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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
اذان اور نماز
अज़ान और नमाज़
489. نماز میں سلام کا جواب دینے کا طریقہ، نماز میں کلام کرنا حرام ہے
“ नमाज़ में सलाम का जवाब कैसे दिया जाए और नमाज़ में बात करना हराम है ”
حدیث نمبر: 735
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" إنا كنا نرد السلام في صلاتنا، فنهينا عن ذلك".-" إنا كنا نرد السلام في صلاتنا، فنهينا عن ذلك".
سیدنا ابوسعید خدری رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ ایک آدمی نے نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کو سلام کہا: اور آپ صلی اللہ علیہ وسلم نماز میں تھے، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے اشارہ کے ذریعے اس کے سلام کا جواب دیا۔ جب آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے سلام پھیرا تو فرمایا: ہم نماز میں سلام کا جواب دیا کرتے تھے، لیکن اب ہمیں ایسا کرنے سے منع کر دیا گیا ہے۔
हज़रत अबु सईद ख़ुदरी रज़ि अल्लाहु अन्ह से रिवायत है कि एक आदमी ने नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सलाम कहा ! और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम नमाज़ में थे, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इशारा के द्वारा उस के सलाम का जवाब दिया। जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सलाम फेरा तो फ़रमाया ! ’’ हम नमाज़ में सलाम का जवाब दिया करते थे, लेकिन अब हमें ऐसा करने से मना कर दिया गया है।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2917

قال الشيخ الألباني:
- " إنا كنا نرد السلام في صلاتنا، فنهينا عن ذلك ".
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‏‏‏‏أخرجه الطحاوي في " شرح المعاني " (1 / 263) والبزار في " مسنده " (1 / 268
‏‏‏‏/ 554 - كشف الأستار) والطبراني في " المعجم الأوسط " (2 / 246 / 1 /
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 997__________
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‏‏‏‏8795)
‏‏‏‏من طرق عن عبد الله بن صالح: حدثني الليث حدثني محمد بن عجلان عن زيد بن أسلم
‏‏‏‏عن عطاء بن يسار عن أبي سعيد الخدري: أن رجلا سلم على رسول الله صلى الله
‏‏‏‏عليه وسلم وهو في الصلاة، فرد النبي صلى الله عليه وسلم بإشارة، فلما سلم
‏‏‏‏قال له النبي صلى الله عليه وسلم : فذكره. وقال الطبراني: " لم يروه عن ابن
‏‏‏‏عجلان إلا الليث ". قلت: وهو ابن سعد الإمام المصري الحجة، فالسند حسن
‏‏‏‏للخلاف المعروف في محمد ابن عجلان. وأعله الهيثمي بـ (عبد الله بن صالح)
‏‏‏‏فقال (2 / 81) : " رواه البزار، وفيه عبد الله بن صالح كاتب الليث، وثقه
‏‏‏‏عبد الملك بن شعيب ابن الليث، فقال: " ثقة مأمون "، وضعفه أحمد وغيره ".
‏‏‏‏وتوسط الحافظ فيه فذهب إلى أنه ثقة في رواية الأئمة الكبار عنه كالبخاري وأبي
‏‏‏‏حاتم ونحوهما. انظر ترجمته في " مقدمة الفتح ". ومن الظاهر أنه لم يعزه
‏‏‏‏للطبراني - وهو على شرطه -، فإما أن يكون سقط منه - وله أمثلة - وإما من
‏‏‏‏الناسخ، ويرجح الأول أنه لم يورده أيضا في " مجمع البحرين " (2 / 176) وهو
‏‏‏‏من أصوله كما هو معلوم عند العارفين بـ " المجمعين ". ثم إن الرجل الذي سلم
‏‏‏‏على النبي صلى الله عليه وسلم هو عبد الله بن مسعود كما روى أبو هريرة عنه قال
‏‏‏‏: " مررت برسول الله صلى الله عليه وسلم ، وهو يصلي، فسلمت عليه فأشار إلي "
‏‏‏‏. أخرجه الطبراني بسند صحيح عنه، وهو مخرج في " الروض النضير " (637) وكان
‏‏‏‏ذلك عند قدومه من هجرته رضي الله عنه من الحبشة، صح ذلك عنه من غير ما طريق،
‏‏‏‏وتقدم تخريجه في المجلد الخامس رقم (2380) وفي " الروض " أيضا (605) .
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 998__________
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‏‏‏‏من فقه الحديث: وفي الحديث دلالة صريحة على أن رد السلام من المصلي لفظا كان
‏‏‏‏مشروعا في أول الإسلام في مكة، ثم نسخ إلى رده بالإشارة في المدينة. وإذا
‏‏‏‏كان ذلك كذلك، ففيه استحباب إلقاء السلام على المصلي، لإقراره صلى الله عليه
‏‏‏‏وسلم ابن مسعود على " إلقائه "، كما أقر على ذلك غيره ممن كانوا يسلمون عليه
‏‏‏‏وهو يصلي، وفي ذلك أحاديث كثيرة معروفة من طرق مختلفة، وهي مخرجة في غير ما
‏‏‏‏موضع. وعلى ذلك فعلى أنصار السنة التمسك بها، والتلطف في تبليغها وتطبيقها
‏‏‏‏، فإن الناس أعداء لما جهلوا، ولاسيما أهل الأهواء والبدع منهم.
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