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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
آداب اور اجازت طلب کرنا
अख़लाक़ और अनुमति मांगना
1881. عزت والے مقام کا مستحق مالک خود ہوتا ہے
“ सम्मान की जगह का अधिकार मालिक को होता है ”
حدیث نمبر: 2798
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" الرجل احق بصدر دابته وصدر فراشه وان يؤم في رحله".-" الرجل أحق بصدر دابته وصدر فراشه وأن يؤم في رحله".
عبداللہ بن یزید خطمی، جو کوفہ پر گورنر تھے، کہتے ہیں: ہم قیس بن سعد بن عبادہ رضی اللہ عنہ کے پاس ان کے گھر آئے، مؤذن نے نماز کے لیے اذان دی۔ ہم نے قیس کو کہا کہ کھڑے ہوں اور ہمیں نماز پڑھائیں، انہوں نے کہا: میں جن لوگوں کا امیر نہیں ہوں ان کو نماز نہیں پڑھاؤں گا۔ ایک آدمی، جو کم درجہ نہیں تھا اور جسے عبداللہ بن حنظلہ غسیل کہا جاتا تھا، نے کہا: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ایک آدمی دوسروں کی بہ نسبت اس بات کا زیادہ حقدار ہے کہ وہ اپنے جانور پر آگے بیٹھے، اپنی مخصوص نشست گاہ کی دائیں جانب (‏‏‏‏یا اس کے سامنے والے حصے پر) بیٹھے اور اپنی رہائش گاہ پر امامت کروائے۔ ‏‏‏‏ قیس بن سعد رضی اللہ عنہ نے یہ حدیث سن کر اپنے غلام سے کہا: او فلاں! کھڑے ہو اور نماز پڑھاؤ۔
अब्दुल्लाह बिन यज़ीद ख़तमी, जो कूफ़ा पर गर्वनर थे, कहते हैं कि हम क़ैस बिन सअद बिन उबादह रज़ि अल्लाहु अन्ह के पास उन के घर आए, मुअज़्ज़न ने नमाज़ के लिये अज़ान दी। हम ने क़ैस को कहा कि खड़े हों और हमें नमाज़ पढ़ाएं, उन्हों ने कहा कि मैं जिन लोगों का सरदार नहीं हूँ उन को नमाज़ नहीं पढ़ाऊंगा गा। एक आदमी, जो कम दर्जे का नहीं था और जिसे अब्दुल्लाह बिन हन्ज़ालह ग़सील कहा जाता था उस ने कहा कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “एक आदमी दूसरों की तुलना में इस बात का अधिक हक़दार है कि वह अपने जानवर पर आगे बैठे, अपनी विशेष बैठने की जगह के दाएँ ओर (या उस के सामने वाले भाग पर) बैठे और अपने निवास स्थान पर इमामत करवाए। “‏‏‏‏ क़ैस बिन सअद रज़ि अल्लाहु अन्ह ने यह हदीस सुन कर अपने ग़ुलाम से कहा ऐ फ़ुलां, खड़े हो और नमाज़ पढ़ाओ।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1595

قال الشيخ الألباني:
- " الرجل أحق بصدر دابته وصدر فراشه وأن يؤم في رحله ".
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‏‏‏‏أخرجه الدارمي (2 / 285) والبزار (55 - زوائده) والطبراني في " الكبير "
‏‏‏‏و" الأوسط " (رقم - 900) مختصرا من طريق إسحاق بن يحيى بن طلحة عن المسيب بن
‏‏‏‏رافع ومعبد بن خالد عن عبد الله بن يزيد الخطمي - وكان أميرا على الكوفة -
‏‏‏‏قال: " أتينا قيس بن سعد بن عبادة في بيته، فأذن المؤذن للصلاة، وقلنا لقيس
‏‏‏‏: قم فصل لنا، فقال: لم أكن لأصلي بقوم لست عليهم بأمير، فقال رجل ليس بدونه
‏‏‏‏يقال له عبد الله بن حنظلة الغسيل: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم :
‏‏‏‏(فذكره) ، فقال قيس بن سعد عند ذلك: يا فلان - لمولى له -: قم فصل لهم ".
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد ضعيف، إسحاق هذا ضعيف كما في " التقريب ". وقال الهيثمي
‏‏‏‏في " المجمع " (2 / 65) بعد ما عزاه للمذكورين غير الدارمي: " وفيه إسحاق
‏‏‏‏ابن يحيى بن طلحة ضعفه أحمد وابن معين والبخاري، ووثقه يعقوب بن شيبة وابن
‏‏‏‏حبان ".
‏‏‏‏__________جزء : 4 /صفحہ : 126__________
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‏‏‏‏قلت: فمثله يستشهد به ويتقوى حديثه بغيره وقد جاء حديثه هذا مفرقا، فالجملة
‏‏‏‏الأولى منه أخرجها أحمد (5 / 353) والطبراني في " الأوسط " (7601) وغيره
‏‏‏‏من حديث بريدة نحوه، وإسناده صحيح، وهو مخرج في " المشكاة " (3918) .
‏‏‏‏وأخرجها أحمد أيضا (3 / 32) من حديث أبي سعيد الخدري مرفوعا به، وزاد:
‏‏‏‏" وأحق بمجلسه إذا رجع ". وفيه إسماعيل بن رافع وهو ضعيف. وسائره جاء
‏‏‏‏معناه في حديث أبي مسعود البدري مرفوعا: " يؤم القوم أقرؤهم لكتاب الله ...
‏‏‏‏ولا تؤمن الرجل في أهله ولا في سلطانه، ولا تجلس على تكرمته في بيته إلا أن
‏‏‏‏يأذن لك ". أخرجه مسلم (2 / 133 - 134) وغيره. وهو مخرج في " صحيح أبي
‏‏‏‏داود " (594 - 598) . ¤


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