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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2245. سیدنا جعفر اور سیدنا زید رضی اللہ عنہما کی فضیلت
“ हज़रत जअफ़र और हज़रत ज़ैद रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
حدیث نمبر: 3415
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-" اما انت يا جعفر فاشبه خلقك خلقي واشبه خلقي خلقك وانت مني وشجرتي، واما انت يا علي فختني، وابو ولدي، وانا منك وانت مني، واما انت يا زيد فمولاي ومني وإلي، واحب القوم إلي".-" أما أنت يا جعفر فأشبه خلقك خلقي وأشبه خلقي خلقك وأنت مني وشجرتي، وأما أنت يا علي فختني، وأبو ولدي، وأنا منك وأنت مني، وأما أنت يا زيد فمولاي ومني وإلي، وأحب القوم إلي".
محمد بن اسامہ اپنے باپ سے روایت کرتے ہیں کہ سیدنا جعفر، سیدنا علی اور سیدنا زید بن حارثہ رضی اللہ عنہم جمع ہوئے، سیدنا جعفر نے کہا: میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو تم میں سے زیادہ محبوب ہوں۔ سیدنا زید نے کہا: میں نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کو تم دونوں سے بڑھ کر محبوب ہوں۔ انہوں نے کہا: چلو! رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس جا کر دریافت کرتے ہیں۔ سیدنا اسامہ بن زید رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: وہ سب آئے، آپ صلی اللہ علیہ وسلم سے اجازت طلب کی۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے مجھے فرمایا: جاؤ اور دیکھو، کون ہیں؟ میں نے کہا: جعفر، علی اور زید لوگ ہیں، میرے ابا جان! میں انہیں کیا کہوں؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ان کو اندر آنے کی اجازت دے دو۔ وہ سب اندر آ گئے اور کہا: آپ کو سب سے زیادہ محبوب کون ہے؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: فاطمہ۔ انہوں نے کہا: ہم مردوں کے بارے میں سوال کر رہے ہیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جعفر! تمہارا اخلاق میرے اخلاق کے اور تمہاری جسمانی ساخت میری جسمانی ساخت کے مشابہ ہے اور تو مجھ سے اور میرے نسب میں سے ہے۔ علی! تم میرے داماد ہو، میرے بچوں (‏‏‏‏حسن و حسین) کے باپ ہو اور تم مجھ سے ہو اور میں تم سے ہوں اور زید! تم میرے دوست ہو، تم مجھ سے ہو، میں تمہارا ذمہ دار ہوں اور تم مجھے لوگوں میں محبوب ترین ہو۔
मुहम्मद बिन उसामा अपने पिता से रिवायत करते हैं कि हज़रत जअफ़र, हज़रत अली और हज़रत ज़ैद बिन हरिसह रज़ि अल्लाह अन्हुम जमा हुए, हज़रत जअफ़र ने कहा ! मुझ से रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तुम से अधिक प्यार करते हैं। हज़रत ज़ैद ने कहा ! मुझ से नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तुम दोनों से बढ़कर प्यार करते हैं। उन्हों ने कहा ! चलो, रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास जाकर पूछते हैं। हज़रत उसामा बिन ज़ैद रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि वे सब आए, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अनुमति मांगी। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझ से फ़रमाया ! “जाओ देखो कौन है ?” मैं ने कहा ! जअफ़र, अली और ज़ैद हैं, मेरे पिता जी ! मैं उन्हें क्या कहूं ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “उनको अंदर आने की अनुमति देदो।” वह सब अंदर आगए और कहा ! आप सब से अधिक किस को प्यार करते हैं ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “फ़ातिमह।” उन्हों ने कहा ! हम पुरुषों के बारे में पूछरहे हैं। आप ने फ़रमाया ! “जअफ़र, तुम्हारा अख़्लाक़ मेरे अख़्लाक़ के और तुम्हारी शारीरिक बनावट मेरी शारीरिक बनावट के जैसी है और तू मुझ से और मेरे वंश में से है। अली ! तुम मेरे दामाद हो, मेरे बच्चों (‏‏‏‏हसन और हुसैन) के पिता हो और तुम मुझसे हो और में तुमसे हूँ और ज़ैद ! तुम मेरे दोस्त हो, तुम मुझसे हो, में तुम्हारा ज़िम्मेदार हूँ और तुम मुझे लोगों में बहुत पसंद हो।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1550

قال الشيخ الألباني:
- " أما أنت يا جعفر فأشبه خلقك خلقي وأشبه خلقي خلقك وأنت مني وشجرتي، وأما أنت يا علي فختني، وأبو ولدي، وأنا منك وأنت مني، وأما أنت يا زيد فمولاي ومني وإلي، وأحب القوم إلي ".
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‏‏‏‏أخرجه أحمد (5 / 204) والبخاري في " التاريخ " (1 / 1 / 19 - 20) والحاكم
‏‏‏‏(3 / 217) والطبراني في " المعجم الكبير " رقم - 378 مختصرا عن محمد بن
‏‏‏‏إسحاق عن يزيد بن عبد الله بن قسيط عن محمد بن أسامة عن أبيه قال: " اجتمع
‏‏‏‏جعفر وعلي وزيد بن حارثة، فقال جعفر: أنا أحبكم إلى رسول الله صلى الله
‏‏‏‏عليه وسلم وقال علي: أنا أحبكم إلى رسول الله صلى الله عليه وسلم ، وقال زيد
‏‏‏‏: أنا أحبكم إلى رسول الله صلى الله عليه وسلم فقالوا: انطلقوا بنا إلى رسول
‏‏‏‏الله صلى الله عليه وسلم حتى نسأله، فقال أسامة بن زيد: فجاؤا يستأذنونه،
‏‏‏‏فقال: اخرج فانظر من هؤلاء؟ فقلت: هذا جعفر وعلي وزيد، ما أقول أبي (!)
‏‏‏‏قال: ائذن لهم، ودخلوا، فقالوا: من أحب إليك؟ قال: فاطمة، قالوا:
‏‏‏‏نسألك عن الرجال، قال: " فذكره. وقال الحاكم:
‏‏‏‏__________جزء : 4 /صفحہ : 66__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏" صحيح على شرط مسلم ".
‏‏‏‏ووافقه الذهبي. وفيه نظر لأن ابن إسحاق إنما أخرج له مسلم متابعة، ثم هو
‏‏‏‏مدلس وقد عنعنه عند جميعهم. لكن له طريق أخرى عند الطبراني (379) من طريق
‏‏‏‏عمرو بن أبي سلمة عن أبيه عن أسامة بن زيد عن النبي صلى الله عليه وسلم مثله،
‏‏‏‏يعني مختصرا ليس فيه ذكر لزيد بن حارثة. وللحديث شاهد من حديث علي بإسناد
‏‏‏‏رجاله ثقات خرجته في " الإرواء " (2191) وله عنه طريق أخرى في " مشكل الآثار
‏‏‏‏"، وفيه رجل مجهول كما بينته هناك وفيه قوله لجعفر: " وأنت من شجرتي التي
‏‏‏‏أنا منها ". وفي " الترمذي " (2 / 312) عن عمر أنه قال لابنه عبد الله: "
‏‏‏‏إن زيد كان أحب إلى رسول الله صلى الله عليه وسلم من أبيك ".
‏‏‏‏وقال: " حديث حسن غريب ". وبالجملة فالحديث صحيح بهذه الطرق والشواهد،
‏‏‏‏إلا قوله في آخره: " وأحب القوم إلي " فحسن. والله أعلم. وأما قول
‏‏‏‏الهيثمي (9 / 275) : " رواه أحمد وإسناده حسن "، فلا يخفى ما فيه. ¤


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