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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
اذان اور نماز
अज़ान और नमाज़
498. بطور مصلحت بعض نمازوں کا حکم دینا
“ सलाह के तौर पर किसी नमाज़ का हुक्म देना ”
حدیث نمبر: 748
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-" حافظ على العصرين: صلاة قبل طلوع الشمس، وصلاة قبل غروبها".-" حافظ على العصرين: صلاة قبل طلوع الشمس، وصلاة قبل غروبها".
سیدنا فضالہ لیثی رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے مجھے کچھ امور کی تعلیم دی، ان میں سے ایک امر یہ بھی تھا: پانچوں نمازوں کی محافظت کیا کر۔ میں نے کہا: ان گھڑیوں میں تو میں مصروف رہتا ہوں، آپ مجھے کوئی ایسا جامع و مانع حکم دیں کہ میں اس پر عمل کرتا رہوں اور وہ مجھے کفایت کرتا رہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: دو نمازوں یعنی طلوع آفتاب سے پہلے والی اور غروب آفتاب سے پہلے والی نمازوں کی محافظت کرتا رہ۔
हज़रत फ़ज़्ज़ालह लैसी रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं की रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे कुछ चीज़ों की शिक्षा दी, उन में से एक हुक्म यह भी था कि “पांचों नमाज़ों की पाबंदी किया कर।” मैं ने कहा कि सारे समय में तो मैं काम में लगा रहता हूँ, आप मुझे कोई पाबंदी से करने वाला और रोकने वाला हुक्म दें कि मैं उस पर अमल करता रहूं और वह मेरे लिए लाभदायक हो। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! दो नमाज़ों यानी सूर्य के निकलने से पहले वाली और सूर्य के डूबने से पहले वाली नमाज़ों की पाबंदी करता रह।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 1813

قال الشيخ الألباني:
- " حافظ على العصرين: صلاة قبل طلوع الشمس، وصلاة قبل غروبها ".
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‏‏‏‏رواه أبو داود (453 - صحيحه) والطحاوي في " المشكل " (1 / 440) وابن حبان
‏‏‏‏(282) والحاكم (1 / 20، 3 / 628) والبيهقي والحافظ ابن حجر في "
‏‏‏‏الأحاديث العليات " (رقم 31) عن عبد الله بن فضالة الليثي عن أبيه فضالة
‏‏‏‏قال: علمني رسول الله صلى الله عليه وسلم ، وكان فيما علمني أن قال لي:
‏‏‏‏" حافظ على الصلوات الخمس ". فقلت: إن هذه ساعات لي فيها أشغال، فمرني بأمر
‏‏‏‏جامع إذا أنا فعلته أجزأ عني، قال: فذكره. وقال الحافظ: " هذا الحديث صحيح
‏‏‏‏، وفي المتن إشكال لأنه يوهم جواز الاقتصار على العصرين، ويمكن أن يحمل على
‏‏‏‏الجماعة، فكأنه رخص له في ترك حضور بعض الصلوات في الجماعة، لا على تركها
‏‏‏‏أصلا ".
‏‏‏‏__________جزء : 4 /صفحہ : 428__________
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‏‏‏‏قلت: والترخيص إنما كان من أجل شغل له كما هو في الحديث نفسه. والله أعلم.
‏‏‏‏ثم إن في إسناد الحديث اختلافا ذكرته في " صحيح أبي داود "، وقد بينت هناك ما
‏‏‏‏هو الراجح منه، فلا داعي لإعادته هنا. ¤


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