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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
ابتدائے (مخلوقات)، انبیا و رسل، عجائبات خلائق
जगत निर्माण, नबी और रसूलों का ज़िक्र और चमत्कार
2456. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے بچپنے میں شقِّ بطن کا واقعہ، آپ صلی اللہ علیہ وسلم تمام فرزندان امت سے بھاری ہیں
“ बचपन में रसूल अल्लाह ﷺ के पेट चाक करने की घटना ، रसूल अल्लाह ﷺ उम्मत के सभी लोगों से भारी ”
حدیث نمبر: 3789
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" كانت حاضنتي من بني سعد بن بكر، فانطلقت انا وابن لها في بهم لنا ولم ناخذ معنا زادا، فقلت:" يا اخي اذهب فاتنا بزاد من عند امنا، فانطلق اخي ومكثت عند البهم، فاقبل طائران ابيضان كانهما نسران فقال احدهما لصاحبه: اهو هو؟ قالا الآخر: نعم، فاقبلا يبتدراني فاخذاني فبطحاني للقفا فشقا بطني، ثم استخرجا قلبي فشقاه فاخرجا منه علقتين سوداوين، فقال احدهما لصاحبه: ائتني بماء ثلج، فغسل به جوفي، ثم قال: ائتني بماء برد، فغسل به قلبي، ثم قال: ائتني بالسكينة، فذره في قلبي، ثم قال احدهما لصحابه: حصه، فحاصه وختم عليه بخاتم النبوة، ثم قال احدهما لصاحبه: اجعله في كفة، واجعل الفا من امته في كفة، قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: فإذا انا انظر إلى الالف فوقي اشفق ان يخر علي بعضهم، فقال: لو ان امته وزنت به لمال بهم، ثم انطلقا وتركاني قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: وفرقت فرقا شديدا ثم انطلقت إلى امي فاخبرتها، بالذي لقيت، فاشفقت ان يكون قد التبس بي، فقالت: اعيذك بالله، فرحلت بعيرا لها فجعلتني على الرحل وركبت خلفي حتى بلغنا إلى امي فقالت: اديت امانتي وذمتي، وحدثتها بالذي لقيت فلم يرعها ذلك وقالت: إني رايت خرج مني نورا اضاءت منه قصور الشام".-" كانت حاضنتي من بني سعد بن بكر، فانطلقت أنا وابن لها في بهم لنا ولم نأخذ معنا زادا، فقلت:" يا أخي اذهب فأتنا بزاد من عند أمنا، فانطلق أخي ومكثت عند البهم، فأقبل طائران أبيضان كأنهما نسران فقال أحدهما لصاحبه: أهو هو؟ قالا الآخر: نعم، فأقبلا يبتدراني فأخذاني فبطحاني للقفا فشقا بطني، ثم استخرجا قلبي فشقاه فأخرجا منه علقتين سوداوين، فقال أحدهما لصاحبه: ائتني بماء ثلج، فغسل به جوفي، ثم قال: ائتني بماء برد، فغسل به قلبي، ثم قال: ائتني بالسكينة، فذره في قلبي، ثم قال أحدهما لصحابه: حصه، فحاصه وختم عليه بخاتم النبوة، ثم قال أحدهما لصاحبه: اجعله في كفة، واجعل ألفا من أمته في كفة، قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: فإذا أنا أنظر إلى الألف فوقي أشفق أن يخر علي بعضهم، فقال: لو أن أمته وزنت به لمال بهم، ثم انطلقا وتركاني قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: وفرقت فرقا شديدا ثم انطلقت إلى أمي فأخبرتها، بالذي لقيت، فأشفقت أن يكون قد التبس بي، فقالت: أعيذك بالله، فرحلت بعيرا لها فجعلتني على الرحل وركبت خلفي حتى بلغنا إلى أمي فقالت: أديت أمانتي وذمتي، وحدثتها بالذي لقيت فلم يرعها ذلك وقالت: إني رأيت خرج مني نورا أضاءت منه قصور الشام".
سیدنا عتبہ بن عبد سلمی رضی اللہ عنہ، جو اصحاب رسول میں سے تھے، نے ہمیں بیان کیا کہ ایک آدمی نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے کہا: اے اللہ کے رسول! آپ کے نبوی معاملے کی ابتداء کیسے ہوئی؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میری دایہ کا تعلق بنو سعد بن بکر قبیلے سے تھا، میں اور اس کا بیٹا بھیڑ بکریاں چرانے کے لیے باہر چلےگئے اور اپنے ساتھ زاد راہ نہ لیا۔ میں نے کہا: میرے بھائی! جاؤ اور اپنی ماں سے اشیاء خوردنی لے آؤ۔ پس میرا بھائی چلا گیا اور میں بکریوں کے پاس ٹھہرا رہا۔ (‏‏‏‏میں کیا دیکھتا ہوں کہ) گدھ کی طرح کے دو سفید پرندے متوجہ ہوئے، ایک نے دوسرے سے کہا: کیا یہ آدمی وہی ہے؟ دوسرے نے کہا: جی ہاں۔ پھر وہ لپکتے ہوئے میری طرف متوجہ ہوئے، مجھے پکڑا اور گدّی کے بل لٹا دیا، میرا پیٹ چاک کیا، میرا دل نکالا اور اسے چیرا دیا، اس سے گاڑھے خون کے دو سیاہ ٹکڑے نکالے۔ پھر ایک نے دوسر ے سے کہا: برف والا پانی لاؤ۔ پس اس نے اس پانی سے میرا پبٹ دھویا، پھر کہا: اولوں والا پانی لاؤ۔ اس سے اس نے میرا دل دھویا اور پھر کہا: سکینت لاؤ۔ اس (‏‏‏‏اطمنان و سکون) کو میرے دل میں چھڑک دیا۔ پھر ایک نے دوسرے سے کہا: ٹانکے لگا دو۔ پس اس نے ٹانکے لگا دیے اور اس پر مہر نبوت ثبت کر دی۔ پھر ایک نے دوسرے سے کہا: اس (‏‏‏‏محمد صلی اللہ علیہ وسلم ) کو (‏‏‏‏ترازو کے) ایک پلڑے میں اور دوسرے میں اس کی امت کے ہزار افراد رکھو۔‏‏‏‏ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: (‏‏‏‏جب انہوں نے وزن کرنے کے لیے ترازو اٹھایا تو) میں نے دیکھا کہ وہ ہزار آدمی (‏‏‏‏میرے مقابلے میں کم وزن ہونے کی وجہ سے) اتنے اوپر اٹھ گئے کہ مجھے یہ خطرہ محسوس ہونے لگا کہ کہیں ایسا نہ ہو کہ وہ مجھ پر گر پڑیں۔ پھر اس نے کہا: اگر ان کا وزن ان کی پوری امت سے کیا جائے تو یہ (‏‏‏‏ محمد صلی اللہ علیہ وسلم ) وزنی ثابت ہوں گے، پھر وہ چلےگئے اور مجھے چھوڑ گئے۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اس وقت میں بہت زیادہ گھبرا گیا اپنی دایہ کے پاس پہنچا اور سارا واقعہ اسے سنا دیا، اسے یہ اندیشہ ہونے لگا کہ کہیں آپ کی عقل میں کوئی فتور نہ آ گیا ہو۔ اس نے کہا: میں تجھے اللہ تعالیٰ کی پناہ میں دیتی ہوں۔ پھر اس نے اونٹ پر کجاوہ رکھا، مجھے کجاوے پر بٹھایا اور خود میرے پیچھے سوار ہو گئی اور مجھے میری ماں (‏‏‏‏آمنہ) کے پاس پہنچا دیا اور میری ماں کو کہا: میں نے اپنی امانت اور ذمہ داری ادا کر دی ہے، پھر اسے وہ سارا واقعہ سنا دیا، جو مجھے پیش آیا تھا۔ لیکن (‏‏‏‏یہ ماجرا) میری ماں کو نہ گھبرا سکا، بلکہ انہوں نے کہا: جب یہ بچہ (‏‏‏‏میرے بطن سے) پیدا ہوا تھا تو میں نے ایک نور دیکھا تھا، جس سے شام کے محلات روشن ہو گئے تھے۔
हज़रत उत्बह बिन अब्दि सलमा रज़ि अल्लाहु अन्ह ने हमें बताया، जो अस्हाब रसूल में से थे, कि एक आदमी ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल, आप के नबवी मामले की शुरुआत कैसे हुई ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, मेरी दाई का संबंध बनि सअद बिन बक्र क़बीले से था, मैं और उस का बेटा भेड़ बकरियां चराने के लिये बाहर चले गए और अपने साथ खाने का सामान न लिया। मैं ने कहा कि मेरे भाई, जाओ और अपनी मां से खाने चीज़ ले आओ। बस मेरा भाई चला गया और मैं बकरियों के पास ठहरा रहा। (मैं क्या देखता हूँ कि) गिध की तरह के दो सफ़ेद पक्षी आए, एक ने दूसरे से कहा कि क्या यह आदमी वही है ? दूसरे ने कहा कि जी हाँ। फिर वे लपकते हुए मेरी ओर आए, मुझे पकड़ा और गुद्दी के बल लिटा दिया और मेरा पेट चाक किया, मेरा दिल निकाला और उसे चीरा और उस में से गाढ़े ख़ून के दो काले टुकड़े निकाले। फिर एक ने दूसरे से कहा कि बर्फ़ वाला पानी लाओ। बस उस ने उस पानी से मेरा पेट धोया, फिर कहा कि ओलों वाला पानी लाओ। उस से उस ने मेरा दिल धोया और फिर कहा, सुकून और आराम लाओ। उस (इत्मीनान और सुकून) को मेरे दिल में छिड़क दिया। फिर एक ने दूसरे से कहा कि टांके लगा दो। बस उसने टांके लगा दिए और उस पर मुहर नबवत लगादी। फिर एक ने दूसरे से कहा कि इस (मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को (तराज़ू के) एक पलड़े में और दूसरे में इस की उम्मत के हज़ार लोग रखो। ‏‏‏‏” रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “(जब उन्हों ने वज़न करने के लिये तराज़ू उठाया तो) मैं ने देखा कि वे हज़ार आदमी (मेरी तुलना में कम वज़न होने के कारण) इतने उपर उठ गए कि मुझे यह ख़तरा महसूस होने लगा कि कहीं ऐसा न हो कि वे मुझ पर गिर पड़ें। फिर उस ने कहा यदि इनका वज़न इनकी पूरी उम्मत से किया जाए तो यह (मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) भारी साबित होंगे, फिर वह चले गए और मुझे छोड़ गए। रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “उस समय में बहुत ज़्यादा घबरा गया अपनी दाई के पास पहुंचा और सारी घटना उसे सुना दी, उसे यह डर होने लगा कि कहीं आप की अक़ल में कोई ख़राबी न आगई हो। उसने कहा कि मैं तुझे अल्लाह तआला की शरण में देती हूँ। फिर उसने ऊंट पर कजावह रखा और मुझे कजावे पर बिठाया और ख़ुद मेरे पीछे सवार होगई और मुझे मेरी मां (आमना) के पास पहुंचा दिया और मेरी मां को कहा कि मैं ने अपनी अमानत और ज़िम्मेदारी देदी है, फिर उसे वह सारी घटना सुना दी, जो मेरे साथ हुआ था। लेकिन यह सब कुछ सुनकर मेरी मां न घबराई, बल्कि उन्हों ने कहा कि जब यह बच्चा (मेरे पेट से) पैदा हुआ था तो मैं ने एक रोशनी देखी थी, जिस से शाम के महल रोशन होगए थे।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 373

قال الشيخ الألباني:
- " كانت حاضنتي من بني سعد بن بكر، فانطلقت أنا وابن لها في بهم لنا ولم نأخذ معنا زادا، فقلت: " يا أخي اذهب فأتنا بزاد من عند أمنا، فانطلق أخي ومكثت عند البهم، فأقبل طائران أبيضان كأنهما نسران فقال أحدهما لصاحبه: أهو هو؟ قالا الآخر: نعم، فأقبلا يبتدراني فأخذاني فبطحاني للقفا فشقا بطني، ثم استخرجا قلبي فشقاه فأخرجا منه علقتين سوداوين، فقال أحدهما لصاحبه: ائتني بماء ثلج، فغسل به جوفي، ثم قال: ائتني بماء برد، فغسل به قلبي، ثم قال: ائتني بالسكينة، فذره في قلبي، ثم قال أحدهما لصحابه: حصه، فحاصه وختم عليه بخاتم النبوة، ثم قال أحدهما لصاحبه: اجعله في كفة، واجعل ألفا من أمته في كفة، قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : فإذا أنا أنظر إلى الألف فوقي أشفق أن يخر علي بعضهم، فقال: لو أن أمته وزنت به لمال بهم، ثم انطلقا وتركاني قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : وفرقت فرقا شديدا ثم انطلقت إلى أمي فأخبرتها، بالذي لقيت، فأشفقت أن يكون قد التبس بي، فقالت: أعيذك بالله ، فرحلت بعيرا لها فجعلتني على الرحل وركبت خلفي حتى بلغنا إلى أمي فقالت: أديت أمانتي وذمتي، وحدثتها بالذي لقيت فلم يرعها ذلك وقالت: إني رأيت خرج مني نورا أضاءت منه قصور الشام ".
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‏‏‏‏أخرجه الدارمي (1 / 8 - 9) والحاكم (2 / 616 - 617) وأحمد (4 / 184)
‏‏‏‏من طريق بقية بن الوليد حدثني بحير بن سعيد عن خالد بن معدان عن عتبة بن عبد
‏‏‏‏السلمي أنه حدثهم وكان من أصحاب رسول الله صلى الله عليه وسلم .
‏‏‏‏أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال له رجل كيف كان أول شأنك يا رسول الله؟
‏‏‏‏قال: فذكره.
‏‏‏‏والسياق للأول وقال الحاكم: صحيح على شرط مسلم. ووافقه الذهبي.
‏‏‏‏وفيه نظر فإن بقية إنما له في مسلم فرد حديث متابعة كما قال الخزرجي وهذا
‏‏‏‏إسناد حسن فقد صرح بقية بالتحديث. وقد أورده في " المجمع " (8 / 222)
‏‏‏‏وقال: " رواه أحمد والطبراني ولم يسق المتن وإسناد أحمد حسن ".
‏‏‏‏ورواه أيضا أبو نعيم في " الدلائل " كما في " البداية " (2 / 275) .
‏‏‏‏ولهذا الحديث شواهد كثيرة فانظر (أنا دعوة أبي إبراهيم) رقم (1545) . ¤


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