الايمان والتوحيد والدين والقدر ایمان توحید، دین اور تقدیر کا بیان तौहीद पर ईमान, दीन और तक़दीर 1. اللہ تعالیٰ کی عظیم قدرت اور وسیع بادشاہت 1. “ अल्लाह तआला की महान क़ुदरत और विशाल बादशाहत ” 2. اللہ تعالیٰ کے لامتناہی خزانے 2. “ अल्लाह तआला के कभी ख़तम न होने वाले ख़ज़ाने ” 3. امور کائنات میں صرف اللہ تعالیٰ کی مشیت کار فرما ہے 3. “ कायनात के सारे काम अल्लाह तआला की मर्ज़ी से होते हैं ” 4. اللہ تعالیٰ کی رحمت اور غضب کی وسعت اور ان کے تقاضے 4. “ अल्लाह तआला की रहमत और क्रोध के बारे में ” 5. اللہ تعالیٰ کی ذات میں نہیں، اس کے انعامات میں غور و فکر کرنا 5. “ अल्लाह तआला की ज़ात की बजाए उसकी नअमतों पर ग़ौर करना चाहिए ” 6. اللہ تعالیٰ کی الوہیت اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی رسالت کی شہادت دینے کی فضیلت 6. “ अल्लाह तआला के ईश्वर होने और रसूल अल्लाह ﷺ के रसूल होने की गवाही देने की फ़ज़ीलत ” 7. پانچ امور کا تعلق اللہ تعالیٰ کے علم غیب سے ہے 7. “ पांच मामलों के बारे में केवल अल्लाह ही जनता है ” 8. توحید اور اس کے تقاضے 8. “ तौहीद : अल्लाह एक और अकेला है यह विश्वास करने के नियम ” 9. توحید کی برکتیں 9. “ तौहीद : अल्लाह एक और अकेला है यह विश्वास करने की बरकतें ” 10. تمام اعمال کی بنیاد توحید ہے 10. “ सारे कर्मों का आधार तौहीद है यानि अल्लाह को एक और अकेला मानना है ” 11. اللہ تعالیٰ کو پکارنے کی وجہ 11. “ अल्लाह तआला को याद करने का कारण ” 12. اللہ تعالیٰ کو پکارنے کا ثمرہ 12. अल्लाह तआला को याद करने का फल 13. اللہ تعالیٰ کو کس نے پیدا کیا؟ اس سوال کا جواب 13. अल्लाह तआला को किस ने पैदा किया ، इसका जवाब 14. «لا اله الا الله» کے ذکر کی کثرت کی نصیحت اور وجہ 14. «لا إله إلا الله» ज़्याद कहने की नसीहत और इसका कारण 15. توحید الوہیت اور توحید رسالت کا حکم 15. अल्लाह तआला को एक और अकेला ईश्वर मानने और रसूल अल्लाह ﷺ को अल्लाह का रसूल मानने का हुक्म 16. قریب المرگ لوگوں کو کلمہ شہادت پڑھنے کی تلقین کرنا 16. मरने वाले को कलिमह शहादत पढ़ने की नसिहत करना 17. شرک، اس کی اقسام اور اس کا وبال 17. शिर्क क्या है ، इसके प्रकार और इसका बोझ 18. کیا توبہ کے بغیر مرنے والے مسلمانوں فاسق کی بخشش ممکن ہے؟ 18. क्या तोबा किये बिना मर जाने वाले मुसलमानो को क्षमा कर दिया जाएगा ? 19. قبولیت اسلام کے بعد کفر کرنا سنگین جرم ہے، کیا مرتد کی توبہ ممکن ہے؟ 19. इस्लाम स्वीलकार करने के बाद पलट जाना पाप है और क्या इस की तोबा मुमकिन है 20. ایصال ثواب کی صورتیں 20. सवाब कैसे पहुंचाया जा सकता है 21. کفر کی حالت میں مرنے والے کافروں کے نیک اعمال رائیگاں ہو جاتے ہیں 21. “ काफ़िरों को मरने के बाद उनके नेक कर्म कोई लाभ नहीं पहुंचाते ” 22. قبولیت اسلام کے بعد کافر کی حالت کفر میں کی گئی نیکیوں کی اہمیت 22. “ इस्लाम लाने के बाद जाहिलियत के समय में की गई नेकियों की एहमियत ” 23. اگر کوئی مسلمان ادائیگی حج کے بعد مرتد ہو کر پھر مسلمان ہو جائے تو کیا سابقہ حج اسے کفایت کرے گا؟ 23. “ अगर कोई मुसलमान हज्ज करने के बाद इस्लाम छोड़ दे और फिर से मुसलमान हो जाए तो क्या उसका किया हुआ हज्ज काफ़ी होगा ” 24. قبولیت اسلام کے بعد پہلے والے جرائم کا مؤاخذہ کب کیا جائے گا؟ 24. “ इस्लाम लाने के बाद पिछले पापों की पूछताछ कब की जाएगी ” 25. ایمان لانے والے اہل کتاب اور اہل شرک کے اجر و ثواب میں فرق 25. “ ईमान लाने वाले अहले किताब और मुशरिकों के बदले और सवाब में अंतर ” 26. اللہ تعالیٰ کے ہاں انتہائی ناپسندیدہ لوگ 26. “ वह लोग जन्हें अल्लाह तआला पसंद नहीं करता है ” 27. غیر اللہ کی قسم منع ہے 27. “ अल्लाह तआला के सिवा किसी और की क़सम खाना मना है ” 28. کبیرہ گناہوں سے اجتناب کرنے کی تلقین 28. “ बड़े पापों से बचने की नसिहत ” 29. آزمائشیں اس امت کا مقدر ہیں 29. “ परीक्षाएँ इस उम्मत की तक़दीर हैं ” 30. محبوب ترین دین 30. “ सबसे अच्छा दीन ” 31. امت محمدیہ کے لیے اللہ تعالیٰ کی مرتب شریعت آسان ہے 31. “ रसूल अल्लाह ﷺ की उम्मत के लिए तय की गई शरीअत आसान है ” 32. راہ اعتدال پر گامزن رہنے کی تلقین اور طریقہ 32. “ बीच रस्ते पर चलते रहने की नसिहत और तरीक़ा ” 33. دین میں غلو منع ہے 33. “ दीन मैं हद से आगे जाना मना है ” 34. تقدیر 34. “ तक़दीर के बारे में ” 35. تقدیر برحق ہے، لیکن انسان کا اختیار 35. “ तक़दीर सच है, लेकिन इन्सान का विकल्प ” 36. تقدیر کے موضوع پر گفتگو کرنے والے بدترین لوگ ہیں 36. “ तक़दीर के बारे में बात करने वाले अच्छे लोग नहीं ” 37. بوقت تخلیق ایمان یا کفر کا فیصلہ 37. “ पैदा किये जाते समय ईमान या कुफ़्र का फ़ैसला ” 38. مبلغین کی صفات 38. “ प्रचारकों के गुण ” 39. نیکی کا بدلہ دس سے سات سو گنا تک 39. “ नेकी का बदला दस से सात सो गुना अधिक ” 40. آدمی اپنی جائے موت تک کیسے پہنچتا ہے؟ 40. “ आदमी अपने मरने की जगह कैसे पहुंचता है ? ” 41. وحی کے وقت اہل آسمان کی کیفیت 41. “ वही उतरते समय आसमान वालों के बारे में ” 42. شیطان وحی کی باتیں کیسے اچک لیتے ہیں؟ 42. “ शैतान वही यानि आसमान की बातें कैसे जान लेते हैं ” 43. ایمان کی علامت 43. “ ईमान के लक्षण ” 44. برائیوں کی وجہ سے ایمان میں نقص آ جاتا ہے 44. “ बुराइयों के कारण ईमान में कमी आजाती है ” 45. بدکار کیسے ایمان سے خالی ہوتا ہے؟ 45. “ बुरे इन्सान का ईमान कैसे चला जाता है ” 46. نیکی یا برائی کا پتہ کیسے چلتا ہے؟ 46. “ नेकी और बुराई का कैसे पता चलता है ” 47. گناہ کی تعریف 47. “ पाप किसे कहते हैं ” 48. مومن پر لعنت کرنے کی مذمت 48. “ मोमिन पर लाअनत करने की निंदा ” 49. کسی کو کافر کہنے کے بارے میں محتاط رہنا 49. “ किसी को काफ़िर कहने से बचना ” 50. امت مسلمہ میں باقی رہنے والے امورِ جاہلیت 50. “ मुसलमानों में बाक़ी रह जाने वाली जाहिलियत की विशेषताएं ” 51. نجامت 51. “ ग्रहों और सितारों में विश्वास ( ज्योतिष विद्या ) के बारे में ” 52. بہرے، مجنوں اور انتہائی بوڑھے کا میدان حشر میں دوبارہ امتحان 52. “ क़यामत के दिन बहरे, पागल और बहुत बूढ़े इन्सान की दोबारा परीक्षा ” 53. ہر نیکی کی جائے اگرچہ وہ طبعاً ناپسند ہو 53. “ हर नेक कर्म किया जाए चाहे वह पसंद न हो ” 54. دوران عبادت عابد کی کیفیت 54. “ इबादत के समय इबादत करने वाले के बारे में ” 55. دنیا میں مومن اجنبی ہے یا مسافر 55. “ दुनिया में मोमिन एक परदेसी यानी यात्री है ” 56. دوران حیات مومن اپنے آپ کو کیا سمجھے؟ 56. “ जीवन में मोमिन अपने आप को क्या समझे ” 57. اللہ تعالیٰ کے عذاب سے نجات اور جنت میں داخلے کے اسباب 57. “ अल्लाह तआला के अज़ाब से बचाओ और जन्नत में जाने के कारण ” 58. مومن کی ظاہر علامات 58. “ मोमिन के दिखाई देने वाले लक्षण ” 59. ہر زمان و مکاں میں اللہ کا ذکر کرنے کی تلقین 59. “ हर समय और हर जगह अल्लाह तआला को याद करना ” 60. ہر برائی کے بعد نیکی کرنے کی تلقین 60. “ हर बुराई के बाद नेकी करने की नसीहत ” 61. صبر و سماحت بھی ایمان میں سے ہیں 61. “ सब्र और दान पूण भी ईमान में आते हैं ” 62. حیا بھی ایمان ہے 62. “ शर्म और हया भी ईमान है ” 63. اللہ تعالیٰ کے لئے دوستی و دشمنی رکھنا ایمان کا مضبوط کڑا ہے 63. “ अल्लाह के लिए दोस्ती और दुश्मनी रखना ईमान की मज़बूत कड़ी है ” 64. ایمان اور جہاد افضل اعمال ہیں 64. “ ईमान और जिहाद सबसे अफ़ज़ल कर्मों में से हैं ” 65. اسلام، جہاد اور ہجرت کی اقسام 65. “ इस्लाम ، जिहाद और हिजरत के प्रकार ” 66. افضل ہجرت 66. “ अफ़ज़ल हिजरत ” 67. کامیابی کا راز 67. “ सफलता का रहस्य ” 68. تورات میں رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی صفات کا تذکرہ 68. “ तौरात में रसूल अल्लाह ﷺ के बारे में ” 69. چار ممنوعہ امور 69. “ चार मना कर दिए गए मामले ” 70. اسلام میں دور اندیشی ہے کیا؟ 70. “ इस्लाम में समझदारी के बारे में ” 71. کسی کی عبادت کرنے کا مفہوم «اتخذوا أحبارهم ورهبانهم أربابا من دون الله» کی تفسیر 71. “ किसी की इबादत करने का अर्थ « اتَّخَذُوا أَحْبَارَهُمْ وَرُهْبَانَهُمْ أَرْبَابًا مِّن دُونِ اللَّـهِ » [ सूरत अत-तौबा:31] की तफ़्सीर ] ” 72. کب تک لوگوں سے قتال کیا جائے؟ 72. “ कब तक लोगों से जंग की जाए ” 73. مختلف آداب اسلامی 73. “ इस्लाम के विभिन्न नियम ” 74. اسلام کا لبادہ اوڑھ کر اہل اسلام کے لئے مضر 74. “ इस्लाम स्वीकार करने के बाद मुसलमानों के लिए हानिकारक ” 75. فوت شدہ مومنوں کی ارواح کا مقام 75. “ मर चुके मोमिनों की आत्माओं की जगह ” 76. اہل اسلام کی ابتدائی اور انتہائی کیفیت 76. “ मुसलमानों की शरू की और बाद की हालत ” 77. الوداع کہنے کی دعا 77. “ विदा करने की दुआ ” 78. قرب الٰہی کے حصول کے اسباب اور نتائج ولی اللہ کی علامتیں اور اس سے دشمنی کرنے والے کا انجام بد، اللہ تعالی کی صفت ”تردد“ کا بیان 78. “ अल्लाह के क़रीब आने के कारण अल्लाह के दोस्तों की निशानियां और उन से दुश्मनी करने वालों का बुरा अंत अल्लाह तआला की अच्छाई “تردد ” के बारे में ” 79. اللہ تعالی کے بارے میں حسن ظن یا سوائے ظن کا نتیجہ 79. “ अल्लाह तआला से कल्पना करने के बारे में ” 80. «ومن لم يحكم بما أنزل الله فأولئك هم الكافرون» (سورہ مائدہ: ۴۴) «ومن لم يحكم بما أنزل الله فأولئك هم الظالمون» (سورہ مائدہ: ۴۵) «ومن لم يحكم بما أنزل الله فأولئك هم الفاسقون» (سورہ مائدہ: ۴۷) کی تفسیر 80. “ सूरत अल-माइदा (44) « وَمَن لَّمْ يَحْكُم بِمَا أَنزَلَ اللَّـهُ فَأُولَـٰئِكَ هُمُ الْكَافِرُونَ » (47) « وَمَن لَّمْ يَحْكُم بِمَا أَنزَلَ اللَّـهُ فَأُولَـٰئِكَ هُمُ الظَّالِمُونَ » (45) « وَمَن لَّمْ يَحْكُم بِمَا أَنزَلَ اللَّـهُ فَأُولَـٰئِكَ هُمُ الْفَاسِقُونَ » की तफ़्सीर ” 81. کیا برا آدمی ناصر الدین بن سکتا ہے؟ 81. “ क्या बुरा आदमी दीन का माध्यम बन सकता है ” 82. قاتل اور مقتول دونوں جنت میں 82. “ क़त्ल करने वाला और क़त्ल होने वाला दोनों जन्नत में ” 83. ہر صدی کے بعد تجدید دین 83. “ हर सो साल के बाद दिन का फिर से ताज़ा होना ” 84. ہر ہنر اور ہنرمند اللہ تعالی کی تخلیق ہے 84. “ हर कारीगर को और उस के हुनर यानि काम को अल्लाह तआला पैदा करता है ” 85. اخلاص، قبولیت عمل کی بنیادی شرط ہے 85. “ अल्लाह के लिए नियत करना कर्म स्वीकार होने का आधार बनती है ” 86. ریاکاری، شرک اصغر ہے 86. “ दिखावा छोटा शिर्क है ” 87. ریاکار شہید، سخی اور قاری و عالم کا انجام 87. “ दिखावा करने वाला ، शहीद ، दानी ، क़ारी और ज्ञानी का अंत ” 88. شہرت کا حریص ہونا باعث وبال ہے 88. “ लोकप्रियता कि इच्छा करना बोझ है ” 89. اللہ تعالیٰ سے تجدید ایمان کی دعا اور وجہ 89. “ अल्लाह तआला से ईमान को ताज़ा करने कि दुआ करना ” 90. فرزندان امت کسی بندے کے نیک اور برا ہونے پر گواہ ہیں 90. “ मुसलमान किसी बंदे के बुरा या नेक होने के गवाह हैं ” 91. پر خلوص اعمال کو وسیلہ بنانا . . . . غار والوں کا واقعہ 91. “ ईमानदारी से किये गए नेक कर्मों को वसीला बनाना ... गुफा वालों का क़िस्सा ” 92. مکہ مکرمہ و مدینہ منورہ دجال کے شر سے محفوظ ہیں 92. “ मदीना और मक्का दज्जाल से सुरक्षित हैं ” 93. عزل کی تعریف اور حکم 93. “ अज़ल ! यानि परिवार नियोजन का परिचय और हुक्म ” 94. کیا تعویذ لٹکانا شرک ہے؟ 94. “ क्या तअवीज़ लटकाना यानि तअवीज़ गंडा शिर्क है ” 95. فرمودات نبویہ کا صحابہ کی طبیعت پر غالب ہونا 95. “ रसूल अल्लाह ﷺ का फ़रमान सहाबा के लिए काफ़ी होना ” 96. سر زمین عرب سے شیطان کی مایوسی 96. “ अरब कि ज़मीन से शैतान का निराश हो जाना ” 97. فتح مکہ والے دن ابلیس کی کیفیت 97. “ मक्का पर विजय के दिन इब्लीस कि हालत ” 98. شیطان کے ہتھکنڈے شیطان کی نافرمانی پر جنت کی بشارت 98. “ शैतान की चालबाज़ी और शैतान की बात ना मानने पर जन्नत कि ख़ुशख़बरी ” 99. نظر لگنا برحق ہے 99. “ नज़र लग जाना सच है ” 100. بنوثقیف کا کذاب اور مہلک 100. “ बनि सक़ीफ़ का झूठा और घातक ” 101. بنو آدم کے دلوں کا اللہ تعالیٰ کے قابو میں ہونا اور اس کا تقاضا 101. “ आदम कि औलाद के दिलों का अल्लाह तआला के क़ाबू में होना ” 102. فرزندان امت کی دیدار نبی کی شدید خواہش 102. “ उम्मत का रसूल अल्लाह ﷺ के दर्शन की इच्छा करना ” 103. اسلام کی علامات 103. “ इस्लाम की निशानियां ” 104. ہمارے لئے کسی کے ایمان یا کفر کو پہچاننے کے لئے معیار اس کی زبان ہے 104. “ हमारे लिए किसी का ईमान और कुफ़्र जानने के लिए उसका कहना काफ़ी है ” 105. ہر دشمن سے بچانے والا اللہ ہے . . . نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کا ذاتی انتقام نہ لینا 105. “ हर दुश्मन से बचाने वाला अल्लाह तआला है ، रसूल अल्ल्हा ﷺ का निजी बदला न लेना ” 106. اللہ تعالیٰ اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی امان کن صفات کی بنا پر ہے؟ غیر اسلامی ممالک میں سکونت پذیر ہونا کیسا ہے؟ ہجرت کا حکم باقی ہے 106. “ अल्लाह तआला और रसूल अल्लाह ﷺ से सुरक्षित होने की शर्तें ، ग़ैर मुस्लिम देश में रहना केसा है ، हिजरत का हुक्म बाक़ी है ” 107. مشرکوں کی صحبت کی نحوست 107. “ मुशरिकों के साथ रहने की नहूसत ” 108. جہنم سے دور کرنے اور جنت میں داخل کرنے والے اسباب واضح ہیں 108. “ जहन्नम से दूर होने और जन्नत के क़रीब आने का तरीक़ा ” 109. رزق کیسے طلب کیا جائے؟ 109. “ रिज़्क़ कैसे माँगा जाए ” 110. جہاد تا قیامت جاری رہے گا 110. “ जिहाद क़यामत तक रहेगा ” 111. اسلام میں رہبانیت نہیں . . . جہاد کی فضیلت 111. “ इस्लाम में सन्यास नहीं है ، जिहाद की फ़ज़ीलत ” 112. آپ صلی اللہ علیہ وسلم اور آپ کی امت کی مثال 112. “ रसूल अल्लाह ﷺ और आप की उम्मत की मिसाल ” 113. اسلام کے بعد پھر سے فتنوں کا ابھرنا 113. “ इस्लाम के बाद फिर से फ़ितनों का उभरना ” 114. «يا أيها الذين آمنوا عليكم أنفسكم لايضركم من ضل إذا اهتديتم» کی تفسیر 114. “ « يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا عَلَيْكُمْ أَنفُسَكُمْ ۖ لَا يَضُرُّكُم مَّن ضَلَّ إِذَا اهْتَدَيْتُمْ » ( सूरत अल-माइदा:105 ) की तफ़्सीर ” 115. ایمان کے شعبے 115. “ ईमान के भाग ” 116. یمنی لوگوں کے ایمان کی فضیلت 116. “ यमनी लोगों के ईमान की फ़ज़ीलत ” 117. اہل یمن کی تعریف اور اہل مشرق کی مذمت 117. “ ईमान वालों की ताअरीफ़ और पूरब के लोगों की निंदा ” 118. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کا جنوں پر قرآن مجید کی تلاوت کرنا 118. “ रसूल अल्लाह ﷺ का जिन्नों को क़ुरआन पढ़ कर सुनना ” 119. دعوت اسلام پر مشتمل ہرقل کے نام خط، قبولیت اسلام کے سلسلے میں نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم اور صحابہ کرام کی صفات 119. “ हिरक़ल को इस्लाम की दावत के पत्र ، इस्लाम स्वीकार करने के मामले में रसूल अल्लाह ﷺ और सहाबा की विशेषताएं ” 120. ایمان کی مٹھاس کس کو نصیب ہوتی ہے 120. “ ईमान की मिठास किस को नसीब होती है ” 121. کن لوگوں کی عبادت قبول نہیں ہوتی؟ 121. “ किन लोगों की इबादत स्वीकार नहीं की जाती ? ” 122. دو گنا اجر لینے والے تین قسم کے افراد 122. “ दोहरा सवाब पाने वाले तीन तरह के लोग ” 123. ملک الموت کی پہلوں کے پاس آنے کی کیفیت سیدنا موسی علیہ السلام کا ملک الموت کو تھپڑ مارنے کا واقعہ 123. “ मौत का फरिश्ता पहले कैसे आता था और मूसा अलैहिस्सलाम का मौत के फ़रिश्ते को थप्पड़ मरना ” 124. جنت و جہنم دونوں ہر ایک کے قریب ہیں 124. “ जन्नत और जहन्नम दोनों हर इन्सान के क़रीब हैं ” 125. حلال اور حرام تو واضح ہیں، لیکن مشتبہ امور . . . 125. “ हलाल और हराम तो साफ़ है लेकिन शक वाली चीज़ों के बारे मैं ” 126. مالدار کے پاس نیکیاں کم ہوتی ہیں، مگر . . . 126. “ मालदार लोगों के पास नेकियां कम होती हैं ” 127. نماز، حج اور رمضان کے روزوں کی فضیلت 127. “ नमाज़ ، हज्ज और रमज़ान के रोज़ों की फ़ज़ीलत ” 128. آب و فضا موافق نہ آنے کی صورت میں علاقہ چھوڑا جا سکتا ہے 128. “ हवा पानी अगर अच्छा न हो तो दूसरी जगह जाया जा सकता है ” 129. نیک خواب 129. “ अच्छा सपना ” 130. برا خواب 130. “ बुरा सपना ” 131. «الذين آمنوا وكانوا يتقون لهم البشرى في الحياة الدنيا وفي الآخرة» کی تفسیر 131. “ « الَّذِينَ آمَنُوا وَكَانُوا يَتَّقُونَ لَهُمُ الْبُشْرَىٰ فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا وَفِي الْآخِرَةِ » की तफ़्सीर ” 132. درجات کی بلندی اور گناہوں کا کفارہ بننے والے اعمال نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کا اللہ تعالیٰ کا دیدار کرنا 132. “ ऊँचा दर्जा और पापों का कफ़्फ़ारह बनने वाले कर्म और रसूल अल्लाह ﷺ का अल्लाह तआला को देखना ” 133. دوست پہچان ہوتا ہے 133. “ दोस्त आप की पहचान होता है ” 134. نابالغ بچوں کا اخروی انجام 134. “ बच्चों का अंतिम मामला ” 135. کبیرہ گناہوں کی تین اقسام 135. “ तीन प्रकार के बड़े पाप ” 136. بندے کی مایوسی پر اللہ تعالیٰ کا ہنسنا 136. “ बंदे की निराशा पर अल्लाह तआला का हंसना ” 137. نجاشی مسلمان تھا 137. “ नजाशी मुसलमान था ” 138. اللہ تعالیٰ کا بندے سے قرضہ مانگنا 138. “ अल्लाह तआला का बंदे से क़र्ज़ मांगना ” 139. اللہ تعالیٰ کے ہاں بندے کی مرتبت عالیہ 139. “ अल्लाह तआला के हाँ बंदे के कर्मों का बढ़ जाना ” 140. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کو دیکھے بغیر آپ پر ایمان لانے والوں کی فضیلت 140. “ रसूल अल्लाह ﷺ को देखे बिना उन पर ईमान लाने वलों की फ़ज़ीलत ” 141. اچھا شگون لینا 141. “ अच्छा शगुन लेना ” 142. بدشگونی لینا منع ہے 142. “ बुरा शगुन लेना मना है ” 143. کوئی بیماری متعدی نہیں ہے «صفر» اور «غول» کی حقیقت 143. “ छूतछात का रोग ، बुरी फ़ाल ، नहूसत और नज़र लगने के बारे में ” 144. کہانت 144. “ ज्योतिष विद्या ” 145. جادو کرنا منع ہے 145. “ जादू करना मना है ” 146. ناقابل معافی اور قابل معافی ظلم 146. “ क्षमा किये जाने और न किये जाने वाले ज़ुल्म ” 147. کیا کسی چیز میں نحوست پائی جاتی ہے؟ 147. “ क्या कोई चीज़ मनहूस हो सकती है ” 148. مہر نبوت 148. “ नबवत की मुहर ” 149. بے صبری کا انجام . . . خودکشی کا انجام 149. “ बेसबरी और आत्महत्त्या के बारे में ” 150. نسب تبدیل کرنا کفر ہے 150. “ वंश बदलना कुफ़्र है ” 151. شرک اور قتل ناقابل معافی جرم ہیں 151. “ शिर्क और क़त्ल क्षमा नहीं किया जाएगा ” 152. روز قیامت نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کا نسبی اور ازدواجی رشتہ قائم رہے گا 152. “ क़यामत के दिन रसूल अल्लाह ﷺ के नसबी और वैवाहिक रिश्ते बने रहेंगे ” 153. نیکوں اور بدوں کے مناہج اور منازل جدا جدا ہیں 153. “ अच्छे और बुरे लोगों के रस्ते और ठिकाने अलग अलग हैं ” 154. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کن امور کے ساتھ تشریف لائے 154. “ रसूल अल्लाह ﷺ किन मामलों को साथ लाए हैं ” 155. اسرا و معراج کے موقع پر دشمنوں کا آپ صلی اللہ علیہ وسلم کے ساتھ استہزا اور پھر ندامت 155. “ असरा (रात का सफ़र ) और मअराज के अवसर पर काफ़िरों का रसूल अल्लाह ﷺ का मज़ाक़ बनाना और निंदा करना ” 156. آپ صلی اللہ علیہ وسلم پر ایمان نہ لانے والے یہودی اور عیسائی کا انجام 156. “ रसूल अल्लाह ﷺ पर ईमान न लेन वाले यहूदी और इसाई का अंजाम ” 157. اگر دس یہودی آپ صلی اللہ علیہ وسلم پر ایمان لے آتے تو 157. “ अगर दस यहूदी रसूल अल्लाह ﷺ पर ईमान ले आए तो ” 158. صحابی رسول کی کرامت . . . اللہ تعالیٰ رزاق ہے 158. “ रसूल अल्लाह ﷺ के सहाबी की करामत और रिज़्क़ दें वाला अल्लाह है ” 159. تکلیف پر «بسم الله» کہنے کی فضیلت 159. “ तकलिफ़ होने पर बिस्मिल्लाह «بسم الله» कहने की फ़ज़ीलत ” 160. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کی برکتوں کا نزول 160. “ रसूल अल्लाह ﷺ की बरकतों का होना ” 161. اللہ تعالیٰ کو تعریف بھی پسند ہے اور معذرت بھی 161. “ अल्लाह तआला को ताअरीफ़ भी पसंद है और कारण भी ” 162. اللہ تعالیٰ کا صبر 162. “ अल्लाह तआला का सब्र ” 163. ایمان میں اتار چڑھاؤ نفاق نہیں 163. “ ईमान में उतार चढ़ाओ मुनाफ़िक़त नहीं है ” 164. اپنی برتری اور دوسروں کی کمتری ثابت کرنے کے لیے خاندانی نام استعمال کرنا ممنوع ہے 164. “ अपनी बढ़ाई और दुसरे को छोटा दिखाने के लिए पारिवारिक नाम का उपयोग करना मना है ” 165. مومن کی مثال، شہد کی مکھی اور کھجور کی طرح ہے 165. “ मोमिन की मिसाल मधुमक्खी और खजूर के पेड़ की तरह है ” 166. ہر آدمی کو زمانہ تخلیق پر راضی ہو کر اعمال صالحہ کرنے چاہییں، کون سی تفریق قابل مذمت ہے؟ 166. “ हर इन्सान को समय पर सहमत होना चाहिए और नेक कर्म करना चाहिए ، कौन सा भेदभाव निंदनीय है ” 167. عہدہ سنبھالنے والے متنبہ رہیں، اللہ تعالیٰ کے نام پر سوال کرنے والا یا جس سے اس طرح سوال کیا جائے، دونوں ملعون کیسے؟ 167. “ पद संभालने वाले सतर्क रहैं अल्लाह तआला के नाम पर सवाल करने वाला या जिस से सवाल किया जाए दोनों लाअनती कैसे ” 168. نیکی کے داعی کا اجر اور برائی کے داعی کا وبال 168. “ नेकी की तरफ़ बुलाने वाले का सवाब और बुराई की तरफ़ बुलाने वाले का बोझ ” 169. آزمائش زدہ کو دیکھ کر پڑھی جانے والی دعا اور فائدہ 169. “ किसी को मुसीबत में देखने की दुआ और उसका लाभ ” 170. کسی سے اللہ تعالیٰ کے لیے محبت کرنے کا صلہ 170. “ किसी से अल्लाह तआला के लिए मुहब्बत करने का बदला ” 171. اللہ تعالیٰ اور رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کی ضمانت کون سے مسلمان کو حاصل ہے؟ 171. “ किस मुसलमान को अल्लाह तआला और रसूल अल्लाह ﷺ की ज़मानत दी गई है ” 172. اللہ تعالیٰ کی مغفرت کس مسلمان کے لیے ہے؟ 172. “ अल्लाह तआला किस मुसलमान को क्षमा करता है ” 173. دعا نہ کرنا، غضب الہی کا موجب ہے 173. “ दुआ न करना अल्लाह तआला के ग़ुस्से का कारण है ” 174. مومن، مومن کا آئینہ ہے 174. “ एक मोमिन दुसरे मोमिन का दर्पण है ” 175. اہل ایمان کی باہمی محبت و مودت کا تقاضا 175. “ ईमान वालों की आपस की मुहब्बत के बारे में ” 176. باہمی بھائی چارے کے تقاضے .... مسلمان کی پردہ پوشی اور اس کی تکلیف دور کرنے کا اجر و ثواب 176. “ आपसी भाईचारा ، मुसलमान की बुराई छुपाना और तकलीफ़ दूर करने का सवाब ” 177. اگلی نسلوں تک احادیث منتقل کرنے والے حافظین حدیث کی فضیلت، دنیا کی فکر کا انجام اور آخرت کی فکر کا نتیجہ 177. “ अगली नस्लों तक हदीसें पहुंचाने वाले और मुहद्दिसों की फ़ज़ीलत ، दुनिया की चिंता का अंजाम और आख़िरत की चिंता का नतीजा ” 178. لوگوں کی چار اور اعمال کی چھ اقسام 178. “ लोग चार प्रकार और कर्म छे प्रकार के हैं ” 179. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے حکم پر کھجور کے گچھے کا آپ کے پاس آنا 179. “ रसूल अल्लाहु ﷺ के हुक्म पर खजूर के गुच्छे का उन की तरफ़ आना ” 180. درجہ بدرجہ افضل اعمال 180. “ एक से बढ़ कर एक अफ़ज़ल ( अच्छे ) कर्म ” 181. زمانے کو گالی دینا منع ہے 181. “ ज़माने को गाली देना मना है ” 182. مومن کی فضیلت 182. “ मोमिन की फ़ज़ीलत ” 183. مومن کا دوسروں کے لیے خیر و بھلائی پسند کرنا 183. “ मोमिन का दूसरों के लिए भलाई पसंद करना ” 184. ایمان، صدق اور امانت سے متصف دل کا کفر، کذب اور خیانت سے پاک ہونا 184. “ ईमान ، सच्चाई ، अमानत वाले दिल का कुफ़्र ، झूठ और ख़यानत से पाक होना ” 185. موت کے وقت خوف و رجا کا مفہوم اور فضیلت 185. “ मोत के समय पापों से डरने के बारे में ” 186. تکبر کا مفہوم اور مذمت 186. “ अहंकार का अर्थ और निंदा ” 187. قبل از قیامت بارہ قریشی خلفا کی خلافت 187. “ क़यामत से पहले बारह क़ुरेशी ख़लीफ़ाओं की ख़िलाफ़त का होना ” 188. ہر دور میں ایک جماعت دین حق پر قائم رہے گی 188. “ हर ज़माने में एक जत्था सच्चे दीन पर बना रहेगा ” 189. مومن عبرت پکڑتا ہے 189. “ मोमिन नसीहत लेता है ” 190. بعض مومنوں کا نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کے پاس راحت پانا اور ان کی صفات 190. “ कुछ मोमिनों का रसूल अल्लाह ﷺ के पास आराम पाना और उनकी विशेषताएं ” 191. ابلیس کی تخلیق کا مقصد 191. “ इब्लीस यानि शैतान को पैदा करने का कारण ” 192. برتری کا معیار رنگ و نسل، اور تقوی ہے 192. “ बढ़ाई की परख रंग नसल और तक़वा है ” 193. «وانذر عشيرتك الاقربين» کی عملی تفسیر 193. “ « وَأَنذِرْعَشِيرَتَكَ الْأَقْرَبِينَ » की तफ़्सीर ” 194. زیادہ سے زیادہ کتنے روزے رکھے جا سکتے ہیں؟ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم فرزندان امت کے حق میں ان سے بڑھ کر خیر خواہ ہیں 194. “ ज़्यादा से ज़्यादा कितने रोज़े रखे जा सकते हैं ، रसूल अल्लाह ﷺ मुसलमानो के लिए उन से ज़्यादा अच्छा चाहते हैं ” 195. روز قیامت مفلس کون ہو گا؟، بندگان خدا پر ظلم کرنے والوں کی آخرت خطرے میں 195. “ क़यामत के दीन ग़रीब कौन होगा? अल्लाह तआला के बंदो पर ज़ुल्म करने वालों की आख़िरत के बारे में ” 196. نصف شعبان کی رات کی فضیلت 196. “ आधे शअबान के महीने की फ़ज़ीलत ” 197. اہل توحید بھی بدعملی کی وجہ سے جہنم میں جا سکتے ہیں 197. “ एहले तौहीद भी बुरे कर्मों के कारण जहन्नम में जा सकते हैं ” 198. کسی مصلحت کے پیش نظر بعض احادیث بیان نہ کرنا 198. “ कुछ कारणों से कुछ हदीसों को न सुनाना ” 199. نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کا معجزہ اور راشن میں برکت 199. “ रसूल अल्लाह ﷺ का चमत्कार और खाने में बरकत ” 200. سب سے پہلی مخلوق 200. “ रसूल अल्लाह ﷺ का चमत्कार और खाने में बरकत ” 201. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی احادیث پر اکتفا کرنا چاہیے 201. “ रसूल अल्लाह ﷺ की हदीसों पर संतोष करना चाहिए ” 202. اعمال صالح کی قلت و کثرت کا معیار آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی ذات ہے 202. “ नेक कर्म रसूल अल्लाह ﷺ की अनुमति के अनुसार कम या ज़्यादा हों ” 203. آپ صلی اللہ علیہ وسلم کی نافرمانی جنت کا انکار کرنے کے مترادف ہے 203. “ रसूल अल्लाह ﷺ की आज्ञा का पालन न करना जन्नत से इन्कार के बराबर ” |
سلسله احاديث صحيحه
सिलसिला अहादीस सहीहा الايمان والتوحيد والدين والقدر ایمان توحید، دین اور تقدیر کا بیان तौहीद पर ईमान, दीन और तक़दीर آپ صلی اللہ علیہ وسلم پر ایمان نہ لانے والے یہودی اور عیسائی کا انجام “ रसूल अल्लाह ﷺ पर ईमान न लेन वाले यहूदी और इसाई का अंजाम ”
رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”اب اس امت کا جو فرد، وہ یہودی ہو یا نصرانی (یا کوئی اور) میرے (ظہور کے) بارے میں سن کر مجھ پر ایمان نہیں لائے گا، وہ جہنم میں داخل ہو گا۔“ یہ حدیث سیدنا سعید بن جبیر سے روایت کی گئی ہے اور ان پر تین صورتوں میں سند کا اختلاف پایا جاتا ہے۔
سیدنا ابوہریرہ رضی اللہ عنہ سے روایت ہے کہ رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا: ”اس ذات کی قسم جس کے ہاتھ میں میری جان ہے! جو فرد، وہ یہودی ہو یا نصرانی، میرے بارے میں سنے اور مجھ پر ایمان نہ لائے، وہ جہنمی ہو گا۔“
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