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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
آداب اور اجازت طلب کرنا
अख़लाक़ और अनुमति मांगना
1872. ایک مسلمان کے دوسرے مسلمان پر حقوق
“ एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान पर अधिकार ”
حدیث نمبر: 2789
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-" للمسلم على المسلم اربع خلال: يشمته إذا عطس ويجيبه إذا دعاه ويشهده إذا مات ويعوده إذا مرض".-" للمسلم على المسلم أربع خلال: يشمته إذا عطس ويجيبه إذا دعاه ويشهده إذا مات ويعوده إذا مرض".
سیدنا ابومسعود رضی اللہ عنہ سے مروی ہے کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ایک مسلمان کے دوسرے مسلمان پر چار حقوق ہیں: جب وہ چھینکے اور (‏‏‏‏ «اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ» کہے) تو اسے «يرحمك الله» ‏‏‏‏ اللّٰہ تجھ پر رحم کرے کہا جائے، جب وہ دعوت دے تو اس کی دعوت قبول کی جائے، جب وہ مر جائے تو اس کے جنازہ میں حاضری دی جائے اور جب وہ بیمار پڑ جائے تو اس کی تیمارداری کی جائے۔
हज़रत अबु मसऊद रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “एक मुसलमान के दूसरे मुसलमान पर चार अधिकार हैं, जब वह छींके और (अल-हमदु लिल्लाह « ‏‏‏‏ اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ» कहे) तो उसे “यरहमुकल्लाह” « يَرحَمُكَ الله » “अल्लाह तुझ पर रहम करे” कहा जाए, जब वह दावत दे तो उस की दावत स्वीकार की जाए, जब वह मर जाए तो उस के जनाज़े के साथ जाया जाए और जब वह बीमार पड़ जाए तो उस की देखभाल की जाए।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2154

قال الشيخ الألباني:
- " للمسلم على المسلم أربع خلال: يشمته إذا عطس ويجيبه إذا دعاه ويشهده إذا مات ويعوده إذا مرض ".
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‏‏‏‏أخرجه البخاري في " الأدب المفرد " (923) وابن ماجة (1 / 438) وابن حبان
‏‏‏‏(2064) وبحشل في " تاريخ واسط " (ص 217) والحاكم (1 / 349 و 4 / 264)
‏‏‏‏وأحمد (5 / 273) عن عبد الحميد بن جعفر عن أبيه عن حكيم بن أفلح عن أبي
‏‏‏‏مسعود عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: فذكره، وقال الحاكم: " صحيح على
‏‏‏‏شرط الشيخين "! ووافقه الذهبي! كذا قالا، وهو من أوهامهما لأمور: الأول:
‏‏‏‏أن حكيما هذا لم يخرج له الشيخان في " صحيحيهما " وإنما أخرج له البخاري في "
‏‏‏‏الأدب المفرد " كما رأيت. الثاني: أنه في عداد المجهولين، قال الذهبي في
‏‏‏‏ترجمته من " الميزان ": " تفرد عنه والد عبد الحميد بن جعفر ". قلت: ولذلك
‏‏‏‏لم يوثقه الحافظ وإنما قال: " مقبول ". الثالث: أن عبد الحميد ابن جعفر
‏‏‏‏إنما روى له البخاري تعليقا. وأبوه جعفر - وهو ابن عبد الله بن الحكم
‏‏‏‏الأنصاري - إنما روى له البخاري في " الأدب المفرد " أيضا. قلت: ومن هنا
‏‏‏‏تعلم خطأ المعلق على " تهذيب الكمال " في قوله (7 / 162) : " وإسناده صحيح "
‏‏‏‏. نعم، صح الحديث من حديث أبي هريرة بلفظ: " حق المسلم على المسلم خمس ...
‏‏‏‏وفي رواية: ست ". فذكر هذه الأربع وزاد:
‏‏‏‏__________جزء : 5 /صفحہ : 187__________
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‏‏‏‏" إذا لقيته فسلم عليه وإذا
‏‏‏‏استنصحك فانصح له ". وهو مخرج فيما تقدم برقم (1832) .
‏‏‏‏(تنبيه) : حكيم بن أفلح جاء في ترجمته من " تهذيب التهذيب " أنه ذكره ابن
‏‏‏‏حبان في " الثقات ". ولم أره في النسخة المطبوعة منه ولا جاء ذلك في أصله:
‏‏‏‏" تهذيب المزي "، لكن المعلق الفاضل عليه قد عزاه إليه وذكره الهيثمي في
‏‏‏‏" ترتيب الثقات ". فالله أعلم.
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