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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
فضائل قرآن، دعا ئیں، اذکار، دم
क़ुरआन की फ़ज़ीलत, दुआएं, अल्लाह की याद और दम करना
2069. سواری کی دعا
“ सवारी पर सवार होते समय की दुआ ”
حدیث نمبر: 3059
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" إن الله ليعجب إلى العبد إذا قال: لا إله إلا انت إني قد ظلمت نفسي، فاغفر لي ذنوبي إنه لا يغفر الذنوب إلا انت، قال: عبدي عرف ان له ربا يغفر ويعاقب".-" إن الله ليعجب إلى العبد إذا قال: لا إله إلا أنت إني قد ظلمت نفسي، فاغفر لي ذنوبي إنه لا يغفر الذنوب إلا أنت، قال: عبدي عرف أن له ربا يغفر ويعاقب".
علی بن ربیعہ کہتے ہیں کہ میں سیدنا علی رضی اللہ عنہ، کا ان کی سواری پر ردیف تھا، انہوں نے جب اپنا پاؤں رکاب میں رکھا تو کہا: «بسم الله» اور جب سواری کی پیٹھ پر اطمینان سے بیٹھ گئے تو کہا: تمام تعریف اللہ کے لیے ہے، (‏‏‏‏تین دفعہ) اور اللہ سب سے بڑا ہے، (‏‏‏‏تین دفعہ) اللہ پاک ہے جس نے یہ (‏‏‏‏سواری) ہمارے لیے مسخر کر دی، وگرنہ ہم تو اس پر قابو پانے والے نہیں تھے۔ پھر کہا: نہیں کوئی معبود برحق مگر تو ہی، تو پاک ہے، میں نے اپنے نفس پر ظلم کیا، تو میرے گناہ بخش دے، بیشک تو ہی گناہوں کو بخشنے والا ہے۔ پھر ایک جانب جھکے اور ہنس پڑے۔ میں نے پوچھا: اے امیر المؤمنین! آپ کیوں ہنسے ہیں؟ انہوں نے کہا: میں نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کا ردیف تھا، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے ایسے ہی کیا جیسے میں نے کیا، پھر میں نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم سے سوال کیا، جیسے تو نے مجھ سے کیا ہے، تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے مجھے جواب دیا، بلاشبہ اللہ تعالیٰ اپنے بندے پر تعجب کرتا ہے جب وہ کہتا ہے: نہیں کوئی معبود برحق مگر تو ہی، میں نے اپنی جان پہ ظلم کیا، تو میرے گناہ بخش دے، بیشک تو ہی گناہوں کو بخشنے والا ہے۔ (‏‏‏‏بندے کے یہ کلمات سن کر) اللہ تعالیٰ کہتا ہے: میرے بندے نے پہچان لیا ہے کہ ایک رب ہے جو اسے بخش بھی سکتا ہے اور معاف بھی کر سکتا ہے۔
अली बिन राबिअह कहते हैं कि मैं हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्ह की सवारी पर पीछे बैठा था, उन्हों ने जब अपना पांव रकाब में रखा तो कहा ! “बिस्मिल्लाह” « بسم الله » और जब सवारी की पीठ पर इतमीनान से बैठ गए तो कहा “अल-हमदु लिल्लाह” « الحَمْدُ لِلَٰه » “सारी ताअरीफ़ अल्लाह के लिये है।” (तीन दफ़ा) और “अल्लाहु अकबर” « اللَٰهُ أَكْبَرُ » “अल्लाह सब से बड़ा है।” (तीन दफ़ा) फिर यह आयात पढ़ी « سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَٰذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ » “अल्लाह पवित्र है जिस ने यह (सवारी) हमारे काम में लगा दी, वरना हम तो इस पर क़ाबू पाने वाले नहीं थे।” फिर कहा « لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ إِنِّي قَدْ ظَلَمْتُ نَفْسِي فَاغْفِرْ لِي ذُنُوبِي إِنَّهُ لاَ يَغْفِرُ الذُّنُوبَ إِلَّا أَنْتَ » “नहीं कोई सच्चा ईश्वर मगर तू ही, तू पवित्र है, मैं ने अपने आप पर ज़ुल्म किया, तू मेरे पाप क्षमा करदे, बेशक तू ही पापों को क्षमा करने वाला है।” फिर एक ओर झुके और हंस पड़े। मैं ने पूछा कि ऐ मोमिनों के सरदार, आप क्यों हँसे हैं ? उन्हों ने कहा कि मैं नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पीछे बैठा था, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ऐसे ही किया जैसे मैं ने किया, फिर मैं ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा, जैसे तू ने मुझ से पूछा है, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे जवाब दिया, “बेशक अल्लाह तआला अपने बंदे पर हैरत करता है जब वह केहता है ! « لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ إِنِّي قَدْ ظَلَمْتُ نَفْسِي فَاغْفِرْ لِي ذُنُوبِي إِنَّهُ لاَ يَغْفِرُ الذُّنُوبَ إِلَّا أَنْتَ » “नहीं कोई सच्चा ईश्वर मगर तू ही, मैं ने अपने आप पर ज़ुल्म किया, तू मेरे पाप क्षमा करदे, बेशक तू ही पापों को क्षमा करने वाला है।” (बंदे के ये शब्द सुन कर) अल्लाह तआला केहता है, मेरे बंदे ने पहचान लिया है कि एक रब्ब है जो उसे क्षमा भी कर सकता है।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1653

قال الشيخ الألباني:
- " إن الله ليعجب إلى العبد إذا قال: لا إله إلا أنت إني قد ظلمت نفسي، فاغفر لي ذنوبي إنه لا يغفر الذنوب إلا أنت، قال: عبدي عرف أن له ربا يغفر ويعاقب ".
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‏‏‏‏أخرجه الحاكم (2 / 98 - 99) عن ميسرة بن حبيب النهدي عن المنهال بن عمرو عن
‏‏‏‏علي بن ربيعة " أنه كان ردفا لعلي رضي الله عنه، فلما وضع رجله في الركاب
‏‏‏‏قال: بسم الله، فلما استوى على ظهر الدابة قال: الحمد لله (ثلاثا) والله
‏‏‏‏أكبر (ثلاثا) ، * (سبحان الذي سخر لنا هذا وما كنا له مقرنين) * الآية. ثم
‏‏‏‏قال: لا إله إلا أنت سبحانك إني قد ظلمت نفسي فاغفر لي ذنوبي إنه لا يغفر
‏‏‏‏الذنوب إلا أنت، ثم مال إلى أحد شقيه فضحك، فقلت: يا أمير المؤمنين ما يضحك
‏‏‏‏؟ قال: إني كنت ردف النبي صلى الله عليه وسلم ، فصنع رسول الله صلى الله عليه
‏‏‏‏وسلم كما صنعت فسألته كما سألتني، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم .... "
‏‏‏‏فذكره. وقال: " هذا حديث صحيح على شرط مسلم ". ووافقه الذهبي.
‏‏‏‏قلت: النهدي هذا لم يخرج له مسلم، وإنما البخاري في " الأدب المفرد "، فهو
‏‏‏‏صحيح فقط. وقد تابعه أبو إسحاق السبيعي عن علي بن ربيعة نحوه باختصار. أخرجه
‏‏‏‏أبو داود (2602) والترمذي (2 / 255 - 256) وأحمد (1 / 97 و 115 و 128)
‏‏‏‏وابن السني في " عمل اليوم والليلة " (490) من طرق عنه. وقال الترمذي:
‏‏‏‏" حديث حسن صحيح ". كذا قال، وأبو إسحاق كان اختلط، ولفظه عند أحمد أتم.
‏‏‏‏وأخرجه ابن السني (493) من طريق الأجلح عن أبي إسحاق عن الحارث عن علي بن
‏‏‏‏أبي طالب به نحوه مختصرا. والأجلح فيه ضعف.
‏‏‏‏__________جزء : 4 /صفحہ : 211__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏والحارث وهو الأعور ضعيف.
‏‏‏‏(تنبيه) حديث الترجمة عزاه السيوطي في " الزيادة " لابن السني والحاكم،
‏‏‏‏وقد عرفت مما سبقت الإشارة إليه أن لفظ غير الحاكم مختصر، فإذا جاز مع ذلك
‏‏‏‏عزوه لابن السني فعزوه لغيره ممن ذكرنا معه أولى لأنهم أعلى طبقة منه، لاسيما
‏‏‏‏الإمام أحمد، فإنه أعلاهم وأجلهم وأتمهم لفظا. ¤


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