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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
خرید و فروخت، کمائی اور زہد کا بیان
ख़रीदना, बेचना, कमाई और परहेज़गारी
796. بلاوجہ سوال کا انجام
“ बिना कारण मांगने का अंत ”
حدیث نمبر: 1163
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" يا ابا بكر! ثلاث كلهن حق: ما من عبد ظلم بمظلمة فيغضي عنها لله عز وجل إلا اعز الله بها نصره، وما فتح رجل باب عطية يريد بها صلة إلا زاده الله بها كثرة، وما فتح رجل باب مسالة يريد بها كثرة إلا زاده الله بها قلة".-" يا أبا بكر! ثلاث كلهن حق: ما من عبد ظلم بمظلمة فيغضي عنها لله عز وجل إلا أعز الله بها نصره، وما فتح رجل باب عطية يريد بها صلة إلا زاده الله بها كثرة، وما فتح رجل باب مسألة يريد بها كثرة إلا زاده الله بها قلة".
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ ایک آدمی سیدنا ابوبکر رضی اللہ عنہ کو برا بھلا کہنے لگا، جبکہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم پاس تشریف فرما تھے، لیکن آپ صلی اللہ علیہ وسلم تعجب کر رہے تھے اور ہنس رہے تھے۔ جب ا‏‏‏‏س شخص نے زیادہ گالیاں دیں تو سیدنا ابوبکر رضی اللہ عنہ نے بعض گالیوں کا جواب دیا۔ لیکن نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم ناراض ہو گئے اور چلے گئے۔ سیدنا ابوبکر رضی اللہ عنہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو جا ملے اور کہا: اے اللہ کے رسول! وہ مجھ پر سب و شتم کرتا رہا، لیکن آپ صلی اللہ علیہ وسلم بیٹھے رہے، جب میں نے اس کی بعض گالیوں کا جواب دیا تو آپ غصے میں آ گئے اور اٹھ کھڑے ہوئے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: دراصل تیرے ساتھ ایک فرشتہ تھا، جو تیری طرف سے جواب دے رہا تھا، لیکن جب تم نے خود جوابی کاروائی شروع کی تو شیطان گھس آیا، اب میں شیطان کے ساتھ تو نہیں بیٹھ سکتا۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جب تو نے اس کی کچھ گالیوں کا جواب لوٹایا تو شیطان آ گیا اور میرے لائق نہیں کہ میں شیطان کے ساتھ بیٹھوں۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابوبکر! تین چیزیں برحق ہیں: ?? جس آدمی پر ظلم کیا جائے اور وہ آگے سے چشم پوشی کر جائے تو اللہ تعالیٰ اس کی زبردست مدد کرتے ہیں، ② جو آدمی تعلقات جوڑنے کے لیے عطیے دینا شروع کرتا ہے، اللہ تعالیٰ اس کو کثرت سے عطا کرتے ہیں اور ③ جو آدمی اپنے مال کو بڑھانے کے لیے (‏‏‏‏لوگوں سے) سوال کرنا شروع کرتا ہے۔ اللہ تعالیٰ (‏‏‏‏اس کے مال کی) کمی میں اضافہ کرتے ہیں۔
हज़रत अबु हुरैरा रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि एक आदमी हज़रत अबु बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह को बुराभला कहने लगा जबकि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उनके पास मौजूद थे लेकिन आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हैरत कर रहे थे और हंस रहे थे। जब उस व्यक्ति ने अधिक गालियां देदीं तो हज़रत अबु बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह ने कुछ गालियों का जवाब दिया। लेकिन नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नाराज़ होगए और चलेगए। हज़रत अबु बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से जाकर मिले और कहा ऐ अल्लाह के रसूल, वह मुझे बुराभला कहता रहा लेकिन आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बैठे रहे, जब मैं ने उसकी कुछ गालियों का जवाब दिया तो आप ग़ुस्से में आगए और उठ खड़े हुए। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “असल में तेरे साथ एक फ़रिश्ता था, जो तेरी ओर से जवाब देरहा था लेकिन जब तुम ने ख़ुद जवाबी कार्यवाही शुरू की तो शैतान घुस आया, अब मैं शैतान के साथ तो नहीं बैठ सकता।” फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जब तू ने उसकी कुछ गालियों का जवाब दिया तो शैतान आगया और मेरे लिए ठीक नहीं कि मैं शैतान के साथ बैठूं।” फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “अबु बक्र ये तीन बातें सच्ची हैं।” (1) “जिस आदमी पर ज़ुल्म किया जाए और वह उस से आंख चुराले तो अल्लाह तआला उस की ज़बरदस्त सहायता करता है।” (2) “जो आदमी संबंध बनाने के लिए दान देना शुरू करता है। अल्लाह तआला उसको अधिक दिया करता है।” (3) “जो आदमी अपने माल को बढ़ाने के लिए (‏‏‏‏लोगों से) मांगना शुरू करता है। अल्लाह तआला (उसके माल की) कमी को और बढ़ा देता है।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2231

قال الشيخ الألباني:
- " يا أبا بكر! ثلاث كلهن حق: ما من عبد ظلم بمظلمة فيغضي عنها لله عز وجل إلا أعز الله بها نصره، وما فتح رجل باب عطية يريد بها صلة إلا زاده الله بها كثرة، وما فتح رجل باب مسألة يريد بها كثرة إلا زاده الله بها قلة ".
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‏‏‏‏أخرجه أحمد (2 / 436) عن ابن عجلان قال: حدثنا سعيد بن أبي سعيد عن أبي
‏‏‏‏هريرة: " أن رجلا شتم أبا بكر والنبي صلى الله عليه وسلم جالس، فجعل النبي
‏‏‏‏صلى الله عليه وسلم يعجب ويبتسم، فلما أكثر رد عليه بعض قوله، فغضب النبي
‏‏‏‏صلى الله عليه وسلم وقام، فلحقه أبو بكر فقال: يا رسول الله! كان يشتمني
‏‏‏‏وأنت جالس فلما رددت عليه بعض قوله، غضبت وقمت، قال: إنه كان معك ملك يرد
‏‏‏‏عنك، فلما رددت عليه بعض قوله وقع الشيطان، فلم أكن لأقعد مع الشيطان، ثم
‏‏‏‏قال: " فذكره.
‏‏‏‏قلت: وإسناده جيد. والحديث قال في " مجمع الزوائد " (8 / 190) : " رواه
‏‏‏‏أحمد والطبراني في " الأوسط " بنحوه ورجال أحمد رجال (الصحيح) "! كذا قال
‏‏‏‏، وابن عجلان إنما أخرج له البخاري تعليقا ومسلم استشهادا. وللجملة الأخيرة
‏‏‏‏منه طريق أخرى عن العلاء بن عبد الرحمن عن أبيه عن أبي هريرة. أخرجه أحمد (2
‏‏‏‏/ 418) .
‏‏‏‏__________جزء : 5 /صفحہ : 271__________
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‏‏‏‏وسنده صحيح على شرط مسلم.
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