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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
اذان اور نماز
अज़ान और नमाज़
412. نماز عشاء تاخیر سے ادا کرنا امت محمد صلی اللہ علیہ وسلم کا خاصہ ہے
“ ईशा की नमाज़ थोड़ा देर से पढ़ना रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत की विशेषता ”
حدیث نمبر: 622
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
- (على رسلكم! ابشروا، إن من نعمة الله عليكم: انه ليس احد من الناس يصلي هذه الساعة غيركم).- (على رِسلِكم! أَبشرُوا، إنّ من نعمةِ اللهِ عليكم: أنّه ليسَ أحدٌ من النّاسِ يصلِّي هذه السَّاعة غيرَكم).
سیدنا ابوموسی رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ میں اور کشتی میں میرے ساتھ آنے والے ساتھیوں نے وادی بقیع بطحان میں پڑاؤ ڈالا ہوا تھا، جبکہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم مدینہ میں فروکش تھے۔ ہم میں سے کچھ لوگ باری باری ہر روز آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ نماز عشاء ادا کرنے کے لیے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آتے تھے۔ جس دن میں اور میرے ساتھی آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس آئے تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم کسی کام میں مصروف تھے، اس لیے نماز عشاء کو مؤخر کیا اور اتنی تاخیر کی کہ (تقریباً) نصف رات گزر گئی۔ (بالآخر) نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم تشریف لائے، نماز پڑھائی اور فارغ ہونے کے بعد حاضرین سے فرمایا: ذرا ٹھہرو! خوش ہو جاؤ، اللہ تعالیٰ نے تم پر انعام کیا ہے، تمہارے علاوہ کوئی فرد ایسا نہیں ہے جو اس گھڑی نماز پڑھ رہا ہو۔ یا فرمایا: تمہارے علاوہ کسی نے بھی یہ نماز (اس وقت میں) ادا نہیں کی۔ راوی کو یاد نہیں رہا کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے کون سا جملہ ارشاد فرمایا تھا۔ سیدنا ابوموسی رضی اللہ عنہ نے کہا: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کا یہ فرمان سن کر ہم خوشی خوشی گھر لوٹے۔ حدیث میں لفظ «اِبهَارَّ» کے معانی نصف ہونے کے ہیں، ہر چیز کے وسط کو «بَهرَةٌ» کہتے ہیں۔ لیکن ایک قول کے مطابق «اِبهَارَّ اللَّيلُ» اس وقت کہا جاتا ہے جب ستارے طلوع ہو کر چمکنے لگ جائیں۔ لیکن پہلا معنی زیادہ مستعمل ہے۔
हज़रत अबु मूसा रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि मैं और कश्ती में मेरे साथ आने वाले साथियों ने घाटी बक़ीअ बूतहान में पड़ाव डाला हुआ था, जबकि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीने में थे। हम में से कुछ लोग बारी बारी हर दिन आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ इशा की नमाज़ पढ़ने के लिए आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आते थे। जिस दिन मैं और मेरे साथी आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आए तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम किसी काम में लगे हुए थे, इस लिए इशा की नमाज़ को देर करदी और इतनी देर की कि (लगभग) आधी रात बीत गई। (अंत में) नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम आए, नमाज़ पढ़ाई और पढ़ने के बाद लोगों से फ़रमाया कि “ज़रा ठहरो, ख़ुश हो जाओ, अल्लाह तआला ने तुम पर इनाम किया है, तुम्हारे सिवा कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है जो इस समय नमाज़ पढ़ रहा हो।” या फ़रमाया ! “तुम्हारे सिवा किसी ने भी यह नमाज़ (इस समय में) नहीं पढ़ी।” रिवायत करने वाले को याद नहीं रहा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कौन से शब्द कहे थे। हज़रत अबु मूसा रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कहा कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का यह कहना सुनकर हम ख़ुशी ख़ुशी घर लौटे। हदीस में शब्द « اِبهَارَّ » के मतलब “आधा होने” के हैं, हर चीज़ के आधे को « بَهرَةٌ » कहते हैं। लेकिन एक कहने के अनुसार « اِبهَارَّ اللَّيلُ » उस समय कहा जाता है जब सितारे निकल कर चमकने लग जाएं। लेकिन पहला मतलब या अर्थ बहुत उपयोग में है।
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 3969

قال الشيخ الألباني:
- (على رِسلِكم! أَبشرُوا، إنّ من نعمةِ اللهِ عليكم: أنّه ليسَ أحدٌ من النّاسِ يصلِّي هذه السَّاعة غيرَكم) .
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‏‏‏‏أخرجه البخاري (567- "الفتح ") ، ومسلم (2/117) ، وأبو عوانة (1/363-364) عن أبي موسى قال:
‏‏‏‏كنت أنا وأصحابي الذين قدموا معي في السفينة نزولاً في بقيع (بُطحَان) ، والنبي- صلى الله عليه وسلم - بالمدينة، فكان يتناوب النبي - صلى الله عليه وسلم - عند صلاة العشاء كل ليلة نفر
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‏‏‏‏منهم، فوافقنا النبي - صلى الله عليه وسلم - أنا وأصحابي؛ وله بعض الشغل في بعض أمره، فأعتَمَ بالصلاة حتى ابهارَّ الليل، ثم خرج النبي - صلى الله عليه وسلم - فصلى بهم، فلما قضى صلاته قال لمن حضره: ... فذكر الحديث؛ وزاد أو قال:
‏‏‏‏"ما صلى هذه الصلاة أحد غيركم "، لا يدري أي الكلمتين قال؟!
‏‏‏‏قال أبو موسى:
‏‏‏‏فرجعنا فرحين بما سمعنا من رسول الله- صلى الله عليه وسلم -.
‏‏‏‏قوله: (ابهار) ؛ أي: انتصف. وبهرة كل شيء: وسطه.
‏‏‏‏وقيل: (ابهار الليل) : إذا طلعت نجومه واستنارت، والأول أكثر. * ¤


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