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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
حدود، معاملات، احکام
सीमाएं, मामले, नियम
927. ہر زمان و مکان میں مسلمان کو تکلیف سے بچایا جائے
“ मुसलमानों को हर समय और हर जगह तकलीफ़ से बचाना चाहिए ”
حدیث نمبر: 1327
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" لا يقتل بعضكم بعضا [ولا يصب بعضكم (بعضا) ]، وإذا رميتم الجمرة فارموا بمثل حصا الخذف".-" لا يقتل بعضكم بعضا [ولا يصب بعضكم (بعضا) ]، وإذا رميتم الجمرة فارموا بمثل حصا الخذف".
سلیمان بن عمرو بن احوص اپنی ماں سیدہ ام جندب رضی اللہ عنہا سے روایت کرتے ہیں، وہ کہتی ہیں کہ میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کو دیکھا کہ آپ نے وادی کے اندر سے جمرے کو کنکریاں ماریں، اس حال میں کہ آپ سوار تھے، ہر کنکری کے ساتھ اللہ اکبر کہتے، ایک آدمی آپ کے پیچھے بیٹھا ہوا تھا جو آپ پر پردہ کر رہا تھا۔ میں نے اس آدمی کے بارے میں دریافت کیا کہ وہ کون تھا؟ انہوں نے کہا: کہ وہ فضل بن عباس تھا۔ لوگ بری تعداد میں اکٹھے ہوئے۔ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: کوئی کسی کو قتل نہ کرے اور نہ کوئی کسی کو زخمی کرے اور جب تم لوگ جمرے کو کنکریاں مارو تو وہ (سائز میں اس کنکری کے برابر ہوں جو) بیچ کی دو انگلیوں میں رکھ کر پھینکی جاتی ہے (یعنی لوہے اور چنے وغیرہ کے دانے کے برابر ہو)۔
सुलेमान बिन अमरो बिन अहवस अपनी माता हज़रत उम्म जुनदुब रज़ि अल्लाहु अन्हा से रिवायत करते हैं, वह कहती हैं कि मैं ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा कि आप ने घाटी के अंदर से शैतान को कंकरियां मारीं, इस हाल में कि आप सवार थे हर कंकरी के साथ अल्लाहु अकबर कहते, एक आदमी आप के पीछे बेठा हुआ था जो आप पर पर्दा कर रहा था। मैं ने उस आदमी के बारे में पूछा कि वह कौन था ? उन्हों ने कहा कि वह फ़ज़ल बिन अब्बास था। लोग बहुत संख्या में इकट्ठे हुए फिर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “कोई किसी को क़त्ल न करे और न कोई किसी को घायल करे और जब तुम लोग शैतान को कंकरियां मारो तो वह (आकार में इस कंकरी के बराबर हों जो) बीच की दो उंगलियों में रख कर फेंकी जाती है (यानी लोहे और चने आदि के दाने के बराबर हो)।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2445

قال الشيخ الألباني:
- " لا يقتل بعضكم بعضا [ولا يصب بعضكم (بعضا) ] ، وإذا رميتم الجمرة فارموا بمثل حصا الخذف ".
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‏‏‏‏أخرجه أبو داود (1966) والطيالسي (1660) وأحمد (3 / 503 و 6 / 376 و 379
‏‏‏‏) عن يزيد بن أبي زياد أخبرنا سليمان بن عمرو بن الأحوص عن أمه قالت: "
‏‏‏‏رأيت رسول الله صلى الله عليه وسلم يرمي الجمرة في بطن الوادي وهو راكب يكبر
‏‏‏‏مع كل حصاة ورجل خلفه يستره، فسألت عن الرجل؟ فقالوا: الفضل بن العباس
‏‏‏‏وازدحم الناس، فقال النبي صلى الله عليه وسلم : ... " فذكره. والزيادة لأحمد
‏‏‏‏وسقط منه ما بين الهلالين واستدركته من: " الزيادة على الجامع الصغير ".
‏‏‏‏وقد عزاه بالزيادة لأبي داود أيضا وابن ماجة! قلت: وهذا إسناد ضعيف، سليمان
‏‏‏‏بن عمرو هذا مجهول الحال، لم يوثقه غير ابن حبان ولم يرو عنه غير يزيد هذا
‏‏‏‏وشبيب بن غرقدة. ويزيد بن أبي زياد - وهو الهاشمي مولاهم - فيه ضعف من قبل
‏‏‏‏حفظه. لكن الحديث حسن، فإن له في " المسند " طريقين آخرين: الأولى: عن
‏‏‏‏الحجاج بن أرطأة عن أبي يزيد مولى عبد الله بن الحارث عن أم جندب الأزدية نحوه
‏‏‏‏دون الزيادة. وأبو يزيد هذا غير معروف، أورده الحافظ في " التعجيل " لهذه
‏‏‏‏الرواية ولم يزد! والأخرى: عن ليث عن عبد الله بن شداد عنها مرفوعا بلفظ:
‏‏‏‏" يا أيها الناس! عليكم السكينة والوقار، وعليكم بمثل حصى الخذف ".
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‏‏‏‏(¬1) النور: الآية: 3. اهـ.
‏‏‏‏__________جزء : 5 /صفحہ : 573__________
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‏‏‏‏قلت: ورجاله ثقات رجال الشيخين، إلا أن ليثا - وهو ابن سعد المصري - ولد
‏‏‏‏بعد وفاة عبد الله بن شداد - وهو ابن الهاد الليثي المدني - بأكثر من عشر سنين.
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