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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
ابتدائے (مخلوقات)، انبیا و رسل، عجائبات خلائق
जगत निर्माण, नबी और रसूलों का ज़िक्र और चमत्कार
2456. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے بچپنے میں شقِّ بطن کا واقعہ، آپ صلی اللہ علیہ وسلم تمام فرزندان امت سے بھاری ہیں
“ बचपन में रसूल अल्लाह ﷺ के पेट चाक करने की घटना ، रसूल अल्लाह ﷺ उम्मत के सभी लोगों से भारी ”
حدیث نمبر: 3790
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" يا ابا ذر! اتاني ملكان وانا ببعض بطحاء مكة، فوقع احدهما على الارض وكان الآخر بين السماء والارض، فقال احدهما لصحابه: اهو هو؟ قال: نعم، قال: فزنه برجل فوزنت به، فوزنته، ثم قال: فزنه بعشرة، فوزنت بهم، فرجحتهم، ثم قال: زنه بمائة فوزنت بهم، فرجحتهم، ثم قال: زنه بالف فوزنت بهم، فرجحتهم، كاني انظر إليهم ينتثرون علي من خفة الميزان، قال: فقال احدهما لصاحبه: لو وزنته بامة لرجحها".-" يا أبا ذر! أتاني ملكان وأنا ببعض بطحاء مكة، فوقع أحدهما على الأرض وكان الآخر بين السماء والأرض، فقال أحدهما لصحابه: أهو هو؟ قال: نعم، قال: فزنه برجل فوزنت به، فوزنته، ثم قال: فزنه بعشرة، فوزنت بهم، فرجحتهم، ثم قال: زنه بمائة فوزنت بهم، فرجحتهم، ثم قال: زنه بألف فوزنت بهم، فرجحتهم، كأني أنظر إليهم ينتثرون علي من خفة الميزان، قال: فقال أحدهما لصاحبه: لو وزنته بأمة لرجحها".
سیدنا ابوذر غفاری رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: میں نے کہا: اے اللہ کے رسول! جب آپ کو تاج نبوت پہنایا گیا تو آپ کو کیسے پتہ چلا کہ آپ نبی ہیں؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابوذر! میرے پاس دو فرشتے آئے اور میں اس وقت مکہ کی کسی وادی میں تھا، ان میں ایک زمین پر تھا اور دوسرا زمین و آسمان کے مابین۔ ایک نے دوسرے کے کہا: (‏‏‏‏جس شخصیت کی طرف ہم کو بھیجا گیا ہے) کیا یہ وہی ہے؟ دوسرے نے کہا: جی ہاں۔ اس نے کہا: ایک آدمی کے ساتھ ان کا وزن کرو، میرا وزن کیا گیا، لیکن میں بھاری رہا۔ اس نے کہا: دس آدمیوں سے ان کا وزن کرو۔ میرا وزن کیا گیا، لیکن میں ان پر بھی بھاری ثابت ہوا۔ اس نے کہا: سو افراد کے ساتھ وزن کرو۔ میرا وزن کیا گیا، لیکن میرا وزن زیادہ رہا۔ اس نے کہا: ہزار افراد کے ساتھ وزن کرو۔ میرا وزن کیا، لیکن (‏‏‏‏اب کی بار بھی) میں ہی وزنی رہا اور ان (‏‏‏‏ہزار آدمیوں کا پلڑا ہلکا ہونے کی وجہ سے) اتنا اوپر ا‏‏‏‏ٹھ گیا کہ مجھے اندیشہ ہونے لگا کہیں وہ خفت میزان کی وجہ سے مجھ پر گر ہی نہ جائیں۔ (‏‏‏‏بالآخر) ایک نے دوسرے سے کہا: اگر انکا وزن ان کی پوری امت سے کر دے تو یہ سب پر بھاری ثابت ہوں گے۔
हज़रत अबु ज़र ग़फ़्फ़ारी रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं, मैं ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल, जब आप को नबवत का ताज पहनाया गया तो आप को कैसे पता चला कि आप नबी हैं ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “अबु ज़र, मेरे पास दो फ़रिश्ते आए और मैं उस समय मक्का की किसी घाटी में था, उन में एक ज़मीन पर था और दूसरा ज़मीन और आसमान के बीच में। एक ने दूसरे से कहा कि (जिस इन्सान की ओर हम को भेजा गया है) क्या यह वही है ? दूसरे ने कहा कि जी हाँ। उसने कहा कि एक आदमी के साथ इनका वज़न करो तो मेरा वज़न किया गया, लेकिन में भारी रहा। उसने कहा कि दस आदमियों से इनका वज़न करो। मेरा वज़न किया गया, लेकिन मैं उन पर भी भारी साबित हुआ। उसने कहा कि सौ लोगों के साथ वज़न करो। मेरा वज़न किया गया, लेकिन मेरा वज़न अधिक रहा। उसने कहा कि हज़ार लोगों के साथ वज़न करो। मेरा वज़न किया कि लेकिन मैं ही भारी रहा और उन (‏‏‏‏हज़ार आदमियों का पलड़ा हलका होने के कारण) इतना उपर उठ गया कि मुझे डर होने लगा कहीं वे तराज़ू हल्का होने के कारण मुझ पर गिर ही न जाएं। (आख़िरकार) एक ने दूसरे से कहा कि यदि इनका वज़न इनकी पूरी उम्मत से करदे तो यह सब पर भारी साबित होंगे।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2529

قال الشيخ الألباني:
- " يا أبا ذر! أتاني ملكان وأنا ببعض بطحاء مكة، فوقع أحدهما على الأرض وكان الآخر بين السماء والأرض، فقال أحدهما لصحابه: أهو هو؟ قال: نعم، قال: فزنه برجل فوزنت به، فوزنته، ثم قال: فزنه بعشرة، فوزنت بهم، فرجحتهم، ثم قال: زنه بمائة فوزنت بهم، فرجحتهم، ثم قال: زنه بألف فوزنت بهم، فرجحتهم ، كأني أنظر إليهم ينتثرون علي من خفة الميزان، قال: فقال أحدهما لصاحبه: لو وزنته بأمة لرجحها ".
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‏‏‏‏أخرجه الدارمي (1 / 9) : حدثنا عبد الله بن عمران حدثنا أبو داود حدثنا جعفر
‏‏‏‏بن عثمان القرشي عن عثمان بن عروة بن الزبير عن أبيه عن أبي ذر الغفاري قال
‏‏‏‏: قلت: يا رسول الله! كيف علمت أنك نبي حين استنبئت؟ فقال: يا أبا ذر أتاني
‏‏‏‏.. إلخ. وهذا إسناد جيد رجاله كلهم ثقات معروفون، وفي جعفر بن عثمان - وهو
‏‏‏‏ابن عبد الله بن عثمان - كلام لا يضر إن شاء الله تعالى، وقد وثقه أبو حاتم،
‏‏‏‏وأبو داود في الإسناد هو الطيالسي، ومن طريقه رواه ابن عساكر أيضا كما في "
‏‏‏‏البداية " (2 / 276) والعقيلي كما في " الميزان " (1 / 190) .
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 69__________
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‏‏‏‏وللحديث
‏‏‏‏شواهد كثيرة، فانظر (أنا دعوة أبي إبراهيم) ، رقم (1545 و 1546) والحديث
‏‏‏‏عند ابن عساكر أتم منه، ففيه ذكر شق صدره، وخياطته، وجعل الخاتم بين كتفيه
‏‏‏‏. قال: " فما هو إلا أن وليا عني، فكأنما أعاين الأمر معاينة ".
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