विभिन्न
1. ज़िक्र की फ़ज़ीलत ( पुण्य )
2. नींद से जागने के बाद की दुआएं
3. कपड़ा पहनने की दुआ
4. नया वस्त्र पहनने की दुआ
5. नया वस्त्र पहनने वाले को किया दुआ दी जाए
6. वस्त्र उतारे तो किया दुआ पढ़े
7. शौचालय में जाने की दुआ
8. शौचालय से निकलने की दुआ
9. वुज़ू शुरू करते समय किया पढ़े
10. वुज़ू समाप्त करने के बाद किया पढ़े
11. घर से निकलते समय किया पढ़ना चाहिए
12. घर में प्रवेश करते समय की दुआ
13. मस्जिद की तरफ़ जाने की दुआ
14. मस्जिद में प्रवेश करते समय की दुआ
15. मस्जिद से निकलने की दुआ
16. अज़ान के अज़्कार
17. दुआए इस्तफ़्ताह
18. सूरत अल्फ़ातिहा
19. रुकू की दुआएं
20. रुकू से उठने की दुआएं
21. सज्दे की दुआएं
22. जलसा इस्तराहत ( दो सजदों के बीच ) की दुआएं
23. सज्दा तिलावत की दुआएं
24. तशाहहुद
25. नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्ल्म पर दरूद पढ़ना
26. सलाम फेरने से पहले आख़री तशाहहुद में दुआएं
27. सलाम फेरने के बाद के अज़कार
28. फ़जर की नमाज़ के बाद ये दुआ पढ़े
29. नमाज़ इस्तेख़ारा की दुआ
30. सुबह और शाम के अज़कार
31. शाम के समय ये दुआ पढ़े
32. सोते समय की दुआएं
33. रात करवट बदलते समय की दुआएं
34. नींद में घबराहट और डरजाने के समय की दुआ
35. बुरा सपना देखने वाला किया करे
36. क़ुनूत और वित्र की दुआएं
37. नमाज़ वित्र से सलाम फेरने के बाद का ज़क्र
38. शोक और फ़िक्र की दुआ
39. बेचैनी की दुआ
40. दुश्मन और शासक से मिलते समय की दुआ
41. जिसे शासक के अत्याचार का डर हो उस के लिए दुआ
42. दुश्मन के लिए बद दुआ
43. जब किसी से ख़तरा हो तो किया कहे
44. जिसे ईमान में शक होने लगे उस की दुआ
45. क़र्ज़ चुकाने की दुआ
46. नमाज़ या क़ुरान पढ़ते समय वहम आने की दुआ
47. जिस पर कोई मुश्किल आन पड़े उस के लिए दुआ
48. जिस से कोई पाप हो जाये वो किय कहे और किया करे
49. शैतान और अस का वहम दूर करने की दुआएं
50. बुरी घटना या बेबसी की दुआ
51. बच्चे के जन्म पर बधाई की दुआ
52. बच्चों को किन शब्दों के साथ शरण दी जाए
53. रोगी से मिलते समय की दुआ
54. रोगी की सेवा करने का पुण्य
55. जीवन से निराश रोगी के लिए दुआ
56. रोगी को कलमा «ला इलाहा इल्लल्लाह» पढ़ने को कहना
57. जिस को मुसीबत पहुँचे उस की दुआ
58. मृतक की ऑंखें बंद करते समय की दुआ
59. नमाज़ जनाज़ा की दुआएं
60. नमाज़ जनाज़ा में बच्चे के लिए दुआ
61. मृत्यु पर शोक व्यक्त करने की दुआ
62. मृतक को क़ब्र में रखते समय की दुआ
63. मृतक को दफ़्न करने के बाद की दुआ
64. क़ब्रस्तान में प्रवेश करते समय की दुआ
65. हवा चलते समय की दुआएं
66. बदल गरजने की दुआ
67. बारिश की दुआएं
68. बारिश बरसते समय की दुआ
69. बारिश बरसने के बाद का ज़िक्र
70. आकाश पर घटा छाजाने की दुआ
71. चाँद देखने की दुआ
72. रोज़ा खोलते समय की दुआ
73. खाने से पहले की दुआ
74. खाना ख़त्म करने के बाद की दुआ
75. खाना खिलाने वाले के लिए दुआ
76. जो वेक्ति कुछ खिलाए पिलाये उस के लिए दुआ
77. इफ़्तार कराने वाले के लिए दुआ
78. रोज़ेदार की दुआ जब खाना सामने हो और वो रोज़ा न खोले
79. रोज़ेदार को जब कोई गली दे तो वो किया कहे
80. पहला फल देखने की दुआ
81. छींक की दुआ
82. शादी करने वाले के लिए दुआ
83. शादी करने और सवारी ख़रीदने वाले केलिए दुआ
84. पत्नि के साथ संभोग करने से पहले की दुआ
85. क्रोध के समय की दुआ
86. पीड़ित को देखते समय की दुआ
87. सभा में किया कहा जाये
88. सभा के कफ़्फ़ारे की दुआ
89. जो तुम्हारे साथ अच्छा करे उस के लिए दुआ
90. दज्जाल से सुरक्षित रहने की दुआ
91. जो व्येक्ति कहे कि में तुम से अल्लाह के वास्ते प्यार करता हूँ
92. जो व्येक्ति तुम को अपना माल दे उस के लिए दुआ
93. उधार चुकाते समय की दुआ
94. किसी को अल्लाह का साझी बनाने ( शिर्क ) के डर की दुआ
95. जो व्येक्ति तुम्हें « बारक अल्लाह » कहे उस के लिए दुआ
96. बद शगुनी से घिन आने की दुआ
97. सवार होते समय की दुआ
98. यात्रा की दुआ
99. बस्ती में प्रवेश करते समय की दुआ
100. बाज़ार में प्रवेश करते समय की दुआ
101. सवारी से गिरते समय की दुआ
102. यात्री की बस्ती में रहने वाले के लिए दुआ
103. बस्ती में रहने वाले की यात्री के लिए दुआ
104. यात्रा में तस्बीह और तक्बीर करना
105. सुबह के समय यात्री की दुआ
106. यात्रा में या यात्रा के सिवा किसी भी पड़ाव पे दुआ
107. यात्रा से लोट आने की दुआ
108. ख़ुश करने वाला या अच्छा न लगने वाला मामला हो तो किया कहे
109. नबी करीम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्ल्म पर दरूद पढ़ने की फ़ज़ीलत ( पुण्य )
110. जाने और अनजाने को सलाम करना
111. जो वेक्ति मुसल्मान न हो वो सलाम करे तो किया कहे
112. मुर्ग़े की आवाज़ और गधे की आवाज़ सुनने पर दुआ
113. रात को कुत्ते के भोंकने पर दुआ
114. जिस को तुम ने बुरा भला कहा उस के लिए दुआ
115. जब एक मुसल्मान दुसरे मुसल्मान की ताअरीफ़ करे तो किया कहे
116. अपनी ताअरीफ़ सुने तो किया कहे
117. हज या उम्रा का अहराम बांधने वाला तलबिया कैसे कहे
118. जब हज्र अस्वद के पास आए तो तक्बीर कहे
119. रुकुन यमानी और हज्र अस्वद जे बीच की दुआ
120. सफ़ा और मरवाह पे ठहरने की दुआ
121. अराफ़ात के दिन की दुआ
122. मशअर हराम के पास की दुआ
123. शैतान को कंकरी मारते समय हर कंकरी पे तक्बीर पढ़ना
124. आश्चर्य और ख़ुश करने वाले काम के समय की दुआ
125. अच्छी सुचना मिले तो किया करे
126. शरीर में दर्द महसूस करने वाला किया करे और किया कहे
127. अपनी नज़र लगने का डर हो तो किया करे
128. घबराहट के समय किया कहे
129. क़ुरबानी करते समय किया कहे
130. शैतान के धोके और बहकावे से बचने की दुआ
131. इस्तग़फ़ार और तोबा का बयान
132. तक्बीर और तस्बीह और प्रशंसा आदि की फ़ज़ीलत ( पुण्य )
133. नबी सल्लल्लाहो अलैहि वसल्ल्म तस्बीह कैसे करते थे
134. और दूसरे अच्छे काम

مختصر حصن المسلم کل احادیث 276 :حدیث نمبر
مختصر حصن المسلم
मुख़्तसर हिसनुल मुस्लिम
متفرق
متفرق
विभिन्न
سوتے وقت کی دعائیں
सोते समय की दुआएं
حدیث نمبر: 109
Save to word اعراب Hindi
اپنی دونوں ہتھیلیوں کو اکٹھا کرے، پھر سورۃ اخلاص، سورۃ فلق اور سورۃ الناس پڑھ کر ان پر پھونک مارے پھر سر، چہرے اور جسم کے سامنے سے شروع کرتے ہوئے سارے بدن پر پھیرے اس طرح تین مرتبہ کرے۔ [صحيح بخاري: 5017]
حدیث نمبر: 110
Save to word اعراب Hindi
​جو شخص سوتے وقت آیت الکرسی پڑھ لے اس پر اللہ تعالیٰ کی طرف سے ایک نگران مقرر کر دیا جاتا ہے اور صبح تک شیطان اس کے قریب نہیں آ سکتا۔ [صحيح بخاري: 2311، 5010]
حدیث نمبر: 111
Save to word اعراب Hindi
آمن الرسول بما انزل إليه من ربه والمؤمنون كل آمن باللٰه وملائكته وكتبه ورسله لا نفرق بين احد من رسله وقالوا سمعنا واطعنا غفرانك ربنا وإليك المصير٭ لا يكلف اللٰه نفسا إلا وسعها لها ما كسبت وعليها ما اكتسبت ربنا لا تؤاخذنا إن نسينا او اخطانا ربنا ولا تحمل علينا إصرا كما حملته على الذين من قبلنا ربنا ولا تحملنا ما لا طاقة لنا به واعف عنا واغفر لنا وارحمنا انت مولانا فانصرنا على القوم الكافرين [البقرة:285-286]
آمَنَ الرَّسُولُ بِمَا أُنْزِلَ إِلَيْهِ مِنْ رَبِّهِ وَالْمُؤْمِنُونَ كُلٌّ آمَنَ بِاللَٰهِ وَمَلَائِكَتِهِ وَكُتُبِهِ وَرُسُلِهِ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِنْ رُسُلِهِ وَقَالُوا سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَيْكَ الْمَصِيرُ٭ لَا يُكَلِّفُ اللَٰهُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا اكْتَسَبَتْ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَا إِنْ نَسِينَا أَوْ أَخْطَأْنَا رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَا إِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهُ عَلَى الَّذِينَ مِنْ قَبْلِنَا رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهِ وَاعْفُ عَنَّا وَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا أَنْتَ مَوْلَانَا فَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ [البقرة:285-286]
رسول ایمان لایا اس چیز پر جو اس کی طرف اللہ کی جانب سے اتری اور مومن بھی ایمان لائے، یہ سب اللہ تعالیٰ اور اس کے فرشتوں پر اور اس کی کتابوں پر اور اس کے رسولوں پر ایمان لائے، اس کے رسولوں میں سے ہم کسی میں تفریق نہیں کرتے، انہوں نے کہا ہم نے سنا اور اطاعت کی، ہم تیری بخشش طلب کرتے ہیں، اے ہمارے رب! ہمیں تیری طرف ہی لوٹنا ہے۔ اللہ تعالیٰ کسی جان کو اس کی طاقت سے زیادہ تکلیف نہیں دیتا جو نیکی وہ کرے وہ اس کے لئے اور جو برائی کرے وہ اس کے خلاف ہے، اے ہمارے رب! اگر ہم بھول گئے ہوں یا خطا کی ہو تو ہمیں نہ پکڑنا، اے ہمارے رب! ہم پروہ بوجھ نہ ڈال جو ہم سے پہلے لوگوں پر ڈالا تھا، اے ہمارے رب! ہم پر وہ بوجھ نہ ڈال جس کی ہم میں طاقت نہ ہو اور ہم سے درگزر فرما اور ہمیں بخش دے اور ہم پر رحم فرما، تو ہی ہمارا مالک ہے، ہمیں کافروں کی قوم پر غلبہ عطا فرما۔
ابو مسعود بدری رضی اللہ عنہ سے مروی ہے کہ نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا کہ جس شخص نے سورۃ بقرہ کی آخری دو آیات رات کو پڑھیں تو وہ اس کے لئے کافی ہو جائیں گی۔ [صحيح بخاري: 5009، صحيح مسلم: 807]
حدیث نمبر: 112
Save to word اعراب Hindi
باسمك ربى وضعت جنبي وبك ارفعه، إن امسكت نفسي فارحمها، وإن ارسلتها فاحفظها بما تحفظ به عبادك الصالحين بِاسْمِكَ رَبِّىْ وَضَعْتُ جَنْبِي وَبِكَ أَرْفَعُهُ، إِنْ أَمْسَكْتَ نَفْسِي فَارْحَمْهَا، وَإِنْ أَرْسَلْتَهَا فَاحْفَظْهَا بِمَا تَحْفَظُ بِهِ عِبَادَكَ الصَّالِحِينَ
اے میرے رب! میں نے تیرے نام کے ساتھ اپنا پہلو رکھا اور تیرے نام کے ساتھ ہی اسے اٹھاؤں گا، اگر تو میری جان کو روک لے تو اس پر رحم فرما، اور اگر تو نے اسے چھوڑ دیا، تو اس کی حفاظت اس طرح فرما جس طرح تو اپنے نیک بندوں کی حفاظت کرتا ہے۔
نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جب تم میں سے کوئی شخص اپنے بستر سے اٹھے اور دوبارہ سونے کے لئے آئے تو چادر سے بستر کو تین مرتبہ جھاڑ لے، پھر بسم اللہ کہے، کہیں اس پر کوئی نقصان دہ مخلوق نہ آ کر بیٹھ گئی ہو اور جب لیٹے تو یہی دعا پڑھے۔ [صحيح بخاري: 6320، صحيح مسلم: 2714]
اور یہ الفاظ صحیح بخاری کے ہیں۔
حدیث نمبر: 113
Save to word اعراب Hindi
اللٰهم انك خلقت نفسي وانت توفاها، لك مماتها ومحياها، إن احييتها فاحفظها، وإن امتها فاغفر لها، اللٰهم إني اسالك العافية اللّٰهُمَّ اِنَّكَ خَلَقْتَ نَفْسِي وَأَنْتَ تَوَفَّاهَا، لَكَ مَمَاتُهَا وَمَحْيَاهَا، إِنْ أَحْيَيْتَهَا فَاحْفَظْهَا، وَإِنْ أَمَتَّهَا فَاغْفِرْ لَهَا، اللّٰهُمَّ إِنِّي أَسْأَلُكَ الْعَافِيَةَ
اے اللہ! یقیناً تو نے ہی میری جان کو پیدا کیا ہے اور تو ہی اسے فوت کرے گا، تیرے لئے ہی اس کا مرنا اور جینا ہے اگر تو اسے زندہ رکھے تو اس کی حفاظت فرما، اور اگر تو اسے مار دے، تو اسے بخش دے، اے اللہ! میں تجھ سے عافیت کا سوال کرتا ہوں۔ [صحيح مسلم: 2712، مسند احمد: 79/2]
اور یہ الفاظ اس کے ہیں۔
حدیث نمبر: 114
Save to word اعراب Hindi
اللٰهم قني عذابك يوم تبعث، عبادك ثلاث مرار اللَٰهُمَّ قِنِي عَذَابَكَ يَوْمَ تَبْعَثُ، عِبَادَكَ ثَلَاثَ مِرَارٍ
اے اللہ! مجھے اس دن کے عذاب سے بچا جس دن تو اپنے بندوں کو اٹھائے گا۔ (تین مرتبہ)
جب آپ صلی اللہ علیہ وسلم سونے کا ارادہ فرماتے تو دائیں ہتھیلی کو اپنے رخسار کے نیچے رکھتے اور پھر یہ الفاظ کہتے۔ [اسناده حسن، سنن ابي داؤد: 5045، مسنداحمد: 288/6]
نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: جب تم میں سے کوئی شخص اپنے بستر سے اٹھے اور دوبارہ سونے کے لیے آئے تو چادر سے بستر کو تین دفعہ جھاڑ لے، پھر «بِسْمِ اللَّـهِ» کہے، کہیں اس پر کوئی نقصان دہ مخلوق نہ آ کر بیٹھ گئی ہو اور جب لیٹے تو یہی دعا پڑھے۔ [صحيح بخاري: 6320، صحيح مسلم: 2714]
حدیث نمبر: 115
Save to word اعراب Hindi
باسمك اللٰهم اموت واحيا بِاسْمِكَ اللّٰهُمَّ أَمُوتُ وَأَحْيَا
اے اللہ! تیرے نام کے ساتھ ہی مرتا ہوں اور جیتا ہوں۔ [صحيح بخاري: 6312، 6324، صحيح مسلم: 2711]
اور یہ الفاظ صحیح بخاری کے ہیں۔
حدیث نمبر: 116
Save to word اعراب Hindi
سبحان الله، «الحمد الله، «الله اكبر سُبْحَانَ اللهِ، «اَلْحَمْدُ اللهِ، «اَللهُ اَكبَرُ
اللہ پاک ہے، تمام تعریفات اللہ کے لئے ہیں، اللہ سب سے بڑا ہے۔
جو شخص یہ الفاظ بستر پر لیٹے ہوئے پڑھ لے تو یہ اس کے لئے ایک خادم سے بہتر ہیں۔ [صحيح بخاري: 3705، 6318، صحيح مسلم: 2727]
حدیث نمبر: 117
Save to word اعراب Hindi
اللٰهم رب السماوات السبع ورب الارض ورب العرش العظيم، ربنا ورب كل شيء، فالق الحب والنوى، ومنزل التوراة والإنجيل والفرقان، اعوذ بك من شر كل شيء انت آخذ بناصيته، اللٰهم انت الاول فليس قبلك شيء، وانت الآخر فليس بعدك شيء، وانت الظاهر فليس فوقك شيء، وانت الباطن فليس دونك شيء، اقض عنا الدين، واغننا من الفقر اللّٰهُمَّ رَبَّ السَّمَاوَاتِ السَّبْعِ وَرَبَّ الْأَرْضِ وَرَبَّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ، رَبَّنَا وَرَبَّ كُلِّ شَيْءٍ، فَالِقَ الْحَبِّ وَالنَّوَى، وَمُنْزِلَ التَّوْرَاةِ وَالْإِنْجِيلِ وَالْفُرْقَانِ، أَعُوذُ بِكَ مِنْ شَرِّ كُلِّ شَيْءٍ أَنْتَ آخِذٌ بِنَاصِيَتِهِ، اللّٰهُمَّ أَنْتَ الْأَوَّلُ فَلَيْسَ قَبْلَكَ شَيْءٌ، وَأَنْتَ الْآخِرُ فَلَيْسَ بَعْدَكَ شَيْءٌ، وَأَنْتَ الظَّاهِرُ فَلَيْسَ فَوْقَكَ شَيْءٌ، وَأَنْتَ الْبَاطِنُ فَلَيْسَ دُونَكَ شَيْءٌ، اقْضِ عَنَّا الدَّيْنَ، وَأَغْنِنَا مِنَ الْفَقْرِ
اے اللہ! ساتوں آسمانوں اور زمینوں کے رب، اور عرش عظیم کے رب، ہمارے رب اور ہر چیز کے رب، اے دانے اور گٹھلی کو پھاڑنے والے، اور تورات، انجیل، اور قرآن کو نازل کرنے والے، میں ہر اس چیز کے شر سے تیری پناہ میں آتا ہوں جسے تو پیشانی کے بالوں سے پکڑے ہوئے ہے، اے اللہ! تو ہی اول ہے، تجھ سے پہلے کوئی چیز نہیں اور تو ہی آخر ہے تیرے بعد کوئی چیز نہیں، تو غالب ہے، تیرے اوپر کوئی چیز نہیں، تو ہی باطن ہے تجھ سے مخفی کوئی چیز نہیں، ہمارا قرض ادا فرما دے اور ہمیں محتاجی سے خوشحالی عطا فرما۔ [صحيح مسلم: 2713]
حدیث نمبر: 118
Save to word اعراب Hindi
الحمد للٰه الذي اطعمنا وسقانا، وكفانا وآوانا، فكم ممن لا كافي له ولا مؤوي الْحَمْدُ لِلَٰهِ الَّذِي أَطْعَمَنَا وَسَقَانَا، وَكَفَانَا وَآوَانَا، فَكَمْ مِمَّنْ لَا كَافِيَ لَهُ وَلَا مُؤْوِيَ
تمام تعریفات اللہ کے لئے ہیں جس نے ہمیں کھلایا اور پلایا، ہمیں کافی ہوا، اور ہمیں پناہ دی، کتنے ہی ایسے لوگ ہیں جنہیں نہ ہی کوئی کفایت کرنے والا ہے اور نہ ہی کوئی پناہ دینے والا۔ [صحيح مسلم: 2715]
حدیث نمبر: 119
Save to word اعراب Hindi
اللٰهم عالم الغيب والشهادة، فاطر السموات، والارض، رب كل شيء والملائكة اشهد ان لا إلٰه إلا انت، اعوذ بك من شر انفسى، ومن شر الشيطان، وشركه، وان اقترف سوءا على انفسى او اجره إلى مسلم اللَٰهُمَّ عَالِمَ الْغَيْبِ وَالشَّهَادَةِ، فَاطِرَ السَّمَوَاتِ، وَالْأَرْضِ، رَبَّ كُلِّ شَيْءٍ وَالْمَلَائِكَةُ اَشْهَدُ اَنَ لَّا إِلٰهَ إِلَّا أَنْتَ، اَعُوْذُ بِكَ مِنْ شَرِّ أَنْفُسِىْ، وَمِنْ شَرِّ الشَّيْطَانِ، وَشِرْكِهِ، وَأَنْ اَقْتَرِفَ سُوْءًا عَلَى أَنْفُسِىْ أَوْ اَجُرَّهُ إِلَى مُسْلِمٍ
اے اللہ! غیب اور حاضر کو جاننے والے، آسمانوں اور زمین کو نئے سرے سے پیدا کرنے والے، ہر چیز کے رب اور مالک میں گواہی دیتا ہوں کہ تیرے علاوہ کوئی سچا معبود نہیں، میں اپنے نفس کے شر اور شیطان کے شر اور اس کے شرک سے تیری پناہ میں آتا ہوں اور اس بات سے تیری پناہ میں آتا ہوں کہ میں اپنے نفس پر برائی کا ارتکاب کروں یا اسے کسی مسلمان کی طرف کھینچ لاؤں۔ [اسناده ضعيف، سنن ابي داؤد: 5083]
حدیث نمبر: 120
Save to word اعراب Hindi
سورۃ السجدۃ اور سورۃ الملک پڑھے۔ [ضعيف، سنن ترمذي: 3404]
حدیث نمبر: 121
Save to word اعراب Hindi
اللٰهم اسلمت نفسي إليك، وفوضت امري إليك، ووجهت وجهي إليك، والجات ظهري إليك، رغبة ورهبة إليك، لا ملجا ولا منجا منك إلا إليك، آمنت بكتابك الذي انزلت، وبنبيك الذي ارسلت اللَٰهُمَّ أَسْلَمْتُ نَفْسِي إِلَيْكَ، وَفَوَّضْتُ أَمْرِي إِلَيْكَ، وَوَجَّهْتُ وَجْهِي إِلَيْكَ، وَأَلْجَأْتُ ظَهْرِي إِلَيْكَ، رَغْبَةً وَرَهْبَةً إِلَيْكَ، لاَ مَلْجَا وَلاَ مَنْجَا مِنْكَ إِلَّا إِلَيْكَ، آمَنْتُ بِكِتَابِكَ الَّذِي أَنْزَلْتَ، وَبِنَبِيِّكَ الَّذِي أَرْسَلْتَ
اے اللہ! میں نے اپنی جان کو تیرا فرمانبردار بنا لیا، اپنا کام تیرے سپرد کر دیا، اپنا چہرہ تیری طرف متوجہ کر لیا، اپنی کمر تیرے لئے جھکا دی، تیری طرف رغبت کرتے ہوئے اور تجھ سے ڈرتے ہوئے، نہ تجھ سے بھاگ کر جانے کی کوئی پناہ ہے نہ راہ نجات ہے مگر تیری طرف ہی، میں تیری اس کتاب پر ایمان لایا جسے تو نے نازل کیا اور تیرے اس نبی پر ایمان لایا جسے تو نے بھیجا۔
آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: اگر کوئی شخص یہ کلمات پڑھنے کے بعد فوت ہو گیا تو وہ فطرت پر فوت ہو گا۔ [صحيح بخاري: 6313، صحيح مسلم: 2710]
اور یہ لفظ بخاری کے ہیں۔

https://islamicurdubooks.com/ 2005-2024 islamicurdubooks@gmail.com No Copyright Notice.
Please feel free to download and use them as you would like.
Acknowledgement / a link to https://islamicurdubooks.com will be appreciated.