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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2181. سیدنا عمر فاروق رضی اللہ عنہ کے فضائل و مناقب
“ हज़रत उमर बिन ख़त्ताब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
حدیث نمبر: 3262
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" اخر عني يا عمر! إني خيرت فاخترت وقد قيل (لي): * (استغفر لهم او لا تستغفر لهم إن تستغفر لهم سبعين مرة فلن يغفر الله لهم) *. لو اعلم اني لو زدت على السبعين غفر له لزدت".-" أخر عني يا عمر! إني خيرت فاخترت وقد قيل (لي): * (استغفر لهم أو لا تستغفر لهم إن تستغفر لهم سبعين مرة فلن يغفر الله لهم) *. لو أعلم أني لو زدت على السبعين غفر له لزدت".
سیدنا عبداللہ بن عباس رضی اللہ عنہما کہتے ہیں: میں نے سیدنا عمر بن خطاب رضی اللہ عنہ کو کہتے ہوئے سنا کہ جب عبداللہ بن ابی (‏‏‏‏منافق) مرا تو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو اس کی نماز جنازہ کے لیے بلایا گیا، آپ صلی الله علیہ وسلم تشریف لےگئے اور جب نماز کے ارادے سے کھڑے ہوئے تو میں گھوم کر آپ صلی الله علیہ و سلم کے سامنے کھڑا ہو گیا اور کہا: اے الله کے رسول! کیا الله تعالیٰ کے دشمن عبداللہ بن ابی کی نماز جنازہ (‏‏‏‏پڑھنے لگے ہیں)، جس نے فلاں فلاں دن ایسے ایسے کہا تھا؟ ان دنوں کو شمار بھی کیا، آپ صلی اللہ علیہ وسلم جواباً مسکرا دیے۔ جب میں نے بہت زیادہ اصرار کیا تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: عمر! پیچھے ہٹ جاؤ، مجھے اختیار دیا گیا اور میں نے (‏‏‏‏ ‏‏‏‏اس اختیار کو) قبول کر لیا، مجھے (‏‏‏‏ ‏‏‏‏اللہ تعالیٰ کی طرف سے) کہا گیا ہے: ‏‏‏‏ ‏‏‏‏ اے محمد! آپ ان کے لیے بخشش طلب کریں یا نہ کریں، اگر آپ ستر دفعہ بھی بخشش طلب کریں تو پھر بھی اللہ تعالیٰ ان کو ہرگز معاف نہیں کرے گا۔ (‏‏‏‏سورۃ التوبہ: ۸۰) اگر مجھے علم ہوتا کہ ستر سے زائد دفعہ بخشش طلب کرنے سے اسے بخش دیا جائے گا تو میں زیادہ دفعہ کر دیتا۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے نماز پڑھائی، اس کی میت کے ساتھ چلے اور فارغ ہونے تک اس کی قبر پر کھڑے رہے۔ مجھے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم پر جرات کرنے پر بڑا تعجب ہو رہا تھا، اللہ اور اس کا رسول ہی بہتر جانتے ہیں۔ اللہ کی قسم! تھوڑے وقت کے بعد ہی یہ دو آیات نازل ہوئیں: ‏‏‏‏ اے محمد! منافقوں میں سے جو بھی مرے، آپ نہ کبھی اس کی نماز جنازہ پڑھائیں اور نہ اس کی قبر پر کھڑے ہوں، انہوں نے اللہ اور اس کے رسول کے ساتھ کفر کیا ہے اور فسق کی حالت میں مرے ہیں۔ (‏‏‏‏سوره توبہ: ٨٤) (‏‏‏‏ان آیات کے نزول کے بعد) آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے نہ کسی منافق کی نماز جنازہ پڑھی اور نہ اس کی قبر پر کھڑے ہوئے، یہاں تک کہ فوت ہو گئے۔
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्हुमा कहते हैं कि मैं ने हज़रत उमर बिन ख़त्ताब रज़ि अल्लाहु अन्ह को कहते हुए सुना कि जब अब्दुल्लाह बिन उबई (मुनाफ़िक़) मरा तो रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को उस की नमाज़ जनाज़ा के लिये बुलाया गया, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तचले गए और जब नमाज़ पढ़ने खड़े हुए तो मैं घूम कर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने खड़ा हो गया और कहा ! ऐ अल्लाह के रसूल, क्या अल्लाह तआला के दुश्मन अब्दुल्लाह बिन उबई की नमाज़ जनाज़ा (‏‏‏‏पढ़ने लगे हैं), जिस ने फ़लां फ़लां दिन ऐसे ऐसे कहा था ? वे दिन भी बताए, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जवाब में मुस्कुरा दिए। जब मैं ने बहुत कहा तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “उमर, पीछे हट जाओ, मुझे अधिकार दिया गया और में ने (‏‏‏‏इस अधिकार को) स्वीकार कर लिया, मुझे (अल्लाह तआला की ओर से) कहा गया है ! [80:سورة التوبة] « اسْتَغْفِرْ لَهُمْ أَوْ لَا تَسْتَغْفِرْ لَهُمْ إِنْ تَسْتَغْفِرْ لَهُمْ سَبْعِينَ مَرَّةً فَلَنْ يَغْفِرَ اللَّـهُ لَهُمْ‏‏‏‏ » “ए मुहम्मद ! आप इन के लिये क्षमा की मांग करें या न करें, यदि आप सत्तर दफ़ा भी क्षमा की मांग करें तो फिर भी अल्लाह तआला इन को हरगिज़ क्षमा नहीं करेगा।” यदि मुझे पता होता कि सत्तर से अधिक दफ़ा क्षमा की मांग करने से इसे क्षमा कर दिया जाएगा तो मैं अधिक करदेता।” फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने नमाज़ पढ़ाई, उस की मय्यत के साथ चले और काम पूरा होने तक उस की क़ब्र पर खड़े रहे। मुझे रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने इतनी हिम्मत करने पर बहुत हैरत हो रही थी, अल्लाह और इस का रसूल ही अच्छा जानते हैं। अल्लाह की क़सम, थोड़े समय के बाद ही यह दो आयतें उतारी गईं ! [84:سورة التوبة] « وَلَا تُصَلِّ عَلَى أَحَدٍ مِنْهُمْ مَاتَ أَبَدًا وَلَا تَقُمْ عَلَى قَبْرِهِ إِنَّهُمْ كَفَرُوا بِاللَّـهِ وَرَسُولِهِ وَمَاتُوا وَهُمْ فَاسِقُونَ » “ऐ मुहम्मद, मुनाफ़िक़ों में से जो भी मरे, आप उस की नमाज़ जनाज़ा कभी न पढ़ाएं और न उस की क़ब्र पर खड़े हों, इन्हों ने अल्लाह और इस के रसूल के साथ कुफ़्र किया है और आज्ञा न मानना की हालत में मरे हैं।” (इन आयतों के उरने के बाद) आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने किसी मुनाफ़िक़ की नमाज़ जनाज़ा न पढ़ी और न उस की क़ब्र पर खड़े हुए, यहाँ तक कि वह इस दुनिया से चले गए।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1131

قال الشيخ الألباني:
- " أخر عني يا عمر! إني خيرت فاخترت وقد قيل (لي) : * (استغفر لهم أو لا تستغفر لهم إن تستغفر لهم سبعين مرة فلن يغفر الله لهم) *. لو أعلم أني لو زدت على السبعين غفر له لزدت ".
‏‏‏‏_____________________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه الترمذي (2 / 185) وأحمد (1 / 16) عن محمد بن إسحاق حدثني الزهري عن
‏‏‏‏عبيد الله بن عبد الله بن عتبة عن ابن عباس قال: سمعت عمر بن الخطاب يقول
‏‏‏‏: " لما توفي عبد الله بن أبي دعي رسول الله صلى الله عليه وسلم للصلاة عليه،
‏‏‏‏فقام إليه فلما وقف يريد الصلاة تحولت حتى قمت في صدره فقلت: يا رسول الله
‏‏‏‏أعلى عدو الله عبد الله بن أبي القائل يوم كذا كذا وكذا؟ يعد أيامه، قال:
‏‏‏‏ورسول الله صلى الله عليه وسلم يتبسم حتى إذا أكثرت قال: فذكره، قال: ثم
‏‏‏‏صلى عليه ومشى معه فقام على قبره حتى فرغ منه. قال: فعجب لي وجرأتي على
‏‏‏‏رسول الله صلى الله عليه وسلم ، والله ورسوله أعلم، فوالله ما كان إلا يسيرا
‏‏‏‏حتى نزلت هاتان الآيتان * (ولا تصل على أحد منهم مات أبدا ولا تقم على قبره
‏‏‏‏إنهم كفروا بالله ورسوله وماتوا وهم فاسقون) *. قال: فما صلى رسول الله
‏‏‏‏صلى الله عليه وسلم بعده على منافق ولا قام على قبره حتى قبضه الله ". وقال
‏‏‏‏الترمذي:
‏‏‏‏__________جزء : 3 /صفحہ : 123__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏" حديث حسن صحيح غريب ".
‏‏‏‏قلت: وإسناده حسن، صرح فيه ابن إسحاق بالتحديث، وقد تابعه عقيل عن ابن
‏‏‏‏شهاب به. دون قوله: " وقد قيل لي! (استغفر لهم ... ) الآية " ودون قوله:
‏‏‏‏" فما صلى بعده على منافق ... " الخ. أخرجه البخاري (1 / 343 - 344) و (3 /
‏‏‏‏253) والنسائي (1 / 279) . ¤


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