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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
اخلاق، نیکی کرنا، صلہ رحمی
अख़लाक़, नेकी करना और रहमदिली
1593. صلہ رحمی
“ रहमदिली यानि सहानुभूति ”
حدیث نمبر: 2368
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" اعرفوا انسابكم، تصلوا ارحامكم، فإنه لا قرب بالرحم إذا قطعت، وإن كانت قريبة، ولا بعد بها إذا وصلت، وإن كانت بعيدة".-" اعرفوا أنسابكم، تصلوا أرحامكم، فإنه لا قرب بالرحم إذا قطعت، وإن كانت قريبة، ولا بعد بها إذا وصلت، وإن كانت بعيدة".
اسحاق بن سعید سے روایت ہے، وہ کہتے ہیں: مجھ کو میرے باپ نے بیان کیا کہ وہ سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما کے پاس تها، ان کے پاس ایک آدمی آیا، انہوں نے اس سے پوچھا تو کون ہے؟ اس نے دور کی رشتے داری کا تعلق بیان کیا۔ ابن عباس رضی اللہ عنہما نے اس سے نرمی سے بات کی اور کہا کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: تم اپنے نسب کی معرفت حاصل کرو، تاکہ صلہ رحمی کر سکو۔ کیونکہ رشتوں کے قریبی ہونے کا (‏‏‏‏کوئی مقصد نہیں) جب سرے سے قطع رحمی کر دی جائے اگرچہ وہ رشتے بہت ہی قریبی ہوں۔ اور رشتوں کے بعید ہونے (‏‏‏‏کا کوئی معنی نہیں) جب صلہ رحمی کی جائے، اگرچہ وہ بہت دور کی قرابتیں ہوں۔
इस्हाक़ बिन सईद से रिवायत है, वह कहते हैं कि मुझ को मेरे पिता ने बताया कि वह हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा के पास था, उन के पास एक आदमी आया, उन्हों ने उस से पूछा तू कौन है ? उस ने दूर की रिश्तेदारी बताई। इब्न अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा ने उस से नरमी से बात की और कहा कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “तुम अपने वंश (रिश्तेदारियों) की जानकारी रखा करो ताकि रहमदिली यानि सहानुभूति से काम ले सको। क्योंकि जब बेरहमी से काम लिया जाए तो रिश्ते क़रीब के नहीं रह पाते, चाहे वे रिश्ते बहुत ही क़रीब के हों। और जब रहमदिली यानि सहानुभूति से काम लिया जाए तो रिश्तों में दूरी नहीं रहती है, चाहे वे बहुत दूर के रिश्ते हों।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 277

قال الشيخ الألباني:
- " اعرفوا أنسابكم، تصلوا أرحامكم، فإنه لا قرب بالرحم إذا قطعت، وإن كانت قريبة، ولا بعد بها إذا وصلت، وإن كانت بعيدة ".
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‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه أبو داود الطيالسي في " مسنده " (2757) : حدثنا إسحاق بن سعيد قال:
‏‏‏‏حدثني أبي قال:
‏‏‏‏" كنت عند ابن عباس، فأتاه رجل فسأله: من أنت؟ قال: فمت له برحم بعيدة
‏‏‏‏فألان له القول، فقال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم ... " فذكره.
‏‏‏‏وأخرجه الحاكم (4 / 161) والسمعاني في " الأنساب " (1 / 7) من طريق
‏‏‏‏الطيالسي به.
‏‏‏‏وقال الحاكم: " صحيح على شرط الشيخين ". ووافقه الذهبي.
‏‏‏‏وأقول: إنما هو على شرط مسلم وحده، فإن الطيالسي لم يحتج به البخاري وإنما
‏‏‏‏روى له تعليقا.
‏‏‏‏والحديث أخرجه البخاري في " الأدب المفرد " (رقم 73) : حدثنا أحمد ابن يعقوب
‏‏‏‏قال: أخبرنا إسحاق بن سعيد بن عمرو به موقوفا على ابن عباس دون قصة
‏‏‏‏__________جزء : 1 /صفحہ : 560__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏الرجل
‏‏‏‏وزاد:
‏‏‏‏" وكل رحم آتية يوم القيامة أمام صاحبها، تشهد له بصلة إن كان وصلها، وعليه
‏‏‏‏بقطيعة إن كان قطعها ".
‏‏‏‏وهذا سند على شرط البخاري في " صحيحه "، ولكنه موقوف، بيد أن من رفعه ثقة
‏‏‏‏حجة وهو الإمام الطيالسي، وزيادة الثقة مقبولة. ¤


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