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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2315. سب سے بڑے دو بدبخت
“ सबसे बड़े दो बदनसीब ”
حدیث نمبر: 3537
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" يا ابا تراب! الا احدثكما باشقى الناس رجلين؟ قلنا: بلى يا رسول الله! قال: احيمر ثمود الذي عقر الناقة، والذي يضربك على هذه (يعني قرن علي) حتى تبتل هذه من الدم - يعني لحيته".-" يا أبا تراب! ألا أحدثكما بأشقى الناس رجلين؟ قلنا: بلى يا رسول الله! قال: أحيمر ثمود الذي عقر الناقة، والذي يضربك على هذه (يعني قرن علي) حتى تبتل هذه من الدم - يعني لحيته".
سیدنا عمار بن یاسر رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: میں اور سیدنا علی رضی اللہ عنہ غزوہ ذی العشیرہ میں رفیق تھے، جب رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم وہاں اترے اور قیام کیا تو ہم نے بنو مدلج قبیلے کے کچھ لوگوں کو دیکھاکہ وہ کھجوروں میں اپنے ایک چشمے میں کام کر رہے تھے۔ سیدنا علی رضی اللہ عنہ نے مجھے کہا: ابوالیقظان! کیا خیال ے اگر ہم ان کے پاس چلے جائیں اور دیکھیں کہ یہ کیسے کام کرتے ہیں؟ سو ان کے پاس چلے گئے اور کچھ دیر تک ان کا کام دیکھتے رہے، پھر ہم پر نیند غالب آ گئی۔ میں اور سیدنا علی رضی اللہ عنہ کھجوروں کے ایک جھنڈ میں چلے گئے اور مٹی میں لیٹ کر سو گئے۔ اللہ کی قسم! رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے ہمیں اپنے پاؤں کے ساتھ حرکت دے کر جگایا اور ہم مٹی میں غبار آلود ہو چکے تھے۔ جب رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے سیدنا علی رضی اللہ عنہ پر مٹی دیکھی تو فرمایا: ایے ابوتراب! (‏‏‏‏ ‏‏‏‏یعنی مٹی والے) پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: کیا میں تمہارے لیے دو بدبخت ترین مردوں کی نشاندہی نہ کروں؟ ہم نے کہا: اے اللہ کے رسول! کیوں نہیں۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: احیمر ثمودی، جس نے اونٹنی کی کونچیں کاٹ دی تھیں اور وہ آدمی جو (‏‏‏‏اے علی!) تیرے سر پر مارے گا، حتیٰ کہ تیری (‏‏‏‏داڑھی) خون سے بھیگ جائے گی۔
हज़रत अम्मार बिन यासर रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि मैं और हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्ह ग़ज़्वह ज़िल असिरा में दोस्त थे, जब रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम वहां उतरे और ठहर गए तो हम ने बनि मुदलिज क़बीले के कुछ लोगों को देखा कि वे खजूरों में अपने एक चश्मे में काम कर रहे थे। हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्ह ने मुझ से कहा कि अबू यक़ज़ान, क्या हम उनके पास जाकर देखें कि यह कैसे काम करते हैं ? तो उनके पास चले गए और कुछ देर तक उनका काम देखते रहे, फिर हमें नींद आने लगी। मैं और हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्ह खजूरों के एक झुंड में चलेगए और मिट्टी में लेटकर सौगए। अल्लाह की क़सम, रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमें अपने पांव से हिलाकर जगाया और हम मिट्टी में गंदे होचुके थे। जब रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्ह पर मिट्टी देखी तो फ़रमाया ! “ए अबू तुराब, (यानि मिट्टी वाले)” फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “क्या मैं तुमको दो बहुत बद-नसीब पुरुषों के बारे में न बतादूँ ?” हम ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल,क्यों नहीं। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “अहिमर समुदी, जिस ने ऊँटनी की कूचें काट दी थीं और वह आदमी जो (ए अली) तेरे सिर पर मारेगा, यहां तक कि तेरी (दाढ़ी) ख़ून से भीग जाएगी।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1743

قال الشيخ الألباني:
- " يا أبا تراب! ألا أحدثكما بأشقى الناس رجلين؟ قلنا: بلى يا رسول الله! قال: أحيمر ثمود الذي عقر الناقة، والذي يضربك على هذه (يعني قرن علي) حتى تبتل هذه من الدم - يعني لحيته ".
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‏‏‏‏أخرجه الطحاوي في " مشكل الآثار " (1 / 351 - 352) والنسائي في " الخصائص "
‏‏‏‏(ص 28) والحاكم (3 / 140 - 141) وأحمد (4 / 263) من طريق محمد بن إسحاق
‏‏‏‏حدثني يزيد بن محمد بن خيثم المحاربي عن محمد بن كعب القرظي عن محمد بن خيثم عن
‏‏‏‏عمار بن ياسر رضي الله عنه قال: " كنت أنا وعلي رفيقين في غزوة ذي
‏‏‏‏العشيرة، فلما نزلها رسول الله صلى الله عليه وسلم وأقام بها، رأينا ناسا من
‏‏‏‏بني مدلج يعملون في عين لهم في نخل، فقال لي علي: يا أبا اليقظان: هل لك أن
‏‏‏‏نأتي هؤلاء فننظر كيف يعملون؟ فجئناهم فنظرنا إلى عملهم ساعة، ثم غشينا النوم
‏‏‏‏، فانطلقت أنا وعلي، فاضطجعنا في صور من النخل، في دقعاء من التراب فنمنا،
‏‏‏‏فوالله ما أيقظنا إلا رسول الله صلى الله عليه وسلم يحركنا برجله، وقد تتربنا
‏‏‏‏من تلك الدقعاء، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم : يا أبا تراب! لما يرى
‏‏‏‏عليه من التراب، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم : ألا.... " فذكره،
‏‏‏‏والسياق للحاكم وقال:
‏‏‏‏__________جزء : 4 /صفحہ : 324__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏" صحيح على شرط مسلم ". ووافقه الذهبي.
‏‏‏‏وهو وهم فاحش منهما، فإن محمد بن خيثم ويزيد بن محمد بن خيثم لم يخرج لهما
‏‏‏‏مسلم شيئا بل ولا أحد من بقية الستة إلا النسائي في الكتاب السابق " الخصائص "
‏‏‏‏وفيهما جهالة، فإن الأول منهما لم يرو عنه غير القرظي، والآخر غير ابن
‏‏‏‏إسحاق. والحديث قال الهيثمي (9 / 136) : " رواه أحمد والطبراني والبزار
‏‏‏‏باختصار، ورجال الجميع موثوقون إلا أن التابعي لم يسمع من عمار ". لكن
‏‏‏‏للحديث شواهد من حديث صهيب وجابر بن سمرة وعلي بأسانيد فيها ضعف غير حديث علي
‏‏‏‏فإسناده حسن كما قال الهيثمي وقد خرجها كلها فراجعه إن شئت (9 / 136 - 137)
‏‏‏‏(صور من النخل) أي جماعة من النخل، ولا واحد له من لفظه، ويجمع على
‏‏‏‏(صيران) . (دقعاء) هو هنا التراب الدقيق على وجه الأرض. ¤


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