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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
متفرق احادیث
विभिन्न हदीसें
2684. صاحب اسلام کی اہمیت، اللہ تعالیٰ کا ہم نوا اسی کا ہی رہے گا، پردہ پوشی کی فضیلت
“ मुस्लिम की अहमियत , अल्लाह तआल साथ छोड़ने वाला नहीं और किसी की बुराइयों को छिपाने की फ़ज़ीलत ”
حدیث نمبر: 4076
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-" ثلاث احلف عليهن: لا يجعل الله من له سهم في الإسلام كمن لا سهم له، وسهام الإسلام ثلاثة: الصوم والصلاة والصدقة، لا يتولى الله عبدا فيوليه غيره يوم القيامة، ولا يحب رجل قوما إلا جاء معهم يوم القيامة، والرابعة لو حلفت عليها لم اخف ان آثم: لا يستر الله على عبده في الدنيا إلا ستر عليه في الآخرة".-" ثلاث أحلف عليهن: لا يجعل الله من له سهم في الإسلام كمن لا سهم له، وسهام الإسلام ثلاثة: الصوم والصلاة والصدقة، لا يتولى الله عبدا فيوليه غيره يوم القيامة، ولا يحب رجل قوما إلا جاء معهم يوم القيامة، والرابعة لو حلفت عليها لم أخف أن آثم: لا يستر الله على عبده في الدنيا إلا ستر عليه في الآخرة".
سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا سے روایت ہے کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: میں تین چیزوں پر قسم اٹھاتا ہوں: (‏‏‏‏۱) اللہ تعالیٰ صاحب اسلام کو اسلام سے عاری شخص کے برابر نہیں کرے گا اور اسلام کے تین حصے ہیں: روزہ، نماز اور صدقہ۔ (‏‏‏‏۲) (‏‏‏‏یہ نہیں ہو سکتا کہ) اللہ کسی بندے سے ہم نوائی کرے اور پھر روز قیامت اسے کسی دوسرے کا ہم نوا بنا دے اور (‏‏‏‏۳) جو شخص جس کسی سے محبت کرے گا، وہ روز قیامت اسی کے ساتھ آئے گا اور اگر چوتھی چیز پر بھی میں قسم اٹھا لوں تو مجھے گنہگار ہونے کا خدشہ نہیں ہو گا۔ (‏‏‏‏وہ یہ ہے کہ) اگر اﷲ تعالیٰ نے دنیا میں اپنے بندے (‏‏‏‏ کے گناہوں) کی پردہ پوشی کی تو وہ آخرت میں بھی (‏‏‏‏ اس کی خطاؤں پر) پردہ ڈالے گا۔
हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “मैं तीन चीज़ों पर क़सम उठाता हूँ। (1) अल्लाह तआला इस्लाम वाले को इस्लाम से ख़ाली व्यक्ति के बराबर नहीं करेगा और इस्लाम के तीन भाग हैं, रोज़ा, नमाज़ और सदक़ह। (2) (यह नहीं हो सकता कि) अल्लाह किसी बंदे का साथी हो और फिर क़यामत के दिन उसे किसी दूसरे का साथी बनादे। (3) जो व्यक्ति जिस किसी से मुहब्बत करेगा, वह क़यामत के दिन उसी के साथ आएगा और यदि चौथी चीज़ पर भी मैं क़सम उठालूं तो मुझे पापी होने का डर नहीं होगा। (वह यह है कि) यदि अल्लाह तआला ने दुनिया में अपने बंदे (के पापों) को छुपाया तो वह आख़िरत में भी (उसकी ग़लतियों पर) पर्दा डालेगा।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1387

قال الشيخ الألباني:
- " ثلاث أحلف عليهن: لا يجعل الله من له سهم في الإسلام كمن لا سهم له، وسهام الإسلام ثلاثة: الصوم والصلاة والصدقة، لا يتولى الله عبدا فيوليه غيره يوم القيامة، ولا يحب رجل قوما إلا جاء معهم يوم القيامة، والرابعة لو حلفت عليها لم أخف أن آثم: لا يستر الله على عبده في الدنيا إلا ستر عليه في الآخرة ".
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‏‏‏‏أخرجه أبو يعلى في " مسنده " (216 / 2) : حدثنا هدبة بن خالد حدثنا همام عن
‏‏‏‏إسحاق بن عبد الله بن أبي طلحة عن شيبة الخضري أنه شهد عروة يحدث عمر بن عبد
‏‏‏‏العزيز عن عائشة عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: فذكره، فقال عمر بن
‏‏‏‏عبد العزيز: إذا سمعتم مثل هذا من مثل عروة، فاحفظوه. قال إسحاق: وحدثني
‏‏‏‏عبد الله بن عتبة بن مسعود عن ابن مسعود عن النبي صلى الله عليه وسلم بمثله.
‏‏‏‏قلت: إسناده إلى عائشة ضعيف من أجل شيبة الخضري فإن فيه جهالة كما قال الذهبي
‏‏‏‏: وأما إسناده إلى ابن مسعود فصحيح، رجاله كلهم ثقات رجال الشيخين. وهذه
‏‏‏‏فائدة عزيزة بهذا الإسناد عن ابن مسعود، فقد أخرجه أحمد (6 / 145) والطحاوي
‏‏‏‏في " المشكل " (2 / 50) والحاكم (1 / 19 و 4 / 384) من الطريق الأولى فقط
‏‏‏‏عن عائشة. وقد عرفت ضعفها بالجهالة، فقول الحافظ المنذري في " الترغيب " (1
‏‏‏‏/ 143) . " رواه أحمد بإسناد جيد "! فهو غير جيد، ونحوه قول الهيثمي في
‏‏‏‏" المجمع " (1 / 143) : " رواه أحمد، ورجاله ثقات "! ويبدو أن له طريقا
‏‏‏‏أخرى عن ابن مسعود رضي الله عنه، فقد قال الهيثمي عقب ما تقدم: " ورواه أبو
‏‏‏‏يعلى أيضا عن ابن مسعود بمثله ".
‏‏‏‏قلت: عزاه المنذري للطبراني في " الكبير " وقد رأيته فيه (3 / 13 / 2) من
‏‏‏‏طريقين عنه موقوفا عليه وكلاهما منقطع. ووجدت له طريق أخرى عن عائشة أيضا،
‏‏‏‏أخرجه أبو نعيم في " أخبار أصبهان " (1 / 268) عن الحسن بن محمد بن الحسين
‏‏‏‏الأصبهاني حدثنا أبو مسعود
‏‏‏‏__________جزء : 3 /صفحہ : 376__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أنبأنا عبد الرزاق عن معمر عن الزهري عن عروة عن
‏‏‏‏عائشة مرفوعا به نحوه. أورده في ترجمة الحسن هذا، ويعرف بـ (ابن بوبة)
‏‏‏‏ولم يذكر فيه جرحا ولا تعديلا، وبقية رجاله ثقات: وللحديث شاهد من حديث
‏‏‏‏أبي أمامة مرفوعا بلفظ: " ثلاث لو حلفت عليهن لبررت، والرابعة لو حلفت عليها
‏‏‏‏لرجوت أن لا آثم: لا يجعل الله من له سهم في الإسلام كمن لا سهم له، ولا
‏‏‏‏يتولى الله عبدا فيوليه غيره في الآخرة، ولا يحب عبد قوما إلا بعثه الله فيهم
‏‏‏‏أو معهم، والرابعة: لا يستر الله على عبد في الدنيا إلا ستر عليه عند المقام
‏‏‏‏". رواه أبو بكر الشافعي في " الرباعيات " (1 / 106 / 2) وأبو عبد الله
‏‏‏‏الصاعدي في " السداسيات " (4 / 2) عن طالوت بن عباد حدثنا فضال بن جبير حدثنا
‏‏‏‏أبو أمامة مرفوعا. وفضال بن جبير ضعيف الحديث كما قال أبو حاتم. ¤


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