الحمدللہ! انگلش میں کتب الستہ سرچ کی سہولت کے ساتھ پیش کر دی گئی ہے۔

 
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
روزے اور قیام کا بیان
रोज़े और क़याम ( रात की नमाज़ )
586. صرف جمعہ مبارک کا روزہ رکھنا منع ہے
“ विशेष रूप से जुमा के दिन का रोज़ा रखना मना है ”
حدیث نمبر: 885
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" لا تصم يوم الجمعة إلا في ايام هو احدها، واما ان لا تكلم احدا، فلعمري لان تكلم بمعروف، وتنهى عن منكر خير من ان تسكت".-" لا تصم يوم الجمعة إلا في أيام هو أحدها، وأما أن لا تكلم أحدا، فلعمري لأن تكلم بمعروف، وتنهى عن منكر خير من أن تسكت".
سیدنا بشیر رضی اللہ عنہ کہتے ہیں: میں نے رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم سے سوال کرتے ہوئے کہا: میں جمعہ کے دن روزہ رکھوں گا اور اس دن کسی سے بات نہیں کروں گا؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: تم جمعہ کے دن کا روزہ نہ رکھو، الا یہ کہ کئی دنوں کے روزے رکھے اور بیچ میں جمعہ کا دن آ جائے (تو پھر کوئی حرج نہیں)۔ رہا مسئلہ تیرا کسی کے ساتھ کلام نہ کرنے کا، تو میری عمر کی قسم! خیر کی بات کرنا اور برائی سے روکنا تیرے لئے خاموش رہنے سے بہتر ہے۔
हज़रत बशीर रज़ि अल्लाहु अन्ह कहते हैं कि मैं ने रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछते हुए कहा कि मैं जुमा के दिन रोज़ा रखूंगा और उस दिन किसी से बात नहीं करूँगा ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ! “तुम जुमा के दिन का रोज़ा न रखो, सिवाए यह कि कई दिनों के रोज़े रखे और बीच में जुमा का दिन आजाए (तो फिर कोई हर्ज नहीं)। रहा तेरा किसी के साथ बात न करने का मामला, तो मेरी आयु की क़सम, अच्छाई की बात करना और बुराई से रोकना तेरे लिए चुप रहने से अच्छा है।”
سلسله احاديث صحيحه ترقیم البانی: 2945

قال الشيخ الألباني:
- " لا تصم يوم الجمعة إلا في أيام هو أحدها، وأما أن لا تكلم أحدا، فلعمري لأن تكلم بمعروف، وتنهى عن منكر خير من أن تسكت ".
‏‏‏‏_____________________
‏‏‏‏
‏‏‏‏أخرجه أحمد (5 / 224 - 225) والطبراني في " المعجم الكبير " (2 / 31 / 1232
‏‏‏‏) والبيهقي في " السنن " (10 / 75 - 76) من طرق عن عبيد الله بن إياد بن
‏‏‏‏لقيط قال: سمعت ليلى - امرأة بشير - قالت: أخبرني بشير أنه سأل رسول الله
‏‏‏‏صلى الله عليه وسلم قال: أصوم يوم الجمعة، ولا أكلم ذلك اليوم أحدا؟ قال:
‏‏‏‏فذكره. ومن هذا الوجه أخرجه البيهقي في " الشعب " أيضا (6 / 92 / 7578)
‏‏‏‏وابن عساكر في " تاريخ دمشق " (3 / 382) . قلت: وهذا إسناد صحيح، ورجاله
‏‏‏‏ثقات، وليلى هذه صحابية على الراجح. وبشير هو ابن الخصاصية، وفي مسنده
‏‏‏‏أورده الإمام أحمد. ثم روى هو والطبراني (1230) ، وكذا البخاري في " الأدب
‏‏‏‏" (830) بالسند نفسه عنه قال: " وكان قد أتى النبي صلى الله عليه وسلم ،
‏‏‏‏قال: اسمه " زحم "، فسماه النبي صلى الله عليه وسلم : بشيرا ".
‏‏‏‏__________جزء : 6 /صفحہ : 1073__________
‏‏‏‏
‏‏‏‏ولهذا طريق
‏‏‏‏آخر مخرج في " الجنائز " (136 - 137) و " الإرواء " (رقم 760) . والشطر
‏‏‏‏الأول من الحديث عزاه الحافظ في " الفتح " (4 / 234) لأحمد، وسكت عنه مشيرا
‏‏‏‏إلى تقويته إياه. وله شواهد تقدم بعضها برقم (980 و 981 و 1014) وهو صريح
‏‏‏‏الدلالة أنه لا يجوز صيامه وحده ولو صادف يوم فضيلة كعاشوراء وعرفة خلافا
‏‏‏‏للحافظ، وقد بسطت القول في ذلك فيما تقدم، وانظر الحديث (2398) .
‏‏‏‏¤


http://islamicurdubooks.com/ 2005-2023 islamicurdubooks@gmail.com No Copyright Notice.
Please feel free to download and use them as you would like.
Acknowledgement / a link to www.islamicurdubooks.com will be appreciated.