الحمدللہ ! قرآن پاک روٹ ورڈ سرچ اور مترادف الفاظ کی سہولت پیش کر دی گئی ہے۔

 
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
2134. “ रसूल अल्लाह ﷺ की फ़ज़ीलतें और तारीफ़ और आप ﷺ जन्नत के दरवाज़े पर सबसे पहले दस्तक देंगे ”
2135. “ रसूल अल्लाह ﷺ को पूरे पूरे और मुहर बंद शब्द दिए गए ”
2136. “ रसूल अल्लाह ﷺ की बद दुआ भी रहमत और पवित्रता का कारण बनजाती थी ”
2137. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने अपने ऊपर लगे आरोपों का कैसे जवाब दिया ? ”
2138. “ रसूल अल्लाह ﷺ की रहमदिली ”
2139. “ रसूल अल्लाह ﷺ को नबी बनाने का फ़ैसला कब किया गया ”
2140. “ रसूल अल्लाह ﷺ का मज़ाक़ भी सच्चाई से भरा होता था ”
2141. “ रसूल अल्लाह ﷺ रहमत थे ”
2142. “ रसूल अल्लाह ﷺ दुश्मनों के लिए भी रहमत थे ”
2143. “ ऊंट अपने मालिक के बारे में रसूल अल्लाह ﷺ से शिकायत करता है ”
2144. “ दुनिया और आसमान की हर चीज़ जानती है कि रसूल अल्लाह ﷺ अल्लाह के रसूल हैं सिवाए ... ”
2145. “ रसूल अल्लाह ﷺ की अंगूठी की छवि ”
2146. “ रसूल अल्लाह ﷺ एक प्रचारक और बांटने वाले थे ”
2147. “ रसूल अल्लाह ﷺ बनि किनानह से थे ”
2148. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत सबसे बड़ी है ”
2149. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत का हिसाब किताब सबसे पहले होगा ”
2150. “ रसूल अल्लाह ﷺ सबसे अधिक तक़वा वाले थे ”
2151. “ रसूल अल्लाह ﷺ आदम की औलाद के सरदार हैं ”
2152. “ पेड़ और पत्थर भी रसूल अल्लाह ﷺ को सलाम करते थे ”
2153. “ रसूल अल्लाह ﷺ की शान में झूठ से काम नहीं लेना चाहिए ”
2154. “ रसूल अल्लाह ﷺ का “ आतिकह ” के बारे में बताना ”
2155. “ फ़रिश्ते रसूल अल्लाह ﷺ को उम्मत का दुरुद पहुँचाते हैं ”
2156. “ फ़रिश्ते रसूल अल्लाह ﷺ के ख़िलाफ़ कुरैश सरदारों की योजना ، लेकिन असफल रहे ”
2157. “ यदि अबू जहल रसूल अल्लाह ﷺ की गर्दन रौंदता तो ”
2158. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत सबसे बड़ी होगी ”
2159. “ रसूल अल्लाह ﷺ एक प्रचार करने वाले थे ، तकलीफ़ देने वाले नहीं ”
2160. “ प्रचार के लिए रसूल अल्लाह ﷺ का उत्साह ”
2161. “ अच्छे कामों के लिए रसूल अल्लाह ﷺ का उत्साह, मज़लूमों की सहायता करने की उनकी इच्छा ”
2162. “ रसूल अल्लाह ﷺ अपने मक़सद पर डटे रहे ”
2164. “ रसूल अल्लाह ﷺ सच ही बोला करते थे ”
2165. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने कसरा को इस्लाम की ओर बुलाया ”
2166. “ रसूल अल्लाह ﷺ का रूप-रंग ”
2167. “ रसूल अल्लाह ﷺ की नींद का बयान ”
2168. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने भूख से अपने पेट पर पत्थर बांधा ”
2169. “ हज़रत इब्राहिम ، हज़रत मूसा ، हज़रत ईसा अलैहिमुस्सलाम और रसूल अल्लाह ﷺ की ख़ूबियाँ ”
2170. “ रसूल अल्लाह ﷺ की ख़ास ख़ूबियाँ ”
2171. “ क़ुरआन मजीद के लिए रसूल अल्लाह ﷺ का भेद-भाव ”
2172. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सामने इबलीस की हार ”
2173. “ रसूल अल्लाह ﷺ को सपने में देखना ”
2174. “ उम्महातुल मोमिनीन यानि रसूल अल्लाह ﷺ की पत्नियों की फ़ज़ीलत ”
2175. “ रसूल अल्लाह ﷺ के परिवार के पक्ष में एक अच्छे आदमी की फ़ज़ीलत ”
2176. “ जन्नत की चार अफ़ज़ल औरतें ”
2177. “ हज़रत आयशा रज़ि अल्लाहु अन्हा के लिए क्षमा की दुआ ”
2178. “ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2179. “ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह को सिद्दीक़ क्यूँ कहा जाता है ”
2180. “ हज़रत अबू बक्र रज़ि अल्लाहु अन्ह अफ़ज़ल ख़लीफ़ा थे ”
2181. “ हज़रत उमर बिन ख़त्ताब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2182. “ रसूल अल्लाह ﷺ के वैवाहिक और पारिवारिक रिश्तों का बयान ”
2183. “ हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2184. “ हज़रत अली रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2185. “ हज़रत फ़ातिमा रज़ि अल्लाहु अन्हा की फ़ज़ीलत ”
2186. “ हज़रत ज़ैनब रज़ि अल्लाहु अन्हा की फ़ज़ीलत ”
2187. “ हज़रत हसन और हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
2188. “ हज़रत हसन और हुसैन रज़ि अल्लाहु अन्हुमा और उनके माता पिता का सम्मान ”
2189. “ हज़रत हुसैन की शहादत की भविष्यवाणी ، हज़रत हसन रज़ी अल्लाह अन्हुमा के क़त्ल का बयान ”
2190. “ अहल-ए-बेत यानि रसूल अल्लाह ﷺ के परिवार की फ़ज़ीलत ”
2191. “ अल्लाह की किताब और अहल-ए-बेत यानि रसूल अल्लाह ﷺ के परिवार की एहमियत ”
2192. “ हज़रत आसियह और हज़रत मरयम अलैहिमुस्सलाम की फ़ज़ीलत ”
2193. “ हज़रत जआफ़र अबू तालिब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2194. “ सहाबा की फ़ज़ीलत ”
2195. “ साहब को बुरा कहने वाले पर लाअनत ”
2196. “ रसूल अल्लाह ﷺ के साथ रहने की फ़ज़ीलत ”
2197. “ सहाबा रज़ि अल्लाह अन्हुम की विशेषताएं ”
2198. “ कुछ क़बीलों की विशेषताएं ”
2199. “ रसूल अल्लाह ﷺ के बाद सहाबा का समय सबसे अच्छा था ”
2200. “ महाजिरों की फ़ज़ीलत ”
2201. “ रसूल अल्लाह ﷺ की अन्सारी सहाबा से मुहब्बत ”
2202. “ अन्सारियों की फ़ज़ीलत ”
2203. “ अन्सारियों का घर यानि माता पिता का घर ”
2204. “ एक अन्सारी की मेज़बानी ”
2205. “ सहाबा ، ताबईन और उनके बाद वालों की फ़ज़ीलत ”
2206. “ बिन देखे रसूल अल्लाह ﷺ पर ईमान लाने वालों की फ़ज़ीलत ”
2207. “ हिन्द की जंग के साथियों और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम का साथ देने वालों की फ़ज़ीलत ”
2208. “ हज़रत उसामा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2209. “ हज़रत बिलाल रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2210. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सेवक के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की दुआएं और उनका फल ”
2211. “ हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2212. “ हज़रत अब्दुल्लाह रज़ि अल्लाहु अन्ह को अनुमति देने का एक विशेष ढंग ”
2213. “ अब्दुल्ला बिन मसऊद सुन्नत के पाबंद थे और अल्लाह को याद करने वाली सभा को बुरा कहने का कारण ”
2214. “ हज़रत हिशाम और हज़रत अमरो रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
2215. “ हज़रत अबू सुफ़ियान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2216. “ बदर वालों की फ़ज़ीलत ”
2217. “ कौन कौन और क्या क्या अफ़ज़ल है ”
2218. “ क़िब्तियों के साथ अच्छा व्यवहार करने की नसिहत ”
2219. “ उम्मत की परीक्षा और रसूल अल्लाह ﷺ की सिफ़ारिश ”
2220. “ हज़रत उसामा की फ़ज़ीलत ”
2221. “ हज़रत सव्वाद से रसूल अल्लाह ﷺ की मुहब्बत का बयान ”
2222. “ क़ुरैशियों की फ़ज़ीलत ”
2223. “ एक क़ुरैशी दो ग़ैर क़ुरैशियों के बराबर क्यूँ ”
2224. “ क़ुरैशी औरतों की विशेषता और फ़ज़ीलत ”
2225. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने क़ुरैश साथियों को तरजीह दी ”
2226. “ रसूल अल्लाह ﷺ के बाद सबसे पहले क़बीला क़ुरेशा ख़तम होगा ”
2227. “ असलम और ग़िफ़ार क़बीले के लिए दुआ ”
2228. “ कुछ और अरबी क़बीलों की फ़ज़ीलत ”
2229. “ नख़अ क़बीले की फ़ज़ीलत ”
2230. “ हज़रमोत क़बीले की फ़ज़ीलत ”
2231. “ अब्दुलक़ैस क़बीले की फ़ज़ीलत ”
2232. “ अज़दी लोगों की फ़ज़ीलत ”
2233. “ दहिया कल्बी और जिब्रईल अलैहिस्सलाम के रूप बहुत मिलते जुलते हैं ”
2234. “ बाद में आने वाले उम्मतियों से रसूल अल्लाह ﷺ की मुहब्बत ”
2235. “ हज़रत अरक़म रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2236. “ हज़रत अबु दहदाह रज़ि अल्लाहु अन्ह का लाभदायक व्यापार ”
2237. “ बिना हिसाब किताब के जन्नत में जाने वाले उम्मती ”
2238. “ जुमा के दिन की फ़ज़ीलत ”
2239. “ हज़रत मुआवियह रज़ि अल्लाहु अन्ह के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की दुआ ”
2240. “ रसूल अल्लाह ﷺ की हज़रत मुआवियह रज़ि अल्लाहु अन्ह के पक्ष में डांट डपट या उनकी फ़ज़ीलत ”
2241. “ हज़रत हुज़ैफ़ा और उनकी मां रज़ि अल्लाहु अन्हुम के पक्ष में दुआ ”
2242. “ मुसलामनों के पक्ष में क्षमा की दुआ ”
2243. “ हज़रत सअद बिन अबि वक़ास रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2244. “ हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्ह के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की दुआ ”
2245. “ हज़रत जअफ़र और हज़रत ज़ैद रज़ि अल्लाहु अन्हुमा की फ़ज़ीलत ”
2246. “ हज़रत ख़ालिद बिन वलीद रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2247. “ मुस्लिम उम्मत गुमराह करने पर सहमत नहीं हो सकती ”
2248. “ पंद्रह शअबान की रात की फ़ज़ीलत ”
2249. “ अल्लाह के दोस्तों की विशेषताएं ”
2250. “ कवि के रूप में हज़रत हस्सान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2251. “ हज़रत हन्ज़लह रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2252. “ हज़रत मआज़ बिन जबल रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2253. “ बुराई का इन्कार करने वाले मुसलमानों की फ़ज़ीलत ”
2254. “ मोमिन की मिसाल खजूर जैसी क्यूँ है ? ”
2255. “ क़बीला मुज़िर की फ़ज़ीलत ”
2256. “ हज़रत सफ़ीना रज़ि अल्लाहु अन्ह की पहचान ”
2257. “ हज़रत अब्बास रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2258. “ हज़रत जरीर रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2259. “ हज़रत तल्हा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2260. “ चोट लगे तो बिस्मिल्लाह कहना चाहिए ”
2261. “ चार बहने सहाबियात हैं ”
2262. “ हज़रत अबु उमामह रज़ि अल्लाहु अन्ह का चमत्कार ”
2263. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सामने अतीत को याद करना ”
2264. “ क़ुरआन के चार शिक्षक ”
2265. “ हज़रत सालिम रज़ि अल्लाहु अन्ह एक अच्छे क़ारी ”
2266. “ दहयह कल्बी और जिब्रईल अलैहिस्सलाम की एकरूपता और उरवह बिन मसऊद सक़फ़ी और ईसा अलैहिस्सलाम की एकरूपता है ”
2267. “ हज़रत ज़ैद बिन हारिसा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2268. “ हज़रत हारिसा बिन नअमान रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2269. वरक़ा की फ़ज़ीलत ”
2270. “ हातिम इसाई ”
2271. “ हिजरत के बाद किस चीज़ पर बैअत होगी ”
2272. “ हज़रत अमरो बिन हरिस रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2273. “ हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ि अल्लाहु अन्ह के परिवार की फ़ज़ीलत ”
2274. “ हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ि अल्लाहु अन्ह की इमान लाने की कहानी ، सच्चाई की तलाश में हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ि अल्लाहु अन्ह की यात्रा ”
2275. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने जंग के मामलों में अपने सहाबा से सलाह ली ”
2276. “ हज़रत ज़ुबैर रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2277. “ हज़रत हम्ज़ा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2278. “ हर ज़माने में आगे बढ़जाने वाले पाए जाएंगे ”
2279. “ हज़रत अम्मार रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2281. “ हज़रत हातिब रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2282. “ हज़रत अबू तल्हा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2283. “ अबू तालिब के पक्ष में रसूल अल्लाह ﷺ की सिफ़ारिश ”
2284. “ हज़रत अबू मूसा रज़ि अल्लाहु अन्ह की क़ौम की फ़ज़ीलत ”
2285. “ बदर और हुदैबियाह में भाग लेने वालों की फ़ज़ीलत ”
2286. “ मुसलमान की फ़ज़ीलत ”
2287. “ मोमिन की पवित्रता कअबे से अधिक है ”
2288. “ मतलब ”
2289. “ सूरत फ़ातेहा की अंतिम आयत की तफ़्सीर ”
2290. “ हज़रत अबू उबेदा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2291. “ एक समूह सच्चाई पर सदा खड़ा रहेगा ”
2292. “ सहाबा की बरकतें ”
2293. “ मुस्लिम उम्मत की आयु ، रसूल अल्लाह ﷺ के समय के लोगों का एक सदी में ख़त्म होना ”
2294. “ हज़रत अबू हुरैरा की खजूरों में बरकत के लिए रसूल अल्लाह ﷺ की दुआ ”
2295. “ हज़रत अबू हिन्द रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2296. “ रसूल अल्लाह ﷺ ने हज़रत सफ़ियह को कैसे राज़ी किया ? ”
2297. “ एक सदी के लिए अब्दुल्ला बिन बसर रज़ि अल्लाहु अन्ह का जीवन ”
2298. “ हज़रत अबू ज़र हज़रत उनेस रज़ि अल्लाहु अन्हुमा और उनकी क़ौम ग़िफ़ार के ईमान लाने की घटना ”
2299. “ हज़रत ज़ैद बिन अमरो रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2300. “ हज़रत हारिसा बिन सराक़ा रज़ि अल्लाहु अन्ह की फ़ज़ीलत ”
2301. “ मदीना मुनव्वरा की फ़ज़ीलत ”
2302. “ मदीना मुनव्वरा के लिए बरकत की दुआ ”
2303. “ मदीने में बसने वालों के अधिकार ”
2304. “ मक्का मुकर्रमा और मदिना मुनव्वरा की पवित्रता का बयान ”
2305. “ हिजाज़ वालों की फ़ज़ीलत और पूरब के लोगों की निंदा ”
2306. “ शाम यानि सीरिया और वहां बसने वालों की फ़ज़ीलत ”
2307. “ हज़रत सअद बिन मआज़ रज़ि अल्लाहु अन्ह के चमत्कार और शहादत ”
2308. “ यमन में बसने वालों की फ़ज़ीलत ”
2309. “ ओवेस रहमहुल्लाह की फ़ज़ीलत ”
2310. “ अदन अबयन के बारह हज़ार लोगों के द्वारा रसूल अल्लाह ﷺ की सहायता ”
2311. “ ओमान में बसने वालों की फ़ज़ीलत ”
2312. “ अजमी लोगों की फ़ज़ीलत ”
2313. “ बनी अबू अलआस की निंदा ”
2314. “ हकम बिन अबू अलआस पर लअनत ”
2315. “ सबसे बड़े दो बदनसीब ”

سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4035 :ترقیم البانی
سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
المناقب والمثالب
فضائل و مناقب اور معائب و نقائص
फ़ज़िलतें, विशेषताएं, कमियां और बुराइयाँ
سیدنا سعد بن معاذ رضی اللہ عنہ کے مناقب و کرامات اور شہادت
“ हज़रत सअद बिन मआज़ रज़ि अल्लाहु अन्ह के चमत्कार और शहादत ”
حدیث نمبر: 3519
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" اهتز العرش لموت سعد بن معاذ من فرح الرب عز وجل".-" اهتز العرش لموت سعد بن معاذ من فرح الرب عز وجل".
سیدنا ابوسعید خدری رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جب سیدنا سعد بن معاذ رضی اللہ عنہ کی موت پر ربّ تعالیٰ خوش ہوئے تو عرش جھوم گیا۔ ‏‏‏‏
حدیث نمبر: 3520
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
- (اتعجبون من هذه؟ فو الذي نفسي بيده، لمناديل سعد ابن معاذ في الجنة خير منها)- (أتعجبون من هذه؟ فو الذي نفسي بيده، لمناديل سعد ابن معاذ في الجنة خير منها)
سیدنا انس رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کے اکيدر دومہ نے صلی اللہ علیہ وسلم کی طرف ریشم کا جبہ بھیجا، آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے زیب تن کیا، لوگوں کو تعجب ہوا۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم فرمایا: کیا تمہیں اس پر تعجب ہو رہا ہے؟ اس ذات کی قسم جس کے ہاتھ میں میری جان ہے! جنت میں سعد بن معاذ کے رومال اس جبے سے بہتر ہیں۔ ‏‏‏‏ پھر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے وہ جبہ سیدنا عمر رضی اللہ عنہ کو بطور ہدیہ دے دیا۔ انہوں نے کہا! اے اللہ کے رسول! آپ اسے ناپسند کرتے ہیں تو میں کیسے پہنوں؟ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اے عمر! میں نے تو تیری طرف بھیجا ہے تاکہ تم کسی کو فروخت کر کے کوئی مال حاصل کر لو۔ ‏‏‏‏ یہ واقعہ ریشم کے حرام ہونے سے پہلے کا ہے۔
حدیث نمبر: 3521
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
- (لقد نزل لموت سعد بن معاذ سبعون الف ملك، ما وطئوا الارض قبلها، وقال حين دفن: سبحان الله! لو انفلت احد من ضغطة القبر؛ لانفلت منها سعد، [ولقد ضم ضمة، ثم افرج عنه]).- (لقد نزل لموت سعد بن معاذ سبعون ألف ملك، ما وطئوا الأرض قبلها، وقال حين دفن: سبحان الله! لو انفلت أحد من ضغطة القبر؛ لانفلت منها سعد، [ولقد ضم ضمة، ثم أفرج عنه]).
سیدنا عبداللہ بن عمر رضی اللہ عنہما بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: سعد بن معاذ رضی اللہ عنہ کی موت کے لیے ستر ہزار فرشتے نازل ہوئے، اس سے قبل اتنی بڑی تعداد زمین پر نازل نہیں ہوئی۔ جب ان کو دفن کیا گیا تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: سجان اللہ! اگر کوئی قبر کی گرفت سے بچ سکتا تو وہ سعد ہوتا، لیکن اسے بھی بھینچا گیا اور پھر کشادگی پیدا کر دی گئی۔
حدیث نمبر: 3522
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
- (هذا الرجل الصالح الذي فتحت له ابواب السماء، شدد عليه، ثم فرج عنه. يعني: سعد بن معاذ).- (هذا الرجل الصَالحُ الذي فتحت له أبواب السَماءِ، شُدِّد عليه، ثم فرِّج عنه. يعني: سعد بن معاذ).
سیدنا جابر بن عبداللہ رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اس نیک آدمی، جس کے لیے آسمان کے دروازے کھول دیے گئے، پر بھی قبر کو تنگ کر دیا گیا پھر کشادگی پیدا کر دی گئی۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی مراد سیدنا سعد بن معاذ رضی اللہ عنہ تھے۔
حدیث نمبر: 3523
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
- (إنما كانت تحمله الملائكة معهم. يعني: جنازة سعد بن معاذ رضي الله عنه).- (إنّما كانت تحملُه الملائكة معَهم. يعني: جنازة سعدِ بن معاذ رضي الله عنه).
سیدنا انس رضی اللہ عنہ بیان کرتے ہیں کہ سیدنا سعد رضی اللہ عنہ کا جنازہ پڑا تھا، اسے دیکھ کر آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اس کے لیے تو رحمن کا عرش بھی جھومنے لگ گیا۔ منافقوں نے یہ کہنا شروع کر دیا کہ (‏‏‏‏سعد کی میت تو) بہت ہلکی ہے۔ جب یہ بات نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم تک پہنچی تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: دراصل لوگوں کے ساتھ فرشتے بھی سعد (‏‏‏‏کی چارپائی) اٹھانے میں (‏‏‏‏مدد کر رہے تھے)۔
حدیث نمبر: 3524
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" كل نائحة تكذب إلا ام سعد".-" كل نائحة تكذب إلا أم سعد".
محمود بن لبید کہتے ہیں کہ جب سیدنا سعد رضی اللہ عنہ کے بازو کی رگ میں زخم لگ اور وہ بڑھ گیا۔ لوگوں نے ان کو رفیدہ نامی عورت کے پاس منتقل کر دیا، کیونکہ وہ زخمیوں کا علاج کرتی تھی۔ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم جب ان کے پاس سے گزرتے تو پوچھتے: تو نے کیسی شام پائی؟ اور جب صبح کے وقت آتے تو کہتے تو نے کیسی صبح پائی؟ وہ اپنی صورتحال واضح کرتے۔ یہاں تک کہ وہ رات آ گئی جس میں ان کی قوم نے انہیں وہاں سے منتقل کر دیا اور انہیں اٹھا کر بنو عبدالاشھل کے گھروں میں لے گئے، رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم حسب عادت ان کا حال دریافت کرنے کے لیے تشریف لائے۔ انہوں نے بتلایا کہ وہ انہیں لے گئے ہیں، سو رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم چل دیے اور ہم بھی آپ کے ساتھ ہو لیے، آپ اتنی تیزی سے چلے کہ ہمارے جوتوں کے تسمے ٹوٹ گئے اور ہماری چادریں گردنوں سے گرنے لگ گئیں، صحابہ نے آپ سے شکایت کرتے ہوئے کہا: اے اللہ کے رسول! آپ نے تو ہم کو تھکا دیا ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: مجھے اندیشہ ہے کہ کہیں ان کو غسل دینے میں فرشتے ہم سے سبقت نہ لے جائیں، جیسا کہ وہ اس سے پہلے خظلہ کو غسل دے چکے ہیں۔ جب رسول صلی اللہ علیہ وسلم اللہ صلی اللہ علیہ وسلم گھر تک پہنچے تو ان کو غسل دیا جا رہا تھا اور ان کی ماں رو رہی تھی اور کہہ رہی تھی: او سعد! تیری ماں کی ہلاکت (‏‏‏‏تیری) عقلمندی اور سخاوت (‏‏‏‏ کے گم ہو جانے کی وجہ سے)۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ہر نوحہ کرنے والی جھوٹ بولتی ہے، ماسوائے ام سعد کے۔ پھر آپ اس کی میت کو لے کر نکلے، بعض لوگوں نے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو کہا: سعد کی میت بہت ہلکی ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: یہ ہلکی کیوں نہ ہو، کثیر تعداد میں فرشتے اترے، اتنے فرشتے کبھی بھی نازل نہیں ہوئے، وہ تمہارے ساتھ سعد کی میت کو اٹھا رہے تھے۔ آپ نے فرشتوں کی تعداد بھی بتلائی تھی، لیکن مجھے یاد نہ رہی۔
حدیث نمبر: 3525
پی ڈی ایف بنائیں مکررات اعراب Hindi
-" قوموا إلى سيدكم فانزلوه، فقال عمر: سيدنا الله عز وجل، قال: انزلوه، فانزلوه".-" قوموا إلى سيدكم فأنزلوه، فقال عمر: سيدنا الله عز وجل، قال: أنزلوه، فأنزلوه".
سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا سے روایت ہے، وہ کہتی ہیں: میں غزوہ خندق والے دن نکلی اور لوگوں کے پیچھے چل پڑی۔ میں نے چلتے چلتے پیچھے سے قدموں کی پرزور آواز سنی۔ جب میں نے ادھر توجہ کی، تو کیا دیکھتی ہوں کہ سعد بن معاذ ہیں اور ان کے ساتھ ان کا بھتیجا حارث بن اوس ہے، جس نے ڈھال اٹھا رکھی تھی۔ میں زمین پر بیٹھ گئی۔ سعد گزرے، انہوں نے لوہے کی زرہ پہن رکھی تھی اور اس کے کنارے نکلے ہوئے تھے، مجھے خطرہ لاحق ہونے لگا کہ کہیں ان سے سعد کے اعضائے جسم (‏‏‏‏زخمی نہ ہو جائیں)۔ وہ گزرتے ہوئے یہ اشعار پڑھ رہے تھے: ذرا ٹھہرو کہ لڑائی زوروں پر آ جائے کتنی اچھی ہو گی موت، جب اس کا مقررہ وقت آ جائے گا وہ کہتی ہیں میں کھڑی ہوئی اور ایک باغ میں گھس گئی، وہاں (‏‏‏‏پہلے سے) چند مسلمان موجود تھے، ان میں عمر بن خطاب ‏‏‏‏رضی اللہ عنہ بھی تھے اور ایک اور آدمی بھی تھا، اس نے خود پہنا ہوا تھا۔ سیدنا عمر ‏‏‏‏رضی اللہ عنہ نے مجھے کہا: آپ یہاں کیوں آئی ہیں؟ بخدا! آپ نے تو بڑی جرأت کی ہے۔ آپ کو اس سے کیا اطمینان کہ آپ پر کوئی بلا آ پڑے یا کہیں بھاگنا پڑ جائے۔ عمر مجھے ملامت کرتے رہے، حتیٰ کہ مجھے یہ خواہش ہونے لگی کہ اسی وقت زمین پھٹے اور میں اس میں گھس جاؤں۔ ادھر جب اس بندے نے خود اتارا، تو معلوم ہوا کہ وہ طلحہ بن عبیداللہ تھے۔ اس نے کہا: عمر! آپ نے تو آج بہت باتیں کر دی ہیں۔ آج صرف اللہ تعالیٰ کی طرف فرار اختیار کرنا ہے۔ سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا کہتی ہیں: ایک قریشی مشرک، جس کو ابن عرقہ کہتے تھے، نے سعد کو تیر مارا اور کہا: یہ لو نا، میں تو ابن عرقہ ہوں۔ وہ تیر ان کے بازو کی رگ میں لگا اور وہ کٹ گئی، سعد نے اللہ تعالیٰ سے دعا کی: یاللہ! مجھے (‏‏‏‏اس وقت تک) موت سے بچانا، جب تک بنوقریظ کے بارے میری آنکھوں کو ٹھنڈک نصیب نہ ہو جائے۔ وہ جاہلیت میں سعد کے موالی کے حلیف تھے۔ پس ان کے زخم (‏‏‏‏سے بہنے ولا خون) رک گیا۔ ا‏‏‏‏دھر اللہ تعالیٰ نے مشرکوں پر (‏‏‏‏تندوتیز) ہوا بھیجی اور اس لڑائی میں مومنوں کے لیے کافی ہو گیا اور اللہ تعالیٰ طاقتور اور غالب ہے۔ ابوسفیان اپنے ساتھیوں سمیت تہامہ میں پہنچ گیا اور عیینہ بن بدر نے اپنے ساتھیوں سمیت نجد میں پناہ لی۔ بنوقریظہ (‏‏‏‏کے یہودی) واپس آ گئے اور قلعہ بند ہو گئے اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم مدینہ منورہ میں لوٹ آئے، اسلحہ اتارا اور سعد کے لیے مسجد میں چمڑے کا ایک خیمہ نصب کرنے کا حکم دیا۔ لیکن اسی اثناء میں جبریل علیہ السلام پہنچ گئے، ان کے دانتوں پر غبار چمک رہا تھا۔ انہوں نے کہا: (‏‏‏‏ ‏‏‏‏اے محمد!) آپ نے اسلحہ اتار دیا ہے؟ اللہ کی قسم! فرشتوں نے تو ابھی تک نہیں اتارا۔ چلیے بنو قریظہ کی طرف اور ان سے قتال کیجئیے۔ سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا کہتی ہیں: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے اپنی امت کی خاطر اسلحہ زیب تن کیا اور لوگوں میں کوچ کرنے کا اعلان کر دیا۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نکل پڑے اور بنوغنم، جو مسجد کے قریب سکونت پزیر تھے، کے پاس سے گزرے اور ان سے پوچھا: کون تمہارے پاس سے گزرا ہے؟، انہوں نے کہا: دحیہ کلبی گزرے ہیں، دراصل سیدنا دحیہ کلبی کی داڑھی، دانت اور چہرہ جبرائیل علیہ السلام کے مشابہ تھا۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم بنو قریظہ کے پاس پہنچے اور ان کا محاصرہ کر لیا، جو پچیس دن تک جاری رہا۔ جب ان پر محاصرے نے شدت اختیار کی اور ان کی تکلیف بڑھ گئی، تو ان سے کہا گیا: رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے فیصلے پر راضی ہو جاؤ۔ انہوں نے ابولبابہ بن عبد المنذر سے مشورہ کیا، اس نے اشارہ کیا کہ آپ صلی اللہ علیہ وسلم کا فیصلہ تو قتل ہی ہو گا۔ انہوں نے کہا: تو پھر سعد بن معاذ کے فیصلے کو قابل تسلیم سمجھ لیتے ہیں، رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: سعد بن معاذ کے فیصلے پر راضی ہو جاؤ۔ پس انہوں نے تسلیم کر کیا۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے سعد کو بلا بھیجا۔ سو ایک گدھا لایا گیا، اس پر کھجور کے درخت کے چھال کی پالان تھی، سیدنا سعد کو اس پر سوار کر دیا گیا، ان کی قوم نے ان گھیر لیا اور کہا: اے ابوعمرو! وہ (‏‏‏‏بنوقریظ والے) آپ کے حلیف بھی ہیں، معاہد بھی ہیں، شکست و ریخت والے بھی ہیں اور تم جانتے ہو کہ وہ ایسے ایسے بھی ہیں۔ لیکن انہوں نے نہ ان کا جواب دیا اور نہ ان کی طرف توجہ کی، (‏‏‏‏چلتے گئے)، جب ان کے گھروں کے قریب جا پہنچے تو اپنی قوم کی طرف متوجہ ہوئے اور کہا: اب وہ وقت آ گیا ہے کہ میں اللہ تعالیٰ کے بارے کسی ملامت کرنے والے کی ملامت کی پرواہ نہ کروں۔ ابوسعید کہتے ہیں: جب وہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کے سامنے جا پہنچے تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: (‏‏‏‏اٹھو) اپنے سردار کی طرف جاؤ اور ان کو (‏‏‏‏گدھے سے) اتارو۔ سیدنا عمر ‏‏‏‏رضی اللہ عنہ نے کہا ہمارا سردار تو اللہ ہے۔ آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ان کو اتارو۔ پس انہوں نے ان کو اتارا۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: سعد! ان کے بارے میں فیصلہ کرو۔ سیدنا سعد رضی اللہ عنہ نے کہا: میں یہ فیصلہ کرتا ہوں کہ ان کے جنگجوؤں کو قتل کر دیا جائے، ان کے بچوں کو قیدی بنا لیا جائے اور ان کے مالوں کو (‏‏‏‏مسلمانوں میں) تقسیم کر دیا جائے۔ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ‏‏‏‏تو نے تو وہی فیصلہ کیا جو اللہ تعالیٰ اور اس کے رسول کا فیصلہ تھا۔ سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا کہتی ہے: پھر سعد رضی اللہ عنہ نے یہ دعا کی: اے اللہ! اگر تو نے ابھی تک اپنے نبی کی قسمت میں قریشیوں سے لڑنا رکھا ہوا ہے، تو مجھے اس کے لیے زندہ رکھ اور اگر ان کے مابین جنگ و جدل ختم ہو گیا ہے، تو مجھے اپنے پاس بلا لے۔ وہ کہتی ہیں: ان کا زخم پھوٹ پڑا، حالانکہ وہ مندمل ہو چکا تھا اور وہاں انگوٹھی کی طرح کا نشان نظر آتا تھا اور وہ اس خیمہ میں واپس چلے گئے، جو نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے ان کے لیے نصب کروایا تھا۔ سیدہ عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا کہتی ہیں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم ، ابوبکر اور عمر رضی اللہ عنہما وہاں پہنچ گئے۔ اس ذات کی قسم! جس کے ہاتھ میں محمد صلی اللہ علیہ وسلم کی جان ہے، میں اپنے حجرے میں بیٹھی ہوئی عمر اور ابوبکر کے رونے کی آواز پہچان رہی تھی، وہ (‏‏‏‏صحابہ کرام) آپس میں ایسے ہی تھے، جیسے اللہ تعالیٰ نے ان کے بارے میں فرمایا: کہ وہ آپس میں رحمدل ہیں۔ علقمہ نےپوچھا: امی جان! اس وقت رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے کیا کیا تھا؟ سیدہ عائشہ رضی اللہ عنہا نے جواب دیا کسی کے لیے آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی آنکھوں سے آنسو نہیں بہتے تھے، لیکن جب وہ غمگین ہوتے تو اپنی داڑھی مبارک پکڑ لیتے تھے۔

http://islamicurdubooks.com/ 2005-2023 islamicurdubooks@gmail.com No Copyright Notice.
Please feel free to download and use them as you would like.
Acknowledgement / a link to www.islamicurdubooks.com will be appreciated.