الحمدللہ ! قرآن پاک روٹ ورڈ سرچ اور مترادف الفاظ کی سہولت پیش کر دی گئی ہے۔

 
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
ایمان توحید، دین اور تقدیر کا بیان
तौहीद पर ईमान, दीन और तक़दीर
13. اللہ تعالیٰ کو کس نے پیدا کیا؟ اس سوال کا جواب
अल्लाह तआला को किस ने पैदा किया ، इसका जवाब
حدیث نمبر: 33
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
- (اذهب بنعلي هاتين؛ فمن لقيت من وراء هذا الحائط يشهد ان لا إله إلا الله مستيقنا بها قلبه؛ فبشره بالجنة).- (اذهب بنعليِّ هاتَين؛ فمَن لقِيتَ من وراءِ هذا الحائط يشهدُ أن لا إله إلا الله مُستَيقِناً بها قلبُه؛ فَبَشِّره بالجنّةِ).
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: ہم رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے ارد گرد بیٹھے ہوئے تھے، ہمارے ساتھ سیدنا ابوبکر اور سیدنا عمر رضی اللہ عنہما بھی تھے، (ہوا یہ کہ) رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم ہمارے درمیان سے اٹھ کھڑے ہوئے (اور کہیں چلے گئے) اور واپس آنے میں (خاصی) تاخیر کی۔ ہم ڈر گئے کہ (اللہ نہ کرے) کہیں آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو ہم سے پرے جاں بحق نہ کر دیا جائے۔ ہم گھبرا کر اٹھ کھڑے ہوئے اور سب سے پہلے گھبرانے والا میں تھا۔ میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو تلاش کرنے کے لیے نکل پڑا، حتی کہ میں بنو نجار کے انصار کے باغ کے پاس پہنچ گیا، میں نے دروازے کی تلاش میں چکر لگایا، لیکن مجھے کوئی دروازہ نہ ملا۔ ایک چھوٹی نہر، خارجہ کے کنویں سے باغ میں داخل ہو رہی تھی، میں سمٹ کر اس میں داخل ہو گیا اور (بالآخر) رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس پہنچ گیا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: ابوہریرہ ہو؟ میں نے کہا: جی ہاں، اے اللہ کے رسول! آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: تجھے کیا ہوا (ادھر کیوں آئے ہو)؟ میں نے کہا: آپ ہمارے پاس بیٹھے تھے، اچانک اٹھ کھڑے ہوئے اور واپس آنے میں دیر کی، ہمیں یہ اندیشہ ہوا کہ کہیں آپ کو ہم سے پرے جاں بحق نہ کر دیا جائے، سو ہم گھبرا گئے اور سب سے پہلے گھبرانے والا میں تھا۔ (میں تلاش کرتے کرتے) اس باغ تک پہنچ گیا اور لومڑی کی طرح سمٹ کر (فلاں سوراخ سے اس میں داخل ہو گیا)۔ بقیہ لوگ میرے پیچھے آ رہے ہیں۔ آپ نے اپنے دو جوتے دے کر مجھے فرمایا: ابوہریرہ! یہ میرے جوتے لے کر جاؤ اور اس باغ سے پرے جس آدمی کو ملو، اس حال میں کہ وہ دل کے یقین کے ساتھ گواہی دیتا ہو کہ اللہ ہی معبود برحق ہے، اسے جنت کی خوشخبری دے دو۔ (ہوا یہ کہ) مجھے سب سے پہلے سیدنا عمر رضی اللہ عنہ ملے، انہوں نے پوچھا: ابوہریرہ! یہ جوتے کیسے ہیں؟ میں نے کہا: یہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے جوتے ہیں، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے مجھے دے کر بھیجے ہیں کہ میں جس آدمی کو ملوں، اس حال میں کہ وہ دل کے یقین کے ساتھ گواہی دیتا ہو کہ اللہ ہی معبود برحق ہے، اسے جنت کی خوشخبری سنا دوں۔ (یہ بات سن کر) سیدنا عمر رضی اللہ عنہ نے میرے سینے میں ضرب لگائی، میں سرین کے بل گر پڑا، انہوں نے کہا: ابوہریرہ! چلو واپس۔ میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی طرف واپس چل پڑا اور غم کی وجہ سے رونے کے قریب تھا، ادھر سے عمر رضی اللہ عنہ میرے پیچھے پیچھے تھے۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابوہریرہ! کیا ہوا؟ میں نے کہا: میں سیدنا عمر کو ملا، اسے آپ کا پیغام سنایا، اس نے میرے سینے میں ضرب لگائی، میں سرین کے بل گر پڑا اور کہا کہ چلو واپس۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: عمر! کس چیز نے تجھے ایسا کرنے پر آمادہ کیا ہے؟ انہوں نے کہا: اے اللہ کے رسول! میرے ماں باپ آپ پر قربان ہوں، کیا واقعی آپ نے ابوہریرہ کو اپنے جوتے دے کر بھیجا کہ وہ جس آدمی کو ملیں، اس حال میں کہ وہ دل کے یقین کے ساتھ یہ شہادت دیتا ہو کہ اللہ ہی معبود برحق ہے، اسے جنت کی خوشخبری سنا دے؟ آپ نے فرمایا: ہاں (میں نے بھیجا)۔ سیدنا عمر نے کہا: آپ ایسا نہ کریں، مجھے خطرہ ہے کہ لوگ (اس قسم کی بشارتوں پر) توکل کر کے (عمل کرنا ترک کر دیں گے)، آپ لوگوں کو عمل کرنے دیں۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: انہیں چھوڑ دو (یعنی یہ حدیث بیان نہ کرو)۔
हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि हम रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आसपास बैठे हुए थे, हमारे साथ हज़रत अबु बक्र और हज़रत उमर रज़ि अल्लाहु अन्हुमा भी थे, रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हमारे बीच से उठ खड़े हुए (और कहीं चले गए) और वापस आने में देर की। हम डर गए कि (अल्लाह न करे) कहीं आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को हम से दूर मार न दिया जाए। हम घबरा कर उठ खड़े हुए और सबसे पहले घबराने वाला मैं था। मैं रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को तलाश करने के लिए निकल पड़ा, यहां तक कि मैं बनि नजार के अन्सार के बाग़ के पास पहुंच गया, मैं ने दरवाज़े की तलाश में चक्कर लगाया, लेकिन मुझे कोई दरवाज़ा न मिला। एक छोटी नहर, ख़ारिजह के कुएं से बाग़ में जारही थी, मैं सिमट कर उसके अंदर चला गया और रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास पहुंच गया। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूछा ! “अबु हुरैरा हो ?” मैं ने कहा कि जी हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूछा ! “तुझे क्या हुआ (इधर क्यों आए हो) ?” मैं ने कहा कि आप हमारे पास बैठे थे, अचानक उठ खड़े हुए और वापस आने में देर की, हमें ये डर हुआ कि कहीं आप को हम से दूर मार न दिया जाए, तो हम घबरा गए और सबसे पहले घबराने वाला मैं था। (मैं तलाश करते करते) इस बाग़ तक पहुंच गया और लोमड़ी की तरह सिमट कर (फ़लां सुराख़ से इस में आ गया)। बाक़ी लोग मेरे पीछे आरहे हैं। आप ने अपने दो जूते देकर मुझ से फ़रमाया ! “अबु हुरैरा, ये मेरे जूते लेकर जाओ और इस बाग़ से दूर जिस आदमी को मिलो, इस हाल में कि वह पुरे विश्वास के साथ गवाही देता हो कि बेशक अल्लाह ही ईश्वर है, उसे जन्नत की ख़ुशख़बरी ख़बर देदो।” (हुआ ये कि) मुझे सब से पहले हज़रत उमर रज़ि अल्लाहु अन्ह मिले, उन्हों ने पूछा कि अबु हुरैरा, ये जूते कैसे हैं ? मैं ने कहा कि ये रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जूते हैं, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे देकर भेजा है कि मैं जिस आदमी को मिलूं, इस हाल में कि वह पुरे विश्वास के साथ गवाही देता हो कि बेशक अल्लाह ही ईश्वर है, उसे जन्नत की ख़ुशख़बरी सुना दूँ। (ये बात सुनकर) हज़रत उमर रज़ि अल्लाहु अन्ह ने मेरे सिने पर मारा, मैं कूल्हों के बल गिर पड़ा। उन्हों ने कहा कि अबु हुरैरा, चलो वापस जाओ। मैं रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ओर वापस चल पड़ा और ग़म की वजह से रोने वाला था, इधर से उमर रज़ि अल्लाहु अन्ह मेरे पीछे पीछे थे। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “अबु हुरैरा, क्या हुआ ?” मैं ने कहा कि मैं हज़रत उमर को मिला, उन्हें आप का संदेश सुनाया, उन्हों ने मेरे सिने पर मारा, मैं कूल्हों के बल गिर पड़ा और कहा कि चलो वापस जाओ। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूछा ! “उमर, किस चीज़ ने तुझे ऐसा करने पर तैयार किया है ?” उन्हों ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल, मेरे माता पिता आप पर क़ुरबान हों, क्या सच में आप ने अबु हुरैरा को अपने जूते देकर भेजा कि वह जिस आदमी को मिलें , इस हाल में कि वह पुरे विश्वास के साथ ये गवाही देता हो कि बेशक अल्लाह ही ईश्वर है, उसे जन्नत की ख़ुशख़बरी सुना दे ? आप ने फ़रमाया ! “हाँ (मैं ने भेजा)।” हज़रत उमर ने कहा कि आप ऐसा न करें, मुझे डर है कि लोग (इस तरह की ख़ुशख़बरी पर) तवक्कल करके (कर्म करना छोड़ देंगे), आप लोगों को कर्म करने दें। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “इन्हें छोड़ दो (यानी ये हदीस न बताओ)।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 3981

قال الشيخ الألباني:
- (اذهب بنعليِّ هاتَين؛ فمَن لقِيتَ من وراءِ هذا الحائط يشهدُ أن لا إله إلا الله مُستَيقِناً بها قلبُه؛ فَبَشِّره بالجنّةِ) .
‏‏‏‏_____________________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه مسلم (1/44- 45) ، وأبو عوانة (1/9- 10) من طريق عكرمة بن عمار قال: حدثني أبو كثير قال: حدثني أبو هريرة قال:
‏‏‏‏كنا قعوداً حول رسول الله - صلى الله عليه وسلم -، معنا أبو بكر وعمر في نفر، فقام رسول الله - صلى الله عليه وسلم -من بين أظهرنا، فأبطأ علينا، وخشينا أن يُقتَطَعَ دوننا، وفزعنا فقمنا، فكنت أول من فزع، فخرجت أبتغي رسول الله - صلى الله عليه وسلم -، حتى أتيت حائطاً للأنصار لبني النجار، فدرت به هل أجد له باباً؛ فلم أجد، فإذا ربيع يدخل في جوف حائط من بئر خارجة- والربيع: الجدول-، فاحتفزت فدخلت على رسول الله - صلى الله عليه وسلم - فقال: "أبو هريرة؟ ". فقلت: نعم يارسول الله! قال: "ماشأنك؟ ". قلت: كنت بين أظهرنا فقمت فأبطأت علينا، فخشينا أن تقتطع دوننا، ففزعنا، فكنت أول من فزع، فأتيت هذا الحائط، فاحتفزت كما يحتفز الثعلب، وهؤلاء الناس ورائي! فقال: "يا أبا هريرة! "، وأعطاني نعليه، قال: ... (فذكر الحديث) . وقال:
‏‏‏‏فكان أول من لقيت عمر، فقال: ما هاتان النعلان يا أبا هريرة؟! فقلت: هاتان نعلا رسول الله - صلى الله عليه وسلم -، بعثني بهما:
‏‏‏‏من لقيت يشهد أن لا إله إلا الله مستيقناً بها قلبه؛ بشرته بالجنة.
‏‏‏‏فضرب عمر بيده بين ثديي، فخررت لاستي، فقال: ارجع يا أبا هريرة!
‏‏‏‏__________جزء : 7 /صفحہ : 1708__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏فرجعت إلى رسول الله عيشة، فأجهشت بكاء، وركبني عمر، فإذا هو على إثري؛ فقال رسول الله- صلى الله عليه وسلم -:
‏‏‏‏"مالك يا أبا هريرة؟ ! ".
‏‏‏‏قلت: لقيت عمر، فأخبرته بالذي بعثتني به، فضرب بين ثديي ضربة خررت لاستي؛ قال: ارجع! قال رسول الله- صلى الله عليه وسلم -:
‏‏‏‏"يا عمر! ما حملك على ما فعلت؟! ". قال: يا رسول الله! بأبي أنت وأمي، أبعثت أبا هريرة بنعليك؛ من لقي يشهد أن لا إله إلا الله مستيقناً بها قلبه، بشره بالجنة؟! قال: "نعم ". قال: فلا تفعل؛ فإني أخشى أن يتكل الناس عليها، فخلهم يعملون. قال رسول الله- صلى الله عليه وسلم -:
‏‏‏‏"فخلِّهم ".
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد حسن؛ فإن عكرمة بن عمار- وإن كان من رجال مسلم-، ففي حفظه كلام، وبخاصة فيما يرويه عن يحيى بن أبي كثير، وليس هذا من روايته عنه كما ترى.
‏‏‏‏وقد رويت هذه القصة أنها وقعت بين جابر وعمر:
‏‏‏‏أخرجه ابن حبان في "صحيحه " بسند صحيح، وقد سبق تخريجه برقم
‏‏‏‏(2355) .
‏‏‏‏وفي الحديث توجيه سديد للدعاة أن لا يحدثوا بأحاديث الترغيب والترهيب، إلا مع بيان المراد منها بالتفصيل؛ خشية أن يساء فهمها، فيتكلوا، فيبن مثلاً:
‏‏‏‏__________جزء : 7 /صفحہ : 1709__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أن الشهادة لله بالوحدانية يجب أن تفهم جيداً، بحيث تمنع قائلها من عبادة غير الله بأي نوع من أنواع العبادات المعروفة.
‏‏‏‏وأن من شهد بها وقصر بالقيام ببعض الأحكام الشرعية، أو ارتكب بعض المعاصي؛ فذلك لا يعني أنه لا يستحق أن يعذب عليها؛ إلا أن يغفر الله له. * ¤


http://islamicurdubooks.com/ 2005-2023 islamicurdubooks@gmail.com No Copyright Notice.
Please feel free to download and use them as you would like.
Acknowledgement / a link to www.islamicurdubooks.com will be appreciated.