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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2162. آپ صلی اللہ علیہ وسلم ڈٹ کر اپنے منہج پر قائم رہے
“ रसूल अल्लाह ﷺ अपने मक़सद पर डटे रहे ”
حدیث نمبر: 3208
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" ما انا باقدر على ان ادع لكم ذلك على ان تشعلوا لي منها شعلة. يعني الشمس".-" ما أنا بأقدر على أن أدع لكم ذلك على أن تشعلوا لي منها شعلة. يعني الشمس".
سیدنا عقیل بن ابوطالب رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ قریشی، ابوطالب کے پاس آئے اور کہا: آپ احمد ( صلی اللہ علیہ وسلم ) کو نہیں دیکھتے؟ وہ ہمیں ہماری مجالس اور مساجد میں تکلیف دیتا ہے، آپ اسے ایسی ایذا پہنچانے سے منع کر دیں۔ انہوں نے مجھے کہا: عقیل! محمد (‏‏‏‏ صلی اللہ علیہ وسلم ) کو بلاؤ۔ میں گیا اور ان کو بلا کر لے آیا۔ ابوطالب نے کہا: میرے بھتیجے! تیرے چچا زاد بھائیوں نے یہ شکایت کی ہے کہ تم انہیں مجلسوں اور مسجدوں میں تکلیف دیتے ہو، اس طرح کرنے سے باز آ جاؤ۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے کن انکھیوں سے آسمان کی طرف دیکھا اور فرمایا: اگر تم لوگ میرے لیے آسمان سے شعلہ (‏‏‏‏یعنی سورج) بھی لے آؤ تو میں ایسا کرنے سے نہیں رک سکتا۔ یہ سن کر ابوطالب نے کہا: میرا بھتیجا محمد ( صلی اللہ علیہ وسلم ) جھوٹا نہیں ہے، تم سب یہاں سے چلے جاؤ۔
हज़रत अक़ील बिन अबु तालिब रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि क़ुरैशी अबु तालिब के पास आए और कहा ! आप अहमद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को नहीं देखते ? वह हमें हमारी परिषदों और मस्जिदों में कष्ट देता है, आप उसे ऐसा करने से मना करदें। उन्हों ने मुझ से कहा ! अक़ील, मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को बुलाओ। मैं गया और उन को बुलाकर ले आया। अबु तालिब ने कहा ! मेरे भतीजे, तेरे चचेरे भाइयों ने यह शिकायत की है कि तुम उन्हें बैठकों और मस्जिदों में कष्ट देते हो, इस तरह न किया करो। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आसमान की ओर देखा और फ़रमाया ! “यदि तुम लोग मेरे लिये आसमान से आग की लपट (यानि सूर्य) भी ले आओ तो मैं ऐसा करने से नहीं रुक सकता।” यह सुन कर अबु तालिब ने कहा ! मेरा भतीजा मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) झूठा नहीं है, तुम सब यहाँ से चले जाओ।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 92

قال الشيخ الألباني:
- " ما أنا بأقدر على أن أدع لكم ذلك على أن تشعلوا لي منها شعلة. يعني الشمس ".
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‏‏‏‏رواه أبو جعفر البختري في " حديث أبي الفضل أحمد بن ملاعب " (47 / 1 - 2)
‏‏‏‏وابن عساكر (11 / 363 / 1، 19 / 44 / 201) من طريق أبي يعلى وغيره
‏‏‏‏كلاهما عن يونس بن بكير أنبأنا طلحة بن يحيى عن موسى بن طلحة حدثني
‏‏‏‏عقيل بن أبي طالب قال:
‏‏‏‏" جاءت قريش إلى أبي طالب فقالوا: أرأيت أحمد؟ يؤذينا في نادينا، وفي
‏‏‏‏مسجدنا، فانهه عن أذانا، فقال: يا عقيل، ائتني بمحمد، فذهبت فأتيته به،
‏‏‏‏فقال: يا ابن أخي إن بني عمك زعموا أنك تؤذيهم في ناديهم، وفي مسجدهم،
‏‏‏‏فانته عن
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‏‏‏‏ذلك، قال: فلحظ رسول الله صلى الله عليه وسلم ببصره (وفي رواية:
‏‏‏‏فحلق رسول الله صلى الله عليه وسلم ببصره) إلى السماء فقال: فذكره.
‏‏‏‏قال: فقال أبو طالب: ما كذب ابن أخي. فارجعوا ".
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد حسن رجاله كلهم رجال مسلم وفي يونس به بكير وطلحة ابن يحيى
‏‏‏‏كلام لا يضر.
‏‏‏‏وأما حديث: " يا عم والله لو وضعوا الشمس في يميني، والقمر في يساري على
‏‏‏‏أن أترك هذا الأمر حتى يظهره أو أهلك فيه ما تركته ".
‏‏‏‏فليس له إسناد ثابت ولذلك أوردته في " الأحاديث الضعيفة " (913) . ¤


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