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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2275. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کا جنگی معاملات میں صحابہ سے مشورہ کرنا
“ रसूल अल्लाह ﷺ ने जंग के मामलों में अपने सहाबा से सलाह ली ”
حدیث نمبر: 3455
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" رايت كاني في درع حصينة ورايت بقرا منحرة، فاولت ان الدرع الحصينة المدينة وان البقر هو ـ والله ـ خير".-" رأيت كأني في درع حصينة ورأيت بقرا منحرة، فأولت أن الدرع الحصينة المدينة وأن البقر هو ـ والله ـ خير".
سیدنا جابر بن عبداللہ رضی اللہ عنہ سے مروی ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میں نے اپنے آپ کو (‏‏‏‏خواب میں) دیکھا کہ میں ایک مضبوط زرہ میں ہوں اور ایک گائے ذبح کی ہوئی پڑی ہے۔ میں نے یہ تعبیر کی کہ مضبوط زرہ مدینہ ہے اور گائے۔ اللہ کی قسم!۔ وہ خیر و بھلائی ہے۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اپنے صحابہ سے فرمایا: اگر ہم مدینہ میں ہی فروکش رہیں اور وہ ہم پر چڑھائی کر دیں تو (‏‏‏‏ اپنے شہر میں ہی ٹھہر کر) ان سے لڑیں گے۔ صحابہ نے کہا: اے اللہ کے رسول! جاہلیت میں بھی ہم پر اس شہر میں حملہ نہیں کیا گیا اور اب اسلام کے باوجود ایسا کیوں ہو؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: (‏‏‏‏ٹھیک ہے) تمہاری بات سہی۔ (‏‏‏‏یہ جواب عفان کی حدیث میں ہے) پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے (‏‏‏‏جنگی) لباس پہنا۔ انصاریوں نے آپس میں کہا: ہم نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی رائے تسلیم نہیں کی (‏‏‏‏یہ خطرہ مول لینے والی بات ہے) سو وہ آئے اور کہا: اے اللہ کے نبی! آپ کی رائے پر عمل ہونا چاہئے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جب نبی جنگی لباس پہن لیتا ہے تو اسے یہ زیب نہیں دیتا کہ وہ لڑائی سے پہلے لباس اتار دے۔
हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “मैं ने अपने आप को (सपने में) देखा कि मैं एक मज़बूत कवच में हूँ और एक गाय ज़िबह की हुई पड़ी है। मैं ने यह तअबीर की कि मज़बूत कवच मदीना है और गाय। अल्लाह की क़सम, वह अच्छाई और भलाई है।” फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने सहाबा से फ़रमाया ! “यदि हम मदीने में ही रहें और वह हम पर चढ़ाई करदें तो (अपने शहर में ही ठहरकर) इन से लड़ेंगे।” सहाबा ने कहा ! ऐ अल्लाह के रसूल, जाहिलियत में भी हम पर इस शहर में हमला नहीं किया गया और अब इस्लाम के बावजूद ऐसा क्यों हो ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “(ठीक है) तुम्हारी बात सही।” (यह जवाब अफ़्फ़ान की हदीस में है) फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने (जंगी) लिबास पहना । अन्सारियों ने आपस में कहा कि हम ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की राय स्वीकार नहीं की (यह ख़तरा मोल लेने वाली बात है) सौ वे आए और कहा ! ऐ अल्लाह के नबी, आप की राय पर अमल होना चाहिए। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जब नबी जंगी लिबास पहन लेता है तो उसे यह शोभा नहीं देता कि वह लड़ाई से पहले लिबास उतारदे।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1100

قال الشيخ الألباني:
- " رأيت كأني في درع حصينة ورأيت بقرا منحرة، فأولت أن الدرع الحصينة المدينة وأن البقر هو ـ والله ـ خير ".
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‏‏‏‏أخرجه أحمد (3 / 351) حدثنا عبد الصمد وعفان قالا: حدثنا حماد - قال
‏‏‏‏عفان
‏‏‏‏في حديثه أنبأنا أبو الزبير، وقال عبد الصمد في حديثه -: حدثنا أبو الزبير
‏‏‏‏عن جابر بن عبد الله أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: فذكره. وزاد
‏‏‏‏: " فقال لأصحابه: لو أنا أقمنا بالمدينة، فإن دخلوا علينا فيها قاتلناهم.
‏‏‏‏فقالوا: يا رسول الله والله ما دخل علينا فيها من الجاهلية، فكيف يدخل علينا
‏‏‏‏فيها في الإسلام! قال عفان في حديثه: فقال: شأنكم إذا، قال: فلبس لأمته،
‏‏‏‏قال: فقال الأنصار: رددنا على رسول الله صلى الله عليه وسلم رأيه، فجاؤا
‏‏‏‏فقالوا: يا نبي الله شأنك إذا، فقال: إنه ليس لنبي إذا لبس لأمته أن يضعها
‏‏‏‏حتى يقاتل ". وأخرجه ابن سعد (2 / 45) : أخبرنا عفان بن مسلم به إلا أنه
‏‏‏‏قال: عن أبي الزبير عن جابر، وأخرجه الدارمي (2 / 129) أخبرنا الحجاج بن
‏‏‏‏منهال حدثنا حماد بن سلمة حدثنا أبو الزبير عن جابر.
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد رجاله ثقات على شرط مسلم لكن أبا الزبير مدلس وقد عنعنه عند
‏‏‏‏جميع مخرجيه، وقول الحافظ في " الفتح " (12 / 355) : " وفي رواية لأحمد:
‏‏‏‏حدثنا جابر ". فأظنه وهما منه سببه أنه انتقل نظره إلى قول حماد في رواية عبد
‏‏‏‏الصمد عنه: " حدثنا " فظن أنه من قول أبي الزبير، والله أعلم.
‏‏‏‏لكن لحديث الترجمة شاهد من حديث أبي موسى الأشعري مختصرا نحوه في حديث له وفيه
‏‏‏‏بعد قوله: " والله خير ": " فإذا هم النفر من المؤمنين يوم أحد، وإذا
‏‏‏‏الخير ما جاء الله به من الخير بعد ". أخرجه البخاري (12 / 354 - 355 - فتح)
‏‏‏‏ومسلم (7 / 57) والدارمي. وشاهد آخر من حديث ابن عباس نحوه وزاد بعد
‏‏‏‏قوله: " والله خير ": " فكان الذي قال رسول الله صلى الله عليه وسلم ".
‏‏‏‏وفيه أن الرؤيا كانت يوم أحد. أخرجه أحمد (1 / 271) بسند حسن.
‏‏‏‏__________جزء : 3 /صفحہ : 91__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏والحديث عزاه الحافظ والسيوطي للنسائي أيضا ولعله في " الكبرى له " وعزاه
‏‏‏‏السيوطي للضياء أيضا في " المختارة ". ¤


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