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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
اخلاق، نیکی کرنا، صلہ رحمی
अख़लाक़, नेकी करना और रहमदिली
1670. رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم ہر کسی کا مطالبہ پورا کرنے والے تھے
“ नबी ﷺ सभी की मांग पूरी करते थे ”
حدیث نمبر: 2500
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" كان لا يسال شيئا إلا اعطاه، او سكت".-" كان لا يسأل شيئا إلا أعطاه، أو سكت".
سیدنا انس بن مالک رضی اللہ عنہ سے روایت ہے، وہ کہتے ہیں: ہوازن قبیلہ کے لوگ حنین والے دن عورتوں، بچوں، اونٹوں اور بکریوں سمیت آ گئے۔ ا‏‏‏‏ن کو قطاروں میں کھڑا کر دیا تاکہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے مقابلہ میں اپنی کثرت کو ظاہر کریں۔ مسلمانوں اور مشرکوں کے درمیان مڈبھیڑ ہوئی تو مسلمان پیٹھ پھیر کر بھاگ گئے، جیسا کہ اللہ تعالیٰ نے فرمایا ہے۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میں اللہ کا بندہ اور ا‏‏‏‏س کا رسول ہوں۔ مزید فرمایا: انصار کی جماعت! میں اللہ کا بندہ اور ا‏‏‏‏س کا رسول ہوں۔ اللہ تعالیٰ نے مشرکین کو شکست دے دی، نہ کسی کو نیزے کا زخم لگا تھا اور نہ تلوار کی چوٹ، نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے اس دن فرمایا: جس نے کسی کافر کو قتل کیا تو اس (‏‏‏‏مقتول) سے چھینا ہوا مال اسی (‏‏‏‏قاتل) کے لیے ہو گا۔ ابوقتادہ رضی اللہ عنہ نے ا‏‏‏‏س دن بیس آدمی قتل کئے اور ان کا مال و متاع بھی لے لیا۔ سیدنا ابوقتادہ رضی اللہ عنہ نے کہا: اے اللہ کے رسول! میں نے ایک آدمی کے کندھے کے پٹھے پر تلوار ماری اور ا‏‏‏‏س پر زرہ تھی۔ اس کا چھینا ہوا مال میرے پکڑنے سے پہلے کسی اور نے لے لیا، اے اللہ کے رسول! ذرا دیکھئیے، وہ شخص کون ہے؟ ایک آدمی نے کہا: اے اللہ کے رسول! میں نے وہ مال لے لیا تھا۔ آپ قتادہ کو اپنے پاس سے راضی کر دیں اور وہ مال میرے پاس ہی رہنے دیں۔ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم خاموش ہو گئے اور آپ سے جس چیز کا بھی مطالبہ کیا جاتا، آپ دے دیتے تھے، یا پھر خاموش ہو جاتے۔ سیدنا عمر رضی اللہ عنہ نے کہا: نہیں، اللہ کی قسم! (‏‏‏‏ایسے نہیں ہو گا کہ) الله تعالیٰ نے اپنے شیروں میں سے ایک شیر کو مال دیا ہو اور آپ صلی اللہ علیہ وسلم تجھے دے دیں۔ یہ سن کر رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم مسکرا پڑے۔
हज़रत अनस बिन मालिक रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है, वह कहते हैं कि हवाज़िन क़बीला के लोग हुनैन वाले दिन औरतों, बच्चों, ऊँटों और बकरियों सहित आगए। उन को लाइन में खड़ा कर दिया ताकि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अपनी संख्या अधिक दिखा सकें। मुसलमानों और मुशरिकों के बीच मुठभेड़ हुई तो मुसलमान पीठ फेर कर भाग गए, जैसा कि अल्लाह तआला ने फ़रमाया है। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “मैं अल्लाह का बंदा और उस का रसूल हूँ।” और कहा कि “ए अन्सारियों, मैं अल्लाह का बंदा और उस का रसूल हूँ।” अल्लाह तआला ने मुशरिकों को मात देदी, न किसी को भाले का घाव लगा था और न तलवार की चोट, नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस दिन फ़रमाया ! “जिस ने किसी काफ़िर को क़त्ल किया तो उस (मक़्तूल) से छीना हुआ माल उसी (क़ातिल) के लिये होगा।” अबु क़तादा रज़ि अल्लाहु अन्ह ने उस दिन बीस व्यक्ति क़त्ल किये और उन का माल और संपती भी लेली। हज़रत अबु क़तादा रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल मैं ने एक व्यक्ति के कंधे के पट्ठे पर मारा और उस पर कवच थी। उस का छीना हुआ माल मेरे पकड़ने से पहले किसी और ने ले लिया। ऐ अल्लाह के रसूल ज़रा देखिए, वह व्यक्ति कौन है ? एक व्यक्ति ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल, मैं ने वह माल ले लिया था। आप क़तादह को अपनी ओर से ख़ुश करदें और वे माल मेरे पास ही रहने दें, नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम चुप हो गए और आप से जिस चीज़ की भी मांग की जाती, आप दे देते थे, या फिर चुप हो जाते। हज़रत उमर रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा कि नहीं, अल्लाह की क़सम (ऐसे नहीं होगा) अल्लाह तआला ने अपने शेरों में से एक शेर को माल दिया हो और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तुझे देदें। यह सुन कर रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुस्कुरा दिए।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2109

قال الشيخ الألباني:
- " كان لا يسأل شيئا إلا أعطاه، أو سكت ".
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‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه الحاكم (2 / 130) عن الحارث بن أبي أسامة: حدثنا روح بن عبادة حدثنا
‏‏‏‏حماد بن سلمة عن إسحاق بن عبد الله بن أبي طلحة عن أنس بن مالك رضي الله
‏‏‏‏عنه: " أن هوازن جاءت يوم حنين بالنساء والصبيان والإبل والغنم، فصفوهم
‏‏‏‏صفوفا ليكثروا على رسول الله صلى الله عليه وسلم ، فالتقى المسلمون والمشركون
‏‏‏‏، فولى المسلمون مدبرين كما قال الله تعالى، فقال رسول الله صلى الله عليه
‏‏‏‏وسلم: أنا عبد الله رسوله، وقال: يا معشر الأنصار! أنا عبد الله ورسوله،
‏‏‏‏فهزم الله المشركين ولم يطعن برمح ولم يضرب بسيف، فقال النبي صلى الله عليه
‏‏‏‏وسلم يومئذ: من قتل كافرا فله سلبه، فقتل أبو قتادة يومئذ عشرين رجلا، وأخذ
‏‏‏‏أسلابهم، فقال أبو قتادة: يا رسول الله! ضربت رجلا على حبل العاتق، وعليه
‏‏‏‏درع له، فأعجلت عنه أن آخذ سلبه، فانظر من هو يا رسول الله؟ فقال رجل: يا
‏‏‏‏رسول الله! أنا أخذتها، فأرضه منها، فأعطنيها! فسكت النبي صلى الله عليه
‏‏‏‏وسلم، وكان لا (فذكره) فقال عمر: لا والله، لا يفيئ الله على أسد من أسده
‏‏‏‏ويعطيكها! فضحك رسول الله صلى الله عليه وسلم ". وقال:
‏‏‏‏__________جزء : 5 /صفحہ : 143__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏" صحيح على شرط
‏‏‏‏مسلم "، ووافقه الذهبي. قلت: وهو كما قالا. وأخرجه أبو الشيخ في " أخلاق
‏‏‏‏النبي صلى الله عليه وسلم " (ص 52) مختصرا بلفظ الترجمة دون قوله: " أو سكت
‏‏‏‏" من طريق ابن مبارك عن حماد بن سلمة به. وكذلك أخرجه مسلم (7 / 74 - 75)
‏‏‏‏من طريق يزيد بن هارون عن حماد به نحوه. وهو والبيهقي (1 / 243) من طريق
‏‏‏‏موسى بن أنس عن أبيه قال: " ما سئل رسول الله صلى الله عليه وسلم على الإسلام
‏‏‏‏شيئا إلا أعطاه ". ثم أخرجه أبو الشيخ من حديث جابر وعائشة وأبي أسيد نحوه.
‏‏‏‏وأخرجه الطيالسي (2437 - ترتيبه) والدارمي (1 / 34) ومسلم وابن سعد (1
‏‏‏‏/ 368) عن جابر. والدارمي عن سهل بن سعد. وأحمد (3 / 497) عن أبي أسيد.
‏‏‏‏وأخرج ابن سعد بسند جيد عن محمد بن الحنفية قال: " كان رسول الله صلى الله
‏‏‏‏عليه وسلم لا يكاد يقول لشيء: لا، فإذا هو سئل، فأراد أن يفعل قال: نعم،
‏‏‏‏وإذا لم يرد أن يفعل سكت، فكان قد عرف ذلك منه ". قلت: وهذا مرسل صحيح
‏‏‏‏وشاهد قوي لحديث الترجمة. وقد وصله الطبراني في حديث طويل عن علي رضي الله عنه
‏‏‏‏. قال الهيثمي في " مجمع الزوائد " (9 / 13) : " وفيه محمد بن كثير الكوفي،
‏‏‏‏وهو ضعيف ". ورواه الطبراني في " الكبير " (1 / 13 / 2) عن سليمان بن أيوب
‏‏‏‏حدثني أبي
‏‏‏‏__________جزء : 5 /صفحہ : 144__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏عن جدي عن موسى بن طلحة عن أبيه مرفوعا نحوه وفيه قصة، ولفظه: "
‏‏‏‏كان لا يكاد يسأل شيئا إلا فعله ". وهذا إسناد ضعيف، سليمان بن أيوب - وهو
‏‏‏‏ابن سليمان بن موسى بن طلحة التيمي - قال الحافظ: " صدوق يخطىء ". وابنه
‏‏‏‏أيوب بن سليمان، ساق نسبه ابن أبي حاتم (1 / 1 / 248) ، فأدخل بين أبيه
‏‏‏‏سليمان وجده موسى عيسى، فهو عنده أيوب بن سليمان بن عيسى بن موسى بن طلحة.
‏‏‏‏ولم يذكر له راويا غير ابنه سليمان. وأبوه سليمان لم أجده.
‏‏‏‏¤


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