क़सम उठाना, नज़र मानना और कफ़्फ़ारा
986. “ काएनात के मामलों में केवल अल्लाह तआला की इच्छा काम करती ”
987. “ केवल अल्लाह तआला की क़सम उठानी चाहिए ”
988. “ क़सम देने वाले की क़सम पूरी न करना ”
989. “ अल्लाह तआला के सिवा किसी और की क़सम उठाना मना है ”
990. “ अमानत की क़सम उठाना मना है ”
991. “ झूठी क़सम का नुक़सान झूठी क़सम के माध्यम से दुनिया का लाभ उठाना चतुराई नहीं बोझ है ”
992. “ क़सम तोड़ने और नज़र पूरी न करने का कफ़्फ़ारह ”
993. “ मानी हुई बुरी नज़र को छोड़ देना और उस का कफ़्फ़ारह ”
994. “ किस तरह की नज़र मानी जाए ”
995. “ नज़र में कोई जगह तय करना और उसकी शर्त ”
996. “ नज़र के प्रकार और मकरूह नज़र ”
997. “ तकलीफ़ में डालने वाली बेकार की नज़र से बचना चाहिए ”

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سلسله احاديث صحيحه کل احادیث 4103 :حدیث نمبر
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा
الايمان والنذور والكفارات
قسموں، نذروں اور کفارات کا بیان
क़सम उठाना, नज़र मानना और कफ़्फ़ारा
صرف اللہ تعالیٰ کی قسم اٹھائی جائے، قسم کی اقسام
“ केवल अल्लाह तआला की क़सम उठानी चाहिए ”
حدیث نمبر: 1410
Save to word مکررات اعراب Hindi
- (لا تحلفوا بآبائكم (وفي رواية: بغير الله)، وإذا خلوتم؛ فلا تستقبلوا القبلة ولا تستدبروها، ولا تستنجوا بعظم ولا ببعر).- (لا تحلفُوا بآبائِكم (وفي رواية: بغيرِ الله)، وإذا خلوتُم؛ فلا تستقبلُوا القِبلةَ ولا تستدبرُوها، ولا تستنجُوا بعظمٍ ولا بِبَعرٍ).
سیدنا سہل بن حنیف رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے ان کو بیان کیا: تو اہل مکہ کی طرف میرا قاصد ہے، ان کو میرا سلام کہنا اور ان کو بتلانا کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم تمہیں تین چیزوں کا حکم دیتے ہیں: ?? اپنے آباء و اجداد (اور ایک روایت کے مطابق غیر اللہ) کی قسمیں نہ اٹھاؤ، ② جب تم قضائے حاجت کرو تو قبلہ کی طرف منہ کرو نہ پیٹھ اور ③ اور ہڈی اور مینگنی کے ساتھ استنجا نہ کرو۔

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