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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2202. انصار کے فضائل و مناقب
“ अन्सारियों की फ़ज़ीलत ”
حدیث نمبر: 3328
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" جزى الله الانصار عنا خيرا، ولا سيما عبد الله بن عمرو بن حرام وسعد بن عبادة".-" جزى الله الأنصار عنا خيرا، ولا سيما عبد الله بن عمرو بن حرام وسعد بن عبادة".
سیدنا جابر بن عبداللہ رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ میرے باپ نے مجھے خزیزہ (‏‏‏‏ایک کھانا جو قیمے اور آٹے سے بنایا جاتا ہے) تیار کرنے کا حکم دیا، جب میں وہ کھانا تیار کر کے فارغ ہوا تو مجھے حکم دیا کہ یہ کھانا نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس لے جاؤ۔ میں آپ کے پاس گیا، آپ گھر میں ہی تھے، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے پوچھا: جابر! تمہارے کے پاس کون سی چیز ہے؟ آیا گوشت ہے؟ میں نے کہا: نہیں۔ میں اپنے باپ کے پاس واپس آ گیا، انہوں نے پوچھا: کیا رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے تیری ملاقات ہوئی؟ میں نے کہا: جی ہاں۔ انہوں نے کہا: تو نے ان کی کوئی بات سنی؟ میں نے کہا: جی ہاں، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جابر! تیرے پاس کیا ہے؟ آیا گوشت ہے؟ میرے باپ نے کہا: ممکن ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم گوشت کھانے کے خواہشمند ہوں۔ چنانچہ انہوں نے پالتو بکری ذبح کرنے کا حکم دیا۔ پس اسے ذبح کیا گیا، پھر اسے بھونا گیا۔ پھر میرے باپ نے مجھے حکم دیا کہ یہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس لے جاؤ، میں لے گیا، جب آپ نے مجھے دیکھا تو پوچھا۔ جابر! تیرے پاس کیا ہے؟، میں نے بتایا (‏‏‏‏کہ گوشت ہے)۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اللہ تعالیٰ ہماری طرف سے انصاریوں کو جزائے خیر دے، بالخصوص عبداللہ بن عمرو بن حرام اور سعد بن عبادہ کو۔
हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि मेरे पिता ने मुझे ख़ज़ीरह (एक खाना जो क़ीमे और आटे से बनाया जाता है) तैयार करने का हुक्म दिया, जब मैं वह खाना तैयार कर चुका तो मुझे हुक्म दिया कि यह खाना नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास लेजाओ। मैं आप के पास गया, आप घर में ही थे, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूछा ! “जाबिर, तुम्हारे पास कौन सी चीज़ है ? क्या मांस है ?” मैं ने कहा कि नहीं। मैं अपने पिता के पास वापस आगया, उन्हों ने पूछा ! क्या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से तेरी मुलाक़ात हुई ? मैं ने कहा कि जी हाँ। उन्हों ने कहा ! तू ने उन की कोई बात सुनी ? मैं ने कहा कि जी हाँ, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “जाबिर ! तेरे पास किया है ? क्या मांस है ?” मेरे पिता ने कहा ! हो सकता है कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मांस खाना चाहते हों। इसलिए उन्हों ने पालतू बकरी ज़िबह करने का हुक्म दिया। बस उसे ज़िबह किया गया, फिर उसे भुना गया। फिर मेरे पिता ने मुझे हुक्म दिया कि यह नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास लेजाओ, मैं लेगया, जब आप ने मुझे देखा तो पूछा। “जाबिर, तेरे पास किया है ?”, मैं ने बताया (कि मांस है)। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “अल्लाह तआला हमारी ओर से अन्सारियों को अच्छा बदला दे, विशेषकर अब्दुल्लाह बिन अमरो बिन हराम और सअद बिन उबादा को।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 461

قال الشيخ الألباني:
- " جزى الله الأنصار عنا خيرا، ولا سيما عبد الله بن عمرو بن حرام وسعد بن عبادة ".
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‏‏‏‏رواه أبو يعلى في " مسنده " (ق 116 / 1) : حدثنا ابن أبي سمينة حدثنا إبراهيم
‏‏‏‏بن حبيب بن الشهيد قال: قال أبي: عن عمرو بن دينار عن جابر بن عبد الله
‏‏‏‏قال:
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‏‏‏‏" أمر أبي بخريزة فصنعت، ثم أمرني فأتيت بها النبي صلى الله عليه وسلم ، قال:
‏‏‏‏فأتيته وهو في منزله، قال: فقال لي: ماذا معك يا جابر؟ ألحم ذا؟ قال:
‏‏‏‏قلت: لا، قال: فأتيت أبي، فقال لي: هل رأيت رسول الله صلى الله عليه وسلم
‏‏‏‏؟ قلت: نعم، قال: فهلا سمعته يقول شيئا؟ قال: قلت: نعم، قال لي: ماذا
‏‏‏‏معك يا جابر؟ ألحم ذا؟ قال: لعل رسول الله صلى الله عليه وسلم أن يكون اشتهى
‏‏‏‏فأمر بشاة داجن فذبحت، ثم أمر بها فشويت، ثم أمرني فأتيت بها النبي صلى الله
‏‏‏‏عليه وسلم، فقال لي: ماذا معك يا جابر؟ فأخبرته فقال " فذكره.
‏‏‏‏قلت: وهذا إسناد رجاله ثقات غير ابن سمينة ولم أعرفه الآن. ثم رأيت ابن
‏‏‏‏السني أخرج الحديث في " عمل اليوم والليلة " (271) فقال: أخبرنا أبو يعلى
‏‏‏‏حدثنا محمد بن يحيى بن أبي سمينة. فعرفناه وهو صدوق كما في " التقريب " فثبت
‏‏‏‏الإسناد والحمد لله. وقد توبع، فقال أبو يعلى عقبه: حدثنا أحمد بن الدورقي
‏‏‏‏حدثنا إبراهيم بن حبيب بن الشهيد به نحوه.
‏‏‏‏والدورقي هذا - بفتح الدال - أحمد بن إبراهيم النكري البغدادي ثقة حافظ من
‏‏‏‏شيوخ مسلم، فصح الحديث والحمد لله. وقد رواه النسائي كما في ترجمة إبراهيم
‏‏‏‏من " التهذيب ".
‏‏‏‏وتابعه محمد بن عمر بن علي بن مقدم حدثنا إبراهيم بن حبيب بن الشهيد به.
‏‏‏‏أخرجه أبو نعيم في " أخبار أصبهان " (2 / 285) عن عبد الله بن أحمد ابن سوادة
‏‏‏‏عنه.
‏‏‏‏وهذه متابعة قوية فإن ابن مقدم - بالتشديد - صدوق من رجال " السنن ".
‏‏‏‏وابن سوادة صدوق أيضا كما في " تاريخ بغداد " (9 / 373) .
‏‏‏‏ثم رأيته في " مستدرك الحاكم " (4 / 111 - 112) من طريق النسائي وغيره عن
‏‏‏‏إسحاق بن إبراهيم بن حبيب بن الشهيد حدثنا أبي به، وسقط من إسناده ذكر جده
‏‏‏‏__________جزء : 1 /صفحہ : 829__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏حبيب بن الشهيد، وقال:
‏‏‏‏" صحيح الإسناد ". ووافقه الذهبي. ¤


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