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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
ایمان توحید، دین اور تقدیر کا بیان
तौहीद पर ईमान, दीन और तक़दीर
9. توحید کی برکتیں
“ तौहीद : अल्लाह एक और अकेला है यह विश्वास करने की बरकतें ”
حدیث نمبر: 19
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" ذاك جبريل عرض لي في جانب الحرة، فقال: بشر امتك انه من مات لا يشرك بالله شيئا دخل الجنة. فقلت: يا جبريل وإن سرق وإن زنى؟ قال: نعم، قال: قلت: وإن سرق وإن زنى؟ قال: نعم. قال: قلت: وإن سرق وإن زنى؟ قال: نعم وإن شرب الخمر".-" ذاك جبريل عرض لي في جانب الحرة، فقال: بشر أمتك أنه من مات لا يشرك بالله شيئا دخل الجنة. فقلت: يا جبريل وإن سرق وإن زنى؟ قال: نعم، قال: قلت: وإن سرق وإن زنى؟ قال: نعم. قال: قلت: وإن سرق وإن زنى؟ قال: نعم وإن شرب الخمر".
سیدنا ابوذر رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: میں ایک رات کو نکلا، کیا دیکھتا ہوں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم اکیلے چل رہے تھے، آپ کے ساتھ کوئی آدمی نہیں تھا۔ میں نے سمجھا کہ شائد آپ صلی اللہ علیہ وسلم اس بات کو ناپسند کرتے ہیں کہ آپ کے ساتھ کوئی چلے۔ میں نے چاند کے سائے میں چلنا شروع کر دیا۔ آپ میری طرف متوجہ ہوئے، مجھے دیکھا اور پوچھا: یہ کون ہے؟ میں نے کہا: میں ابوذر ہوں، اللہ مجھے آپ پر قربان کرے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ابوذر! ادھر آؤ۔ میں آپ کے پاس گیا اور آپ کے ساتھ کچھ دیر چلتا رہا پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے مجھے فرمایا: قیامت والے روز کثیر مال و دولت والے اجر و ثواب میں کم ہوں گے، مگر جس کو اللہ تعالیٰ نے مال دیا اور اس نے (صدقہ کرتے ہوئے) اسے دائیں بائیں اور آگے پیچھے بکھیر دیا اور اس کے ذریعے نیک اعمال کیے۔ پھر میں آپ کے ساتھ چلتا رہا، حتی کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: یہاں بیٹھ جاؤ۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے مجھے ایسی ہموار زمین میں بٹھایا، جس کے ارد گرد پتھر پڑے ہوئے تھے۔ پھر فرمایا: میرے واپس آنے تک یہاں بیٹھے رہو۔ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم حرہ (کالے پتھروں والی زمین) کی طرف چلے گئے اور نظروں سے اوجھل ہو گئے، آپ صلی اللہ علیہ وسلم وہاں کافی دیر تک ٹھہرے رہے۔ پھر میں نے سنا آپ صلی اللہ علیہ وسلم یہ فرماتے ہوئے آ رہے تھے: اگرچہ وہ چوری بھی کرے اور زنا بھی کرے۔ جب آپ صلی اللہ علیہ وسلم میرے پاس پہنچے تو مجھ سے صبر نہ ہو سکا اور میں نے کہا: اے اللہ کے نبی! مجھے اللہ تعالیٰ آپ پر قربان کرے! آپ حرہ زمین کے پاس کس سے گفتگو کر رہے تھے؟ پھر آپ کو کوئی جواب بھی نہیں دے رہا تھا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: وہ جبریل تھا، حرہ کے ساتھ ہی وہ مجھے ملا اور کہا: (اے محمد!) اپنی امت کو خوشخبری سنا دو کہ جو اس حال میں مرے کہ اس نے اللہ تعالیٰ کے ساتھ کسی کو شریک نہ ٹھہرایا ہو، وہ جنت میں داخل ہو گا۔ میں نے کہا: جبریل! اگرچہ اس نے چوری بھی کی ہو اور زنا بھی کیا ہو؟۔ اس نے کہا: جی ہاں۔ میں نے کہا: اگرچہ اس نے چوری بھی کی ہو اور زنا بھی کیا ہو؟۔ میں نے کہا: جی ہاں۔ میں نے کہا: اگرچہ اس نے چوری بھی کی ہو اور زنا بھی کیا ہو؟۔ اس نے کہا: جی ہاں اور اگرچہ اس نے شراب بھی پی ہو۔
हज़रत अबु ज़र रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि मैं एक रात को निकला, क्या देखता हूँ कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अकेले चल रहे थे, आपके साथ कोई आदमी नहीं था। मैं ने समझा कि शायद आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इस बात को पसंद नहीं करते हैं कि आपके साथ कोई चले। मैं ने चाँद की छाया में चलना शुरू करदिया। आपने मेरी तरफ़ ध्यान किया, मुझे देखा और पूछा कि “ये कौन है ?” मैं ने कहा कि मैं अबु ज़र हूँ, अल्लाह मुझे आप पर क़ुरबान करे। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “अबु ज़र, इधर आओ।” मैं आपके पास गया और आपके साथ कुछ देर चलता रहा फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझ से कहा कि “क़यामत वाले दिन अधिक माल और दौलत वाले लोग बदले और सवाब में कम होंगे, मगर जिस को अल्लाह तआला ने माल दिया और उसने (सदक़ाह करते हुए) उसे दाएँ बाएँ और आगे पीछे बिखेर दिया और उसके द्वारा नेक कर्म किए।” फिर मैं आपके साथ चलता रहा, यहां तक कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “यहाँ बैठ जाओ।” आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे ऐसी सीधी ज़मीन पर बिठाया, जिसके आसपास पत्थर पड़े हुए थे। फिर फ़रमाया ! “मेरे वापस आने तक यहाँ बैठे रहो।” फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हिरह (काले पत्थरों वाली ज़मीन) की ओर चले गए और नज़रों से ओझल होगए, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम वहां काफ़ी देर तक रुके रहे। फिर मैं ने सुना आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ये कहते हुए आ रहे थे ! “चाहे वह चोरी भी करे और ज़िना भी करे।” जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मेरे पास पहुंचे तो मुझ से सब्र न हो सका और मैं ने कहा कि ऐ अल्लाह के नबी, मुझे अल्लाह तआला आप पर क़ुरबान करे, आप हिरह ज़मीन के पास किस से बातचीत कर रहे थे ? फिर आप को कोई जवाब भी नहीं दे रहा था। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “वह जिब्रईल था, हिरह के पास ही वह मुझे मिला और कहा कि (ऐ मुहम्मद) अपनी उम्मत को ख़ुशख़बरी सुना दो कि जो इस हाल में मरे कि उसने अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक (भागीदार) न ठहराया हो, वह जन्नत में जाएगा। मैं ने कहा कि जिब्रईल, चाहे उसने चोरी भी की हो और ज़िना भी किया हो ? उसने कहा कि जी हाँ। मैं ने कहा कि चाहे उसने चोरी भी की हो और ज़िना भी किया हो ? उस ने कहा कि जी हाँ। मैं ने कहा कि चाहे उसने चोरी भी की हो और ज़िना भी किया हो ? उसने कहा कि जी हाँ और चाहे उसने शराब भी पी हो।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 826

قال الشيخ الألباني:
- " ذاك جبريل عرض لي في جانب الحرة، فقال: بشر أمتك أنه من مات لا يشرك بالله شيئا دخل الجنة. فقلت: يا جبريل وإن سرق وإن زنى؟ قال: نعم، قال: قلت: وإن سرق وإن زنى؟ قال: نعم. قال: قلت: وإن سرق وإن زنى؟ قال: نعم وإن شرب الخمر ".
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‏‏‏‏أخرجه البخاري (8 / 79 ـ نهضة) وفي " الأدب المفرد " (803) ومسلم
‏‏‏‏(3 / 76) والترمذي (3 / 269) وأحمد (5 / 152) من طريق زيد بن وهب عن
‏‏‏‏أبي ذر قال: " خرجت ليلة من الليالي، فإذا رسول الله صلى الله عليه وسلم
‏‏‏‏يمشي وحده ليس معه إنسان، قال: فظننت أنه يكره أن يمشي معه أحد، قال: فجعلت
‏‏‏‏أمشي في ظل القمر، قال: فالتفت فرآني، فقال: من هذا؟ فقلت: أبو ذر جعلني
‏‏‏‏الله فداءك، قال: يا أبا ذر تعاله، قال: فمشيت معه ساعة، فقال: " إن
‏‏‏‏المكثيرين هم الأقلون يوم القيامة إلا من أعطاه الله خيرا فنفح فيه بيمينه
‏‏‏‏وشماله وبين يديه ووراءه وعمل فيه خيرا ". قال: فمشيت معه ساعة، فقال:
‏‏‏‏اجلس ها هنا، فقال: فأجلسني في قاع حوله حجارة، فقال لي: اجلس ها هنا حتى
‏‏‏‏أرجع إليك. قال: فانطلق في الحرة حتى لا أراه، فلبث عني، فأطال اللبث، ثم
‏‏‏‏إني سمعته وهو مقبل يقول: وإن سرق وإن زنى! قال: فلما جاء لم أصبر، فقلت
‏‏‏‏: يا نبي الله جعلني الله فداءك من تكلم في جانب الحرة؟ ما سمعت أحدا يرجع
‏‏‏‏إليك شيئا، قال ... " فذكره. وليس عند الترمذي منه سوى قوله: " أتاني
‏‏‏‏جبرئيل فبشرني أنه من مات لا يشرك بالله شيئا دخل الجنة، قلت: وإن زنى وإن
‏‏‏‏سرق؟ قال: نعم ". وقال: هذا حديث حسن صحيح، وفي الباب عن أبي الدرداء.
‏‏‏‏قلت: وأخرجه هكذا مختصرا مثل الترمذي، البخاري أيضا (4 / 90) ومسلم من
‏‏‏‏هذا الوجه. وتابعه المعرور بن سويد عن أبي ذر به.
‏‏‏‏__________جزء : 2 /صفحہ : 474__________
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‏‏‏‏أخرجه البخاري (2 / 63)
‏‏‏‏ومسلم (1 / 66) وأحمد (5 / 152، 159، 161) .
‏‏‏‏وحديث أبي الدرداء وصله ابن حبان (10) من طريق هشام بن عمار حدثنا عيسى بن
‏‏‏‏يونس حدثنا الأعمش عن أبي صالح عنه. وهشام فيه ضعف، وكأنه لذلك قال البخاري
‏‏‏‏عقب حديث زيد بن وهب: " مرسل لا يصح، والصحيح حديث أبي ذر ".
‏‏‏‏والحديث أورده السيوطي في " الجامع " بلفظ: " أتاني جبريل، فقال: بشر أمتك
‏‏‏‏... " الحديث بتمامه، قال: " رواه أحمد والترمذي والنسائي وابن حبان عن
‏‏‏‏أبي ذر ". ولم أره بهذا اللفظ عند أحد من هؤلاء ولا أخرجه النسائي وأما ابن
‏‏‏‏حبان فلم أره في " موارد الظمآن " إلا من حديث أبي الدرداء كما تقدم، وليس
‏‏‏‏لفظه بهذا اللفظ الذي ساقه السيوطي ولا بتمامه. ثم ذكره السيوطي بلفظ الترمذي
‏‏‏‏المتقدم، وقال: رواه الشيخان. ولم يعزه إلى الترمذي! فتأمل كم في صنيعه
‏‏‏‏من خلل.
‏‏‏‏__________جزء : 2 /صفحہ : 475__________ ¤


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