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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
سیرت نبوی اور آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے عادات و اطوار
रसूल अल्लाह ﷺ का चरित्र, आदतें और व्यवहार
2674. ہر مسلمان پناہ دے سکتا ہے
“ हर मुसलमान शरण दे सकता है ”
حدیث نمبر: 4063
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" يا ام هانئ! قد اجرنا من اجرت، وامنا من امنت".-" يا أم هانئ! قد أجرنا من أجرت، وأمنا من أمنت".
سیدہ ام ہانی بنت ابی طالب رضی اللہ عنہا سے روایت ہے، وہ کہتی ہیں: میں نے فتح مکہ والے دن اپنے سسرال کے دو آدمیوں کو پناہ دی اور ا‏‏‏‏ن کو گھر میں داخل کر کے دروازہ بند کر دیا۔ میری ماں کا بیٹا علی بن ابوطالب آیا اور ا‏‏‏‏ن دونوں پر تلوار سونت لی۔ میں نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس چلی گئی، لیکن آپ صلی اللہ علیہ وسلم موجود نہ تھے، البتہ سیدہ فاطمہ رضی اﷲ عنہا موجود تھیں، لیکن وہ مجھ پر اپنے خادند سے بھی زیادہ سخت تھیں۔ اچانک نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم تشریف لائے، آپ پر غبار کے اثرات تھے۔ جب میں نے آپ کو ساری بات بتلائی تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اے ام ہانی! جس کو تو نے پناہ دی ا‏‏‏‏س کو ہم نے پناہ دی اور جس کو تو نے امن دیا ا‏‏‏‏س کو ہم نے امن دیا۔
हज़रत उम्म हानी बिन्त अबी तालिब रज़ि अल्लाहु अन्हा से रिवायत है, वह कहती हैं कि मैं ने मक्का की विजय वाले दिन अपने ससुराल के दो आदमियों को शरण दी और उनको घर में बिठाकर दरवाज़ा बंद कर दिया। मेरी मां का बेटा अली बिन अबु तालिब आया और उन दोनों पर तलवार निकाल ली। मैं नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास चली गई, लेकिन आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मौजूद न थे, लेकिन हज़रत फ़ातिमह रज़ि अल्लाह अन्हा मौजूद थीं, लेकिन वह मुझ पर अपने पती से भी अधिक सख़्त थीं। अचानक नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आए, आप पर धूल थी। जब मैं ने आपको सारी बात बताई तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि “ऐ उम्म हानी, जिसको तू ने शरण दी उसको हम ने शरण दी और जिसको तू ने सुरक्षा दी उसको हम ने सुरक्षा दी।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2049

قال الشيخ الألباني:
- " يا أم هانئ! قد أجرنا من أجرت، وأمنا من أمنت ".
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‏‏‏‏أخرجه أحمد (6 / 341 و 343) من طريق أبي ذئب عن سعيد بن أبي سعيد المقبري عن
‏‏‏‏أبي مرة مولى فاختة أم هانىء بنت أبي طالب عنها قالت: " لما كان يوم فتح
‏‏‏‏مكة أجرت رجلين من أحمائي فأدخلتهما بيتا، وأغلقت عليهما بابا، فجاء ابن أمي
‏‏‏‏علي بن أبي طالب، فتفلت عليهما بالسيف، قالت: فأتيت النبي صلى الله عليه
‏‏‏‏وسلم فلم أجده، ووجدت فاطمة، فكانت أشد علي من زوجها. قالت: فجاء النبي
‏‏‏‏صلى الله عليه وسلم وعليه أثر الغبار، فأخبرته، فقال: فذكره ".
‏‏‏‏__________جزء : 5 /صفحہ : 77__________
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‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد صحيح على شرط الشيخين، وقد أخرجاه من طريق أخرى عن أبي مرة
‏‏‏‏واسمه يزيد دون قوله: " وأمنا من أمنت "، وهو مخرج في كتاب " إرواء الغليل
‏‏‏‏/ باب صلاة التطوع " (رقم 464) . وله طريق أخرى يرويه عياض بن عبد الله عن
‏‏‏‏مخرمة بن سليمان عن كريب عن ابن عباس قال: حدثتني أم هانىء بنت أبي طالب ...
‏‏‏‏الحديث مختصرا، وفيه الزيادة. أخرجه أبو داود (2763) والحاكم (4 / 54)
‏‏‏‏دون الزيادة. قلت: وإسناده جيد في المتابعات، فرجاله رجال مسلم إلا أن
‏‏‏‏عياضا هذا - وهو الفهري المصري - فيه لين.
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