال: (فذكره) ، ثم لحى قضيبه، فإذا هو أبيض يصلد ".
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد صحيح على شرط الشيخين. وقال الهيثمي في " مجمع الزوائد "
‏‏‏‏(5 / 192) : " رواه أحمد وأبو يعلى والطبراني في " الأوسط " ورجال أحمد
‏‏‏‏رجال الصحيح، ورجال أبي يعلى ثقات ". ورواه القاسم بن الحارث عن عبيد الله
‏‏‏‏فقال: عن أبي مسعود الأنصاري.
‏‏‏‏__________جزء : 4 /صفحہ : 69__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه أحمد (4 / 118 و 5 / 274 و 274 - 275)
‏‏‏‏وابن أبي عاصم في " السنة " (1118 و 1119 - بتحقيقي) . والقاسم هذا مجهول
‏‏‏‏كما بينته في " تخريج السنة " فقوله: " أبي مسعود " مكان " ابن مسعود "، وهم
‏‏‏‏منهم لا يلتفت إليه.
‏‏‏‏(يلحى) : أي يقشر. وهذا الحديث علم من أعلام نبوته صلى الله عليه وسلم ،
‏‏‏‏فقد استمرت الخلافة في قريش عدة قرون، ثم دالت دولتهم، بعصيانهم لربهم،
‏‏‏‏واتباعهم لأهوائهم، فسلط الله عليهم من الأعاجم من أخذ الحكم من أيديهم وذل
‏‏‏‏المسلمون من بعدهم، إلا ما شاء الله. ولذلك فعلى المسلمين إذا كانوا صادقين
‏‏‏‏في سعيهم لإعادة الدولة الإسلامية أن يتوبوا إلى ربهم، ويرجعوا إلى دينهم،
‏‏‏‏ويتبعوا أحكام شريعتهم، ومن ذلك أن الخلافة في قريش بالشروط المعروفة في كتب
‏‏‏‏الحديث والفقه، ولا يحكموا آراءهم وأهواءهم، وما وجدوا عليه أباءهم
‏‏‏‏وأجدادهم، وإلا فسيظلون محكومين من غيرهم، وصدق الله إذ قال: * (إن الله لا
‏‏‏‏يغير ما بقوم حتى يغيروا ما بأنفسهم) *. والعاقبة للمتقين. ¤


http://islamicurdubooks.com/ 2005-2023 islamicurdubooks@gmail.com No Copyright Notice.
Please feel free to download and use them as you would like.
Acknowledgement / a link to www.islamicurdubooks.com will be appreciated.