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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2181. سیدنا عمر فاروق رضی اللہ عنہ کے فضائل و مناقب
“ हज़रत उमर बिन ख़त्ताब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
حدیث نمبر: 3255
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-" من منع فضل مائه او فضل كلئه منعه الله فضله يوم القيامة".-" من منع فضل مائه أو فضل كلئه منعه الله فضله يوم القيامة".
سیدنا انس رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میں جنت میں داخل ہوا، اچانک سونے کا ایک محل دیکھا۔ میں نے پوچھا: یہ محل کس کا ہے؟ انہوں نے کہا ایک قریشی جوان کا ہے۔ مجھے خیال تھا کہ یہ میرا ہی ہو گا (‏‏‏‏کیونکہ میں قریشی ہوں)۔ بہرحال میں نے پوچھا: وہ قریشی کون ہے؟ انہوں نے کہا: یہ عمر بن خطاب رضی اللہ عنہ کا ہے۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: عمر! اگر تیری غیرت و حمیت کا مسئلہ نہ ہوتا تو میں اس میں ضرور داخل ہو جاتا۔ سیدنا عمر رضی اللہ عنہ نے کہا: اے اللہ کے رسول! کیا میں آپ پر غیرت کھا سکتا ہوں؟۔
हज़रत अनस रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “मैं जन्नत में गया, अचानक सोने का एक महल देखा। मैं ने पूछा कि यह महल किस का है ? इन्हों ने कहा कि एक क़ुरैशी जवान का है। मैं ने सोचा था कि यह मेरा ही होगा (क्योंकि मैं क़ुरैशी हूँ)। बहरहाल मैं ने पूछा कि वह क़ुरैशी कौन है ? उन्हों ने कहा कि यह उमर बिन ख़त्ताब रज़ि अल्लाहु अन्ह का है।” फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “उमर, यदि तेरी लज्जा और आत्म सम्मान की बात न होती तो मैं उस में ज़रूर जाता।” हज़रत उमर रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा ! “ऐ अल्लाह के रसूल, क्या मैं आपको शर्मिंदा कर सकता हूँ ?”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1423

قال الشيخ الألباني:
- " من منع فضل مائه أو فضل كلئه منعه الله فضله يوم القيامة ".
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‏‏‏‏أخرجه أحمد (2 / 179 و 221) من طريق ليث بن أبي سليم ضعيف. لكنه لم يتفرد
‏‏‏‏به. فقد أخرجه أيضا (2 / 183) من طريق محمد بن راشد عن سليمان بن موسى أن
‏‏‏‏عبد الله بن عمرو كتب إلى عامل له على أرض له أن لا تمنع فضل مائك فإني سمعت
‏‏‏‏رسول الله صلى الله عليه وسلم يقوله: فذكره نحوه. وهذا إسناد حسن إلا أنه
‏‏‏‏منقطع بين سليمان وابن عمرو لكن الحديث بمجموع الطريقين حسن، وقد وجدت له
‏‏‏‏شاهدا من حديث أبي هريرة مرفوعا به ولفظه: " من منع فضل مائه في الدنيا منع
‏‏‏‏الله فضله يوم القيامة، فقال: اليوم أمنع فضلي كما منعت ما لم تعمل يدك ".
‏‏‏‏أخرجه أبو الشيخ في " الطبقات " (ق 63 / 1 - 2) عن الحسن بن أبي جعفر عن عمرو
‏‏‏‏ابن دينار عن أبي صالح عنه. والحسن هذا قال الحافظ في " التقريب ": " ضعيف
‏‏‏‏الحديث مع عبادته وفضله ".
‏‏‏‏قلت: فمثله يستشهد به، فالحديث به صحيح إن شاء الله تعالى. ¤


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