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नमाज़ के समय के बारे में
1. “ नमाज़ पढ़ने का समय और उनकी फ़ज़ीलत ”
2. “ नमाज़ पापों का कफ़्फ़ारा है ”
3. “ नमाज़ को उसके तय किये गए समय पर पढ़ने की फ़ज़ीलत ”
4. “ पांचों नमाज़ें पापों का कफ़्फ़ारा हैं ”
5. “ नमाज़ पढ़ने वाला अपने रब्ब से सरगोशी करता है ”
6. “ यदि गर्मी बहुत हो तो ज़ोहर की नमाज़ ठंडे समय में पढ़ना ”
7. “ ज़ोहर का समय ज़वाल के समय से शुरू होता है ”
8. “ बिना किसी कारण ज़ोहर की नमाज़ को अस्र के समय तक के लिए टाल देना ”
9. “ अस्र का समय कब होता है ”
10. “ जिस व्यक्ति की अस्र की नमाज़ छूट जाती है उसका पाप ”
11. “ उस व्यक्ति का पाप जो अस्र की नमाज़ जानबूझकर नहीं पढ़ता है ”
12. “ अस्र की नमाज़ की फ़ज़ीलत ”
13. “ जिस को सूर्य के डूबने से पहले अस्र की एक रकअत मिल जाए तो उसको पूरी नमाज़ मील गई ”
14. “ मग़रिब का समय कब शुरू होता है ”
15. “ जिस ने इस हुक्म को बुरा समझा की मग़रिब को ईशा कहा जाए ”
16. “ ईशा की नमाज़ की फ़ज़ीलत ”
17. “ यदि सख़्त नींद आरही हो तो ईशा की नमाज़ से पहले कुछ देर सो जाना जायज़ है ”
18. “ आधी रात तक ईशा का समय रहता है ”
19. “ फ़ज्र की नमाज़ की फ़ज़ीलत ”
20. “ फ़ज्र का समय ”
21. “ फ़ज्र की नमाज़ के बाद सूर्य ऊपर उठने से पहले नमाज़ पढ़ना जायज़ नहीं है ”
22. “ सूर्य के डूबने से पहले नमाज़ का इरादा न करें ”
23. “ अस्र की नमाज़ के बाद क़ज़ा नमाज़ पढ़ी जासकती है ”
24. “ समय बीतने के बाद क़ज़ा नमाज़ के लिए अज़ान देना ”
25. “ समय बीतने के बाद लोगों के साथ जमाअत से नमाज़ पढ़ना सुन्नत है ”
26. “ कोई नमाज़ पढ़ना भूल जाता है, उसे जब भी याद आए, नमाज़ पढ़ले ”
27. “ नमाज़ का इन्तिज़ार करना नमाज़ में बने रहने के बराबर है ”
28. “ ईशा की नमाज़ के बाद नसीहत करना ”

مختصر صحيح بخاري کل احادیث 2230 :حدیث نمبر
مختصر صحيح بخاري
نماز کے اوقات کا بیان
नमाज़ के समय के बारे में
مغرب کا وقت (کب شروع ہوتا ہے؟)۔
“ मग़रिब का समय कब शुरू होता है ”
حدیث نمبر: 346
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب
سیدنا رافع بن خدیج رضی اللہ عنہ کہتے ہیں کہ ہم نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے ہمراہ مغرب کی نماز پڑھتے تھے تو ہم میں سے ہر ایک (نماز پڑھ کے) ایسے وقت لوٹ آتا تھا کہ وہ اپنے تیر کے گرنے کے مقامات کو دیکھ لیتا تھا۔
حدیث نمبر: 347
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب
سیدنا جابر بن عبداللہ رضی اللہ عنہ نے کہا کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم ظہر کی نماز ٹھیک دوپہر کو پڑھتے تھے اور عصر کی ایسے وقت کہ آفتاب صاف اور چمک رہا ہوتا تھا اور مغرب کی جب آفتاب غروب ہو جاتا اور عشاء کی کبھی کسی وقت، کبھی کسی وقت۔ جب آپ صلی اللہ علیہ وسلم دیکھتے کہ لوگ جمع ہو گئے ہیں تو جلدی پڑھ لیتے اور جب آپ صلی اللہ علیہ وسلم دیکھتے کہ لوگوں نے دیر کی تو دیر سے پڑھتے اور صبح کی نماز وہ لوگ یا یہ کہا کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم اندھیرے میں پڑھتے تھے۔

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