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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
اخلاق، نیکی کرنا، صلہ رحمی
अख़लाक़, नेकी करना और रहमदिली
1624. مصافحہ کی فضیلت
“ हाथ मिलाने की फ़ज़ीलत ”
حدیث نمبر: 2447
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-" إذا لقي المسلم اخاه المسلم، فاخذ بيده فصافحه، تناثرت خطاياهما من بين اصابعهما كما يتناثر ورق الشجر بالشتاء".-" إذا لقي المسلم أخاه المسلم، فأخذ بيده فصافحه، تناثرت خطاياهما من بين أصابعهما كما يتناثر ورق الشجر بالشتاء".
عبدہ بن ابولبابہ، مجاہد سے اور وہ سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما سے روایت کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جب کوئی مسلمان اپنے بھائی کو ملتا ہے اور اس کا ہاتھ پکڑ کر اس سے مصافحہ کرتا ہے تو ا‏‏‏‏ن کی انگلیوں کے بیچ سے اس طرح گناہ گرتے ہیں جس طرح موسم سرما میں درختوں کے پتے جھڑتے ہیں۔ عبدہ کہتے ہیں: میں نے مجاہد سے کہا: یہ عمل تو بہت معمولی ہے (‏‏اور اجر اتنا زیادہ)۔ مجاہد نے کہا: ایسا مت کہو، کیونکہ اللہ تعالیٰ نے اپنی کتاب میں ارشاد فرمایا: اے نبی! اگر تم وہ سارے کا سارا بھی خرچ کر دیتے جو زمین میں ہے تو پھر بھی ان کے دلوں کو نہ جوڑ سکتے۔ لیکن اللہ تعالیٰ نے ان کے درمیان محبت پیدا کر دی۔ عبدہ کہتے ہیں: اس سے میں نے دوسرے (‏‏‏‏اہل علم) پر مجاہد کی فضیلت پہچان لی۔
अब्दह बिन अबू लुबाबह, मुजाहिद से और वह हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा से रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, “जब कोई मुसलमान अपने भाई को मिलता है और इस का हाथ पकड़ कर इस से हाथ मिलाना करता है तो उन की उंगलियों के बीच से इस तरह पाप गिरते हैं जिस तरह मौसम ठंड में पेड़ों के पत्ते झड़ते हैं । अब्दह कहते हैं, में ने मुजाहिद से कहा, यह अमल तो बहुत मामूली है (और अज्र इतना ज़्यादा) । मुजाअब्दह बिन अबू लुबाबह, मुजाहिद से और वह हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा से रिवायत करते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जब कोई मुसलमान अपने भाई को मिलता है और उसका हाथ पकड़ कर उस से हाथ मिलाता है तो उनकी उंगलियों के बीच से इस तरह पाप गिरते हैं जिस तरह ठंड के मौसम में पेड़ों के पत्ते झड़ते हैं। अब्दा कहते हैं कि मैं ने मुजाहिद से कहा, यह कर्म तो बहुत मामूली है (और सवाब इतना अधिक)। मुजाहिद ने कहा कि ऐसा मत कहो, क्योंकि अल्लाह तआला ने अपनी किताब में कहा ! « لَوْ أَنفَقْتَ مَا فِي الْأَرْضِ جَمِيعًا مَّا أَلَّفْتَ بَيْنَ قُلُوبِهِمْ وَلَـٰكِنَّ اللَّـهَ أَلَّفَ بَيْنَهُمْ » “(ऐ नबी) यदि तुम वह सारे का सारा भी ख़र्च कर देते जो ज़मीन में है तो फिर भी उनके दिलों को न जोड़ सकते। लेकिन अल्लाह तआला ने उनके बीच मुहब्बत पैदा करदी। (सूरत अल-अन्फ़ाल: 63)” अब्दह कहते हैं कि इस से मैं ने दूसरे (विद्वानों) पर मुजाहिद की फ़ज़ीलत पहचान ली।हिद ने कहा, ऐसा मत कहो, क्योंकि अल्लाह तआला ने अपनी किताब में इरशाद फ़रमाया, ऐ नबी ! यदि तुम वह सारे का सारा भी ख़र्च कर देते जो ज़मीन में है तो फिर भी इन के दिलों को न जोड़ सकते । लेकिन अल्लाह तआला ने इन के बीच मुहब्बत पैदा करदी । अब्दह कहते हैं, इस से में ने दूसरे (विद्वानों) पर मुजाहिद की फ़ज़ीलत पहचान ली ।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2004

قال الشيخ الألباني:
- " إذا لقي المسلم أخاه المسلم، فأخذ بيده فصافحه، تناثرت خطاياهما من بين أصابعهما كما يتناثر ورق الشجر بالشتاء ".
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‏‏‏‏أخرجه بحشل في " تاريخ واسط " (ص 165) : حدثنا وهب بن بقية قال: أخبرني عبد
‏‏‏‏الله بن سفيان الواسطي عن الأوزاعي عن عبدة بن أبي لبابة عن مجاهد عن ابن
‏‏‏‏عباس مرفوعا، قال عبدة: " فقلت لمجاهد: إن هذا ليسير، فقال مجاهد: لا
‏‏‏‏تقل هذا، فإن الله تعالى قال في كتابه * (لو أنفقت ما في الأرض جميعا ما ألفت
‏‏‏‏بين قلوبهم ولكن الله ألف بينهم) * (¬1) فعرفت فضل علمه على غيره ".
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد رجاله كلهم ثقات رجال مسلم غير عبد الله بن سفيان الواسطي،
‏‏‏‏قال العقيلي:
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‏‏‏‏(¬1) الأنفال: 63. اهـ.
‏‏‏‏__________جزء : 5 /صفحہ : 10__________
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‏‏‏‏" لا يتابع على حديثه ". وساق له حديثا آخر، وأما هذا فله
‏‏‏‏شواهد كثيرة، سبق تخريج بعضها برقم (526) ، وقد ذكره بحشل في ترجمته، ولم
‏‏‏‏يذكر له فيها جرحا ولا تعديلا، ولذلك خرجته، ولاسيما أني لم أر أحدا ذكره
‏‏‏‏من حديث ابن عباس. والله أعلم.


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