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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
اخلاق، نیکی کرنا، صلہ رحمی
अख़लाक़, नेकी करना और रहमदिली
1591. غیبت کی مثالیں
“ ग़ीबत की मिसालें ”
حدیث نمبر: 2363
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" والذي نفسي بيده إني لارى لحمه بين انيابكما. يعني لحم الذي استغاباه".-" والذي نفسي بيده إني لأرى لحمه بين أنيابكما. يعني لحم الذي استغاباه".
سیدنا انس بن مالک رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ عرب کے لوگ سفر میں ایک دوسرے کی خدمت کیا کرتے تھے۔ سیدنا ابوبکر و عمر رضی اللہ عنہما کے ساتھ ایک آدمی تھا جو ان دونوں کی خدمت کیا کرتا تھا۔ (‏‏‏‏ایک دن) وہ دونوں سو کر بیدار ہوئے تو خادم نے ان کے کھانا تیار نہیں کیا تھا۔ ا‏‏‏‏ن میں سے ایک نے اپنے ساتھی سے کہا: یہ خادم تمہارے نبی کی نیند کی موافقت کرتا ہے۔ اور ایک روایت میں ہے: تمہارے گھر کی نیند کی موافقت کرتا ہے۔ دونوں نے ا‏‏‏‏سے جگایا اور کہا: تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس جا اور آپ کو کہہ کہ ابوبکر اور عمر آپ کو سلام کہتے ہیں اور وہ آپ سے سالن طلب کر رہے ہیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میری طرف سے ا‏‏‏‏ن دونوں کو سلام کہنا اور ان کو بتلانا کہ تم دونوں نے سالن کھا لیا ہے۔ پس ابوبکر و عمر یہ سن کر گھبرا گئے اور نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس پہنچے اور کہا: اے اللہ کے رسول! ہم نے (‏‏‏‏فلاں آدمی کو) آپ کی طرف سالن لینے کے لیے بھیجا تھا اور آپ نے فرمایا کہ تم دونوں سالن کھا چکے ہو، (‏‏‏‏بھلا) ہم نے کس چیز کا سالن کھا لیا ہے؟ آپ نے فرمایا: اپنے بھائی کے گوشت کا، قسم ہے مجھے اس ذات کی کہ جس کے ہاتھ میں میری جان ہے۔ میں اس کا گوشت تمہاری کچلیوں کے درمیان دیکھ رہا ہوں۔ سیدنا ابوبکر و عمر رضی اللہ عنہما نے کہا: ہمارے لیے، بخشش طلب فرمائیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ‏‏‏‏اس خادم کو ہی تمہارے لیے بخشش طلب کرنا چاہیئے۔
हज़रत अनस बिन मालिक रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि अरब के लोग यात्रा में एक दूसरे की सेवा किया करते थे। हज़रत अबु बक्र और उमर रज़ि अल्लाहु अन्हुमा के साथ एक आदमी था जो उन दोनों की सेवा किया करता था। (एक दिन) वह दोनों सौकर उठे तो सेवक ने उन के लिये खाना तैयार नहीं किया था। उन में से एक ने अपने साथी से कहा कि यह सेवक तुम्हारे नबी की नींद के अनुसार करता है। और एक रिवायत में है कि तुम्हारे घर की नींद के अनुसार करता है। दोनों ने उसे जगाया और कहा कि तू रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास जा और आप से कह कि अबु बक्र और उमर आप को सलाम कहते हैं और वे आप से सालन मांग रहे हैं। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “मेरी ओर से उन दोनों को सलाम कहना और उन को बताना कि तुम दोनों ने सालन खा लिया है। बस हज़रत अबु बक्र और उमर रज़ि अल्लाहु अन्हुमा यह सुन कर घबरा गए और नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास पहुंचे और कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल हम ने (फ़लां आदमी को) आप के पास सालन लेने के लिये भेजा था और आप ने कहा कि तुम दोनों सालन खा चुके हो (भला) हम ने किस चीज़ का सालन खा लिया है ? आप ने फ़रमाया ! “अपने भाई के मांस का, क़सम है मुझे उस ज़ात की जिस के हाथ में मेरी जान है। मैं उस का मांस तुम्हारी कुचलियों (दांतों) के बीच देख रहा हूँ। “हज़रत अबु बक्र और उमर रज़ि अल्लाहु अन्हुमा ने कहा, हमारे लिये क्षमा की मांग करें। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “उस सेवक को ही तुम्हारे लिये क्षमा की मांग करना चाहिए।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2608

قال الشيخ الألباني:
- " والذي نفسي بيده إني لأرى لحمه بين أنيابكما. يعني لحم الذي استغاباه ".
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‏‏‏‏أخرجه الخرائطي في " مساوئ الأخلاق " (186) والضياء المقدسي في " المختارة
‏‏‏‏" (2 / 33 / 2) من طرق عن أبي بدر عباد بن الوليد الغبري: حدثنا حبان ابن
‏‏‏‏هلال حدثنا حماد بن سلمة عن ثابت البناني عن أنس بن مالك قال: " كانت
‏‏‏‏العرب تخدم بعضها بعضا في الأسفار، وكان مع أبي بكر وعمر رجل يخدمهما،
‏‏‏‏فناما، فاستيقظا، ولم يهيئ لهما طعاما، فقال أحدهما لصاحبه: إن هذا ليوائم
‏‏‏‏نوم نبيكم صلى الله عليه وسلم (وفي رواية: ليوائم نوم بيتكم) فأيقظاه فقالا
‏‏‏‏: ائت رسول الله صلى الله عليه وسلم فقل له: إن أبا بكر وعمر يقرئانك السلام
‏‏‏‏، وهما يستأدمانك. فقال: أقرهما السلام، وأخبرهما أنهما قد ائتدما! ففزعا
‏‏‏‏، فجاءا إلى النبي صلى الله عليه وسلم فقالا: يا رسول الله! بعثنا إليك
‏‏‏‏نستأدمك، فقلت: قد ائتدما. فبأي شيء ائتدمنا؟ قال: بلحم أخيكما، والذي
‏‏‏‏نفسي (فذكره) قالا: فاستغفر لنا، قال: هو فليستغفر لكما ". قلت: وهذا
‏‏‏‏إسناد صحيح، رجاله كلهم ثقات رجال مسلم غير أبي بدر الغبري، قال أبو حاتم
‏‏‏‏وتبعه الحافظ: " صدوق ". وذكره ابن حبان في " الثقات ". وروى عنه جمع من
‏‏‏‏الحفاظ الثقات، وقد توبع، فقال الضياء عقبه: " وقد رواه عفان بن مسلم عن
‏‏‏‏حماد بن سلمة عن ثابت عن عبد الرحمن بن
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 211__________
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‏‏‏‏أبي يعلى: أن العرب كانت تخدم بعضهم
‏‏‏‏بعضا في الأسفار. فذكره. قيل: (الموائمة) : الموافقة، ومعناه أن هذا
‏‏‏‏النوم يشبه نوم البيت لا نوم السفر، عابوه بكثرة النوم ". وله شاهد مرسل في
‏‏‏‏" التوبيخ " (243) عن السدي، وهو إسماعيل بن عبد الرحمن. والسند إليه
‏‏‏‏ضعيف.
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